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“पहलगाम ने सिखाया कौन दोस्त, कौन दुश्मन” , विजयादशमी पर बोले Mohan Bhagwat, कहा- सुरक...

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Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना को सौ साल पूरे हो चुके हैं, और इस ऐतिहासिक अवसर को लेकर देशभर में कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। संघ का स्थापना दिवस यानी विजयादशमी उत्सव इस बार और भी खास बन गया, क्योंकि यह साल RSS के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए, जबकि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने परंपरागत रूप से शस्त्र पूजा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।

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मोहन भागवत का जोर – सजग रहें, समर्थ बनें

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मौके पर अपने संबोधन में कई अहम मुद्दों को छुआ। उन्होंने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र किया, जिसमें आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को निशाना बनाया था। भागवत ने कहा कि सरकार और सेना ने इस हमले का सख्त और प्रभावी जवाब दिया, जिससे ये साफ हो गया कि देश की सुरक्षा अब और भी मजबूत हाथों में है।

उन्होंने कहा कि हमें दुनिया से दोस्ती रखनी है, लेकिन दुश्मन कौन है, ये पहचानना भी जरूरी है। हमें अपनी सुरक्षा के प्रति सजग और सशक्त रहना होगा। नक्सलवाद और उग्रवाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन की सख्ती के चलते इन पर भी काबू पाया जा रहा है।

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर बल- Mohan Bhagwat

भागवत ने अपने भाषण में स्वदेशी पर ज़ोर देते हुए अमेरिका के टैरिफ नीति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश को मजबूरी में नहीं, बल्कि सोच-समझकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदलाव ज़रूरी है, लेकिन एकदम से नहीं—धीरे-धीरे छोटे-छोटे बदलावों के ज़रिए ही आगे बढ़ना होगा। उनका इशारा था कि जैसे-जैसे समाज बदलेगा, वैसे-वैसे व्यवस्था भी बदलेगी।

उन्होंने फ्रांस की क्रांति और कुछ पड़ोसी देशों में हो रहे आंदोलनों का हवाला देते हुए कहा कि हिंसा कभी भी सच्चा बदलाव नहीं ला सकती। अगर बदलाव चाहिए तो समाज को खुद को बदलना होगा, क्योंकि व्यवस्था वही होती है जैसी जनता होती है।

संघ को राजनीति से दूर रखने की बात

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि संघ ने राजनीति में आने के कई प्रस्तावों और लालचों को ठुकराया है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक सालों से नियमित शाखाओं में आ रहे हैं, सिर्फ इसलिए कि आदत बनी रहे। यह आदत ही उनके व्यक्तित्व निर्माण और राष्ट्रभक्ति का आधार है।

उन्होंने कहा कि संघ की शाखाएं इंसान को वैसा बनाती हैं जैसा वह देश चाहता है। संघ का उद्देश्य हमेशा समाज और राष्ट्र को बेहतर बनाना रहा है, न कि सत्ता या राजनीति में हिस्सेदारी लेना।

सामाजिक समरसता और सद्भाव की अपील

संघ प्रमुख ने देश में चल रही विविधताओं के बीच सामाजिक एकता को ज़रूरी बताते हुए कहा कि कुछ ताकतें इन विविधताओं को भेद में बदलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी की पूजा पद्धति, महापुरुष, परंपराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन हम सभी एक ही समाज और राष्ट्र का हिस्सा हैं। इसलिए आपसी सद्भाव और सम्मान हमारी जिम्मेदारी बनती है।

रामनाथ कोविंद का भावुक संबोधन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस मौके पर अपने दिल की बात साझा की। उन्होंने कहा कि उनके जीवन में नागपुर के दो महापुरुषों डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का गहरा असर रहा है। कोविंद ने बताया कि जब वे घाटमपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, तभी संघ से उनका परिचय हुआ था।

उन्होंने कहा कि संघ में जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं है और यही संघ की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने बताया कि संघ में उन्हें मानवीय मूल्यों की जो शिक्षा मिली, वो उनकी आत्मकथा में भी शामिल होगी, जो इसी साल के अंत तक प्रकाशित होने जा रही है।

‘संघ मनुस्मृति नहीं, आंबेडकर स्मृति से चलता है’

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अटल बिहारी वाजपेयी की एक पुरानी रैली का जिक्र करते हुए कहा कि अटल जी ने साफ तौर पर कहा था कि बीजेपी की सरकार ‘मनुस्मृति’ से नहीं, बल्कि ‘आंबेडकर स्मृति’ से चलती है। उन्होंने संघ और डॉ. आंबेडकर के चिंतन में समानता की बात भी कही और कहा कि महिलाओं की भागीदारी को संघ ने हमेशा से महत्व दिया है।

उन्होंने राष्ट्रीय सेविका वाहिनी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, सुषमा स्वराज जैसे नामों का उल्लेख करते हुए महिला सशक्तिकरण में संघ के योगदान को रेखांकित किया। कोविंद ने यह भी याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने भी एक बार संघ की तारीफ की थी और बाबा साहब आंबेडकर ने ‘केसरी’ में संघ को अपनत्व की नजर से देखने की बात लिखी थी।

21 हजार स्वयंसेवकों की मौजूदगी

इस खास आयोजन में करीब 21 हजार स्वयंसेवकों की उपस्थिति ने माहौल को और खास बना दिया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्टर हेडगेवार की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। इसके बाद संघ प्रमुख और मुख्य अतिथि ने संघ प्रार्थना में भाग लिया। इस मौके पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कई अन्य नेता भी मौजूद रहे।

अब पूरे साल मनाया जाएगा शताब्दी समारोह

संघ के इस शताब्दी वर्ष में पूरे देशभर में कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। RSS ने इसकी विस्तृत रूपरेखा तैयार की है। हर राज्य, जिला और प्रांत में समाज से जुड़ने और राष्ट्रनिर्माण की भावना को और मजबूत करने के लिए कई आयोजन होंगे।

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महान अर्ध-शास्त्रीय गायक Pandit Chhannulal Mishra का निधन, संगीत जगत में शोक की लहर, ...

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Pandit Chhannulal Mishra: भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज और पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार 2 अक्टूबर की सुबह निधन हो गया। 89 वर्षीय छन्नूलाल जी ने मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) स्थित अपने आवास पर सुबह करीब 4:30 बजे अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में उनका इलाज चल रहा था।

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परिवार की मानें तो उनकी तबीयत बुधवार रात अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हालांकि डॉक्टरों ने सुबह उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी छोटी बेटी डॉ. नम्रता मिश्र ने मीडिया को जानकारी दी कि उनकी तबीयत में कुछ दिनों से सुधार था और हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिली थी, लेकिन उम्र से जुड़ी तकलीफें और फेफड़ों में पानी भर जाने की वजह से उनका स्वास्थ्य फिर से गिर गया।

वाराणसी में होगा अंतिम संस्कार- Pandit Chhannulal Mishra

पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार आज वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर मिर्जापुर से वाराणसी लाया जा रहा है। उनके इकलौते पुत्र और तबला वादक पंडित रामकुमार मिश्र उन्हें मुखाग्नि देंगे।

संगीत साधना की शुरुआत और पारिवारिक विरासत

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। संगीत उनके खून में था उनके दादा गुदई महाराज (शांता प्रसाद) और पिता बद्री प्रसाद मिश्र दोनों ही संगीतज्ञ थे। महज छह साल की उम्र में उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। बाद में उस्ताद अब्दुल गनी खान और उस्ताद गनी अली साहब जैसे गुरुओं से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की गहराई से तालीम ली। वह प्रख्यात तबला वादक पंडित अनोखेलाल मिश्र के दामाद भी थे।

बहुमुखी गायकी और लोकधुनों में महारथ

छन्नूलाल मिश्र की गायकी में सिर्फ शास्त्रीयता नहीं, बल्कि बनारसी ठाठ, लोकगीतों की मिठास और भारतीय परंपराओं की खुशबू भी थी। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी, सोहर, झूला और होली जैसे लोकगीतों को अपनी विशेष शैली में गाकर देश-विदेश में पहचान बनाई। रागों की जटिलता को आम श्रोता तक पहुंचाने का उनका तरीका बेहद सहज और रसीला होता था। उनकी गायन शैली में बनारस की मिट्टी की खुशबू और भारतीय संस्कृति की आत्मा झलकती थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनभर भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।”

गौरतलब है कि साल 2014 में जब पीएम मोदी ने पहली बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब पंडित छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे। उनके और मोदी जी के बीच गहरा व्यक्तिगत और सांस्कृतिक रिश्ता रहा है।

सम्मान और उपलब्धियां

छन्नूलाल मिश्र को उनकी संगीत साधना के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे बड़े नागरिक सम्मान दिए। इसके अलावा, 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें ‘यश भारती सम्मान’ भी प्राप्त हुआ।

एक युग का अंत

पंडित छन्नूलाल मिश्र का इस दुनिया से जाना सिर्फ एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि भारतीय संगीत परंपरा के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन है। उनकी गायकी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शक रहेगी। संगीत प्रेमियों के दिलों में उनका नाम हमेशा ज़िंदा रहेगा।

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SDM Rape case: ऊना के एसडीएम पर महिला खिलाड़ी से रेप का आरोप, एक हफ्ते से फरार, पुलिस...

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SDM Rape case: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां ऊना सदर के एसडीएम विश्वमोहन देव चौहान पर एक महिला ताइक्वांडो खिलाड़ी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। युवती का कहना है कि एसडीएम ने उससे रेप, ब्लैकमेल और धमकी दी। केस दर्ज हुए एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन आरोपी अब तक फरार है, और पुलिस की टीमें उसे पकड़ने में नाकाम रही हैं।

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केस की शुरुआत कैसे हुई? SDM Rape case

पीड़िता ने पुलिस को बताया कि 10 अगस्त को वह एसडीएम के बुलावे पर उनके ऑफिस गई थी। वहां, एसडीएम ने अपने निजी चैंबर में उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद 20 अगस्त को उन्होंने उसे सरकारी रेस्ट हाउस में बुलाया, जहां फिर से शोषण हुआ। पीड़िता के मुताबिक, एसडीएम ने उसे गलत नाम और पहचान के साथ रेस्ट हाउस में एंट्री करने के लिए मजबूर किया, और बाद में उसे ब्लैकमेल भी किया।

धमकी और ब्लैकमेल की कहानी

रेस्ट हाउस में जब पीड़िता ने विरोध किया, तो एसडीएम ने 10 अगस्त की आपत्तिजनक वीडियो दिखाकर धमकाया और कहा कि अगर वो कुछ बोलेगी, तो वीडियो वायरल कर दी जाएगी। आरोपी ने पीड़िता को शादी का झांसा भी दिया, लेकिन जब युवती ने इस बारे में दोबारा बात की, तो एसडीएम ने साफ कहा कि उसकी पहले से सगाई हो चुकी है और वो “ऊना का शासक” है। यहां तक कि उसने जान से मारने की धमकी भी दी।

पीड़िता की लड़ाई और एफआईआर

पीड़िता ने बताया कि 27 अगस्त को जब वह एसडीएम के घर गई, तो उसे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद 28 अगस्त को उसने राष्ट्रीय महिला आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज की और 23 सितंबर को ऊना पुलिस, डीआईजी धर्मशाला और डीजीपी हिमाचल को भी लिखित शिकायत भेजी। उसी दिन ऊना सदर थाना में भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 और 351(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर दी गई।

गिरफ्तारी से बचने की कोशिशें

एफआईआर दर्ज होते ही एसडीएम फरार हो गया। उसका मोबाइल फोन बंद है और कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर दो बार सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। अब अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होनी है। जस्टिस राकेश कैंथला ने साफ कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत नहीं दी जा सकती।

पुलिस की कार्रवाई और SIT की जांच

मामले की गंभीरता को देखते हुए ऊना पुलिस ने SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित की है, जिसकी कमान एएसपी सुरेंद्र शर्मा को सौंपी गई है। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की, जिसमें आरोपी की ऑडी कार (HR-26-8002) को जब्त किया गया। एक टीम आरोपी के पैतृक गांव गिरिपार (सिरमौर जिला) भी गई, लेकिन वहां से भी खाली हाथ लौटी।

पीछा करने और धमकाने के आरोप

पीड़िता ने आरोप लगाया कि 17 सितंबर को आरोपी ने उसकी ऑडी कार से उसका पीछा किया। डर की वजह से वह सीधे अपने घर भाग गई। साथ ही उसने यह भी कहा कि एसडीएम लगातार फोन कर महिला आयोग में दर्ज शिकायत को वापस लेने का दबाव बना रहा था।

महिला आयोग ने भी लिया संज्ञान

मामला बढ़ता देख हिमाचल प्रदेश महिला आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष विद्या देवी ने एसपी ऊना से फोन पर बातचीत कर निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। उधर, पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल करवाया है और जांच जारी है।

अब आगे क्या?

जहां एक तरफ एक महिला खिलाड़ी न्याय की गुहार लगा रही है, वहीं दूसरी ओर एक सरकारी अधिकारी खुलेआम फरार घूम रहा है। पुलिस दावा कर रही है कि उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक जमीन पर कोई ठोस नतीजा नहीं दिख रहा।

अब सबकी निगाहें 3 अक्टूबर को होने वाली कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। सवाल ये है कि क्या कानून अपना काम करेगा या एक बार फिर सिस्टम की सुस्त रफ्तार न्याय को धीमा कर देगी?

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UP News: 35 साल की दुल्हन, 75 साल का दूल्हा… शादी के दूसरे ही दिन बुजुर्ग दूल्हे की म...

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UP News: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक अजीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। यहां के कुछमुछ गांव में रहने वाले 75 साल के संगरू राम ने हाल ही में 35 साल की महिला मनभावती से दूसरी शादी की थी। लेकिन शादी के महज एक दिन बाद ही उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई, जिसके बाद गांव में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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संगरू राम और मनभावती की अनोखी शादी- UP News

जानकारी के मुताबिक, संगरू राम की पहली पत्नी का करीब एक साल पहले निधन हो गया था। उनकी कोई संतान नहीं थी और वे अकेले ही खेती-बाड़ी करके अपना जीवन बिता रहे थे। संगरू की उम्र भले ही ज्यादा थी, लेकिन वह दोबारा शादी करना चाहते थे। परिवार और रिश्तेदारों ने उन्हें इस उम्र में शादी से मना किया था, लेकिन उन्होंने किसी की न सुनी।

29 सितंबर को संगरू ने जलालपुर की रहने वाली मनभावती से कोर्ट मैरिज की और फिर मंदिर में विवाह के संस्कार भी कर लिए। मनभावती की भी यह दूसरी शादी थी और उनके पहले पति से दो बेटियां और एक बेटा हैं।

वादा अधूरा रह गया

शादी के बाद संगरू राम ने अपनी नई पत्नी से कहा था,

“तुम बस मेरा घर संभाल लो, तुम्हारे बच्चों की जिम्मेदारी मेरी होगी।”

मनभावती ने बताया कि शादी की रात दोनों ने काफी देर तक बातें कीं और भविष्य के सपने बांटे। लेकिन अगली सुबह सब कुछ बदल गया। अचानक संगरू की तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

गांव में मचा हड़कंप, भतीजों ने रोका अंतिम संस्कार

संगरू राम की मौत की खबर जैसे ही फैली, गांव में सन्नाटा छा गया। कोई इसे संयोग मान रहा है तो कोई इस मौत को संदिग्ध बता रहा है। खास बात ये है कि संगरू के दिल्ली में रहने वाले भतीजों ने अंतिम संस्कार रुकवा दिया है। उनका कहना है कि

“हमारी मौजूदगी के बिना चिता नहीं जलेगी।”

अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस मामले में पोस्टमार्टम कराया जाएगा या नहीं?

पत्नी का दर्द और गांव की चर्चा

पति की अचानक मौत से टूटी मनभावती कहती हैं,

“मुझे तो बस उनका घर संभालना था, उन्होंने कहा था बच्चों को अपना समझूंगा… लेकिन वो वादा अधूरा रह गया।”

गांव वालों का कहना है कि संगरू राम हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहते थे, और इस उम्र में भी उनका हौंसला और आत्मविश्वास देखने लायक था। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि शादी के अगले ही दिन उनकी मौत हो गई।

अब आगे क्या?

गांव में कुछ लोग मान रहे हैं कि यह सिर्फ दिल का दौरा था, जबकि कई लोगों की नजर में यह मामला पूरी तरह से संदिग्ध है। ऐसे में अब सबकी निगाहें दिल्ली से आ रहे संगरू के भतीजों और उनके फैसले पर टिकी हैं। अगर उन्होंने पुलिस में शिकायत दी, तो संभव है कि मामला जांच तक पहुंच जाए।

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Jarnail Singh Bhindranwale: पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का बड़ा खुलासा, राजीव गांध...

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Jarnail Singh Bhindranwale: पंजाब के उथल-पुथल भरे दौर में एक ऐसा किस्सा हुआ था, जो अगर हकीकत बन जाता, तो शायद इतिहास की दिशा कुछ और होती। इस दिलचस्प और सस्पेंस से भरी कहानी का खुलासा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद किया है। ये वही दौर था जब पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन अपने चरम पर था और जरनैल सिंह भिंडरावाले की धमक पूरे राज्य में महसूस की जा रही थी।

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इस घटनाक्रम का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार हरिंदर बावेजा की नई किताब ‘They Will Shoot You, Madam: My Life Through Conflict’ में किया गया है, जिसका हाल ही में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में विमोचन हुआ। इसी मौके पर अमरिंदर सिंह ने मंच से उस वाकये को साझा किया, जिसमें वो राजीव गांधी और भिंडरावाले की मीटिंग करवाने वाले थे, एक ऐसी मुलाकात जो कभी हो नहीं पाई।

राजीव गांधी ने दी थी खास जिम्मेदारी- Jarnail Singh Bhindranwale

अमरिंदर सिंह उस वक्त कांग्रेस सांसद थे और उन्होंने बताया कि राजीव गांधी ने खुद उनसे कहा था,

“क्या आप भिंडरावाले के साथ एक मीटिंग फिक्स कर सकते हैं?”
सिंह ने हामी भरी और आगे की योजना पर काम शुरू कर दिया।

सिंह ने इस काम के लिए पंजाब पुलिस के एसएसपी सिमरन सिंह मान से संपर्क किया, जो उस समय भिंडरावाले के नजदीकी माने जाते थे। बातचीत हुई, और भिंडरावाले अंबाला एयरपोर्ट पर मीटिंग के लिए आने को तैयार हो गया। अमरिंदर और राजीव गांधी को दिल्ली से उड़ान भरनी थी, लेकिन जैसे ही तैयारी पूरी हुई, एक अचानक आदेश आया प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह बैठक रद्द करने को कहा।

क्यों रद्द हुई मीटिंग?

अमरिंदर सिंह के मुताबिक, मीटिंग रद्द होने की असली वजह सुरक्षा को लेकर चिंता थी। भिंडरावाले को गुस्सा आ गया था, लेकिन अमरिंदर ने उन्हें यह कहकर मना लिया कि विमान में तकनीकी खराबी आ गई है।

तीन हफ्ते बाद, फिर से प्रयास हुआ। इस बार विमान उड़ान भर चुका था और जब वो अंबाला के पास पहुंचा, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संदेश आया “तुरंत लौट आइए”। दोबारा मीटिंग टाल दी गई।

इंदिरा गांधी को मिली थी हमले की चेतावनी

बावेजा की किताब में लिखा गया है कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने इंदिरा गांधी को चेतावनी दी थी कि भिंडरावाले की ओर से राजीव गांधी पर घात लगाकर हमला किया जा सकता है। उन्होंने साफ कहा कि यह एक जाल हो सकता है और राजीव की जान खतरे में पड़ सकती है।

सियासी साजिश या एहतियात?

किताब में अमरिंदर सिंह के हवाले से एक और पहलू सामने आया, उन्होंने शक जताया कि दरबारा सिंह, जो पहले भिंडरावाले की गिरफ्तारी का समर्थन कर चुके थे, शायद इस बैठक को रोककर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जैल सिंह को कमजोर करना चाहते थे। हालांकि, अमरिंदर का मानना है कि अगर वो बातचीत हो जाती, तो शायद खालिस्तानी आंदोलन को रोकने की दिशा में कुछ हल जरूर निकलता।

एक अनोखा किस्सा भी सुनाया

अमरिंदर सिंह ने एक हल्का-फुल्का किस्सा भी साझा किया, जो माहौल को थोड़ी देर के लिए हल्का कर गया। उन्होंने कहा,

“मैं शायद इकलौता इंसान हूं जो भिंडरावाले की खाट पर सोया है।”

अब सवाल ये उठता है कि आख़िर जरनैल सिंह भिंडरावाले कौन था और क्यों आज भी उसका नाम पंजाब के इतिहास में विवाद और उथल-पुथल की मिसाल बनकर देखा जाता है?

मोगा के छोटे से गांव से निकला था ‘बड़ा’ नाम

भिंडरावाले का असली नाम जनरैल सिंह था। उसका जन्म पंजाब के मोगा ज़िले के रोडे गांव में हुआ था। बचपन से ही उसकी सोच आम बच्चों से अलग मानी जाती थी। महज़ 30 साल की उम्र में वह सिख धर्म की शिक्षा देने वाली प्रसिद्ध संस्था दमदमी टकसाल का प्रमुख बन गया। यहीं से उसने खुद को नया नाम दिया – जरनैल सिंह भिंडरावाले।

दमदमी टकसाल का नेतृत्व मिलने के बाद उसके तेवर और विचार और ज्यादा कट्टर होते चले गए। उसने अपने भाषणों के जरिए युवाओं को प्रभावित करना शुरू किया और धीरे-धीरे वो पंजाब में एक ऐसा चेहरा बन गया, जिससे सरकारें तक खौफ खाने लगीं।

भड़काऊ भाषण और बढ़ती हिंसा

भिंडरावाले का अंदाज़ अलग था। उसके भाषणों में कड़वाहट और उग्रता थी, जो कई नौजवानों को आकर्षित करती थी। उसने एक ऐसा माहौल बना दिया जहां विरोध की आवाजें या तो दबा दी गईं या फिर खत्म कर दी गईं। हत्याओं और हिंसक घटनाओं में उसका नाम लगातार सामने आने लगा।

उस समय पंजाब में माहौल इतना बिगड़ चुका था कि 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।

जब अकाल तख्त बना ठिकाना

भिंडरावाले ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर को अपना ठिकाना बना लिया और वहां स्थित अकाल तख्त से अपने समर्थकों को लगातार संबोधित करने लगा। माना जाता है कि वो जल्द ही ‘खालिस्तान’ नामक एक अलग देश की घोषणा करने वाला था। ऐसे में केंद्र सरकार के पास कार्रवाई के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा।

ऑपरेशन ब्लू स्टार – एक बड़ा और दर्दनाक अध्याय

1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार की शुरुआत हुई। 3 जून को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया और 4 जून से सेना ने स्वर्ण मंदिर को चारों तरफ से घेर लिया। टैंकों और भारी हथियारों के साथ सेना ने मंदिर परिसर में प्रवेश किया।

6 जून 1984 को दो दिन की ज़बरदस्त लड़ाई के बाद भिंडरावाले मारा गया। इस ऑपरेशन में 83 भारतीय सैनिक शहीद हुए, सैकड़ों घायल हुए और करीब 400 चरमपंथियों को मार गिराया गया।

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Inspector Premveer Rana: रिटायर्ड इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल पर आय से अधिक संपत्ति क...

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Inspector Premveer Rana: उत्तर प्रदेश पुलिस के दो अधिकारियों की कमाई और खर्च की सच्चाई जब सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की जांच में सामने आई, तो सब चौंक गए। एक तरफ जहां रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा पर लगभग 3 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप है, वहीं दूसरी तरफ देवरिया में तैनात हेड कांस्टेबल चंद्र प्रकाश यादव की आय और खर्च में भी बड़ा अंतर मिला है। इन दोनों मामलों में अब सतर्कता अधिष्ठान ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और जांच तेज़ कर दी गई है।

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इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा पर 2.92 करोड़ की अवैध संपत्ति का आरोप- Inspector Premveer Rana

मेरठ यूनिट की जांच में सामने आया कि बागपत जिले के निरपुड़ा गांव के निवासी इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा ने अपनी वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की। यह जांच उनके शामली के कैराना थाने में तैनाती के दौरान शुरू की गई थी।

जांच में सामने आया कि उनकी कुल वैध आय थी 1,65,36,556 रुपये, जबकि उन्होंने इस अवधि में 4,57,42,602 रुपये खर्च किए। यानी, उन्होंने करीब 2.92 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए, जिसका कोई साफ़ स्रोत नहीं मिला।

इस रिपोर्ट के आधार पर अब सतर्कता अधिष्ठान ने उनके खिलाफ मेरठ सेक्टर में भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। हालांकि अब वो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके खिलाफ जांच की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। इस केस की रिपोर्ट सतर्कता अधिष्ठान के इंस्पेक्टर कृष्णवीर सिंह ने तैयार की थी, जो 21 फरवरी 2024 को शासन को भेजी गई थी।

हेड कांस्टेबल चंद्र प्रकाश यादव पर 16.25 लाख रुपये अधिक खर्च का मामला

दूसरी ओर, देवरिया के भलुअनी थाने में तैनात हेड कांस्टेबल चंद्र प्रकाश यादव पर भी भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ है। गोरखपुर यूनिट की जांच में सामने आया कि उन्होंने अपनी सैलरी और वैध स्रोतों से 73,29,359 रुपये की आय अर्जित की, लेकिन उसी दौरान उन्होंने 89,54,784 रुपये खर्च किए।

यानी, उनकी कमाई से 16,25,425 रुपये अधिक खर्च का हिसाब नहीं मिल सका। जब विजिलेंस की टीम ने उनसे पूछताछ की, तो वो संतोषजनक जवाब या दस्तावेज नहीं दे सके। इसके बाद गोरखपुर सेक्टर में उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।

यह मामला 2023 में शासन को मिली शिकायत के बाद शुरू हुआ था, जिसके बाद गोरखपुर यूनिट ने जांच की जिम्मेदारी ली।

क्या है आगे की प्रक्रिया?

इन दोनों मामलों में भ्रष्टाचार की पुष्टि हो चुकी है और अब संपत्तियों की कानूनी जांच के साथ-साथ संपत्ति ज़ब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। फिलहाल दोनों अधिकारियों के बैंक खातों, ज़मीन-जायदाद और अन्य निवेशों की भी समीक्षा की जा रही है।

यूपी पुलिस की छवि पर असर

ये दोनों मामले इस बात का संकेत हैं कि कैसे पुलिस विभाग में अंदरूनी स्तर पर भी पारदर्शिता और ईमानदारी की ज़रूरत है। जब आम लोगों को सुरक्षा देने वाले अधिकारी खुद भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं, तो सवाल उठना लाज़मी है। हालांकि सतर्कता अधिष्ठान की सक्रियता यह भी दिखाती है कि सिस्टम में सफाई की प्रक्रिया चालू है।

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Barsati Daku Ki Story: भाई की हत्या ने बदला लिया, गरीबों का रॉबिनहुड बना, अमेठी का वो...

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Barsati Daku Ki Story: उत्तर प्रदेश की धरती पर बहुत से अपराधी आए और गए, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिनकी कहानियां आज भी लोगों की जुबां पर हैं। ऐसी ही एक दहशत भरी, मगर दिलचस्प कहानी है बरसाती पासी उर्फ बरसाती डाकू की। ये नाम 70 और 80 के दशक में ऐसा खौफ बन चुका था कि अमेठी से लेकर सुल्तानपुर और अयोध्या तक लोग शाम ढलते ही दरवाज़े बंद कर लेते थे।

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लेकिन बरसाती की शुरुआत एक आम आदमी की तरह हुई थी मेहनत-मजदूरी करने वाला एक सीधा-सादा इंसान। फिर ऐसा क्या हुआ कि वो सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो गया और बन गया डकैतों का सरगना? चलिए, इस पूरे सफर को समझते हैं।

भाई की हत्या बनी टर्निंग प्वाइंट- Barsati Daku Ki Story

बरसाती का जन्म अमेठी जिले के थोरा गांव में एक बेहद सामान्य परिवार में हुआ था। वह मजदूरी करके जीवन चला रहा था, लेकिन उसकी जिंदगी उस वक्त बदल गई जब एक कार्यक्रम के दौरान उसके भाई की हत्या कर दी गई। उम्मीद थी कि पुलिस इंसाफ दिलाएगी, लेकिन उल्टा उसे थाने से डांटकर भगा दिया गया।

इस अपमान और दुख ने बरसाती को अंदर तक झकझोर दिया। फिर उसने फैसला किया कि अब इंसाफ खुद ही लेना होगा।

हत्या से शुरुआत, फिर बना अपना गैंग

बरसाती ने अपने भाइयों रामचरन, बिर्जू और रघु के साथ मिलकर भाई के कातिल कर्मबली कश्यप को मार डाला। इसके बाद चारों भाई गांव छोड़कर फरार हो गए और जंगलों में जाकर छिपने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी गैंग तैयार की और अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।

उनका नेटवर्क इतना बड़ा हो गया कि पुलिस के लिए पकड़ पाना नामुमकिन सा हो गया। 15 सालों तक यूपी पुलिस उनकी तलाश में लगी रही, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।

लूट से पहले भेजता था चिट्ठी

बरसाती डाकू की एक खासियत थी वो लूट करने से पहले चिट्ठी भेजता था। यानी वह पहले से बता देता था कि आज रात किस गांव या किस घर पर हमला होगा। लोग ये जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाते थे, क्योंकि वो अपनी गैंग के साथ आता और आसानी से निकल जाता।

उसके नाम का ऐसा खौफ था कि बिना विरोध के लोग लूट सह लेते थे। लेकिन हैरानी की बात ये थी कि वह गरीबों की मदद भी करता था बेटियों की शादी करवाना, जरूरतमंदों को पैसे देना और दबंगों को सबक सिखाना उसके कामों में शामिल था।

गांववालों की नजर में “पुजारी जैसा इंसान”

बरसाती की बहन रानी देवी बताती हैं कि उनके भाई को परिस्थितियों ने डाकू बना दिया। अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो शायद वो आज एक सामान्य जिंदगी जी रहा होता। रानी कहती हैं कि बरसाती पूजा-पाठ करने वाला इंसान था, लेकिन पुलिस ने उन्हें इतना परेशान किया कि पूरा परिवार इसकी कीमत चुकाता रहा।

पुलिस कई बार परिवार के लोगों को उठा ले जाती थी, कई को जेल भी जाना पड़ा। लेकिन अब परिवार की हालत बदल चुकी है एक भाई पुलिस में है, एक कोटेदार है और बाकी शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे हैं।

फिल्म भी बनी थी बरसाती पर

बरसाती डाकू की कहानी पर एक फिल्म भी बनी ‘बरसाती गैंग’, जिसे यूपी के कई सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त उसकी कहानी कितनी चर्चित थी।

अब परिवार सामान्य जीवन में

गांव के लोगों का मानना है कि बरसाती गरीबों का मसीहा था। थोरा गांव के राधेश्याम कहते हैं कि भाई की हत्या ने उसे बदल दिया। अब उसका परिवार समाज में इज्जत के साथ रह रहा है। एक भाई प्रधान रह चुका है, और बाकी सदस्य भी सामाजिक रूप से सक्रिय हैं।

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Asia Cup 2025 Trophy: भारत बना चैंपियन लेकिन ट्रॉफी अब भी पाकिस्तान के पास, मोहसिन नक...

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Asia Cup 2025 Trophy: एशिया कप 2025 के फाइनल में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को करारी मात देकर खिताब तो जीत लिया, लेकिन ट्रॉफी उठाने की खुशी से खिलाड़ी अब भी महरूम हैं। वजह? पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने न सिर्फ ट्रॉफी मंच से उठाई बल्कि उसे अपने साथ होटल तक ले गए। भारतीय टीम को अब तक न ट्रॉफी मिली है, न ही विजेता पदक। इस घटनाक्रम ने क्रिकेट जगत में तूफान ला दिया है।

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क्यों नहीं ली ट्रॉफी भारतीय खिलाड़ियों ने? Asia Cup 2025 Trophy

दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले के बाद भारतीय टीम का रुख साफ था कि वो PCB अध्यक्ष मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी नहीं लेना चाहती थी। भारत-पाक के बीच राजनीतिक संबंधों को देखते हुए खिलाड़ियों ने यह निर्णय लिया। नकवी मंच पर काफी देर तक ट्रॉफी और मेडल लिए खड़े रहे, लेकिन जब कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं आया, तो वे नाराज होकर ट्रॉफी और मेडल लेकर स्टेडियम से ही रवाना हो गए।

अब दो दिन बीत चुके हैं, लेकिन ट्रॉफी भारत नहीं पहुंची। उल्टा PCB अध्यक्ष ने एक शर्त रख दी है, जिसने विवाद और गहरा कर दिया है।

नकवी की ‘शर्त’ ने बढ़ाई टेंशन

क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहसिन नकवी ने साफ कर दिया है कि जब तक एक औपचारिक समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा जिसमें वो खुद ट्रॉफी और मेडल भारतीय खिलाड़ियों को सौंप सकें, तब तक वे इसे वापस नहीं करेंगे। ये शर्त सुनकर आयोजक भी असमंजस में हैं क्योंकि भारत-पाक के रिश्तों के चलते ऐसे किसी समारोह की संभावना बेहद कम है।

BCCI ने जताई नाराजगी, ICC से करेगा शिकायत

इस पूरे मामले पर BCCI भी खासा नाराज है। बोर्ड सचिव देबजीत सैकिया ने कहा, “हमने ACC चेयरमैन से ट्रॉफी नहीं लेने का फैसला जरूर किया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वे ट्रॉफी और मेडल उठाकर चले जाएंगे। यह खेल की भावना के खिलाफ है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत इस पूरे मुद्दे को नवंबर में दुबई में होने वाले ICC सम्मेलन में उठाएगा। वहां इस हरकत के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा।

ACC की बैठक में होगा फैसला?

इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आज शाम 4 बजे एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) की अहम बैठक होने वाली है। इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक का एजेंडा ट्रॉफी विवाद ही रहेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि मोहसिन नकवी इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं।

उधर, खबर ये भी है कि जिस होटल में नकवी ठहरे हुए हैं, वहीं ट्रॉफी और मेडल भी मौजूद हैं। ACC ने उन्हें कहा है कि वे ट्रॉफी को दुबई के स्पोर्ट्स सिटी स्थित कार्यालय में जमा कराएं ताकि भारत को उसका हक लौटाया जा सके।

अब आगे क्या?

24 नवंबर को ICC की सालाना बैठक (AGM) होगी, जिसमें BCCI इस मामले को पूरी मजबूती से उठाने जा रहा है। फिलहाल भारतीय क्रिकेट फैंस इस इंतज़ार में हैं कि कब उनकी टीम को वो ट्रॉफी मिले जिसकी वो हकदार है।

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Dussehra 2025: 2 अक्टूबर को मनेगा दशहरा, जानिए रावण दहन का समय और पूजा के शुभ मुहूर्त

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Dussehra 2025: इस साल दशहरा यानी विजयादशमी 2 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी ये पर्व देशभर में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। दशहरा न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत के सबसे खास त्योहारों में गिना जाता है। इसे अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

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कब से शुरू हो रही है दशमी तिथि? Dussehra 2025

पंचांग के मुताबिक, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो चुकी है और यह 2 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। चूंकि पर्व तिथि का निर्धारण उदयातिथि से होता है, इसलिए दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

पूजा और रावण दहन का समय

शस्त्र पूजन (आयुध पूजन) का विशेष महत्व होता है दशहरे पर। यह परंपरा युद्ध काल से जुड़ी हुई है, जब योद्धा युद्ध में जाने से पहले अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते थे। इस साल शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक रहेगा।

मुख्य पूजन का मुहूर्त दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक रहेगा। इस दौरान लोग भगवान श्रीराम, मां दुर्गा और अपने घर-परिवार की समृद्धि के लिए पूजा करते हैं।

जो लोग इस दिन कोई नया वाहन या संपत्ति खरीदना चाहते हैं, उनके लिए शुभ समय सुबह 10:41 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा।

रावण दहन का मुहूर्त सूर्यास्त के बाद, यानी प्रदोष काल में होता है। इस बार सूर्यास्त शाम 6:05 बजे है, लिहाजा इसके बाद किसी भी समय रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जा सकता है।

दशहरा क्यों है इतना खास?

दशहरा सिर्फ एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश देने वाला पर्व भी है। ये दिन बताता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, जीत हमेशा सच और धर्म की ही होती है। रावण का अंत और राम की विजय इसी बात का प्रतीक है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में इस दिन को अलग तरह से मनाया जाता है। कहीं भव्य रामलीलाएं होती हैं तो कहीं दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन। उत्तर भारत में रामलीला मैदानों में रावण दहन की परंपरा तो दक्षिण भारत में देवी की विजय के रूप में इसे मनाया जाता है।

दशहरे पर कौन-कौन से काम माने जाते हैं शुभ?

दशहरे को नया काम शुरू करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। चाहे बच्चों की पढ़ाई हो, नया बिजनेस हो या फिर घर में कोई नया सामान लाना हो हर काम के लिए यह दिन अनुकूल माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य शुरू किया जाता है, उसमें सफलता जरूर मिलती है।

पूजा कैसे की जाती है?

दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनने की परंपरा है। फिर घर या मंदिर में भगवान श्रीराम, मां दुर्गा और अपने कुलदेवताओं की पूजा की जाती है। पूजा में फल, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इस दिन नवरात्र का समापन भी होता है, इसलिए मां दुर्गा की विशेष आरती और भोग का आयोजन भी होता है।

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Swami Chaitanyananda Case: दुबई के शेख तक लड़कियां सप्लाई करता था ‘बाबा’,...

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Swami Chaitanyananda Case: खुद को आध्यात्मिक गुरु बताने वाला स्वामी चेतान्यानंद उर्फ पार्थ सारथी अब एक बड़े सेक्स रैकेट का मास्टरमाइंड बनकर सामने आया है। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद इस बाबा के काले कारनामों की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। शुरू में पूछताछ के दौरान बाबा गोलमोल जवाब देता रहा, लेकिन उसके मोबाइल से मिली व्हाट्सऐप चैट्स ने सारी सच्चाई सामने ला दी। इन चैट्स में सिर्फ महिलाओं को बहलाने की बातें नहीं हैं, बल्कि विदेशों तक लड़कियां सप्लाई करने की प्लानिंग और डील्स के भी सबूत मिले हैं।

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दुबई के शेख के लिए लड़की मांगता था बाबा- Swami Chaitanyananda Case

सबसे चौंकाने वाला खुलासा उस चैट से हुआ जिसमें बाबा ने एक महिला से साफ लिखा कि “दुबई का एक शेख सेक्स पार्टनर चाहता है, तुम्हारी कोई अच्छी दोस्त है?” पुलिस को यह देखकर झटका लगा, क्योंकि इससे साफ हो गया कि बाबा सिर्फ महिलाओं को फुसलाता ही नहीं था, बल्कि उन्हें विदेश भेजने और देह व्यापार में धकेलने का काम भी करता था। जब लड़की ने मना किया, तो उसने दबाव बनाने की कोशिश भी की — “तुम्हारी कोई क्लासमेट या जूनियर हो तो बताओ”।

चैट्स में दिखा असली चेहरा

पुलिस के हाथ लगे चैट्स में बाबा की बातचीत का लहजा बेहद आपत्तिजनक और परेशान करने वाला है। वह लड़कियों को लगातार ‘बेबी’, ‘स्वीटी’, ‘बेबी डॉल’ जैसे शब्दों से पुकारता और उनका मानसिक रूप से पीछा करता दिखता है। कई चैट्स में उसने एक ही लड़की को दिन-रात मैसेज कर परेशान किया — “बेबी”, “तुम मुझसे नाराज़ क्यों हो”, और “बेबी…बेबी…बेबी” जैसी लाइनें उसकी मानसिकता की पोल खोलती हैं।

लड़कियों को हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश

जांच में यह भी सामने आया है कि बाबा युवतियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए इस्तेमाल करता था। एक मामले में उसने एक लड़की को किसी लड़के के साथ अंतरंग तस्वीरें खिंचवाने को कहा ताकि उस युवक को ब्लैकमेल किया जा सके। इसके बदले में उसने लड़की को पैसे भी दिए थे। यही नहीं, उसने कई लड़कियों को अल्मोड़ा और अन्य जगहों पर भेजा, जिससे लगता है कि उसका नेटवर्क राज्य तक सीमित नहीं बल्कि देशभर में फैला हुआ था।

बाबा की फरारी और लंदन कनेक्शन

गिरफ्तारी से पहले फरार रहने के दौरान बाबा लंदन का एक व्हाट्सऐप नंबर इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस को शक है कि वह इस नंबर से लगातार लड़कियों के संपर्क में बना हुआ था। जब किसी लड़की ने उसे ब्लॉक किया, तो वह नए-नए नंबरों से फिर संपर्क करने की कोशिश करता रहा। मोबाइल से काफी चैट डिलीट की गई थीं, लेकिन रिकवरी के बाद जो बातें सामने आईं, वे बेहद चौंकाने वाली थीं।

सीसीटीवी से करता था लड़कियों की निगरानी

बाबा के मोबाइल में HIK Vision नाम की एक ऐप भी मिली है, जिससे यह साफ हुआ कि आश्रम के सारे सीसीटीवी कैमरे सीधे उसके फोन से जुड़े थे। इसका मतलब यह कि आश्रम में कौन, कब, कहां जा रहा है इसकी जानकारी बाबा को हर पल रहती थी। वो लड़कियों की गतिविधियों पर नजर रखता और मौका देखकर उन्हें अपने कमरे में बुलाता।

झूठे वादों और महंगे गिफ्ट्स का जाल

इतना ही नहीं, बाबा ने लड़कियों को अपने जाल में फंसाने के लिए झूठे सपने और महंगे तोहफों का इस्तेमाल किया। उसके पास से महंगे गहने, घड़ियां और ब्रांडेड चश्मे के बिल मिले हैं, जो उसने लड़कियों को गिफ्ट किए थे। साथ ही, उसने कई युवतियों से उनके रिज्यूमे भी मंगवाए थे। पुलिस को शक है कि वो एयरहोस्टेस की नौकरी का झांसा देकर लड़कियों को बहलाता था और बाद में उन्हें अपने रैकेट में शामिल कर लेता था।

धार्मिक चोले की आड़ में सेक्स रैकेट

अब तक की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि बाबा स्वामी चेतान्यानंद ने अपने धार्मिक चोले और स्कूल/आश्रम की आड़ में एक बड़ा सेक्स रैकेट खड़ा कर रखा था। उसका नेटवर्क सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि खाड़ी देशों तक फैला हुआ था। फिलहाल पुलिस चैट्स, मोबाइल डेटा और अन्य दस्तावेजों की गहराई से जांच कर रही है और अंदेशा है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और भी कई बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं।

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