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Kanpur Hair Transplant News: कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर दो इंजीनियरों की ...

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Kanpur Hair Transplant News: कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर एक नहीं बल्कि दो इंजीनियरों की जान चली गई। डॉक्टर अनुष्का तिवारी द्वारा की गई लापरवाही के चलते इन दोनों मरीजों की स्थिति बिगड़ी, जिससे उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने इलाज के दौरान गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, जिससे दोनों मरीजों की हालत बिगड़ती चली गई और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। अब परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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पहला मामला: विनीत दुबे की मौत- Kanpur Hair Transplant News

सबसे पहले 15 मार्च 2025 को पनकी पावर हाउस में तैनात इंजीनियर विनीत दुबे का मामला सामने आया। विनीत ने डॉक्टर अनुष्का तिवारी के क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था। इलाज के बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ी और अंततः उनकी मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि विनीत की हालत बिगड़ने के बाद 56 दिन तक उन्होंने थानों और अफसरों के पास जाकर एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। अंततः मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने के बाद रावतपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही बरती, जिसके कारण विनीत की जान चली गई।

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दूसरा मामला: मयंक कटिहार की मौत

विनीत के मामले के बाद, अब एक और इंजीनियर मयंक कटिहार की मौत का मामला सामने आया है। मयंक ने 18 नवंबर 2024 को डॉक्टर अनुष्का से हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था। इलाज के बाद मयंक को सिर में तेज दर्द हुआ और उसकी हालत बिगड़ने लगी। चेहरा सूजने लगा और आंखें बाहर निकलने जैसी हो गईं। मयंक की मां प्रमोदिनी कटिहार और भाई कुशाग्र कटिहार ने बताया कि मयंक ने लगातार डॉक्टर से संपर्क किया, लेकिन डॉक्टर ने हमेशा कहा कि सब ठीक है, घबराने की कोई बात नहीं है। जब मयंक की हालत और बिगड़ी, तो डॉक्टर ने कहा कि किसी कार्डियोलॉजिस्ट को दिखा लो, लेकिन इसके बाद भी कोई सही उपचार नहीं दिया गया। मयंक को कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाने पर बताया गया कि उसे कोई हार्ट से जुड़ी समस्या नहीं है। इसके बावजूद डॉक्टर ने मयंक को न तो सही उपचार दिया और न ही किसी अस्पताल में भर्ती करवाया। अंततः 19 नवंबर 2024 को मयंक की मौत हो गई।

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डॉक्टर की बेरुखी और फोन ब्लॉक करने का आरोप

मयंक की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने मयंक के परिजनों के फोन ब्लॉक कर दिए और अपना फोन भी स्विच ऑफ कर लिया। मयंक की मां प्रमोदिनी कटिहार का कहना है कि “मेरे बेटे ने बार-बार दर्द की शिकायत की, लेकिन डॉक्टर ने सिर्फ बहलाया और उसे धोखा दिया।” डॉक्टर की इस लापरवाही के कारण मयंक की जान चली गई, जो परिवार के लिए एक बड़ी त्रासदी बन गई।

न्याय की मांग: ACP से मिलने का निर्णय

अब मयंक के परिवार ने डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मयंक के भाई कुशाग्र ने बताया कि वे बुधवार को एसीपी अभिषेक पांडे से मिलेंगे, जो पहले ही विनीत दुबे केस की जांच कर रहे हैं। वे डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला कर चुके हैं, ताकि आगे किसी और मरीज की जान न जाए। मयंक के परिवार ने यह भी बताया कि उन्होंने मयंक की मौत के बाद पोस्टमार्टम नहीं करवाया था, लेकिन अब जब विनीत दुबे की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो वे भी आगे आने का निर्णय ले चुके हैं।

डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत

कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर दो इंजीनियरों की मौत के बाद डॉक्टर अनुष्का तिवारी के खिलाफ आरोप गंभीर हो गए हैं। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही बरती, जिसके कारण उनकी जान चली गई। अब परिजनों ने न्याय की मांग की है और डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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Supreme Court News: भारत सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, 43 रोहिंग्या शरणार्...

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Supreme Court News: भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों, जिनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग जैसे कैंसर के मरीजों को भारत सरकार ने जबरन म्यांमार निर्वासित किया। आरोप है कि इन शरणार्थियों को अंतरराष्ट्रीय जल में फेंककर म्यांमार भेजा गया, जिससे उनके जीवन और सुरक्षा को गंभीर खतरा हुआ।

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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई- Supreme Court News

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह शामिल हैं, इस मामले की सुनवाई कर रही है। यह सुनवाई शरणार्थियों के निर्वासन और उनके रहने की स्थिति से संबंधित मामलों पर आधारित है। याचिका में यह भी दावा किया गया कि 7 मई 2023 की रात को दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR) कार्ड रखने वाले शरणार्थियों को गिरफ्तार किया और उन्हें निर्वासित कर दिया। इस कार्रवाई के बावजूद अदालत ने मामले को सूचीबद्ध किया था, जिससे मामला और भी संवेदनशील हो गया।

सरकार का पक्ष

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 8 अप्रैल, 2021 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विदेशियों को कानून के तहत निर्वासित किया जा सकता है। इस आदेश के तहत, न्यायालय ने कोई अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार करते हुए मामले को 31 जुलाई 2023 तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। हालांकि, सरकार की इस दलील के बावजूद, याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया और इसे रोकने की मांग की।

शरणार्थियों की हिरासत और निर्वासन का विवरण

नई दायर की गई याचिका में आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने शरणार्थियों से बायोमेट्रिक डेटा एकत्र किया और उन्हें हिरासत में लिया। इसके बाद, उन्हें वैन और बसों में ले जाया गया और 24 घंटे तक विभिन्न पुलिस थानों में रखा गया। फिर उन्हें दिल्ली के इंद्रलोक डिटेंशन सेंटर में भेजा गया, जहां से उन्हें पोर्ट ब्लेयर भेजा गया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इन शरणार्थियों को धोखे से म्यांमार भेज दिया गया, जबकि उन्होंने इंडोनेशिया जाने की इच्छा जताई थी।

शरणार्थियों की स्थिति और आरोप

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि शरणार्थियों को हाथों में हथकड़ियां डालकर और आंखों पर पट्टी बांधकर नौसेना के जहाजों पर ले जाया गया। यात्रा के दौरान, 15 साल के बच्चे, 16 साल की नाबालिग लड़कियां, 66 साल तक के बुजुर्ग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग भी शामिल थे। आरोप है कि इन शरणार्थियों के परिवारों को जबरन विभाजित किया गया और बच्चों को उनकी माताओं से अलग किया गया। शरणार्थियों को यह बताया गया था कि उन्हें इंडोनेशिया भेजा जाएगा, लेकिन अंत में वे म्यांमार पहुंच गए, जिससे उनकी सुरक्षा और जीवन को खतरा हो गया।

कानूनी मांगें और मुआवजे की मांग

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया कि इस जबरन निर्वासन को असंवैधानिक घोषित किया जाए और भारत सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इन शरणार्थियों को वापस दिल्ली लाए और उन्हें हिरासत से रिहा करे। याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की कि भारत सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह UNHCR कार्डधारक शरणार्थियों को गिरफ्तार या हिरासत में न ले। साथ ही, उन्होंने शरणार्थियों के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करने की मांग की और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन न करने की अपील की। याचिका में यह भी कहा गया कि प्रत्येक निर्वासित शरणार्थी को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और UNHCR कार्डधारकों को निवास परमिट जारी करने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाए।

भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हालांकि भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, लेकिन कई न्यायिक निर्णयों में गैर-वापसी के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार, किसी शरणार्थी को उसके मूल देश में खतरे का सामना करने से बचाने के लिए निर्वासित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस सिद्धांत का पालन भारत को भी करना चाहिए, ताकि शरणार्थियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

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Sachin Pilgaonkar Filmography: चाइल्ड एक्टर से लेकर बड़े स्टार तक का सफर, मीना कुमारी...

Sachin Pilgaonkar Filmography: हिंदी सिनेमा में चाइल्ड एक्टर्स का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने अपनी अभिनय क्षमता से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। ऐसे कई चाइल्ड कलाकार हुए हैं जिन्होंने बड़े होकर भी फिल्मों में अभिनय किया और अपनी कला का लोहा मनवाया। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे चाइल्ड एक्टर की जिन्होंने सिर्फ अपनी अभिनय से ही नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और लगन से फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई। इस अभिनेता का नाम है सचिन पिलगांवकर, जिन्होंने 1967 में आई फिल्म मझली दीदी में एक छोटे से बच्चे का रोल किया था और इस रोल के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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सचिन पिलगांवकर और ‘मझली दीदी’ – Sachin Pilgaonkar Filmography

सचिन पिलगांवकर ने 1967 में आई फिल्म मझली दीदी में मीना कुमारी और धर्मेंद्र के साथ काम किया था। यह फिल्म अपने समय की एक सुपरहिट फिल्म मानी जाती है, और इसका निर्देशन किया था प्रसिद्ध निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने। फिल्म में सचिन ने मीना कुमारी के मुंहबोले भाई किशन का किरदार निभाया था। हालांकि, फिल्म में उनका चयन पहले डायरेक्टर की पहली पसंद नहीं था, लेकिन मीना कुमारी की सिफारिश पर जब सचिन का ऑडिशन लिया गया, तो निर्देशक ने पहले ही शॉट के बाद उन्हें लीड रोल के लिए चुन लिया।

 

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मीना कुमारी, जो कि इस फिल्म की प्रमुख अभिनेत्री थीं, सेट पर सचिन को बेटे की तरह प्यार करती थीं और उन्हें कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती थीं। सचिन के अभिनय ने फिल्म में धर्मेंद्र जैसे दिग्गज कलाकार को भी पीछे छोड़ दिया था। यह उनके अभिनय की शक्ति और नन्ही उम्र में परिपक्वता का प्रतीक था। 10 साल की उम्र में सचिन ने मझली दीदी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया, जो उस समय एक बड़ी उपलब्धि थी।

मीना कुमारी के साथ रिश्ता

सचिन पिलगांवकर का मीना कुमारी के साथ एक गहरा और प्यार भरा रिश्ता था। उन्होंने कई सालों बाद मीना कुमारी के गुजरने के बाद इस रिश्ते के बारे में बात की और बताया कि मीना कुमारी उन्हें अपनी संतान की तरह प्यार करती थीं। सचिन ने कहा, “मीना आपा ने डायरेक्टर को उस रोल के लिए मुझे लेने को कहा था, और उनकी बदौलत मुझे वह रोल मिला, जिसके लिए मुझे नेशनल अवॉर्ड मिला।”

सचिन पिलगांवकर का मीना कुमारी के प्रति प्यार और आदर हमेशा बरकरार रहा। वे कहते थे, “मीना आपा को बच्चे बहुत अच्छे लगते थे, और वे मुझे हमेशा अपने बच्चे की तरह प्यार करती थीं। मैंने उन्हें हमेशा मीना आपा कहा और उन्होंने मुझ पर खूब प्यार लुटाया था।” सचिन का यह प्यार और कृतज्ञता हमेशा मीना कुमारी के प्रति स्पष्ट था, और उनका यह रिश्ता बॉलीवुड की सबसे सुंदर और प्रेरणादायक जिंदगियों में से एक माना जाता है।

सचिन पिलगांवकर का करियर

सचिन पिलगांवकर का करियर सिर्फ चाइल्ड एक्टिंग तक सीमित नहीं रहा। मझली दीदी से लेकर नदिया के पार जैसी फिल्मों में भी उनका अभिनय याद किया जाता है। नदिया के पार फिल्म से उन्होंने अपनी सफलता की नई ऊँचाइयाँ हासिल की, और यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। उनके अभिनय को हमेशा सराहा गया और वह हिंदी सिनेमा के प्रमुख सितारों में शुमार हो गए।

सचिन पिलगांवकर ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई, बल्कि वह एक टीवी कलाकार के रूप में भी मशहूर हुए। उन्होंने कई टीवी शो में भी अभिनय किया और अपनी अभिनय क्षमता का लोहा भी मनवाया। उनकी पत्नी, शोभा पिलगांवकर भी टीवी की जानी-मानी एक्ट्रेस हैं, और उनकी बेटी ने भी फिल्म इंडस्ट्री में अपने कदम रखे हैं। सचिन पिलगांवकर का परिवार पूरी तरह से अभिनय और कला के क्षेत्र में समर्पित है, और यह उनकी सफलता की कहानी को और भी खास बनाता है।

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Haryana vs Punjab: हरियाणा बनाम पंजाब! खेल प्रतिभा में कौन आगे, जानें कौन है भारत का ...

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Haryana vs Punjab: भारत के दो उत्तरी राज्य, हरियाणा और पंजाब, भारतीय खेलों में हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। ये दोनों राज्य न केवल अपनी खेल संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर भी उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। हरियाणा और पंजाब, जो कुल मिलाकर देश की जनसंख्या का महज 4.4% हिस्सा हैं, ओलंपिक खेलों में भारत के लिए सबसे अधिक मेडल लाने वाले राज्य बन चुके हैं। पेरिस ओलंपिक्स 2024 के लिए भारत की जो 117 सदस्यीय टीम बनाई गई थी, उसमें हरियाणा से 24 और पंजाब से 19 एथलीट शामिल थे, जो कुल भारतीय दल का 36.75% हिस्सा बनाते हैं। यह आंकड़ा इन दोनों राज्यों की खेलों में अहम भूमिका को स्पष्ट करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा और पंजाब में से कौन ज्यादा खेल प्रतिभाएं पैदा करता है?

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हरियाणा: ओलंपिक के स्टार प्रोड्यूसर- Haryana vs Punjab

हरियाणा को भारतीय खेलों की राजधानी कहा जा सकता है, खासकर कुश्ती, मुक्केबाजी और शूटिंग में इस राज्य ने खुद को एक ताकतवर खिलाड़ी के रूप में साबित किया है। हरियाणा के एथलीटों ने न केवल भारत को ओलंपिक में मेडल दिलाए हैं, बल्कि उन्होंने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है। 2020 के टोक्यो ओलंपिक्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा, जो हरियाणा के पानीपत जिले से आते हैं, ने कहा था, “यहां की मिट्टी में कुछ खास है, जो ओलंपियन तैयार करती है।” नीरज के साथ ही रवि कुमार दहिया (कुश्ती में सिल्वर) और बजरंग पुनिया (कुश्ती में ब्रॉन्ज) ने भी हरियाणा के गांवों से आकर अपने खेलों में मेडल जीते।

Haryana vs Punjab Olympics
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हरियाणा ने अब तक कुल 14 व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल जीते हैं, जिनमें से चार मेडल हरियाणा से ही आए थे। इनमें विजेंदर सिंह (बॉक्सिंग), सायना नेहवाल (बैडमिंटन), योगेश्वर दत्त (कुश्ती) और साक्षी मलिक (कुश्ती) जैसे दिग्गज शामिल हैं। यही नहीं, हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में हरियाणा के खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। इस बार भी हरियाणा के एथलीटों ने कुल छह खेलों में भाग लिया और 4 मेडल जीते। इनमें से नीरज चोपड़ा ने जैवलिन में सिल्वर, मनु भाकर ने शूटर के तौर पर ब्रॉन्ज, सरबजोत ने मनु भाकर के साथ शूटर के तौर पर ब्रॉन्ज और अमन सहरावत ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीते। वहीं हॉकी टीम ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीता, जिसमें हरियाणा के 3 खिलाड़ी – संजय, अभिषेक और सुमित – शामिल थे।

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पंजाब: हॉकी की राजधानी

पंजाब का भी भारतीय खेलों में अहम योगदान रहा है, विशेष रूप से हॉकी में। ओलंपिक 2020 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों बाद कांस्य पदक जीता, जिसमें 10 खिलाड़ी पंजाब से थे, जिनमें से कप्तान मनप्रीत सिंह थे। इस टीम का प्रदर्शन भारतीय हॉकी के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि यह 41 साल बाद भारत को हॉकी में ओलंपिक पदक दिलाने में सफल रही। पंजाब के जालंधर और अमृतसर जिलों ने सबसे अधिक ओलंपियन तैयार किए हैं।

पंजाब में हॉकी को बहुत पसंद किया जाता है और यह राज्य में बच्चों के लिए सबसे लोकप्रिय खेल है। यहां के कई छोटे शहरों में भी एस्ट्रोटर्फ मैदान पाए जाते हैं, जिससे खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर की प्रैक्टिस मिलती है। इसके अलावा, जिला स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताएं, जैसे अंडर-12 से लेकर सीनियर तक, खिलाड़ियों को राष्ट्रीय कैंप में जगह बनाने के लिए तैयार करती हैं। पंजाब ने हमेशा से ओलंपिक में हॉकी में अच्छा प्रदर्शन किया है और भारत को 12 ओलंपिक हॉकी मेडल्स (जिसमें 8 गोल्ड शामिल हैं) दिलाए हैं। यही कारण है कि ओलंपिक हॉकी टीम में अधिकांश खिलाड़ी पंजाब से आते हैं।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में हरियाणा का दबदबा

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भी हरियाणा का दबदबा रहा। भारत ने कुल 29 पदक जीते, जिनमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक शामिल थे। हरियाणा के खिलाड़ियों ने इस बार कुल 8 मेडल जीते, जिनमें 5 स्वर्ण और 3 रजत शामिल हैं। खास बात यह है कि भारत को मिले 7 स्वर्ण में से 5 स्वर्ण हरियाणा के खाते में गए। यह पेरिस पैरालंपिक में हरियाणा के खेलों में योगदान को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

हरियाणा और पंजाब का खेलों में योगदान

पेरिस ओलंपिक्स 2024 में हरियाणा और पंजाब के एथलीटों ने फिर से अपनी मौजूदगी साबित की है। हरियाणा की पहलवानी, मुक्केबाजी, शूटिंग और हॉकी में प्रमुख भूमिका रही है। इस बार भी भारतीय कुश्ती टीम में सभी छह पहलवान हरियाणा से हैं, जबकि छह में से चार मुक्केबाज भी हरियाणा से हैं। शूटिंग में हरियाणा और पंजाब के पास छह-छह शूटर हैं। हॉकी में भारत की टीम में 19 खिलाड़ी हैं, जिनमें से 10 खिलाड़ी पंजाब से हैं।

पंजाब में हॉकी का दीवाना माहौल है, और यहां के ग्रामीण इलाकों में इस खेल को बहुत बढ़ावा मिलता है। जालंधर और अमृतसर जैसे जिले हर साल ओलंपिक खिलाड़ियों की बड़ी संख्या का योगदान देते हैं। इसके अलावा, 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स में भारत के लिए मुक्केबाजी में पहला मेडल जीतने वाले विजेंदर सिंह की सफलता ने भिवानी जिले में मुक्केबाजी का एक नया क्रांति शुरू किया, जहां अब कई बॉक्सिंग अकादमियां हैं।

हरियाणा बनाम पंजाब – खेलों में कौन बेहतर है?

भारत के दो सबसे खेल-केंद्रित राज्य, हरियाणा और पंजाब, ने देश को ओलंपिक जैसे प्रतिष्ठित मंच पर कई उपलब्धियाँ दी हैं। दोनों राज्यों की अपनी-अपनी ताकतें हैं और खेलों में योगदान भी महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर हम इनकी कुल खेल संस्कृति, ऐतिहासिक प्रदर्शन और विविधता पर ध्यान दें, तो यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा ने भारतीय खेलों को अधिक व्यापक और स्थायी योगदान दिया है।

हरियाणा में खेलों की एक मजबूत परंपरा है, खासकर कुश्ती, मुक्केबाजी और शूटिंग के क्षेत्र में। नीरज चोपड़ा जैसे गोल्ड मेडलिस्ट से लेकर साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे कुश्ती के सितारे, इस राज्य ने ओलंपिक में बड़ी सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा, हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में कड़ी मेहनत और समर्पण की मानसिकता को देखकर इसे “खेलों का गढ़” कहा जाता है। हरियाणा की पहलवानी, मुक्केबाजी और शूटिंग में नेतृत्व क्षमता ने इसे भारतीय ओलंपिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है।

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Qatar Gift Trump Airplane: कतर ने दिया ट्रंप को 3300 करोड़ का तोहफा! मुफ्त विमान पर म...

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Qatar Gift Trump Airplane: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर की शाही फैमिली की ओर से 400 मिलियन डॉलर (करीब 3300 करोड़ रुपये) की कीमत वाला बोइंग 747 विमान उपहार में देने का प्रस्ताव मिला है। ट्रंप का कहना है कि वह इस विमान को “एयर फोर्स वन” के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। हालांकि, इस प्रस्ताव ने अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है। विरोधी दलों से लेकर रिपब्लिकन तक इस गिफ्ट पर सवाल उठा रहे हैं, और यह मामला अब कानूनी, नैतिक और सुरक्षा के लिहाज से विवादों में घिरता जा रहा है।

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क्या कहते हैं अमेरिका के राष्ट्रपति और संविधान? (Qatar Gift Trump Airplane)

जब ट्रंप से इस प्रस्ताव के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने अपने अंदाज में जवाब दिया, “अगर कोई हमें मुफ्त विमान दे रहा है, तो क्या मैं मूर्ख बनूं और कहूं कि नहीं चाहिए?” ट्रंप का यह बयान उनके खास अंदाज को दर्शाता है, लेकिन यह बयान अमेरिकी संविधान की कुछ धारा के खिलाफ भी जा सकता है। अमेरिकी संविधान के ‘एमोल्युमेंट्स क्लॉज’ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो अमेरिकी सरकार के पद पर है, उसे किसी विदेशी राजा या राज्य से बिना कांग्रेस की अनुमति के तोहफा स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।

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ट्रंप का कहना है कि यदि विमान रक्षा विभाग को दिया जाए, तो यह नियम उनके ऊपर लागू नहीं होगा। हालांकि, यह तर्क अब कानूनी और नैतिक सवालों को जन्म दे रहा है, और ट्रंप के इस प्रस्ताव को लेकर बहस जारी है।

पूर्व राष्ट्रपति का दृष्टिकोण

ट्रंप का रवैया इस मामले में बिल्कुल अलग था। उदाहरण के लिए, 1839 में जब राष्ट्रपति मार्टिन वैन ब्यूरन को मोरक्को और ओमान के सुल्तानों से शेर, मोती और घोड़े मिले, तो उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कांग्रेस से मार्गदर्शन मांगा और वह उपहार चिड़ियाघर और संग्रहालय में भेजे गए। हालांकि, ट्रंप का नजरिया अलग है। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इतना मूर्ख नहीं कि मुफ्त में दी गई चीज को न स्वीकार करूं।”

सुरक्षा एजेंसियों का दृष्टिकोण

ट्रंप के इस प्रस्ताव को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों की भी चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रपति की सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ गैरेट ग्राफ का कहना है कि “किसी विदेशी द्वारा इस्तेमाल किया गया विमान राष्ट्रपति के उपयोग के लिए लेना बुद्धिमानी नहीं है, बल्कि यह खतरनाक हो सकता है।” उनका तर्क है कि यह विमान लंबे समय तक कतर सरकार के नियंत्रण में रहा है, और इससे साइबर सुरक्षा, जासूसी और ट्रैकिंग जैसी संभावनाएं बन सकती हैं। ऐसे में राष्ट्रपति की सुरक्षा को खतरे में डालना एक बड़ा जोखिम हो सकता है।

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ट्रंप का बढ़ता व्यापार मध्य पूर्व में

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब ट्रंप के परिवार का व्यापार मध्य पूर्व में तेजी से फैल रहा है। सऊदी अरब में ट्रंप टॉवर और कतर में गोल्फ कोर्स जैसे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इसके अलावा, यूएई ने ट्रंप की कंपनी द्वारा बनाई गई क्रिप्टो प्रणाली के जरिए 2 अरब डॉलर का सौदा किया है। यह सब यह सवाल उठाता है कि क्या ट्रंप का यह प्रस्ताव उनके परिवार के बढ़ते व्यापारिक संबंधों से प्रभावित हो सकता है।

विरोध में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स

इस प्रस्ताव पर विरोधी पक्षों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व रिपब्लिकन स्पीकर केविन मैकार्थी ने कहा, “अमेरिका खुद अपना विमान बना सकता है, हमें किसी से मुफ्त में लेने की जरूरत नहीं है।” वहीं, डेमोक्रेट सांसद डैन गोल्डमैन ने इसे ट्रंप की भ्रष्ट मानसिकता का उदाहरण बताते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह ट्रंप के लिए एक नया तरीका है, जिसमें राष्ट्रपति पद का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया जा रहा है।

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World Best Air Defense System: S-400 और आयरन डोम से भी आगे, जानिए दुनिया के सबसे ताकत...

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World Best Air Defense System: हाल ही में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिससे पाकिस्तान में बौखलाहट फैल गई। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन हमला शुरू कर दिया, लेकिन भारत ने इसके भी मुंहतोड़ जवाब दिया। दो दिनों तक चले इस तनाव के बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू किया गया, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों बाद इसका उल्लंघन कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की गई। इन दो दिनों के दौरान भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने अभेद्य सुरक्षा कवच का काम किया, जो पूरी तरह से पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने में सफल रहा।

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इस बीच, यह सवाल भी उठता है कि भारत के पास कौन से बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान के हमलों से बचने के लिए किया गया है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

डेविड्स स्लिंग एयर डिफेंस सिस्टम- World Best Air Defense System

डेविड्स स्लिंग एयर डिफेंस सिस्टम इजराइल द्वारा विकसित किया गया एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। यह प्रणाली इजराइल और अमेरिका के सहयोग से बनाई गई है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह मीडियम रेंज के रॉकेट, बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों को 300 किलोमीटर तक मार गिराने की क्षमता रखता है। इसकी स्टनर मिसाइल इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड सीकर का इस्तेमाल करती है, जो असली और नकली हथियारों के बीच अंतर कर सकती है। इस सिस्टम की रेंज 7.5 मैक है, जिससे यह हवा में किसी भी खतरे को पहचानकर उसे नष्ट कर सकता है। इजराइल ने इस प्रणाली को 2017 में तैनात किया था, और इसे अब तक कई देशों द्वारा अपनाया जा चुका है।

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इजराइली आयरन डोम

इजराइल के आयरन डोम का जिक्र किए बिना एयर डिफेंस पर चर्चा अधूरी रहती है। आयरन डोम एक बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे इजराइल ने 2011 में तैनात किया था। यह सिस्टम कम दूरी के रॉकेट और तोप के गोलों को 90 फीसदी तक रोकने की क्षमता रखता है। आयरन डोम में ELM-2084 राडार और तामिर मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह अत्यधिक सटीकता के साथ दुश्मन की मिसाइलों को हवा में नष्ट कर सकता है। इस सिस्टम की क्षमता इतनी प्रभावी है कि अमेरिका और रोमानिया जैसे देशों ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए खरीदा है।

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अमेरिकी डिफेंस सिस्टम – थाड (THAAD)

अमेरिका का टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) भी एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। यह सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों को लास्ट स्टेज तक रोकने में सक्षम है और इसमें हिट-टूट-किल टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है। THAAD को लॉकहीड मार्टिन द्वारा बनाया गया है और यह 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाली मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इसका रेंज 200 किलोमीटर है और इसमें लगा रडार सिस्टम 1000 किलोमीटर दूर से ही खतरे का पता लगाने की क्षमता रखता है। अमेरिका ने इस सिस्टम को साउथ कोरिया और UAE में तैनात किया है, और इसका परीक्षण भी 100 प्रतिशत सफल रहा है।

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम

भारत ने भी अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम अपनाए हैं। भारत के पास S-400 और आयरन डोम जैसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो किसी भी प्रकार के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम हैं। S-400 प्रणाली, जो रूस से खरीदी गई है, 400 किलोमीटर तक के इलाके में आने वाली मिसाइलों को नष्ट कर सकती है, जबकि आयरन डोम की मदद से भारत ने छोटे रॉकेटों और मिसाइलों को रोकने में सफलता प्राप्त की है।

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Teeth Breaking In Dream: सपने में दांत टूटना का गहरा है अर्थ, जानें यह सपना आपके जीवन...

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Teeth Breaking In Dream: हर व्यक्ति के जीवन में सपने आना एक सामान्य बात है। कुछ सपने हमें नींद के दौरान दिखाई देते हैं, जिनका हम बाद में ख्याल नहीं रखते, जबकि कुछ सपने इतने स्पष्ट और प्रभावशाली होते हैं कि वे हमें परेशान कर देते हैं। दांत टूटने का सपना भी ऐसे ही एक आम सपना है जिसे कई लोग अपनी नींद के दौरान देखते हैं। हालांकि, कुछ लोग इसे बस एक सपना समझकर भूल जाते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि सपने हमारे जीवन की घटनाओं से जुड़े होते हैं और इनमें कोई गहरा संदेश छिपा होता है। स्वप्न शास्त्र भी यही मानता है कि हर सपने का कोई न कोई विशेष अर्थ होता है। ऐसे में यदि आपको भी कभी दांत टूटने का सपना दिखे, तो यह जरूरी हो जाता है कि आप इसे समझें और इसके संकेतों पर ध्यान दें।

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सपने में दांत टूटने का अर्थ- Teeth Breaking In Dream

स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप किसी सपने में खुद का दांत टूटते हुए देखते हैं, तो यह आपके जीवन में किसी ऐसे तत्व का प्रतीक हो सकता है, जिससे आप असहज महसूस कर रहे हैं। यह असहजता किसी व्यक्ति, स्थिति या निर्णय से जुड़ी हो सकती है, जो आपके मन में तनाव या चिंता का कारण बन रही है।

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अगर सपने में कोई दूसरा व्यक्ति आपके दांत को खींचकर तोड़ने की कोशिश करता है, तो यह संकेत करता है कि आने वाले समय में आपके जीवन में बड़ा बदलाव हो सकता है। यह बदलाव चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक, लेकिन स्वप्न शास्त्र के अनुसार, आपको इस बदलाव के प्रति सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। इस प्रकार के सपने में बदलाव के संकेत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

दांतों के चटकने या टूटने का अन्य अर्थ

स्वप्न शास्त्र के अनुसार, यदि आप सपने में अपने दांत को चटकते हुए देखते हैं, तो यह सपना यह संकेत देता है कि आप किसी विशेष बात या स्थिति को लेकर मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। इस दबाव से उबरने के लिए आपको मानसिक शांति और संतुलन की आवश्यकता है। यह सपना आपके भीतर छिपे तनाव और चिंता को उजागर करता है, जिसे हल करने की जरूरत है।

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दांत टूटने का सपना यह भी संकेत दे सकता है कि जीवन में नए अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक देने वाले हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार, इन नए अवसरों के साथ धन लाभ की संभावना भी जुड़ी हो सकती है। ऐसे सपने का अर्थ हो सकता है कि आप जिन नए अवसरों की तलाश में थे, वे अब आपके सामने आने वाले हैं, और ये अवसर आपके लिए समृद्धि और प्रगति का कारण बन सकते हैं।

नए अवसरों की ओर इशारा

दांत टूटने का सपना यह भी दर्शाता है कि समय आ सकता है जब आप जीवन में बदलाव की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। यह बदलाव आपको अपनी वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने और नई दिशा की ओर अग्रसर होने का अवसर प्रदान करेगा। स्वप्न शास्त्र में इसे एक प्रकार का “नया अवसर” माना जाता है, जिससे आपका जीवन बेहतर हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है। इसमें शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता और संपूर्णता के लिए नेड्रिक न्यूज़ उत्तरदायी नहीं है।

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Padma Shri awardee scientist dead: पद्मश्री से सम्मानित वैज्ञानिक डॉ. सुब्बन्ना अय्यप...

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Padma Shri awardee scientist dead: देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक रहे थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार, 10 मई को कर्नाटका के श्रीरंगपट्टण स्थित कावेरी नदी के पास साईं आश्रम में उनका शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया। पुलिस को सूचना मिलने के बाद शव को कब्जे में लिया गया और उसकी पहचान की गई। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, हालांकि उनकी मौत के कारणों की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।

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डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन का लापता होना और शव की पहचान- Padma Shri awardee scientist dead

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन 7 मई से लापता थे। उनके लापता होने की खबर सामने आने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। उनका स्कूटर भी कावेरी नदी के किनारे पाया गया, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि वह नदी के पास कहीं न कहीं हो सकते हैं। उनके शव की पहचान होने के बाद, पुलिस ने इसे संदिग्ध परिस्थितियों में पाया और इसकी गहरी छानबीन की जा रही है।

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डॉ. अय्यप्पन अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ मैसूर में रहते थे। उनके असामयिक निधन ने न केवल उनके परिवार, बल्कि वैज्ञानिक समुदाय को भी गहरा झटका दिया है। उनकी उपलब्धियों और योगदानों को याद करते हुए, उनके परिवार और समर्थकों ने शोक व्यक्त किया है।

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन के योगदान और जीवन यात्रा

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन को नीली क्रांतिके लिए 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था। उनका कार्य विशेष रूप से मछली पालन की तकनीकों को उन्नत बनाने में केंद्रित था, जिसने भारत में मछली पालन के पारंपरिक तरीकों को बदल दिया और ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को मजबूती प्रदान की। उनके द्वारा विकसित की गई तकनीकों ने न केवल तटीय क्षेत्र, बल्कि आंतरिक जल क्षेत्रों में भी उत्पादन को बढ़ावा दिया। यह तकनीक न केवल ग्रामीण जीवन में खुशहाली लाने में सफल रही, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी सुदृढ़ किया।

डॉ. अय्यप्पन का जन्म 10 दिसंबर 1955 को कर्नाटका के चामराजनगर जिले के येलांडूर में हुआ था। उन्होंने 1975 में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद 1977 में मास्टर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री मंगलूरु से प्राप्त की। 1988 में बेंगलुरु के कृषि विश्वविद्यालय से उन्होंने पीएचडी की। उनका वैज्ञानिक करियर बहुत ही प्रभावशाली रहा, जिसमें उन्होंने मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE) और भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) में निदेशक के रूप में काम किया।

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सार्वजनिक सेवा में योगदान

डॉ. अय्यप्पन ने कई महत्वपूर्ण संस्थाओं में कार्य किया। वह हैदराबाद में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) के संस्थापक मुख्य कार्यकारी रहे और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा, वे राष्ट्रीय परीक्षण और कैलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के मान्यता बोर्ड (NABL) के अध्यक्ष और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इम्फाल के कुलपति भी रहे। उनके कार्यों ने न केवल मछली पालन, बल्कि कृषि और जलवायु के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए।

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First Drone War: पहली ड्रोन वॉर! कैसे बदल गए युद्ध के मायने और बन गए ड्रोन सबसे ताकतव...

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First Drone War: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में एक नया और खतरनाक मोड़ देखने को मिला, जो न केवल कूटनीतिक रिश्तों को चुनौती दे रहा है, बल्कि भविष्य के युद्धों की रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, और इन दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद, एक नई युद्ध तकनीक – ड्रोन हमलों – ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह घटना अब तक के युद्ध इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि यह दक्षिण एशिया में पहली बार देखा गया जब इन दोनों देशों ने ड्रोन का उपयोग एक-दूसरे के खिलाफ किया।

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भारत का पहला ड्रोन हमला और पाकिस्तान का जवाब- First Drone War

8 मई 2025 को भारत ने पाकिस्तान के लाहौर में स्थित एक एयर डिफेंस सिस्टम पर ड्रोन से हमला किया। इस हमले ने पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचाया। भारत के इस कड़े जवाब के बाद पाकिस्तान ने भी भारतीय इलाकों पर ड्रोन से हमला किया, हालांकि, भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। यह घटना यह सिद्ध करती है कि ड्रोन अब आधुनिक युद्ध का अहम हिस्सा बन चुके हैं, और दोनों देशों के लिए ये हमले नई रणनीतियों को जन्म दे सकते हैं।

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ड्रोन युद्ध का इतिहास: मानव रहित हवाई हमलों की शुरुआत

ड्रोन युद्ध की शुरुआत आज की आधुनिक तकनीक से बहुत पहले हो चुकी थी। पहला उदाहरण 1849 में देखने को मिला, जब ऑस्ट्रिया ने वेनिस पर बैलून बम गिराए थे, जिन्हें मानव रहित हवाई हमला माना जाता है। इसके बाद 20वीं सदी में इस तकनीक को और विकसित किया गया। 1935 में ब्रिटेन ने ‘क्वीन बी’ नामक रेडियो कंट्रोल से चलने वाला पहला ड्रोन बनाया। इसके बाद, कोल्ड वॉर के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया। अमेरिका ने छोटे रिमोट कंट्रोल ड्रोन का उपयोग दुश्मन के इलाकों में निगरानी रखने के लिए किया। वियतनाम युद्ध में भी इनका इस्तेमाल किया गया, जो ड्रोन युद्ध के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था।

ड्रोन युद्ध में अमेरिका का प्रमुख योगदान

2000 के आसपास, अमेरिका ने प्रीडेटर ड्रोन को युद्ध में उतारा, जो हेलफायर मिसाइल से लैस था और सटीक हमला करने में सक्षम था। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियानों में ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। ड्रोन युद्ध ने जंग की परिभाषा ही बदल दी है। अब यह संभव हो गया है कि बिना सैनिकों की जान को जोखिम में डाले, दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और विनाशकारी हमले किए जा सकें। इसने युद्ध के मैदान को जमीन से आसमान में स्थानांतरित कर दिया है।

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भारत-पाक संघर्ष और भविष्य का युद्ध

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए ड्रोन हमलों ने यह साबित कर दिया कि भविष्य का युद्ध अब जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान से लड़ा जाएगा। ड्रोन सस्ते, सटीक और प्रभावी हैं, और ये किसी भी युद्ध में अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारत-पाक संघर्ष ने यह भी दिखाया कि दोनों देशों के लिए ड्रोन युद्ध एक नई चुनौती बन चुका है, जो भविष्य में बढ़ सकता है।

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CCS University Controversy: मेरठ विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष पर हमला, सुरक्षा...

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CCS University Controversy: सोमवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब मेरठ कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष शुभम मलिक पर दिनदहाड़े हमला किया गया। यह हमला यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुआ, जब शुभम मलिक गंभीर रूप से घायल हो गए। हमलावरों ने लोहे की रॉड से उनके सिर पर वार किया, जिससे उनकी स्थिति गंभीर हो गई। इस घटना के समय विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मी भी मौजूद थे, लेकिन वे हमलावरों को रोकने में नाकाम रहे।

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हमले के बाद शुभम मलिक की गंभीर हालत और आरोप- CCS University Controversy

हमले के बाद शुभम मलिक को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं, और यह हमले की गंभीरता को दर्शाता है। हमले के बाद शुभम मलिक के समर्थकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर सुरक्षा कर्मी समय रहते हस्तक्षेप करते तो यह घटना टाली जा सकती थी। छात्र नेताओं ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नाकाफी है, जिससे इस प्रकार की घटनाएँ घटित हो रही हैं।

हमलावरों की पहचान और पुलिस की कार्रवाई

घटना के बाद, पुलिस ने हमले में शामिल आरोपियों की पहचान कर ली है। पुलिस के अनुसार, हमलावरों में सिद्धार्थ कसाना, सुच्चा, आदित्य यादव और अन्य अज्ञात लोग शामिल हैं। यह सभी लोग पहले से ही शुभम मलिक के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, और हाल ही में छात्र राजनीति के मुद्दे पर उनका आमना-सामना भी हो चुका था। पुलिस ने इस मामले में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है, और सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो के आधार पर अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है।

विश्वविद्यालय परिसर में तनाव और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

हमले के बाद विश्वविद्यालय परिसर में तनाव का माहौल बना हुआ है। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। कई छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों को समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए थी। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। वहीं, विश्वविद्यालय में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि कोई और अप्रिय घटना न घटे।

पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई

एसपी सिटी आयुष बिक्रम सिंह ने इस घटना पर जानकारी दी और बताया कि पीड़ित छात्र शुभम मलिक द्वारा दी गई तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की टीम सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो के माध्यम से अन्य आरोपियों की पहचान कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि मारपीट के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस कर्मी नहीं थे, केवल सुरक्षा गार्ड मौजूद थे। पुलिस को सूचना मिलने के बाद वे घटनास्थल पर पहुंचे थे।

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