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Air Chief Marshal AP Singh: एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने तेजस प्रोजेक्ट की देरी पर जता...

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Air Chief Marshal AP Singh: दिल्ली में आयोजित CII बिजनेस समिट के दौरान भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने एक बार फिर तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) मार्क 1A की डिलिवरी में हो रही देरी पर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जाता है तो तय की गई टाइमलाइन का पालन होना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। एयर चीफ ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि उन्हें ऐसा कोई प्रोजेक्ट याद नहीं जो समय पर पूरा हुआ हो। उन्होंने यह बात बिना किसी का नाम लिए कही, लेकिन साफ इशारा तेजस प्रोजेक्ट की देरी की ओर था। इससे पहले भी एयर चीफ ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।

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वायुसेना के फाइटर स्क्वाड्रन की कमी- Air Chief Marshal AP Singh

भारतीय वायुसेना के सामने सबसे बड़ी चिंता फाइटर स्क्वाड्रन की कमी है। मौजूदा सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए वायुसेना को 42 फाइटर स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जबकि फिलहाल सिर्फ 31 स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं। नई फाइटर जेट्स की डिलीवरी की रफ्तार इतनी धीमी है कि 31 से 42 स्क्वाड्रन तक पहुंचने में करीब 15 साल लग सकते हैं।

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तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को देश की इस कमी को पूरा करने का अहम हिस्सा माना जाता है। भारतीय वायुसेना के पास पहले से 40 तेजस विमान लेने का करार हो चुका है, जिनमें से दो स्क्वाड्रन स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा 83 तेजस मार्क 1A के लिए रक्षा मंत्रालय ने 2021 में ऑर्डर दिया था, जिसकी डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी। लेकिन अब तक इस डिलीवरी की शुरुआत नहीं हुई है। यह प्रोजेक्ट करीब 48 हजार करोड़ रुपये का है। इसके अलावा 97 और तेजस मार्क 1A के लिए खरीद की मंजूरी भी मिल चुकी है, जिससे कुल 11 स्क्वाड्रन बनाए जाएंगे, जिनमें से 2 ही डिलीवर हो पाए हैं।

फाइटर फ्लीट की वर्तमान स्थिति

2035 तक मिग 21, मिग 29 और जैगुआर जैसे पुराने लड़ाकू विमान पूरी तरह से फेज आउट हो जाएंगे। वर्तमान में मिग 21 बाइसन के 4 में से 3 स्क्वाड्रन पहले ही फेज आउट हो चुके हैं, और बचा हुआ एक भी जल्द ही सेवा से बाहर होगा।

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वायुसेना के पास मिग 29 अपग्रेड के 3 स्क्वाड्रन, मिराज 2000 के 3 स्क्वाड्रन और जैगुआर के 6 स्क्वाड्रन अपग्रेड किए गए हैं। इसके अलावा सुखोई 30 विमानों की संख्या 250 से ऊपर है और 36 राफेल विमानों का बेड़ा भी उपलब्ध है। भविष्य की योजना में 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) की खरीद भी शामिल है, जिससे बेड़े की कमी को पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

HAL की तरफ से इंजन डिलीवरी में देरी और अब उम्मीद

फरवरी में HAL के CMD ने तेजस डिलिवरी में देरी को लेकर कहा था कि इस साल मार्च में पहला इंजन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) की तरफ से मिलेगा और इसी कैलेंडर वर्ष में 12 और इंजन भी डिलीवर किए जाएंगे। उन्होंने दावा किया था कि साल 2031 तक 83 तेजस मार्क 1A विमान मिल जाएंगे।

दो साल से इंजन की कमी की वजह से तेजस प्रोग्राम प्रभावित हुआ था, लेकिन 26 मार्च 2024 को GE ने पहला इंजन डिलीवर कर दिया है। यह इंजन F404 मॉडल का है और भारत में तेजस मार्क 1A के लिए 99 इंजन की सप्लाई की डील 2021 में हुई थी। इंजन की डिलीवरी शुरू न हो पाने की वजह से पूरा प्रोजेक्ट पिछड़ रहा था।

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Lucknow News: इनकम टैक्स दफ्तर में बवाल, ज्वाइंट कमिश्नर ने उपायुक्त को जमकर पीटा, पत...

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Lucknow News: लखनऊ में गुरुवार शाम को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां इनकम टैक्स दफ्तर के अंदर ही IRS अधिकारी उपायुक्त गौरव गर्ग पर उनके ही वरिष्ठ अधिकारी ने हमला कर दिया। यह हमला बाहरी व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि कार्यालय के अंदर वरिष्ठ अधिकारी ने ताबड़तोड़ पानी के गिलास और पेपर वेट से किया, जिससे गौरव गर्ग के सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। घटना की भनक लगते ही वहां मौजूद कर्मचारी और अधिकारी बीच बचाव के लिए मौके पर पहुंचे और घायल अधिकारी को तुरंत कमरे से बाहर निकालकर हजरतगंज पुलिस को सूचना दी गई। बाद में गौरव गर्ग को इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया।

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हमले का आरोप वरिष्ठ संयुक्त आयुक्त पर- Lucknow News

आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस घटना में जो वरिष्ठ अधिकारी हमला करने वाला था, वह संयुक्त आयुक्त स्तर का अधिकारी है। गौरव गर्ग 2016 बैच के IRS अधिकारी हैं, जबकि हमले के आरोपी वरिष्ठ अधिकारी का हाल ही में उत्तराखंड के काशीपुर से तबादला हुआ है। दोनों के बीच कुछ दिन पहले कानपुर में तैनाती के दौरान आरटीआई से जुड़ी बात को लेकर विवाद हुआ था, जो बाद में बढ़कर झगड़े और मारपीट का रूप ले गया। बताया गया है कि गुरुवार शाम जब दोनों आयकर भवन के छठे तल पर बैठे थे, तभी विवाद इतना बढ़ गया कि वरिष्ठ अधिकारी ने पानी से भरा गिलास फेंक दिया, और मारपीट के दौरान उनकी अंगूठी गौरव गर्ग के चेहरे पर लग गई।

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कहासुनी से भड़क गई मारपीट

सूत्रों के अनुसार, शुरुआत में विवाद केवल तेज आवाज और तकरार तक सीमित था, लेकिन जल्दी ही यह हाथापाई में बदल गया। घटना के दौरान दफ्तर में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारी और अधिकारी यह समझ नहीं पा रहे थे कि किस तरह से दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के बीच झगड़े को शांत कराया जाए। जैसे ही अन्य अधिकारी कमरे में पहुंचे, उन्होंने गौरव गर्ग को चोटिल देखा, जिनके सिर, चेहरे और हाथ पर चोटें थीं। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है।

उपायुक्त गौरव गर्ग वरिष्ठ अधिकारी की कर रहे थे जांच

आयकर विभाग के अंदर इस मामले की और भी पृष्ठभूमि सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक गौरव गर्ग उस वरिष्ठ अधिकारी की जांच कर रहे थे, जिसे हाल ही में उत्तराखंड के काशीपुर में तबादला किया गया था। जांच को लेकर दोनों के बीच तनातनी और मनमुटाव बढ़ा हुआ था। वहीं इस विवाद के बीच शुक्रवार को विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी की विदाई कार्यक्रम भी तय था, जिसमें संयुक्त आयुक्त के शामिल होने की योजना थी।

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पुलिस जांच और डीसीपी मध्य की प्रतिक्रिया

हजरतगंज पुलिस को घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है। डीसीपी मध्य, आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि गौरव गर्ग के साथ मारपीट हुई है और उनकी मेडिकल जांच कराई जा रही है। पुलिस को तहरीर मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले की जांच जारी है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएंगे।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया

इस घटना पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि पहले पुलिस बनाम पुलिस की घटनाएं होती थीं, लेकिन अब अधिकारी बनाम अधिकारी की लड़ाई सामने आ रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह मामला गंभीर है जहां एक IRS अधिकारी को उनके ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बंधक बनाकर पीटा। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से इस घटना की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की और पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ, जब पीड़ित अधिकारी की पत्नी आईपीएस अधिकारी हैं और लखनऊ में डीसीपी इंटेलीजेंस के पद पर तैनात हैं।

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Deepika-Sandeep Vanga controversy: ‘स्पिरिट’ छोड़ने के बाद दीपिका ने की स्क्रिप्ट लीक...

Deepika-Sandeep Vanga controversy: ‘कबीर सिंह’ और ‘एनिमल’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने हाल ही में अपनी आगामी फिल्म ‘स्पिरिट’ से जुड़ी चर्चाओं को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर बिना नाम लिए ‘पठान’ एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को आड़े हाथों लिया है। संदीप ने दीपिका के फिल्म छोड़ने, फिल्म से जुड़ी जानकारियां लीक करने और अनप्रोफेशनल रवैये के चलते अपनी नाराजगी जाहिर की है। इस विवाद ने फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है और ‘स्पिरिट’ के भविष्य को लेकर कयासों का बाजार गर्म कर दिया है।

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दीपिका पादुकोण ने ‘स्पिरिट’ क्यों छोड़ी? (Deepika-Sandeep Vanga controversy)

सूत्रों के मुताबिक, दीपिका पादुकोण ‘स्पिरिट’ फिल्म का हिस्सा बनने वाली थीं, लेकिन अचानक उन्होंने फिल्म छोड़ने का फैसला कर लिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलने लगीं। कहा गया कि दीपिका की डिमांड्स जैसे कि केवल आठ घंटे काम करना, तेलुगू डायलॉग्स न बोलना, ज्यादा फीस लेना और प्रॉफिट शेयर में हिस्सा लेना, फिल्म मेकर को पसंद नहीं आईं। हालांकि, इन बातों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

इसके अलावा, यह भी खबर आई कि फिल्म में बोल्ड सीन की वजह से दीपिका ने फिल्म छोड़ दी है। जब ये बातें सामने आईं, तो फिल्म के निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा बेहद नाराज हुए और उन्होंने सोशल मीडिया पर इसका जवाब दिया।

संदीप रेड्डी वांगा की तीखी प्रतिक्रिया

संदीप रेड्डी वांगा ने अपनी X पोस्ट में लिखा कि एक अभिनेता और फिल्म निर्माता के बीच एक अनकहा NDA (नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट) होता है, जिसके तहत फिल्म से जुड़ी जानकारी बाहर नहीं लीक की जाती। उन्होंने लिखा, “तुमने यह दिखा दिया कि तुम किस तरह की इंसान हो, अपनी तुलना में छोटी एक्ट्रेस को नीचा दिखाकर और मेरी कहानी लीक करके? क्या तुम्हारा फेमिनिज्म इसी के लिए है?”

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी फिल्ममेकिंग की कला पर सालों मेहनत की है और फिल्म बनाना उनके लिए सबकुछ है। संदीप ने कहा कि दीपिका इस बात को समझ नहीं पाएंगी।

संदीप ने एक कहावत का इस्तेमाल करते हुए कहा, “खुंदक में बिल्ली खंभा नोचे,” मतलब कोई अपनी ही जगह पर नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि अगली बार पूरी कहानी बतानी चाहिए क्योंकि उन्हें ऐसे घटिया PR गेम्स से कोई फर्क नहीं पड़ता।

फिल्म ‘स्पिरिट’ से जुड़ी और जानकारियां

‘स्पिरिट’ एक बहुप्रतीक्षित फिल्म है, जिसमें प्रभास लीड रोल में हैं। दीपिका के फिल्म छोड़ने के बाद अब तृप्ति डिमरी को इस फिल्म में प्रभास के अपोजिट कास्ट किया गया है। यह फिल्म संदीप रेड्डी वांगा के निर्देशन में बन रही है और इसे लेकर काफी उम्मीदें हैं।

हालांकि, फिल्म से जुड़ी जानकारियों का सोशल मीडिया पर लीक होना और दीपिका का अचानक बाहर होना फिल्म की छवि पर असर डाल रहा है। इसके चलते निर्माताओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया और फैंस की प्रतिक्रिया

संदीप और दीपिका के बीच चल रहे विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस हो रही है। फैंस दो हिस्सों में बंट गए हैं—कुछ संदीप के समर्थन में हैं तो कुछ दीपिका के। कई लोग मानते हैं कि फिल्म में काम करना एक पेशेवर जिम्मेदारी है और सभी को उसका सम्मान करना चाहिए।

दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि कलाकारों के अपने अधिकार और सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान होना चाहिए। इस पूरे विवाद ने फिल्म इंडस्ट्री में पेशेवर संबंधों और प्राइवेसी के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है।

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Shashi Tharoor in Colombia: आतंकियों के मरने पर शोक क्यों? थरूर ने कोलंबिया को पाकिस्...

Shashi Tharoor in Colombia: कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की अगुवाई में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ भारत के सफल ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा कर रहा है। इस अभियान का मकसद विश्व समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन को स्पष्ट करना है। थरूर ने बोगोटा में पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों को उजागर करते हुए कहा कि पाकिस्तान के 81 प्रतिशत सैन्य उपकरण चीन से आते हैं। उन्होंने बताया कि ये उपकरण रक्षा के बजाय आक्रामक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। थरूर ने कहा, “डिफेंस एक उदार शब्द है, परन्तु वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान चीन से प्राप्त हथियारों का इस्तेमाल अपनी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि हमलों के लिए करता है।”

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चीन-पाकिस्तान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जिक्र- Shashi Tharoor in Colombia

शशि थरूर ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि यह योजना दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक प्रमुख बंदरगाह को चीन से जोड़ती है, जिससे चीन को अपनी वस्तुएं तेजी और सस्ते दामों में पहुंचाने का रास्ता मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की लड़ाई आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ है, जो कि सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। थरूर ने कहा, “हमारा संघर्ष आतंक को प्रोत्साहित करने वालों के खिलाफ है और हम इसका डटकर सामना कर रहे हैं।”

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कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा

थरूर ने कोलंबिया सरकार की भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर दी गई प्रतिक्रिया पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि कोलंबिया ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारत के सैन्य हमले में मारे गए आतंकवादियों के प्रति संवेदना व्यक्त की, जो कि भारत के दृष्टिकोण से गलतफहमी है। थरूर ने स्पष्ट किया, “आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों और आतंक के शिकार देशों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। हमला करने वाले और आत्मरक्षा के लिए कार्रवाई करने वालों को समान स्तर पर नहीं तौला जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत कोलंबिया सरकार के साथ आतंकवाद से लड़ाई के अपने प्रयासों को विस्तार से साझा करने के लिए तैयार है।

आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की जिम्मेदारी

थरूर ने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने ली है, जो पाकिस्तान के मुरिदके में स्थित लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा है। इस संगठन के सक्रिय होने से यह साफ होता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है। थरूर ने कहा कि भारत इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह सजग और तैयार है।

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प्रतिनिधिमंडल की अंतरराष्ट्रीय यात्रा

शशि थरूर के नेतृत्व में यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वर्तमान में गुयाना, पनामा, कोलंबिया, अमेरिका और ब्राजील का दौरा कर रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों के बारे में जागरूक करना और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीतियों को उजागर करना है। प्रतिनिधिमंडल की यह पहल अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझ को मजबूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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Chinese Weapons Against India: पाकिस्तान को चीन के हथियारों से भारी नुकसान, चीनी डिफे...

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Chinese Weapons Against India: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के दौरान पाकिस्तान द्वारा चीन निर्मित हथियारों के इस्तेमाल को लेकर जब चीनी सेना से प्रतिक्रिया मांगी गई तो चीन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शियाओगांग ने गुरुवार को कहा कि इस विषय पर उनकी तरफ से कोई बयान नहीं दिया जाएगा। उन्होंने भारत के उस दावे को भी नजरअंदाज किया जिसमें कहा गया था कि भारत ने एक PL-15E मिसाइल को बरामद किया है, जो कि नष्ट नहीं हुई थी। यह मिसाइल लंबी दूरी की और रडार-निर्देशित है, जिसे चीन की सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक माना जाता है।

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झांग ने बताया कि जिस मिसाइल का जिक्र हो रहा है, वह निर्यात के लिए बनी एक उपकरण है और इसे चीन ने पहले भी कई बार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनियों में पेश किया है। उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया कि इस मिसाइल के मिलने से कोई बड़ा खुलासा हुआ हो।

चीन का भारत-पाकिस्तान तनाव पर रुख- Chinese Weapons Against India

सीनियर कर्नल झांग ने भारत और पाकिस्तान को पड़ोसी देशों के रूप में संदर्भित करते हुए कहा कि दोनों पक्षों को संयम और शांति बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने उन दावों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि चीन ने पाकिस्तान को इस संघर्ष में हवाई सुरक्षा और सैटेलाइट सहायता प्रदान की थी। झांग ने कहा कि हथियार प्रदर्शन औसत से कम रहा, और वे उम्मीद करते हैं कि दोनों देश ऐसे कदम न उठाएं जो स्थिति को और जटिल बनाएं।

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चीन ने इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखने में रचनात्मक भूमिका निभाने की प्रतिबद्धता जताई है और भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापक तथा स्थायी सीजफायर की वकालत की है। यह बयान चीन के रक्षा मंत्रालय की 7 से 10 मई के बीच हुए सैन्य संघर्ष के बाद पहली प्रेस ब्रीफिंग के दौरान दिया गया। चीन रक्षा मंत्रालय हर महीने एक बार प्रेस ब्रीफिंग आयोजित करता है।

भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष का सार

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद करीब दो हफ्ते बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पाकिस्तान ने इसके जवाब में 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले का प्रयास किया, लेकिन भारत ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उनका मुकाबला किया।

चीन के हथियार और भारत-पाकिस्तान संबंध

पाकिस्तान ने इस सैन्य टकराव में बड़े पैमाने पर चीन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया, जो चीन और पाकिस्तान के बीच ‘हर मौसम में दोस्ती’ के रिश्तों का प्रतीक है। चीनी सरकारी मीडिया ने भी इस टकराव पर काफी ध्यान दिया।

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स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। इस अवधि में पाकिस्तान ने अपने 81% हथियार चीन से खरीदे हैं। इनमें आधुनिक जेट फाइटर, रडार, नौसेना के जहाज, पनडुब्बियां और मिसाइलें शामिल हैं। दोनों देश मिलकर J-17 जेट विमान का उत्पादन भी करते हैं, जो पाकिस्तान वायु सेना की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करता है।

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MP Nishikant Dubey: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयानों ने फिर खींचा ध्यान! अरब देशो...

MP Nishikant Dubey: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। हमेशा अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले निशिकांत दुबे ने हाल ही में अरब देशों के दौरे के दौरान अपने रुख में अप्रत्याशित बदलाव दिखाया है। पहले मुस्लिम समुदाय और फिलिस्तीन के मुद्दे पर आक्रामक टिप्पणियां करने वाले दुबे अब फिलिस्तीन के समर्थन में बोलते नजर आ रहे हैं। उनके इस बदले हुए रुख ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

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पहले के विवादित बयान- MP Nishikant Dubey

निशिकांत दुबे लंबे समय से अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं। खासतौर पर, उन्होंने कई बार मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए तीखी टिप्पणियां की हैं। आतंकवाद को इस्लाम से जोड़कर देखने वाले उनके बयान अक्सर सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। पहले वे फिलिस्तीन के समर्थन को आतंकवाद से जोड़कर देखते थे और हमास जैसे संगठनों की आलोचना में मुखर रहते थे। लेकिन अरब देशों के दौरे पर उनके तेवर अचानक बदले हुए दिखाई दे रहे हैं।

अरब देशों में बदला रुख

हाल ही में, निशिकांत दुबे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अरब देशों के दौरे पर गए, जहां वे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष रखने के लिए भेजे गए थे। इस दौरे का मकसद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को दुनिया के सामने पेश करना और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक समर्थन दिलाना था। लेकिन सऊदी अरब और कुवैत पहुंचते ही निशिकांत के बयानों में नरमी देखने को मिली। सऊदी अरब में उन्होंने कहा, “आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।” इसके बाद कुवैत में उन्होंने फिलिस्तीन के समर्थन में बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने इजरायल की आलोचना की और कहा, “इजरायल एक ऐसा राष्ट्र है जो किसी की बात नहीं सुन रहा। हम फिलिस्तीन के लोगों को खाना भेज रहे हैं, कोविड के दौरान हमने उनके लिए इंजेक्शन भेजे।”

उन्होंने आगे कहा, “हम द्विराष्ट्र सिद्धांत के समर्थन में हैं। हम मानते हैं कि इजरायल और फिलिस्तीन दो अलग-अलग राष्ट्र हैं।” यह बयान उनके पहले के रुख से बिल्कुल उलट है, जिसके कारण विपक्षी दलों ने उन पर निशाना साधा है।

भारत-फिलिस्तीन संबंधों पर जोर

निशिकांत दुबे ने अपने बयानों में भारत और फिलिस्तीन के ऐतिहासिक संबंधों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने 1974 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता दी थी और 1983 में गैर-आबद्ध आंदोलन (NAM) की बैठक में यासिर अराफात को आमंत्रित किया था। इसके अलावा, 1988 में भारत वह पहला देश था जिसने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार ने फिलिस्तीन की मदद के लिए 39 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है।

ऑपरेशन सिंदूर और भारत का वैश्विक संदेश

निशिकांत दुबे का यह दौरा भारत सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसमें सांसदों के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया के विभिन्न देशों में भेजा गया है। इनका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है। इस अभियान के तहत भारत यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए खतरा है और इसके खिलाफ सभी देशों को एकजुट होना होगा।

विपक्ष का तंज: “देश में दुर्वचन, परदेस में प्रवचन”

निशिकांत दुबे के इस बदले रुख पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने उनके बयानों को “देश में दुर्वचन, परदेस में प्रवचन” करार दिया। खेड़ा ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए कहा, “दंगाई प्रवृत्ति का यह व्यक्ति मुस्लिम देशों की मेहमाननवाजी का फायदा उठाने के लिए फिलिस्तीन का हिमायती बन गया। लेकिन घर लौटते ही वही नफरत का राग अलापने लगेगा।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी निशिकांत के बयानों की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसे “दोगले” लोग भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।

निशिकांत का जवाब

विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए निशिकांत दुबे ने कहा, “क्या फिलिस्तीन और हमास में कोई अंतर नहीं है?” उन्होंने अपने बयानों का बचाव करते हुए यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि उनका फिलिस्तीन समर्थन आतंकवाद के समर्थन से अलग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का रुख हमेशा से मानवीय और शांतिपूर्ण रहा है।

निशिकांत दुबे के विवादों का सफर और ताजा बयानों का बवाल

निशिकांत दुबे कई मौकों पर सुर्खियों में रहे हैं। कुछ समय पहले ‘कैश फॉर क्वेरी’ विवाद में उन्होंने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि वह पैसे लेकर संसद में तयशुदा सवाल पूछती हैं। इसके अलावा उनकी डिग्री को लेकर भी विवाद छिड़ा था, जिसमें महुआ मोइत्रा ने दावा किया था कि दुबे ने राजस्थान की प्रताप यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री हासिल की है। निशिकांत ने इस आरोप को बार-बार नकारा है। वे खुद कहते हैं कि वे विवाद नहीं करते, बल्कि विवाद उनके साथ हो जाता है।

हाल ही में उन्होंने वक्फ संसोधन अधिनियम को लेकर एक विवादित बयान दिया है। निशिकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया कि यदि सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद भवन को ही बंद कर देना चाहिए। इस बयान ने देशभर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। निशिकांत के ऐसे बयानों ने उनकी विवादास्पद छवि को और भी मजबूत कर दिया है।

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CRPF Spy Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने CRPF के जवान मोती राम जाट को जासूसी के आरोप म...

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CRPF Spy Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सहायक उपनिरीक्षक मोती राम जाट को जासूसी के गंभीर आरोप में गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि यह जवान अक्टूबर 2023 से पाकिस्तान के लिए गुप्त जानकारियां लीक कर रहा था। खास बात यह है कि मोती राम जाट का तबादला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से महज छह दिन पहले हुआ था, जिसके चलते इस घटना के पीछे उसकी भूमिका पर सवाल उठे हैं।

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मोती राम जाट पर लगे आरोप- CRPF Spy Case

CRPF की 116वीं बटालियन में तैनात मोती राम जाट पर आरोप है कि उसने भारतीय सुरक्षाबलों की संचालन योजनाएं, सुरक्षाबलों के मूवमेंट पैटर्न और महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों के लोकेशन जैसी संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान को लीक कीं। NIA के अधिकारियों का मानना है कि इससे देश की सुरक्षा को भारी खतरा पैदा हुआ है। ऐसे कड़े सबूत मिलने के बाद उसे 6 जून तक हिरासत में रखा गया है ताकि मामले की गहराई से जांच की जा सके।

CRPF Spy Case india
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पहलगाम हमले से संभावित कनेक्शन

22 अप्रैल 2023 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। NIA को शक है कि मोती राम जाट द्वारा साझा की गई सूचनाओं का इस हमले में इस्तेमाल किया गया हो सकता है। फिलहाल इस कड़ी में अन्य संभावित साजिशकर्ताओं की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

जांच एजेंसी की कार्रवाई

दिल्ली में मोती राम जाट को गिरफ्तार करने के बाद उसे CRPF से बर्खास्त कर दिया गया है। जांच एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि क्या वह अकेला था या किसी बड़े जासूसी रैकेट का हिस्सा है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मोती राम जाट पाकिस्तानी अधिकारियों से पैसों का लेन-देन कर रहा था, जिसके लिए वह विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल करता था।

पहलगाम हमले के बाद जासूसों की गिरफ्तारी

पहलागम हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में 12 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये गिरफ्तारियां पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हुई हैं। NIA ने इस पूरे मामले को लेकर विशेष जांच शुरू कर रखी है और पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क को तोड़ने के प्रयास में जुटी है।

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सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ी

इस मामले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवाद के इस युग में सुरक्षा बलों के भीतर जासूस होना बड़ी चुनौती है। इसलिए तैनाती से पहले कड़ी जांच-परख होनी चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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Tej Pratap Yadav-Aishwarya Rai: 36 करोड़ की मुआवजे की मांग, सिंदूर और विवादों में घिर...

Tej Pratap Yadav-Aishwarya Rai: बिहार के सियासी गलियारों में इन दिनों लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के रिश्ते को लेकर चर्चा हो रही है। हालांकि दोनों के बीच तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है, फिर भी ऐश्वर्या राय आज भी सिंदूर लगाती हैं, जो यह दिखाता है कि भले ही उनके बीच दूरियां हैं, लेकिन रिश्ते में अभी भी एक खास कनेक्शन मौजूद है। इस बात से यह सवाल उठता है कि सिंदूर के साथ ऐश्वर्या का यह कदम कितना महत्वपूर्ण है और इसका क्या संदेश हो सकता है?

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तेज प्रताप और ऐश्वर्या राय की शादी का इतिहास- Tej Pratap Yadav-Aishwarya Rai

तेज प्रताप यादव और ऐश्वर्या राय की शादी 2018 में धूमधाम से हुई थी। यह शादी बिहार की राजनीति में एक बड़ा इवेंट बनी थी। हालांकि शादी के कुछ ही महीनों बाद ऐश्वर्या राय ने तेज प्रताप और उनके परिवार पर बुरे बर्ताव का आरोप लगाते हुए घर छोड़ दिया। इसके बाद दोनों परिवारों के बीच विवाद शुरू हो गया और ऐश्वर्या ने तलाक की अर्जी दी। इसके बाद राजनीतिक और कानूनी स्तर पर मामला बढ़ा, और ऐश्वर्या के पिता, पूर्व मंत्री चंद्रिका राय ने आरजेडी छोड़ दिया और राजनीतिक चुनौती देने की बात कही।

Tej Pratap Yadav controversy
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तलाक की प्रक्रिया और दोनों पक्षों के आरोप

तलाक की प्रक्रिया अब भी जारी है और इस दौरान दोनों ओर से गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐश्वर्या ने तेज प्रताप पर ड्रग्स लेने का आरोप लगाया है, जबकि तेज प्रताप ने ऐश्वर्या पर भारी भरकम गुजारा भत्ता मांगने का आरोप लगाया है। इस बीच, तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अपनी कथित प्रेमिका अनुष्का के साथ 12 साल के रिश्ते का पोस्ट किया, जिसने एक नया विवाद खड़ा कर दिया।

ऐश्वर्या राय का संपत्ति और जीवनशैली

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की बेटी, ऐश्वर्या राय एक शिक्षित और समझदार महिला हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पास लगभग 30 से 40 लाख रुपये की संपत्ति है, जिसमें गहने, बैंक में जमा पैसे और कुछ निवेश शामिल हैं। ऐश्वर्या की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पटना के नॉट्रेडम स्कूल से अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की, इसके बाद वे दिल्ली में स्थित नोएडा के एक कॉलेज से MBA की डिग्री प्राप्त करने के लिए गईं। ऐश्वर्या का परिवार भी पढ़ा-लिखा है, उनकी बड़ी बहन आयुषी इंजीनियर हैं, और छोटा भाई अपूर्व पटना हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं।

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ऐश्वर्या की मांग और अदालत के आदेश

तलाक के बाद ऐश्वर्या राय ने तेज प्रताप यादव से अपने लिए एक घर की मांग की थी। साथ ही, उन्होंने कार, ड्राइवर, नौकर और हर महीने खर्चे के लिए 1.5 लाख रुपये की भी मांग की थी। उनकी यह मांग परिवार कोर्ट में रखी गई थी, जिसमें उन्होंने पटना के पॉश इलाके एसके पुरी में घर की मांग की थी। इसके बाद, सितंबर 2023 में पटना की फैमिली कोर्ट ने तेज प्रताप यादव को आदेश दिया कि वे ऐश्वर्या को रहने के लिए घर प्रदान करें। इसके बाद ऐश्वर्या को पटना के गोला रोड इलाके में एक फ्लैट दिया गया, जिसका किराया 20 हजार रुपये महीना था, लेकिन ऐश्वर्या ने इस फ्लैट को लेने से मना कर दिया।

सिंदूर और रिश्ते की स्थिति

हालांकि ऐश्वर्या और तेज प्रताप के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन ऐश्वर्या अभी भी सिंदूर लगाती हैं, जो यह दर्शाता है कि उनका दिल अभी भी इस रिश्ते में जुड़ा हुआ है। सिंदूर केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक महिला के प्यार और विश्वास का प्रतीक है। ऐश्वर्या का सिंदूर पहनना यह साबित करता है कि चाहे उनकी शादी में कितनी भी परेशानियाँ आई हों, लेकिन प्यार और विश्वास की कड़ी अब भी कायम है।

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Elon Musk DOGE resignation: एलॉन मस्क का DOGE से इस्तीफा! ट्रंप प्रशासन के बाद विभाग ...

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Elon Musk DOGE resignation: अरबपति कारोबारी और टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क ने आखिरकार कई महीनों की अटकलों के बाद अमेरिकी ट्रंप प्रशासन को अलविदा कह दिया है। उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशियंसी (DOGE) के प्रभारी का पद छोड़ने का ऐलान किया है। मस्क की यह पदवी अमेरिकी राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती थी, क्योंकि इसे संभालने के बाद उन्हें अमेरिका के दूसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति के रूप में देखा जाता था। अब सवाल यह उठ रहा है कि उनके जाने के बाद DOGE का भविष्य क्या होगा?

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DOGE का गठन और उद्देश्य- Elon Musk DOGE resignation

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद 20 जनवरी 2017 को DOGE विभाग का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य अमेरिकी सरकार की ब्यूरोक्रेसी को सुधारना और सरकारी खर्चों में कटौती करना था। इसे ‘द मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ के समान माना गया था, जो अमेरिकी सरकार का वह परियोजना था जिसके तहत परमाणु बम विकसित किया गया था। ट्रंप ने DOGE को इस समय का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम बताते हुए कहा था कि इस परियोजना से 2026 तक संघीय ब्यूरोक्रेसी में व्यापक बदलाव आएंगे।

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DOGE के विवादों की कहानी

DOGE का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में दो ट्रिलियन डॉलर की कटौती और सरकारी नौकरियों में भारी कमी करना था। हालांकि, इस योजना ने कई विवादों को जन्म दिया। सरकारी सेवाओं में कटौती, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर असर पड़ा, जिसके कारण इन क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों और कम आय वाले परिवारों को नुकसान हुआ।

इससे विरोध भी हुआ, और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। वाशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क में शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी यूनियनों ने रैलियां निकालीं, जिसमें DOGE को लोकतंत्र विरोधी करार दिया गया। इन विरोध प्रदर्शनों ने अमेरिकी राजनीति में इस विभाग को और भी ध्रुवीकृत कर दिया।

मस्क के प्रभाव और टेस्ला पर असर

मस्क के DOGE चीफ बनने के बाद टेस्ला पर भी इसका असर पड़ा। Tesla Takedown जैसे आंदोलनों ने टेस्ला शोरूमों में विरोध और तोड़फोड़ का सामना किया। DOGE को एक अमीरों के लिए बनी नीति के रूप में देखा गया, जिससे मस्क और ट्रंप के बीच रिश्ते और विवादों का कारण बने।

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इसके अलावा, DOGE ने सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू की, जिससे सरकारी कर्मचारी यूनियनों और डेमोक्रेटिक नेताओं की तीखी आलोचना झेली गई। इसे मध्यम वर्ग पर हमला और सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करने के रूप में देखा गया।

DOGE के भविष्य को लेकर संशय

एलॉन मस्क के इस्तीफे के बाद सवाल यह उठता है कि अब DOGE का क्या होगा? ट्रंप ने जब इसे शुरू किया था, तो उन्होंने इसे एक अस्थाई विभाग बताया था, जो जुलाई 2026 तक काम करेगा। ऐसे में, कई रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा है कि अब इस विभाग की जिम्मेदारी कैबिनेट सचिव के पास जाएगी। हालांकि, अभी तक ट्रंप या प्रशासन की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

फिलहाल, यह विभाग जुलाई 2026 तक काम करता रहेगा, और इस दौरान इसे कोई महत्वपूर्ण शख्सियत सौंपे जाने की संभावना जताई जा रही है।

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Jagadguru Rambhadracharya Wants POK: सेना प्रमुख को जगद्गुरु रामभद्राचार्य का विशेष आ...

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Jagadguru Rambhadracharya Wants POK: भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को धर्मनगरी चित्रकूट का दौरा किया, जहां उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के आश्रम पहुंचकर उनसे गुरु दीक्षा ली और गुरु दक्षिणा के तौर पर जगद्गुरु ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग की। इस अवसर पर सेना प्रमुख ने अपने साथ पत्नी को भी साथ लेकर भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में धार्मिक अनुष्ठान किए।

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चित्रकूट में भव्य स्वागत और कड़ी सुरक्षा- Jagadguru Rambhadracharya Wants POK

सेना प्रमुख के आगमन के चलते चित्रकूट क्षेत्र को पूरी तरह सेना की छावनी में बदल दिया गया था। बुधवार सुबह लगभग 9 बजे उनका हेलीकॉप्टर दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर के हेलीपैड पर उतरा। हेलीपैड से लेकर तुलसीपीठ तक पूरे क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी। विभिन्न स्थानों पर बैरिकेड्स लगाकर आम जनता की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। जानकीकुंड स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय में इलाज के लिए आने वाले लोगों को भी इस सुरक्षा प्रबंध के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश पुलिस के अधिकारी भी सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे, जबकि सेना के जवान हर प्रमुख स्थान पर सतर्कता से तैनात थे।

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तुलसीपीठ आश्रम में धार्मिक अनुष्ठान

सुरक्षा के घेरे में सेना प्रमुख का काफिला जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के तुलसीपीठ आश्रम पहुंचा। यहां जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कांच मंदिर में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने जगद्गुरु के स्वास्थ्य की भी जानकारी ली। इसके बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उन्हें गुरु दीक्षा प्रदान की। इस दौरान सेना प्रमुख ने गुरु दक्षिणा के तौर पर पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) वापस लेने की मांग जताई।

पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि दीक्षा के समय उन्होंने सेना प्रमुख से स्पष्ट रूप से कहा कि वे PoK की वापसी चाहते हैं। इस मांग से यह साफ होता है कि भारतीय सेना के उच्चतम पदाधिकारी न केवल सीमा सुरक्षा पर फोकस कर रहे हैं, बल्कि इस क्षेत्र की राजनीतिक और रणनीतिक अहमियत को भी समझते हैं।

धार्मिक श्रद्धा और राष्ट्रभक्ति का संगम

सेना प्रमुख का यह धार्मिक और आध्यात्मिक दौरा उनके राष्ट्रीय कर्तव्य और विश्वास का प्रतीक माना जा रहा है। चित्रकूट, जहां भगवान श्रीराम ने तपस्या की थी, का यह दौरा इस बात को भी दर्शाता है कि वे अपने आध्यात्मिक विश्वास से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा और सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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जनरल उपेंद्र द्विवेदी का चित्रकूट का यह दौरा न केवल एक आध्यात्मिक यात्रा थी बल्कि एक सशक्त संदेश भी था कि भारतीय सेना सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी महत्व देती है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी की मांग उनके राष्ट्रीय दृष्टिकोण और सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस प्रकार का आध्यात्मिक और रणनीतिक संतुलन देश के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाता है।

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