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Bihar News: विदेशी डिग्री, देसी इरादा! बेलहर से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं चाणक्य ...

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Bihar News: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया नाम तेजी से उभर रहा है चाणक्य प्रकाश रंजन। नाम जितना खास, उनकी प्रोफाइल उससे भी ज्यादा दिलचस्प है। बांका लोकसभा सीट से जदयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थामकर सभी को चौंका दिया। अब माना जा रहा है कि वह बेलहर विधानसभा सीट से 2025 का चुनाव लड़ सकते हैं और टिकट लगभग तय ही माना जा रहा है।

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चाणक्य का राजनीति में धमाकेदार एंट्री- Bihar News

राजनीति में चाणक्य नाम का बड़ा प्रतीकात्मक महत्व है, और जब कोई युवा पढ़ा-लिखा चेहरा इस नाम के साथ राजनीतिक मैदान में उतरता है, तो चर्चा होना तय है। चाणक्य प्रकाश रंजन न सिर्फ एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, बल्कि उनकी अपनी पहचान और प्रोफाइल भी काबिल-ए-तारीफ है। उनके RJD जॉइन करते ही बेलहर विधानसभा में सियासी हलचल तेज हो गई है।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़े हैं चाणक्य

चाणक्य ने साल 2023 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंसेज़ से मास्टर्स इन पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई पूरी की है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और 2016 में इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ से इंटरनेशनल ट्रेड एंड बिजनेस लॉ में डिप्लोमा किया। उनकी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल से हुई है।

सामाजिक सेवा से गहरा नाता

सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, चाणक्य ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी खुद को साबित किया है। वे नीलगिरी एजुकेशन एंड डेवलपमेंट एसोसिएट्स बोर्ड से जुड़कर आदिवासी लड़कियों की शिक्षा और जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए काम कर चुके हैं। उन्होंने ‘ट्राइबआइब’ नामक एक सोशल एंटरप्राइज की स्थापना की है, जिसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी से मान्यता भी मिल चुकी है।

कला के क्षेत्र में भी बेहतरीन प्रदर्शन

राजनीति और समाजसेवा के साथ-साथ चाणक्य एक कला प्रेमी और पेंटर भी हैं। उन्होंने 19वीं सदी के नामी कलाकारों की कला का अध्ययन कर स्व-शिक्षा से चित्रकारी सीखी। उनकी बनाई गई पेंटिंग्स न केवल भारत की प्रमुख आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित हो चुकी हैं, बल्कि लंदन के म्यूजियम्स में भी जगह बना चुकी हैं। इस कला से जो भी आमदनी होती है, चाणक्य उसे समाजसेवा में लगा देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़ाव

राजनीति में कदम रखने से पहले चाणक्य राष्ट्रमंडल सचिवालय, विश्व बैंक, और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं। उन्हें नेशनल यंग डेवलपमेंट एंथूज़ियास्ट अवॉर्ड (2020) और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2016 में सम्मानित किया जा चुका है।

बेलहर में मुकाबला हो सकता है रोचक

बेलहर विधानसभा सीट पर अगर चाणक्य प्रकाश रंजन को टिकट मिलता है, तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ उनका पढ़ा-लिखा और सामाजिक छवि वाला चेहरा, दूसरी तरफ स्थानीय राजनीतिक समीकरण  ये सब मिलकर बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकते हैं।

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Pawan Singh controversy: राजनीति में पत्नी की एंट्री से घिरे पवन सिंह, ससुर बोले – पै...

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Pawan Singh controversy: भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और अब एक बार फिर बीजेपी में लौटे पवन सिंह इन दिनों सिर्फ अपनी फिल्मों या राजनीति को लेकर नहीं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी जबरदस्त चर्चा में हैं। पार्टी में वापसी के कुछ ही दिनों बाद एक ऐसा पारिवारिक विवाद सामने आया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनकी पत्नी ज्योति सिंह के पिता रामबाबू सिंह ने मीडिया के सामने बेहद भावुक होकर पवन सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं, और अब मामला सीधे राजनीति के मैदान तक पहुंच गया है।

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“मैंने पैर पकड़कर रोया, लेकिन…” – ससुर का भावुक बयान

पवन सिंह के ससुर रामबाबू सिंह ने आरोप लगाया कि दामाद ने उनके और उनकी बेटी के साथ बहुत निष्ठुरता से व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि पवन सिंह यह दावा कर रहे हैं कि उन पर ज्योति को राजनीति में लाने का दबाव था, लेकिन यह सरासर झूठ है।

रामबाबू सिंह का कहना है, “मेरी कोई पार्टी है क्या जो मैं विधायक बनाने का दबाव डालूंगा? मैं तो सिर्फ एक बाप हूं, जो अपनी बेटी की इज्जत की भीख मांग रहा था। तीन महीने पहले मैं पवन के पास गया था। उनके पैर पकड़कर रोया और कहा, ‘बाबू, मेरी बेटी को अपना लीजिए। वो आपके चुनाव में दिन-रात मेहनत करेगी। मेरी इज्जत बचा लीजिए।'”

लेकिन उनके मुताबिक, पवन सिंह का जवाब बेहद ठंडा था – “जो होगा, कोर्ट से होगा।” इसके बाद न उन्होंने फोन उठाया, न कोई जवाब दिया।

ज्योति सिंह की एंट्री से बढ़ा सस्पेंस, निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव? Pawan Singh controversy

इस पारिवारिक ड्रामे ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। रामबाबू सिंह ने बताया कि पवन सिंह के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ज्योति सिंह का जनता से गहरा जुड़ाव बना। लोगों ने उन्हें “भाभी” कहकर सम्मान दिया और जब पवन सिंह हार गए, तब भी लोग लगातार संपर्क में रहे।

रामबाबू का दावा है कि अब ज्योति सिंह खुद चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं और अगर लड़ेंगी तो किसी पार्टी से नहीं, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में काराकाट सीट से मैदान में उतरेंगी। यानी वही इलाका जहां से पहले पवन सिंह ने चुनाव लड़ा था।

बीजेपी में वापसी के बाद पवन के लिए बढ़ी मुश्किलें

पवन सिंह ने कुछ ही दिन पहले बीजेपी में ‘घर वापसी’ की थी और बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। लेकिन अब उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा यह विवाद उनके राजनीतिक करियर के लिए एक मुश्किल मोड़ बन सकता है।

अगर वाकई ज्योति निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं, तो पवन सिंह को न सिर्फ एक मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का सामना करना पड़ेगा, बल्कि ये टकराव निजी रिश्तों की बुनियाद पर खड़ा होगा जिसे जनता भी बड़े दिलचस्प अंदाज में देखेगी।

पारिवारिक कलह से राजनीतिक टकराव तक

यह पूरा मामला अब सिर्फ घरेलू कलह नहीं रह गया, बल्कि यह बिहार की चुनावी राजनीति में एक नए और भावनात्मक एंगल के साथ एंट्री कर चुका है। पवन सिंह जैसे सेलेब्रिटी चेहरे के लिए यह विवाद उनकी छवि पर सीधा असर डाल सकता है।

जहां एक तरफ बीजेपी को पवन सिंह के स्टारडम से उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी पत्नी द्वारा उठाया गया यह कदम उन पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव दोनों बढ़ा सकता है।

अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या ज्योति वाकई चुनाव लड़ेंगी, और अगर हां, तो क्या पवन सिंह को अपनी ही पत्नी से एक बड़े राजनीतिक मुकाबले का सामना करना पड़ेगा? बिहार की सियासत में यह कहानी आने वाले दिनों में और भी दिलचस्प मोड़ ले सकती है।

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Hardik Pandya Girlfriend: हार्दिक पांड्या का दिल फिर से धड़का! रूमर्ड गर्लफ्रेंड माहि...

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Hardik Pandya Girlfriend: टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या एक बार फिर अपने पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में हैं। इस बार वजह है एक्ट्रेस और मॉडल माहिका शर्मा। हार्दिक ने अपने 32वें जन्मदिन से एक दिन पहले इंस्टाग्राम पर जो तस्वीरें शेयर कीं, उसने उनके फैंस को चौंका दिया है। इन तस्वीरों में माहिका के साथ उनकी बीच पार्टी और निजी पलों की झलक साफ नजर आई, जिससे यह कयास और तेज़ हो गए हैं कि दोनों रिलेशनशिप में हैं।

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एयरपोर्ट पर साथ दिखे, कुछ ही घंटों में तस्वीरें भी आईं सामने- Hardik Pandya Girlfriend

शुक्रवार तड़के क्रिकेटर हार्दिक और माहिका को पहली बार साथ में मुंबई एयरपोर्ट पर स्पॉट किया गया। दोनों ब्लैक ड्रेस में नजर आए और जैसे ही मीडिया ने उन्हें कैमरे में कैद किया, तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। वीडियो में हार्दिक माहिका को आगे चलने देते दिखे और खुद कैमरों से बचने की कोशिश करते नजर आए।

 

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कुछ ही घंटों बाद हार्दिक ने अपने इंस्टाग्राम पर कई स्टोरीज शेयर कीं जिनमें माहिका उनके साथ बीच पर पार्टी करती दिखीं। एक ब्लैक-एंड-व्हाइट तस्वीर भी सामने आई जो इस खास ट्रिप की और झलक देती है।

फैमिली फोटोज़ ने भी बढ़ाई चर्चा

हार्दिक ने अपने बेटे अगस्त्य, मां और दादी के साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं, जिनमें बर्थडे केक की झलक भी दिखाई दी। ये साफ करता है कि यह जश्न काफी निजी था, लेकिन माहिका की मौजूदगी ने इस प्राइवेट पार्टी को खास बना दिया। फैंस इन तस्वीरों को हार्दिक के रिश्ते की ‘अनजानी घोषणा’ के तौर पर देख रहे हैं।

कौन हैं माहिका शर्मा?

माहिका शर्मा की बात करें तो, 24 साल की माहिका एक अवॉर्ड विजेता मॉडल और एक्ट्रेस हैं। उन्होंने कई नामी फैशन डिजाइनर्स के साथ काम किया है और म्यूजिक वीडियोज़ में भी नजर आई हैं। माहिका आम तौर पर अपने निजी जीवन को मीडिया की नजरों से दूर रखती हैं, लेकिन हार्दिक के साथ नजर आना उनके लिए एक बड़ा स्टेटमेंट माना जा रहा है।

नताशा से अलगाव के बाद पहली बार पब्लिक अपीयरेंस

आपको बता दें, हार्दिक पांड्या की शादी नताशा स्टेनकोविक से हुई थी, जिनसे उनका एक बेटा अगस्त्य है। लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों के रिश्तों में दरार की खबरें आ रही थीं। नताशा के साथ हार्दिक की दूरी और अब माहिका के साथ उनकी नजदीकियां, फैंस के बीच नए सवाल खड़े कर रही हैं। बीच की तस्वीरें, इंस्टाग्राम पर कनेक्शन और अब ये पब्लिक अपीयरेंस सब कुछ इस बात की तरफ इशारा करता है कि हार्दिक की ज़िंदगी में नया चैप्टर शुरू हो चुका है।

अब क्या बोलेगा हार्दिक का दिल?

हालांकि अब तक न तो हार्दिक और न ही माहिका ने अपने रिश्ते पर कोई आधिकारिक बयान दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह जोड़ी छा चुकी है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ये रिश्ता आगे बढ़ेगा या फिर सिर्फ एक छुट्टी की कहानी बनकर रह जाएगा।

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Afghanistan vs Pakistan Conflict: पाकिस्तान पर टूटा तालिबान का कहर! सीमा पर चौकियों प...

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Afghanistan vs Pakistan Conflict: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अब एक नई दिशा में बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच ड्यूरंड रेखा (Durand Line) पर लगातार गोलीबारी हो रही है, और हालात बेहद जटिल हो गए हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगान सेना ने पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर जोरदार हमला किया है, जो काबुल पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमले का जवाब माना जा रहा है। सीमा पर रॉकेट, मोर्टार और हैवी मशीनगनों की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिससे दोनों देशों की सीमावर्ती बस्तियों में दहशत फैल चुकी है।

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पाकिस्तान की चौकियों पर अफगान सेना का हमला- Afghanistan vs Pakistan Conflict

अफगान रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि नंगरहार और कुनार प्रांतों में अफगान सेना ने पाकिस्तान की दो सैन्य चौकियों को नष्ट कर दिया है। इन चौकियों पर अफगान सेना ने 201वीं खालिद बिन वलीद आर्मी कॉर्प्स के जरिए हमला किया। अफगानिस्तान के अनुसार, यह जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा काबुल पर किए गए हवाई हमलों के खिलाफ की गई थी। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, लड़ाई अभी भी जारी है और दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण हो गई है।

सीमा पर भीषण गोलीबारी और संघर्ष

पकतिया और हेलमंद प्रांतों में भीषण फायरिंग की घटनाएं सामने आई हैं। पकतिया के आरियुब ज़ाजी इलाके में अफगान और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच मुठभेड़ हुई, जबकि हेलमंद प्रांत के बरामचा जिले में भी गोलाबारी की खबरें आई हैं। अफगान सेना ने यहां भी पाकिस्तान की सैन्य चौकियों को निशाना बनाया है। अफगान रक्षा मंत्रालय ने इस संघर्ष को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया बताया है और कहा है कि किसी भी विदेशी हमले का जवाब देना उनका अधिकार है।

काबुल पर हवाई हमले का जवाब

अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “पाकिस्तान द्वारा काबुल पर किए गए हवाई हमलों का जवाब अफगान सेना ने पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर कार्रवाई करके दिया है। हम अपनी रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं।अफगानिस्तान की यह प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से दोनों देशों के बीच रिश्तों में बढ़ते तनाव और विश्वास की कमी को दर्शाती है।

ड्यूरंड रेखा और 130 साल पुराना विवाद

आपको बता दें, यह संघर्ष दरअसल 1893 में ब्रिटिश राज द्वारा खींची गई ड्यूरंड रेखा के आसपास हो रहा है, जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुख्य कारण रही है। अफगानिस्तान कभी भी इस रेखा को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता और इसे काल्पनिक सीमामानता है। यही कारण है कि सीमा पर झड़पें अक्सर होती रहती हैं। इस बार की गोलीबारी पहले की तुलना में कहीं अधिक संगठित और व्यापक बताई जा रही है।

पाकिस्तान-अफगानिस्तान के रिश्तों का इतिहास

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं। 1990 के दशक में, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, पाकिस्तान और अफगानिस्तान अच्छे दोस्त थे। पाकिस्तान ने तालिबान को सैन्य और आर्थिक समर्थन दिया था। लेकिन 2001 में तालिबान का पतन और पाकिस्तान की समर्थन नीति के चलते दोनों देशों के रिश्ते खराब होते गए। 2007 में इस्लामाबाद में लाल मस्जिद पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हुई थी।

इसके बाद पाकिस्तान के भीतर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के गठन ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया कि वह टीटीपी का समर्थन करता है, जबकि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया। इस तनाव ने दोनों देशों के रिश्तों को और बिगाड़ा।

आने वाले दिनों में क्या होगा?

विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर दोनों देशों के बीच इस सीमा संघर्ष को जल्द ही काबू नहीं पाया गया, तो यह एक बड़े क्षेत्रीय संकट का रूप ले सकता है। काबुल पर हुए पाकिस्तानी हवाई हमले के बाद अफगानिस्तान ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह किसी भी बाहरी हमले का जवाब देगा। इस स्थिति में दोनों देशों के रिश्ते एक बार फिर खाई में जा सकते हैं और अगर यह संघर्ष बढ़ता है तो दक्षिण एशिया के सुरक्षा परिदृश्य पर गंभीर असर डाल सकता है।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की ये तनावपूर्ण स्थिति न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इससे वैश्विक राजनीति में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।

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Bengal Medical College Rape: बंगाल में मेडिकल छात्रा से गैंगरेप…तीन आरोपी गिरफ्...

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Bengal Medical College Rape: पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के दुर्गापुर में ओडिशा की एक मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात सामने आई है। यह घटना शुक्रवार रात एक निजी मेडिकल कॉलेज परिसर के पास हुई। छात्रा अपने दोस्त के साथ डिनर के लिए बाहर गई थी, जब कुछ अज्ञात युवकों ने उसे रास्ते में रोक लिया और जबरन सुनसान जगह ले जाकर उसके साथ रेप किया।

पीड़िता को गंभीर हालत में नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने शनिवार को तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो अभी भी फरार हैं।

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छात्रा ओडिशा की रहने वाली, सेकंड ईयर की स्टूडेंट- Bengal Medical College Rape

पुलिस के अनुसार, पीड़िता ओडिशा के जलेश्वर की रहने वाली है और दुर्गापुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सेकंड ईयर की छात्रा है। छात्रा के परिवार वालों ने बताया कि शुक्रवार रात वह अपने एक दोस्त के साथ “गुपचुप” (स्थानीय स्ट्रीट फूड) खाने गई थी, तभी दो से तीन युवकों ने उसे रोक लिया और जबरन पकड़कर ले गए।

छात्रा की माँ ने आरोप लगाया कि रात करीब 10 बजे उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। पिता ने बताया, “हमें दोस्तों के फोन से घटना की जानकारी मिली। हम शनिवार सुबह यहाँ पहुँचे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। हमने सोचा था कि यह कॉलेज पढ़ाई के लिए सुरक्षित है, लेकिन अब हम डरे हुए हैं।”

पुलिस की कार्रवाई और बयान

आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस आयुक्तालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “कुल पाँच संदिग्धों की पहचान कर ली गई है। इनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है, बाकी दो की तलाश जारी है।”
पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर बयान जारी कर कहा कि इस घटना से पुलिस बेहद व्यथित है और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, लोगों से अपील की गई है कि “घटना से जुड़ी असत्यापित या भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर साझा न करें।”

पहले भी दहला चुके हैं ऐसे मामले

पश्चिम बंगाल में छात्राओं और महिला डॉक्टरों से रेप के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

  • पिछले साल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या की गई थी। इस भयानक घटना ने पूरे देश को हिला दिया था।
  • वहीं इस साल कोलकाता के एक लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ गार्ड रूम में गैंगरेप किया गया था। आरोपियों में तीन युवक शामिल थे, जिनमें से एक तृणमूल कांग्रेस के छात्र संगठन से जुड़ा हुआ बताया गया था।

अब दुर्गापुर की यह घटना एक बार फिर राज्य में महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है।

राजनीतिक हलचल और विपक्ष का हमला

घटना के बाद राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस घटना को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि,

“बंगाल में भी अपराधियों को उत्तर प्रदेश की तरह सजा मिलनी चाहिए। रेप जैसे मामलों में अपराधियों को गिरफ्तारी के बाद एनकाउंटर कर देना चाहिए।”

सुवेंदु अधिकारी ने आगे कहा,

“राज्य में न निजी कॉलेज सुरक्षित हैं, न सरकारी अस्पताल। पुलिस अपराध रोकने की जगह वसूली में लगी है। अब वक्त है कि बंगाल में भी योगी आदित्यनाथ जैसा प्रशासन आए।”

पीड़िता की हालत में सुधार, जांच जारी

अस्पताल सूत्रों के अनुसार, छात्रा का इलाज जारी है और उसकी हालत में सुधार हो रहा है। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी की पहचान कर ली गई है और फरार दो युवकों की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया गया है।

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Afganistan against women reporter: दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कॉ...

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Afganistan against women reporter: अभी हाल ही में 10 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास की तरफ से विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (Afganistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi) की प्रेस कॉन्फ्रेस हुई थी। जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे। दोनो के बीच द्विपक्षीय वार्ता की गई थी, लेकिन ये प्रेस कॉन्फ्रेंस काफी विवादो में छा गया है। जिसका कारण कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं बल्कि अफगानिस्तान के दूतावास का वो व्यावहार है, जो उन्होंने भारतीय महिलाओं और खासकर महिला पत्रकारों का अपमान करने के लिए किया है। दरअसल विवादों का कारण है कि इस कॉन्फ्रेंस में भारत की तरफ से एक भी महिला पत्रकार को कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की इजाजत ही नहीं दी गई। इस कॉन्फ्रेंस में कुछ पुरुष पत्रकार और अफगानिस्तान दूतावास के कुछ अधिकारी शामिल हुए थे। जिसके बाद से विदेश मंत्रालय को भी काफी घेरा जा रहा है।

विपक्ष ने साधा निशाना

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने को लेकर और महिला पत्रकारों के साथ दोहरा व्यवहार किये जाने को लेकर विपक्ष उन्हें काफी घेर रहा है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि पीएम मोदी को अफगानिस्तान द्वारा महिला पत्रकारों के अपमान को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए। महिलायें भारत की रीढ़ और गौरव है। उनकी भूमिका केवल वोट डालने तक ही सीमित नहीं है फिर भी उनका अपमान क्यों होने दिया गया। वहीं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी कहा कि महिला पत्रकारो के सम्मान में पुरुष पत्रकारो को भी उस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार करना चाहिए था। वो खुद इस बात से काफी हैरान नजर आये।

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क्या कहा विदेश मंत्रालय ने

वहीं इस मामले को तूल पकड़ते देख कर विदेश मंत्रालय ने भी अपनी सफाई दी है। विदेश मंत्रालय ने सीधे तौर पर कहा कि जो कार्यक्रम आयोजित हुआ था उसे अफगानिस्तान के दूतावास की तरफ किया गया था, प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुलाये गए पत्रकार का फैसला भी उनका निजी था, भारतीय विदेश मंत्रालय से उनके इस फैसले का कई लेना देना नहीं था। इसलिए हम अफगानिस्तान के दूतावास के फैसले में हस्तक्षेप नही कर सकते है। विदेश मंत्रालय के इस बयान के सामने आने के बाद लोगों में और ज्यादा गुस्सा बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि जो देश हमारे देश की काबिल महिलाओं की इतनी बेज्जती कर रहा है ऐसे देश से किसी तरह का संबंध क्यों ही रखना।

अफगानिस्तान के तालीबानी रूल्स

आपको बताते दि कि अगस्त 2021 में तालीबान ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था और इस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान 2.0″ का शासन चल रहा है। जिसके कारण वहां तालीबानी शरिया कानून लागू है, जो महिलाओं को किसी तरह की कोई आजादी नहीं देता है। उन पर कई तरह से शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जगहों पर जाने तक पर प्रतिबंध है। जिसके बाद न तो उन्हें पढ़ने लिखने की आजादी दी गई है। और न ही बाहर निकलने की। अफगानिस्तान में मौजूदा समय में महिलाओ की स्थिति बेहद दयनीय है।

हैरानी की बात तो ये है कि इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने अपनी भूमिका पर जीरो योगदान कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है, तो वहीं विपक्ष भले ही हमलावर हो रहा हो लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। भारत जैसे देश में महिलाओं को जहां कंधे से कंधा मिला कर चलने की बात की जाती है। उन्हें देश की तरक्की का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है, वहां आफिस्तान से आये लोगो ने अपना फरमान जारी कर दिया, लेकिन इस पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है। ये सबसे बड़ा सवाल है जिसका जवाब देश की जनता भी पीएम मोदी से सुनने के लिए तत्पर है।

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Scam in PWD Bhopal: भोपाल के PWD के पूर्व चीफ इंजीनियर जी.पी. मेहरा के पास से मिला कर...

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Scam in PWD Bhopal: मध्य प्रदेश में पिछले 2 दशको से बीजेपी का शासन है, और साथ ही शासन है रिश्वतखोर अधिकारियों का। अभी एसडीएम नागार्जन का मामला उछला ही था कि एक और रिटायर अधिकारी निशाने पर आ गए है। दरअसल लोक निर्माण विभाग (PWD) के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर गोविंद प्रसाद मेहरा उर्फ जीपी मेहरा(G.P.Mehra) पर लोकायुक्त पुलिस की गाज गिरी है, और उनके पूरे कार्यकाल में किये गए उनके काले कारनामे का कच्चा चिट्ठा खुल रहा है। जी हां, मध्य प्रदेश में ‘आय से अधिक संपत्ति’ अर्जित करने के भ्रष्टाचार के मामले में शायद ये सबसे बड़ा मामला है। जब करोड़ो की संपत्ति का खुलासा हुआ हो।

क्या है पूरा मामला

दरअसल शक के आधार पर पुलिस लोकायुक्त ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर गोविंद प्रसाद मेहरा उर्फ जीपी मेहरा के 4 ठिकानों गोविंदपुरा, बावड़िया कला, सोहागपुर और मणिपुरम में अचानक गुरुवार की सुबह सूबह छापेमारी की थी। लेकिन इस छापेमारी के बाद अधिकारियों के भी काम खड़े हो गए। पुलिस लोकायुक्त को छापेमारी में 8.79 लाख रुपये नकद, करीब 5 लाख रुपये के चांदी के जेवर,  2.649 किलोग्राम सोना, जिसकी कीमत करीब ₹3.05 करोड़ रूपय है, 56 लाख की फिक्स डिपॉजिट और करीब 60 लाख रुपये की संपत्ति से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। इतना ही नहीं जब पुलिस लोकायुक्त जीपी मेहरा के गांव नर्मदापुरम के सोहागपुर पहुंची तो वहां पर भी कई एकड़ ज़मीन, 32 अंडर-कंस्ट्रक्शन कॉटेज, सात बने हुए कॉटेज, एक तालाब, मछली पालन का कारोबार,  4 लग्जरी कारें, फोर्ड एंडेवर, स्कोडा सलाविया, किया सोनेट और मारुति सियाज , एक गौशाला, एक मंदिर और “17 टन शहद” बरामद किया गया है।

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जीपी मेहरा की बेनामी संपत्ति की लिस्ट यहीं खत्म नहीं हुई। लोकायुक्त पुलिसने जब गोविंदपुरा में मौजूद केटी इंडस्ट्रीज में छापेमारी की तो फैक्ट्री में पीवीसी पाइप निर्माण से जुड़ा उपकरण, कच्चा माल, तैयार उत्पाद और 1.25 लाख रुपये नकद भी बरामद किये गए। इसी के साथ अब लोकायुक्त पुलिस जीपी मेहरा के बैंक खातों को खंगालने में लगी हुई है। छापेमारी में मिले दस्तावेजों में मुंबई में खरीदी गई संपत्ति के दस्तावेज, एफडी, शेयर, और बीमा की भी जानकारी हासिल हुई है।

कैसे हुआ खुलासा

दरअसल  PWD के रिटायर्ड इंजीनियर जी.पी. मेहरा 2024 में ही रिटायर हो गए थे, लेकिन 2025 में पाया गया कि मेहरा के जारी किए गए टेंडरो और आदेशों में काफा गड़बड़िया है। जिसके बाद उनके पूरे कार्यकाल का कच्चा चिट्ठा खोला गया। जिसमें पाया गया कि विभागीय ठेके और निर्माण कार्यों में मेहरा ने बड़ी गड़बड़िया की है। जिसके बाद काफी साक्ष्य जमा करने के बाद लोकायुक्त की टीम  मेहरा के 4 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की और शुरुआती जांच में ही इतने बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो गया है। ऐसे में देखने ये होगा कि आखिर और कितने बड़े चेहरे भ्रष्टाचार के जाल में फंसते नजर आयेंगे।

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maithili thakur in politics: मैथिली ठाकुर चली राजनीति की राह पर,पिता का विवादित बयान ...

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Maithili thakur in politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में एक नई एंट्री होने वाली है, जिसे लेकर अब सियासत गरमाने लगी है। दरअसल सुप्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर(maithili thakur) ने अभी कुछ दिनों पहले ही राजनीती में आने की ख्वाहिश जाहिर की थी और अब वो राजनीति की राह पर चलने को तैयार है। इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी के कई बड़े नेता गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात भी की है। वहीं मैथिली ठाकुर के फिर से दिल्ली से बिहार लौट आने को लेकर उन्हें बुरी तरह से ट्रोल भी किया जा रहा है। जानिये क्या कह रही है बिहार की जनता।

पिता का विवादित बयान Maithili thakur in politics

राजनीति में आने को लेकर हुई घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर मैथिली को काफी ट्रोल किया जा रहा है। इसी बीच उनके पिता रमेश ठाकुर का एक बयान भी काफी वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने लालू प्रसाद यादव के शासन में होने वाले बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बिहार में नौकरी की काफी तलाश की, लेकिन जब लगा कि अब अगर बिहार में रहे तो भूखे मर जायेंगे, तो बिहार छोड़ कर दिल्ली भाग गए। वहीं अब जब  जब बेटी को एमएलए बनाना है तो बिहार के राग अलाप रहे है। अपने भागने की वजह आरजेडी सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के जंगलराज को बता रहे है।

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मैथिली ठाकुर का आया बयान

मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने को लेकर होने वाले विवादों के बीच मैथिली का भी बयान सामने आया है। मैथिली ने कहा कि वो तो अभी राजनीति में आई भी नहीं है, और उन पर लोगो का कटाक्ष शुरु कर दिया है। मैथिली ने वोट चोरी के आरोपो को लेकर कहा कि बीजेपी और सीएम नीतिश कुमार से सभी काफी खुश है, ये कोई मुद्दा ही नहीं है। वो राजनीति में आकर अपने लोगो की सेवा करना चाहती है। हैरानी की बात है कि कभी बिहार की स्थिति पर बात तक वहीं की वो जनता की सेवा करेंगी।

कभी बिहार में नहीं रही मैथिली Who is Maithili thakur

बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने की चाह रखने वाली मौथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार में मधुबनी जिले के बेनीपट्टी इलाके में हुआ था, लेकिन उनके पिता 1995 में ही लालू यादव के जंगलराज के दुखी होकर, या ये कहें कि नौकरी न मिलने के कारण बिहार से पलायन कर गए थे। मैथिली कभी बिहार में नहीं रही है, केवल बिहार की लोकगायिका बनी, जिसे असल में बिहार की मिट्टी से कोई खास लेने देना नहीं है। लेकिन आज बिहार में चुनाव के नाम पर बिहार के गुण गाये जा रहे है।

मैथिली के फैसले से जनता नाखुश

वहीं सोशल मीडिया पर भी लोगो की अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही है। लोगों ने मौथिली को राजनीति में न आने की सलाह दी है। क्योंकि ये केवल बीजेपी को फायदा पहुंचायेगी, लेकिन उनकी इमेज पूरी तरह से खराब हो जायेगी। वो बेहतरीन लोक गायिका है उसे ही आगे बढ़ाना चाहिये लेकिन राजनीति में उनकी साफ सुथरी छवि धूमिल हो जायेगी। वहीं मैथिली को पावर स्टार पवन सिंह से उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे लोगो को बिहार की जनता वोट नहीं करती। पवन सिंह का ही हाल देख लिजिये, बहुत भौकाल था उनका, लेकिन फिर भी हाल गए..हालांकि पवन सिंह लोकप्रियता ने उनके विपक्षियों की नींदे जरूर उड़ा दी थी। बीजेपी कहीं न कहीं मैथिली ठाकुर को लोक क्षेत्र का चेहरा बना कर वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है।

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फैंस ने कहा लालची

मैथिली ठाकुर असल में बिहार खादी उद्योग की ब्रांड एंबेसडर है, लेकिन लोगो का कहना है कि उन्होंने मैथिली को कभी किसी सोशल वर्क को करते नहीं देखा, कभी जरूरतमंदों के लिए खड़े होते हुए नहीं देखा, फिर वो राजनीति में अच्छा करेंगी, किस आधार पर कहा जा सकता है। इतना ही नहीं लोगो की तो ये भी प्रतिक्रिया आई कि खुद को सभ्य संस्कारी दिखाने वाले मैथिली ठाकुर का परिवार काफी लालची है। वो कभी भी चैरिटी के लिए कार्यक्रम नहीं करते है। यहां तक कि छोटे बजट के कार्यक्रमों में तो वो लोग जाते ही नहीं है, अगर पैसे कम मिले तो भी वो काम करने से इंकार कर देते है। ऐसे में कैसे मान लें कि वो जनता की सेवा के लिए राजनीति में कदम रख रही है। जबकि आज तक एक सेलीब्रिटि होने के नाते क्या किया है उन्होंने लोगो के लिए। बताते चले कि अटकले लगाई जा रही है कि मैथिली अलीपुर से चुनाव लड़ सकती है, जो कि उनके नानी का घर है।

Chhath Puja 2025: छठ पूजा में इन 5 फलों से करें छठी मैया को खुश, बरसेगा धन और मिलेगा ...

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छठी मैया कौन से फाल अर्पण करें?

केला (Banana) – यह छठी मैया का प्रिय फल माना जाता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। वही हर किसी में पूजा में उपयोग होने वाला बेहद ही खास फाल है जिसे कभी शुभ भी माना जाता हैं।

डाभ नींबू या अतर्रा नींबू (Grapefruit or a large variety of Lemon) – यह सामान्य नींबू से बड़ा होता है और छठी मैया को विशेष रूप से पसंद है इसे अक्सर छठ पूजा के यूज किया जाता हैं।

नारियल (Coconut) – इसे “श्रीफल” भी कहा जाता है और यह माता लक्ष्मी को प्रिय होता है। इसे अर्पित करने से घर में धन-संपत्ति बनी रहती है और इसे घर शुभ काम में भी उपयोग किया जाता है।

गन्ना (Sugarcane/Eakh) – गन्ना छठी मैया के प्रिय फलों में से एक है। कई लोग तो पूजा में गन्ने का घर बनाकर भी पूजा करते हैं। या फिर इसका मंडप भी बनाया जाता है जिसके चारो और दिए सजाये जाते हैं।

सिंघाड़ा (Water Chestnut) – यह पानी में उगने वाला फल है और माता लक्ष्मी को भी प्रिय माना जाता है। इसे चढ़ाने से धन-संपत्ति बनी रहती है।

छठी मैया को प्रसन्न कैसे करें?

  • सूर्य देव को अर्घ्य देना – छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य (दूध और जल) देना सबसे महत्वपूर्ण विधान है।
  • ठेकुआ का प्रसाद – यह छठ पूजा का सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण प्रसाद है, जो आटे, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है। पूजा के दौरान और व्रत में पवित्रता (शुद्धता) का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और सात्विक जीवन जीते हैं। इसके अलवा आपको बता दें, कि छठ पर्व के दिन दान करना भी शुभ माना जाता है, खासकर गुड़ और गेहूं का दान।

Delhi Cuddle Therapy: दिल्ली-NCR में कडल थेरेपी का बिजनेस, अकेलेपन के नाम पर करोड़ों ...

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Delhi Cuddle Therapy: दिल्ली-NCR… भारत का सबसे बड़ा मेट्रोपॉलिटन रीजन। जहां सड़कें बड़ी हैं, फ्लाईओवर ऊंचे हैं और मॉल्स की कोई कमी नहीं, लेकिन दिलों के बीच फासले किसी रिंग रोड से भी ज्यादा चौड़े हो चुके हैं। यहां की करोड़ों की आबादी ऐसी है, जैसे कबूतर के जोड़े सटे हुए, लेकिन एक-दूसरे से अनजान। एक के घर में आहट होती है, दूसरे को पता तक नहीं चलता।

इसी भीड़ में अकेले होते जा रहे लोग अब “कडल थैरेपी” का सहारा ले रहे हैं। जी हां, पैसे देकर गले लगना, किसी के साथ बैठना, बातें करना और सिर्फ सुनना या सुना देना… कुछ घंटों के लिए भावनात्मक राहत की यह नई दुकान अब दिल्ली के कोनों-कोनों में खुल चुकी है।

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क्या है कडल थैरेपी? Delhi Cuddle Therapy

कडल थैरेपी, यानी गले लगने की थेरेपी, जिसमें किसी पेशेवर ‘थैरेपिस्ट’ के साथ सीमित वक्त के लिए एक भावनात्मक रिश्ता साझा किया जाता है। इसमें फिजिकल टच होता है लेकिन दावा ये है कि इसमें नो इंटिमेसी पॉलिसी अपनाई जाती है। यानी यौन संबंधों की कोई गुंजाइश नहीं कम से कम कागजों पर।

ये थैरेपी अब धीरे-धीरे भारत में पैर पसार रही है, खासकर दिल्ली जैसे महानगरों में, जहां अकेलापन अब कोई भावना नहीं, बल्कि एक सामाजिक स्थिति बन चुकी है।

aajtak.in की अंडरकवर रिपोर्टिंग

आजतक की टीम ने इस तेजी से उभरते प्रोफेशन पर गहराई से रिसर्च की। अंडरकवर नाम और फर्जी प्रोफेशन के साथ उन्होंने कडल थैरेपिस्ट से संपर्क किया।

फोन उठाती है एक महिला एजेंट, जो शुरुआत में ही बता देती है “मेल थैरेपिस्ट इस वीकेंड के लिए प्री-बुक्ड हैं। लेकिन फीमेल थैरेपिस्ट से फायदा नहीं होगा। क्रॉस-जेंडर कडलिंग ज्यादा एफेक्टिव मानी जाती है।”

हमारी बातचीत की अगली कड़ी में एंट्री होती है “रॉनी” की। पेशे से कडल थैरेपिस्ट, जिसने दावा किया कि उसने अमेरिका के टेनेसी में आठ साल पहले कडल थैरेपी सीखी थी। असल नाम बताने से इनकार, वीडियो कॉल पर मिलने से मना, और साफ कहा—”नो पिक्चर पॉलिसी है।”

सेशन कैसे होते हैं?

रॉनी ने बताया कि तीन घंटे के एक सेशन के लिए वह ₹4999 चार्ज करता है जो इस इंडस्ट्री में ‘रीजनबल’ माना जाता है। अन्य सेंटरों में ये रेट ₹10,000 से ऊपर तक जाता है।

सेशन की शुरुआत होती है आइस ब्रेकिंग से। एक एल-शेप सोफा पर साथ बैठकर खुलकर बातचीत की जाती है। थैरेपिस्ट बिना किसी जजमेंट के सुनता है चाहे ऑफिस की टेंशन हो, ब्रेकअप हो, या फैंटेसीज़।

रॉनी ने एक किस्सा साझा किया एक महिला क्लाइंट जो चेन्नई से गुड़गांव आई थी। लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में टूट चुकी थी, भावनात्मक रूप से पूरी तरह बिखरी हुई। उसके साथ उन्होंने ‘रिलेशनशिप डे रीक्रिएशन’ किया वही खाना, वही फिल्म, वही दिनचर्या जिससे वो फिर से इंसानी जुड़ाव महसूस कर सके।

सेफ्टी और सीमाएं

थैरेपिस्ट ने साफ किया कि यह एक भरोसे पर चलने वाला प्रोफेशन है। क्लाइंट चाहे तो डोक्युमेंटेशन (ID प्रूफ, एग्रीमेंट्स) करवाया जा सकता है। लेकिन ज़्यादातर लोग ऐसा नहीं करते, क्योंकि ‘विश्वास’ ही इसकी नींव है।

प्रोटोकॉल कुछ यूं हैं:

  • सेटअप में एसी, काउच, साउंड सिस्टम, पानी, कॉफी सब रहता है।
  • कोई क्लाइंट घर बुलाना चाहे या होटल में सेशन चाहें तो व्यवस्था हो सकती है।
  • नो रिकॉर्डिंग पॉलिसी कर तहत फोन दूर रखा जाता है।
  • सेशन के दौरान अगर इमोशनल आउटबर्स्ट हो जाए या क्लाइंट असहज महसूस करे, तो ब्रेक लिया जा सकता है।
  • कोई भी फिजिकल एक्टिविटी क्लाइंट की सहमति से ही होती है।

इंटिमेसी की लाइन कितनी पतली है?

बातचीत के दौरान कई सवाल सामने आते हैं:

  • अगर क्लाइंट खुद इंटिमेसी की ओर बढ़े?
  • अगर भावनात्मक जुड़ाव फिजिकल हो जाए?
  • अगर कडलिंग की आड़ में सेक्स वर्क शुरू हो जाए?

रॉनी कहते हैं, “हम खुद पहल नहीं करते। लेकिन अगर दोनों एडल्ट्स तैयार हों, तो हम रोकते भी नहीं।” यानी ना हां होती है, ना मना होता है।

कानूनी स्थिति क्या है?

आपको बता दें, भारत में कडल थैरेपी के लिए कोई रेगुलेटरी बॉडी नहीं है। न तो इसके लिए कोई मान्यता है, न लाइसेंसिंग सिस्टम। इसलिए यह पूरी तरह ‘ग्रे ज़ोन’ में आता है।

सीनियर एडवोकेट मनीष भदौरिया कहते हैं, “जब तक दो वयस्कों की सहमति से कडलिंग हो रही है, और सेक्स नहीं हो रहा, कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अगर पैसे लेकर यौन संबंध स्थापित हुआ, तो यह इममॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन एक्ट के तहत अपराध होगा।”

कडल थैरेपी को लेकर पुलिस का भी नजरिया सतर्क है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया—

“अगर किसी सेंटर में सेक्स वर्क की आड़ में कडलिंग हो रही हो, तो हम रेड डाल सकते हैं। पीड़िता की शिकायत पर FIR भी होगी। और अगर नाबालिग जुड़ा हो, तो पॉक्सो एक्ट लगेगा।”

क्या ये वेलनेस है या धोखा?

डॉ. उज्ज्वल सरदेसाई (मनोविज्ञानी, MGM कॉलेज इंदौर) कहते हैं:

“ऑक्सीटोसिन रिलीज़ तो होगा, लेकिन इसका लॉन्ग टर्म असर उल्टा भी हो सकता है। कडलिंग के जरिए अगर एक व्यक्ति भावनात्मक रूप से जुड़ जाए और फिर बार-बार ना मिले, तो डिप्रेशन बढ़ सकता है।”

उनके मुताबिक, किसी अनजान को पैसे देकर अपनापन खरीदना, एक तरह का भ्रम है, जो बाद में बड़ा मानसिक संकट बन सकता है।

संभावनाएं और खतरे साथ-साथ

कडल थैरेपी एक तरफ जहां अकेलेपन से जूझ रहे लोगों के लिए तात्कालिक राहत देती है, वहीं इसका लंबे समय का असर, नैतिक और कानूनी प्रश्न भी पैदा करता है।

एक तरफ यहां “मेरे पास आओ, मैं गले लगूंगा” जैसे ऑफर हैं, दूसरी तरफ थैरेपी की आड़ में चल रहे सेंटर किसी सेक्स स्कैंडल में भी तब्दील हो सकते हैं।

Stranger Meets नामक प्रोग्राम, जहां अनजान लोग मिलते और एक-दूसरे को गले लगाते हैं, ये भी एक तरह से भावनात्मक स्पीड-डेटिंग है।

कहां खड़ा है समाज?

दिल्ली जैसे शहरों में, जहां लोग दिन भर मेट्रो में हजारों लोगों के बीच खड़े रहते हैं लेकिन किसी से बात नहीं करते, वहां “पेड इमोशनल इंटिमेसी” का यह कांसेप्ट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

ये रेफ्रिजरेटेड दोस्ती है जिसमें न गर्मजोशी है, न वक़्त के बाद कोई गारंटी। सब कुछ घड़ी की सुइयों पर टिका है।

गले लगने की यह थेरेपी जितनी मासूम लगती है, उतनी है नहीं। इसमें भावनाएं हैं, शरीर है, पैसा है और कई बार पनपते रिश्ते भी। और इन्हीं के बीच छुपे हैं कई सवाल—जिनका जवाब शायद वक्त ही देगा।

कडल थैरेपी फिलहाल भारत में वैधानिक रूप से ग्रे जोन में है। यह एक नई वेलनेस इंडस्ट्री बन रही है, जिसमें अकेलेपन की पीड़ा को टारगेट किया जा रहा है।

लेकिन इसके पीछे इमोशनल अटैचमेंट, पर्सनल बाउंड्रीज, कानूनी रिस्क और प्रोफेशनल एथिक्स के कई मुद्दे छिपे हैं। समाज को तय करना है कि वह इसे ‘थैरेपी’

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