Home Blog Page 31

LG Electronics IPO: एलजी इंडिया के 11,607 करोड़ रुपये के आईपीओ पर उठे सवाल, टैक्स विव...

0

LG Electronics IPO: दक्षिण कोरिया की दिग्गज कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय इकाई LG Electronics India Pvt. Ltd. का ₹11,607 करोड़ का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) निवेशकों के बीच चर्चा में है। लेकिन अब इस IPO को लेकर इनगॉवर्न रिसर्च सर्विसेज ने कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे बाजार में हलचल बढ़ गई है।

और पढ़ें: Realme 15 Pro: ऐसा फोन जो पल-पल में बदल देगा अपना रंग, देखें यह कमाल का बैक पैनल!

OFS है ये आईपीओ, सारा पैसा जाएगा कोरिया- LG Electronics IPO

दरअसल, एलजी इंडिया का यह IPO पूरी तरह Offer-for-Sale (OFS) है। यानी कंपनी इससे कोई नया फंड नहीं जुटा रही। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. (कोरियाई प्रमोटर) अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है और इससे आने वाली पूरी राशि सीधे दक्षिण कोरिया जाएगी। इस वजह से भारत में कंपनी की ग्रोथ या विस्तार के लिए कोई नया निवेश नहीं होगा।

₹4,717 करोड़ की टैक्स देनदारियां, नेटवर्थ का 73%

इनगॉवर्न की रिपोर्ट के मुताबिक एलजी इंडिया पर ₹4,717 करोड़ की संभावित टैक्स देनदारियां (Contingent Liabilities) हैं, जो कंपनी की कुल नेटवर्थ का लगभग 73% है। ये देनदारियां मुख्य रूप से इनकम टैक्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स से जुड़े पुराने विवादों से संबंधित हैं।

कंपनी ने इन मामलों के लिए कोई रकम रिज़र्व में नहीं रखी है। एलजी इंडिया का तर्क है कि चूंकि ये केस अभी कानूनी प्रक्रिया में हैं, इसलिए भुगतान की जरूरत नहीं समझी गई है।

रॉयल्टी पेमेंट्स पर भी सवाल, ट्रांसफर प्राइसिंग की जांच की आशंका

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कंपनी द्वारा कोरियाई प्रमोटर को रॉयल्टी और तकनीकी सेवा शुल्क के रूप में किए जा रहे भुगतान ट्रांसफर प्राइसिंग नियमों के दायरे में आ सकते हैं। अभी भी सिर्फ रॉयल्टी से जुड़ी ₹315 करोड़ की आकस्मिक देनदारी दिखायी गई है, जो भविष्य में और बढ़ सकती है।

रॉयल्टी का भुगतान पिछले तीन वर्षों में कंपनी के रेवेन्यू का 1.63% से 1.90% तक रहा है, और कंपनी के पास अधिकार है कि वह इसे वार्षिक टर्नओवर का 5% तक बढ़ा सकती है वो भी शेयरधारकों की मंजूरी के बिना।

ब्रांड लाइसेंस रद्द होने का भी खतरा

इनगॉवर्न ने एक और बड़ा जोखिम बताया है अगर एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. चाहे, तो वो सिर्फ 6 महीने के नोटिस पर ब्रांड लाइसेंस को खत्म या संशोधित कर सकता है। यानी एलजी इंडिया को भारत में LG ब्रांड के नाम से प्रोडक्ट बनाने और बेचने का हक खत्म हो सकता है। इससे कंपनी के पूरे ऑपरेशन पर असर पड़ सकता है।

IPO के बाद भी 85% कंट्रोल प्रमोटर के पास रहेगा

IPO के बाद भी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. की एलजी इंडिया में 85% हिस्सेदारी बनी रहेगी। इसका मतलब यह है कि बोर्ड के फैसलों और पार्टनरशिप डील्स पर कोरियाई प्रमोटर का प्रभाव बरकरार रहेगा। इनगॉवर्न के अनुसार, इससे अल्पसंख्यक निवेशकों के अधिकार सीमित हो सकते हैं और उनका मुनाफा प्रभावित हो सकता है।

आज 9 अक्टूबर को बंद हो रहा है आईपीओ

ये आईपीओ आज यानी 9 अक्टूबर शाम 5 बजे बंद हो रहा है। ऐसे में निवेशकों के पास बहुत कम वक्त बचा है फैसला करने का कि वो इस IPO में पैसा लगाएं या नहीं। इनगॉवर्न की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि निवेशकों को सिर्फ ब्रांड देखकर नहीं, बल्कि कंपनी के अंदरूनी हालात को देखकर निवेश करना चाहिए।

और पढ़ें: Viral News: आईफोन के लिए किडनी बेची, अब डायलिसिस पर जिंदगानी… चीन के एक युवक की दर्दनाक कहानी

Akshay Kumar Father: अक्षय ने पिता को कभी बताया फौजी, कभी अकाउंटेंट… नेटिज़न्स ...

Akshay Kumar Father: बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी कोई नई फिल्म नहीं, बल्कि एक पुराना वीडियो है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में अक्षय अपने पिता के प्रोफेशन को लेकर अलग-अलग बयान देते दिख रहे हैं, जिसे लेकर यूज़र्स ने जमकर मज़ाक उड़ाया है। लेकिन इस पूरे मामले की सच्चाई कुछ और ही है। आईए आपको इस बारे में बताते हैं विस्तार से:

और पढ़ें: Kantara Chapter 1 Collection: 1000 करोड़ क्लब की ओर ‘कांतारा चैप्टर 1’, सिर्फ 7 दिन में बना डाले 450 करोड़ 

वीडियो में अक्षय ने पिता को बताया आर्मी ऑफिसर, रेसलर और अकाउंटेंट

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में अक्षय कुमार के अलग-अलग इंटरव्यू की क्लिप्स को जोड़कर दिखाया गया है। एक जगह वो कहते हैं कि उनके पिता आर्मी ऑफिसर थे, तो किसी और क्लिप में उन्हें रेसलर बताते हैं। वहीं एक और इंटरव्यू में वो ये भी कहते नजर आते हैं कि उनके पिता अकाउंटेंट थे।

इन अलग-अलग बयानों को लेकर नेटिज़न्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। किसी ने लिखा, “इनके फादर अकाउंटेंट थे आर्मी में, जब कोई हिसाब नहीं मिलता था तो रेसलिंग कर देते थे।” वहीं एक यूज़र ने कमेंट किया, “रेसलिंग कोटे से आर्मी में गए और फिर अकाउंटेंसी पकड़ ली।”

 यूज़र्स ने बनाए मीम्स, पूजा चाचा और दुग्गल साहब से की तुलना- Akshay Kumar Father

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया मीम्स और मज़ाक भरे कमेंट्स से भर गया। एक यूज़र ने तो अक्षय के पिता की तुलना ‘पूजा चाचा’ से कर डाली, जो हर बार नई कहानी सुनाते हैं। एक अन्य ने कहा, “इनके पिता दुग्गल साहब थे, हर दिन नई पोस्टिंग पर चले जाते थे।”

हालांकि, इन सभी मज़ाकों के बीच बहुत से फैंस ने अक्षय का पक्ष भी लिया और कहा कि उनके पिता की ज़िंदगी के अलग-अलग फेज़ हो सकते हैं, जिन्हें अक्षय ने समय-समय पर साझा किया है।

क्या है सच्चाई? आर्मी से लेकर अकाउंटेंट तक का सफर

असलियत की बात करें तो अक्षय कुमार के पिता हरिओम भाटिया भारतीय सेना में आर्मी अफसर थे। उन्हें रेसलिंग का शौक था, और उन्होंने सेना से रिटायरमेंट के बाद यूनिसेफ (UNICEF) में अकाउंटेंट की नौकरी की थी।

अक्षय कई बार कह चुके हैं कि वो खुद भी आर्मी में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक्टिंग की ओर मोड़ दिया। आज अक्षय बॉलीवुड के सबसे अनुशासित और फिट अभिनेताओं में से एक हैं, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता से ही मिली है।

मज़ाक के पीछे छुपा है एक पिता का बहुआयामी सफर

सोशल मीडिया पर भले ही लोग मजाक बना रहे हों, लेकिन वीडियो में अक्षय ने जो कहा, वो उनके पिता की ज़िंदगी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। हरिओम भाटिया एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने देश की सेवा की, खेल में रुचि रखी और बाद में सामाजिक संस्थानों के लिए काम भी किया।

 अक्षय की फैमिली बैकग्राउंड भी रहा है सुर्खियों में

अक्षय कुमार की बात करें तो, उनका जन्म 9 सितंबर 1967 को अमृतसर में हुआ था। बाद में उनका परिवार दिल्ली और फिर मुंबई शिफ्ट हो गया। उनकी मां अरुणा भाटिया का 2021 में निधन हो गया, जबकि उनके पिता की मृत्यु साल 2000 में कैंसर से हुई थी।

उनकी पत्नी ट्विंकल खन्ना अब लेखिका और प्रोड्यूसर हैं। वहीं ससुर राजेश खन्ना बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार रह चुके हैं और सास डिंपल कपाड़िया भी हिंदी सिनेमा की जानी-मानी एक्ट्रेस हैं।

और पढ़ें: Rajvir Jawanda Death: बाइक हादसे के 11 दिन बाद जिंदगी से हारा पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा, फैंस में शोक

Kantara Chapter 1 Collection: 1000 करोड़ क्लब की ओर ‘कांतारा चैप्टर 1’, स...

Kantara Chapter 1 Collection: ऋषभ शेट्टी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कांतारा चैप्टर 1’ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है। पहले हफ्ते में ही यह फिल्म न सिर्फ अपने बजट से दोगुनी से ज्यादा कमाई कर चुकी है, बल्कि साउथ की ऐसी पहली फिल्म बन गई है, जिसने 2025 में हिंदी वर्जन से 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है। ‘कांतारा’ के प्रीक्वल के रूप में आई यह फिल्म दर्शकों को उस दौर में ले जाती है जहां रहस्य, लोककथाएं और आस्था का अनोखा मेल देखने को मिलता है।

और पढ़ें: Rajvir Jawanda Death: बाइक हादसे के 11 दिन बाद जिंदगी से हारा पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा, फैंस में शोक 

पहले हफ्ते में ही 316 करोड़ की कमाई- Kantara Chapter 1 Collection

खबरों के मुताबिक, 125 करोड़ रुपये के बजट में बनी ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने 7 दिनों में भारतीय बॉक्स ऑफिस पर 316 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है। फिल्म ने पहले ही दिन से जबरदस्त ओपनिंग ली थी और हर दिन अच्छी पकड़ बनाए रखी।

बॉक्स ऑफिस कलेक्शन (भारत में):

  • पहला दिन (गुरुवार) – ₹61.85 करोड़
  • दूसरा दिन (शुक्रवार) – ₹45.40 करोड़
  • तीसरा दिन (शनिवार) – ₹55.00 करोड़
  • चौथा दिन (रविवार) – ₹63.00 करोड़
  • पांचवां दिन (सोमवार) – ₹31.50 करोड़
  • छठा दिन (मंगलवार) – ₹34.25 करोड़
  • सातवां दिन (बुधवार) – ₹25.00 करोड़

हालांकि बुधवार को कमाई में करीब -27% की गिरावट देखी गई, लेकिन फिर भी यह फिल्म मजबूत बनी हुई है। फिलहाल सिनेमाघरों में इसका कोई मुकाबला नहीं है और इस शुक्रवार कोई बड़ी रिलीज भी नहीं है। यानी फिल्म के पास कमाई के लिए फ्री मैदान है।

सभी भाषाओं में धमाल

फिल्म पांच भाषाओं – कन्नड़, हिंदी, तेलुगू, तमिल और मलयालम में रिलीज हुई है। सातवें दिन के कलेक्शन पर नजर डालें तो:

  • कन्नड़ – ₹9 करोड़
  • हिंदी – ₹8.5 करोड़
  • तेलुगू – ₹3.5 करोड़
  • तमिल – ₹2.15 करोड़
  • मलयालम – ₹1.85 करोड़

हिंदी में 100 करोड़ पार करने वाली पहली साउथ फिल्म बनी 2025 में

‘कांतारा चैप्टर 1’ ने हिंदी मार्केट में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। सात दिनों में इसने अकेले हिंदी में 102 करोड़ रुपये की कमाई की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस साल अभी तक कोई दूसरी साउथ फिल्म हिंदी में इतना बिजनेस नहीं कर सकी है।

सात दिनों में कुल कमाई (वर्जन वाइज):

  • हिंदी – ₹102.00 करोड़
  • कन्नड़ – ₹98.85 करोड़
  • तेलुगू – ₹60.90 करोड़
  • तमिल – ₹29.40 करोड़
  • मलयालम – ₹24.85 करोड़

वर्ल्डवाइड कलेक्शन ने पार किए 450 करोड़

देश में ही नहीं, विदेशों में भी इस फिल्म का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। अब तक ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने सात दिनों में वर्ल्डवाइड ₹450 करोड़ का ग्रॉस कलेक्शन कर लिया है।

  • भारत में ग्रॉस – ₹377.50 करोड़
  • ओवरसीज ग्रॉस – ₹72.50 करोड़

यह फिल्म इस साल की आखिरी उम्मीद मानी जा रही है, जो 1000 करोड़ क्लब में पहुंच सकती है। जिस रफ्तार से ये कमाई कर रही है, वह लक्ष्य अब दूर नहीं लग रहा।

क्या KGF 2 को पीछे छोड़ पाएगी ‘कांतारा चैप्टर 1’?

आपको बता दें, ‘KGF Chapter 2’ कन्नड़ सिनेमा की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर रही है, जिसने वर्ल्डवाइड 1215 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्शन किया था। सातवें दिन तक ‘KGF 2’ ने भारत में 497.60 करोड़ और वर्ल्डवाइड 702.20 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था।

इस मुकाबले में ‘कांतारा चैप्टर 1’ अभी पीछे है, लेकिन कन्नड़ वर्जन में यह KGF 2 का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। KGF 2 ने कन्नड़ में लाइफटाइम 154.69 करोड़ रुपये की कमाई की थी, जिसे ‘कांतारा’ जल्द पार कर सकती है। हालांकि हिंदी में KGF 2 के 435 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को तोड़ना काफी मुश्किल होगा।

कहानी, जो दर्शकों को खींच ला रही है सिनेमाघरों तक

‘कांतारा चैप्टर 1’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव है। यह 2022 की सुपरहिट ‘कांतारा’ का प्रीक्वल है। फिल्म की कहानी कदंब वंश और दैव कोला अनुष्ठान की जड़ों में जाती है। यह उन रहस्यमयी घटनाओं को दिखाती है जो 1970 के दशक में जंगल के बीचों-बीच घटती हैं, जहां कादुबेट्टू शिवा के पिता अचानक गायब हो जाते हैं।

ऋषभ शेट्टी ने न सिर्फ फिल्म को लिखा और निर्देशित किया है, बल्कि मुख्य भूमिका में भी दमदार प्रदर्शन किया है। उनके साथ फिल्म में गुलशन देवैया, रुक्मिणी वसंत और जयराम जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में हैं।

और पढ़ें: जब एक डायरेक्टर ने 50 से ज्यादा एक्टर्स को एक स्क्रीन पर उतार दिया, जानें कहानी JP Dutta की

China Buying Gold: दुनिया भर में क्यों बढ़ रही है सोने की दीवानगी? चीन और भारत समेत क...

0

China Buying Gold: सोने की चमक इन दिनों कुछ ज्यादा ही तेज़ है। वो सिर्फ ज्वेलरी की दुकानों या शादी-ब्याह के सीज़न तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अब यह देशों की आर्थिक रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। एक वक्त था जब सोना सिर्फ आम लोगों के लिए ‘सुरक्षित निवेश’ माना जाता था, लेकिन अब देश भी इसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा बना रहे हैं। खासतौर पर चीन की हालिया गतिविधियों ने दुनियाभर के आर्थिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है।

और पढ़ें: China-Taiwan Conflict: AIS सिग्नल से खेल… ताइवान की सीमाओं में चीन की ‘नकली घुसपैठ’ की चाल का पर्दाफाश 

सोना अब सिर्फ गहना नहीं, आर्थिक कवच बन चुका है- China Buying Gold

2023-24 तक जो सोना 70,000 रुपये प्रति तोला के करीब था, वही 2025 में 1.25 लाख रुपये प्रति तोला से भी ऊपर पहुंच गया। डॉलर में बात करें तो एक औंस सोना करीब 3,900 डॉलर तक पहुंच गया है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि ये तेजी सिर्फ आम लोगों की खरीदारी से नहीं आई है, बल्कि इसकी सबसे बड़ी वजह हैं दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की तगड़ी खरीदारी।

चीन की जबरदस्त गोल्ड स्ट्रैटेजी

चीन इस रेस में सबसे आगे है। उसका सेंट्रल बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना लगातार 11 महीने से बिना रुके सोना खरीद रहा है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच चीन ने करीब 39.2 टन सोना खरीदा है। अब तक चीन के पास कुल 2,298.5 टन गोल्ड का भंडार जमा हो चुका है।

मई-जून जैसे कुछ महीनों में चीन ने औसतन 2 से 5 टन सोना हर महीने खरीदा, हालांकि सितंबर में यह गिरकर सिर्फ 0.4 टन रहा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि चीन की रणनीति धीमी हुई है।

क्यों कर रहा है चीन इतना गोल्ड स्टॉक?

डॉलर पर निर्भरता घटाना

चीन अच्छी तरह समझता है कि अमेरिकी डॉलर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर राज करता है। ऐसे में अगर चीन को अपनी मुद्रा को मजबूत बनाना है, तो उसे डॉलर से दूरी बनानी होगी। और इसमें सोना एक मजबूत विकल्प है क्योंकि यह किसी भी देश की करेंसी पर निर्भर नहीं करता।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने सिखाया सबक

जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो अमेरिका और यूरोप ने रूस की विदेशी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया। इससे चीन और कई अन्य देशों को ये समझ में आया कि अगर उनका पैसा अमेरिकी या यूरोपीय सिस्टम में पड़ा है, तो वो कभी भी खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में सोना एक ऐसा निवेश है, जिसे कोई जब्त नहीं कर सकता।

महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता

दुनियाभर में बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता के दौर में सोना एक ऐसी चीज़ है जो अपनी कीमत बनाए रखता है। यही वजह है कि चीन इसे आर्थिक ‘सेफ्टी नेट’ की तरह इस्तेमाल कर रहा है।

मुद्रा को मजबूत बनाने की कोशिश

चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा युआन भी डॉलर की तरह ग्लोबल पावर बने। इसके लिए वह बड़े स्तर पर सोना जमा कर रहा है ताकि उसकी करेंसी को बैक करने वाला ठोस भंडार तैयार हो सके।

भारत भी पीछे नहीं, RBI का गोल्ड कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर

भारत ने भी पिछले कुछ सालों में अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाने में जबरदस्त काम किया है। 8 अक्टूबर 2025 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास 880 टन सोना जमा हो चुका है। 2015 में जहां भारत के पास सिर्फ 557.7 टन सोना था, वहीं अब इसमें 58% की बढ़ोतरी हो चुकी है।

भारत के कुल गोल्ड रिजर्व में से लगभग 512 टन सोना नागपुर और मुंबई की तिजोरियों में रखा गया है, जबकि बाकी का हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स जैसे विदेशी बैंकों में सुरक्षित रखा गया है। कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी अब 11.7% पहुंच चुकी है।

गोल्ड की इस होड़ में और कौन-कौन?

केवल चीन और भारत ही नहीं, रूस, तुर्की, कज़ाख़स्तान जैसे कई अन्य देश भी सोने की जमाखोरी में लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 से हर साल दुनियाभर के सेंट्रल बैंक 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीद रहे हैं। वजह वही – डॉलर से दूरी बनाना, वैश्विक तनाव से खुद को बचाना और आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करना।

और पढ़ें: India Slams Pakistan:अपने ही लोगों पर गिराए बम और 4 लाख महिलाओं का बलात्कार…भूल गए? UN में भारत ने पाक को लताड़ा

खांसी क्यों होती है? इसके कारण जान लें, बेवजह नहीं लेना पड़ेगा कफ सिरप

Reason of Cough: अक्सर आप ने देखा होगा जैसे मौसम बदलता है वैसे ही लोगो को खांसी कि बिमारी शुरू हो जाती है. कभी-कभी तो ये खांसी इतने लंबे समय तक रह जाती है कि डॉक्टर से जाकर दवाई लेनी पड़ती है. लेकिन क्या आप जानते है हर खांसी में दवाई लेना ज़रूरी नहीं होता है. पहले उस खांसी की असली वजह जानना ज़रूरी है. तो चलिए आपको इस लेख में खांसी की असली वजह के बारे में बताते हैं आखिर ये बार-बार क्यों होती हैं.

क्यों होती है खांसी बार-बार?

खांसी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसे समझना बहुत ज़रूरी है ताकि आप हर बार कफ सिरप की तरफ न भागें। दरअसल, खांसी शरीर की एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली है। यह गले और फेफड़ों से धूल, बलगम या किसी भी बाहरी चीज़ को बाहर निकालने का एक तरीका है।

वायरल इन्फेक्शन – यह खांसी का सबसे आम कारण है। सामान्य सर्दी, फ्लू या अन्य वायरल इन्फेक्शनो के कारण घरघराहट या सूखी खांसी हो सकती है। इससे कफ या बलगम बनता है वही काली खांसी या काली खांसी जैसे जीवाणु संक्रमण भी इसका कारण बन सकते हैं।

एलर्जी और धूल के कणों से भी सूखी या खुजली वाली खांसी हो सकती है। इसके धुआँ, वायु प्रदूषण या तेज़ धूल भी गले में जलन पैदा कर सकती है और खांसी का कारण बन सकती है।

कफ सिरप से क्यों बचना चाहिए?

खांसी के ज्यादातर मामले वायरल होते हैं और कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। वही हर छोटी खांसी के लिए कफ सिरप लेना आवश्यक नहीं है, खासकर तब जब खांसी शरीर को बलगम या जलन पैदा करने वाली चीज़ों को बाहर निकालने में मदद कर रही हो।

दूसरी और कुछ कफ सिरप में ऐसे रसायन या तत्व होते हैं जो बच्चों और यहाँ तक कि वयस्कों में भी नींद आना, जी मिचलाना, या गंभीर साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकते हैं।

ध्यान देने वाली बात अगर खांसी 8 सप्ताह से अधिक बनी रहे (क्रोनिक खांसी), या इसके साथ तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत, छाती में दर्द या खांसी में खून आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेकिन हल्की-फुल्की खांसी के लिए आप गर्म पानी से गरारे, शहद, गर्म कहड़ा या भाप (Steam) लेने जैसे घरेलू उपाय अपना सकते हैं।

 

खांसी के प्रकार 

  • सूखी खांसी (Dry Cough)- इसमें बलगम या कफ नहीं निकलता है, आमतौर पर गले में जलन या गुदगुदी महसूस होती है।
  • गीली/बलगम वाली खांसी (Wet/Productive Cough) – इसमें बलगम या कफ निकलता है, यह फेफड़ों को साफ करने में मदद करती है।
  • काली खांसी (Whooping Cough / Pertussis) – इसमें खांसने के बाद साँस लेने पर एक विशिष्ट “हूप” (तेज सीटी जैसी) आवाज़ आती है।
  • क्रूप खांसी (Croup Cough) – यह आमतौर पर बच्चों में होती है और इसमें खाँसी की आवाज़ भौंकने (Barking) जैसी होती है।

Bihar Chunav 2025: तेजस्वी का नया दांव… बिहार चुनाव में तीन उपमुख्यमंत्री, महाग...

Bihar Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासत गरमा गई है, और अब महागठबंधन ने एक ऐसा दांव चला है, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। इस बार RJD और कांग्रेस समेत पूरे विपक्षी गठबंधन ने सत्ता में आने पर तीन उपमुख्यमंत्री बनाने की रणनीति सामने रखी है। खास बात ये है कि ये तीनों उपमुख्यमंत्री अलग-अलग सामाजिक वर्गों दलित, मुस्लिम और अति पिछड़ा (EBC) से होंगे।

और पढ़ें: Bihar Politics: शब्द जो बनाते और बिगाड़ते हैं राजनीति…बिहार की ‘जंगलराज’ कहानी

RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा ने इस योजना की पुष्टि करते हुए बताया कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन सामाजिक न्याय को एक नया रूप देना चाहता है। तेजस्वी खुद एक पिछड़े वर्ग से आते हैं और इस बार NDA के नीतीश कुमार से सीधा मुकाबला करेंगे। NDA की ओर से भी पहले से ही दो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (ओबीसी) और विजय सिन्हा (भूमिहार) पद पर काबिज हैं।

सीटों का फॉर्मूला और साझेदारों की भूमिका- Bihar Chunav 2025

महागठबंधन के संभावित सीट बंटवारे की बात करें तो RJD को करीब 125 सीटें दी जा सकती हैं, जो कि 2020 में मिली 144 सीटों से कुछ कम है। कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वाम दलों को 25 के आसपास सीटें मिलने की उम्मीद है। बाकी बची सीटें VIP, LJP (पारस गुट) और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे सहयोगियों के हिस्से जाएंगी।

वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता देव ज्योति ने दावा किया है कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है, तो मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्रियों में से एक होंगे। उन्होंने इसे तेजस्वी यादव की “सोच से आगे की राजनीति” बताया।

सामाजिक समीकरण साधने की रणनीति

तेजस्वी यादव के इस कदम को ‘यादव-मुखी राजनीति’ की छवि से बाहर निकलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। विश्लेषक इसे उनकी रणनीतिक परिपक्वता बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक धीरेन्द्र कुमार का मानना है कि यह न केवल दलित, अल्पसंख्यक और EBC वर्ग को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास है, बल्कि वंशवाद के आरोपों को भी हल्का करता है। इससे तेजस्वी यादव खुद को सिर्फ ‘यादव वोट बैंक’ तक सीमित नहीं रखना चाहते।

कांग्रेस की तरफ से भी इस रणनीति को राहुल गांधी की समावेशी सोच के तहत देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा ने कहा, “यह केवल एक चुनावी दांव नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश है।”

विरोधियों का तंज और सवाल

जहां महागठबंधन इस रणनीति को नया सामाजिक समीकरण बता रहा है, वहीं विरोधी दल इसे “फर्जी वादों का पुलिंदा” बता रहे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राम पुकार शर्मा ने इस घोषणा को “कल्पना में बना महल” बताया और दावा किया कि महागठबंधन इस बार तीन अंकों तक भी नहीं पहुंचेगा। जन सुराज पार्टी के अनिल कुमार सिंह ने भी इसे “VIP नेता मुकेश सहनी को गठबंधन में बनाए रखने की एक सस्ती कोशिश” कहा।

और पढ़ें: Bihar Election 2025 Date: कब पड़ेगा वोट, कब आएगा नतीजा? बिहार चुनाव 2025 की पूरी टाइमलाइन आई सामने

India losing its sunshine: भारत से रूठता सूरज! घटती धूप, बढ़ते बादल और संकट की दस्तक&...

0

India losing its sunshine: साल 2025 के मानसून ने भारत को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया। एक तरफ उत्तर भारत में सामान्य से कहीं अधिक बारिश ने बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए, वहीं दूसरी ओर पूर्वी भारत, खासकर बिहार और बंगाल, पूरे मानसून के दौरान बूंद-बूंद को तरसते रहे। लेकिन जैसे ही मानसून लौटने लगा, इन इलाकों में बादलों ने ऐसा कहर बरपाया कि भारी नुकसान देखने को मिला। मौसम की ये अनिश्चितताएं अब इत्तेफाक नहीं रहीं, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं और अब एक नई रिपोर्ट ने इस चिंता को और गहरा कर दिया है।

और पढ़ें: North Sea asteroi: समुद्र के नीचे छिपा था रहस्य, अब हुआ खुलासा, यॉर्कशायर के पास मिला 4.3 करोड़ साल पुराना उल्का पिंड का क्रेटर

सूरज की रोशनी भारत में हो रही है कम- India losing its sunshine

एक ताज़ा वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, भारत के अधिकतर हिस्सों में पिछले तीन दशकों से सूर्य की धूप लगातार घट रही है। यानी भारत धीरे-धीरे सूरज की रोशनी खो रहा है। यह रिपोर्ट भारत के ही प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों जैसे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM), और इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के संयुक्त शोध पर आधारित है और इस महीने नेचर की साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुई है।

1988 से 2018 तक नौ क्षेत्रों के 20 मौसम स्टेशनों से जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिसमें सामने आया कि भारत के हर इलाके में सालाना धूप के घंटे घटे हैं। सिर्फ पूर्वोत्तर भारत में मामूली स्थिरता देखने को मिली है।

हर साल कम होती जा रही है धूप

शोध के अनुसार:

  • उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में हर साल 13.1 घंटे की गिरावट देखी गई।
  • पश्चिमी तट पर यह गिरावट 8.6 घंटे प्रति वर्ष रही।
  • पूर्वी तट और डेक्कन पठार में भी क्रमशः 4.9 और 3.1 घंटे की कमी हुई।
  • केंद्रीय भारत में भी 4.7 घंटे प्रति वर्ष की गिरावट देखी गई।

हालांकि सूखे महीनों (अक्टूबर से मई) में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी देखने को मिली, लेकिन मानसून के महीनों (जून-सितंबर) में धूप में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

धूप घटने की वजह क्या है?

इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह है बढ़ता हुआ एरोसोल प्रदूषण। ये एरोसोल हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण होते हैं जो बायोमास जलाने, वाहनों के धुएं और औद्योगिक उत्सर्जन से आते हैं। ये कण बादलों के संघनन में मदद करते हैं जिससे आसमान लंबे समय तक बादलों से ढका रहता है, भले ही बारिश न हो।

IITM के एक वैज्ञानिक के अनुसार, “जब एरोसोल की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो बादल लंबे समय तक बने रहते हैं और सूरज की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पातीं।” इस साल भी भारत के कई हिस्सों में मानसून के दौरान ऐसे ही हालात रहे कि बिना बारिश के भी आसमान बादलों से ढका रहा।

भारत में एरोसोल प्रदूषण कितना गंभीर?

भारत में एरोसोल प्रदूषण वैश्विक औसत से दोगुना है। इसका असर सिर्फ मौसम पर नहीं, बल्कि हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने और बारिश के पैटर्न पर भी पड़ रहा है। यह क्षेत्र अब ‘ब्राउन क्लाउड जोन’ के रूप में जाना जाने लगा है, जहां धूप का निकलना भी मुश्किल होता जा रहा है।

सोलर एनर्जी और कृषि पर असर

भारत का लक्ष्य है कि वह 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करे, जिसमें सोलर पावर की बड़ी हिस्सेदारी है। लेकिन जब धूप ही कम हो रही है, तो सोलर पैनलों की क्षमता घटना तय है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि धूप घंटे 10% तक घटते हैं, तो सोलर आउटपुट में 5-7% की कमी आ सकती है। यह ऊर्जा सेक्टर के लिए एक बड़ा झटका होगा।

इसी तरह, कृषि क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है, खासकर उन फसलों में जो सूरज की रोशनी पर ज्यादा निर्भर हैं जैसे धान और गेहूं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में रुकावट आने से फसल चक्र बिगड़ रहा है, जिसका असर किसानों की आमदनी और देश की खाद्य सुरक्षा पर पड़ सकता है।

जलवायु मॉडलिंग में नई चुनौती

धूप के घंटे घटने से मौसम पूर्वानुमान में भी दिक्कतें आ रही हैं। अब तक के मॉडल हवा, नमी और तापमान पर आधारित होते थे, लेकिन अब सूरज की रोशनी को भी गंभीरता से शामिल करना होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि एरोसोल की मॉनिटरिंग और कंट्रोल अब नीति का हिस्सा बनना चाहिए।

क्या है समाधान?

  • प्रदूषण नियंत्रण नीतियां और कड़े कानून बनाए जाएं
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को बढ़ावा दिया जाए
  • वनरोपण और कार्बन कैप्चर जैसी नीतियों को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाए
  • सोलर इंफ्रास्ट्रक्चर को हाइब्रिड मॉडल पर शिफ्ट किया जाए ताकि कम धूप में भी बिजली बनाई जा सके

चेतावनी भरी भविष्यवाणी

साल 2025 में मानसून के दौरान दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300+ रहा, जो दिखाता है कि हवा में एरोसोल की मात्रा कितनी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। ऐसे में सरकार की क्लाइमेट रिसर्च एजेंडा 2030 पर अमल और ज़रूरी हो जाता है।

लेकिन विशेषज्ञ साफ कहते हैं – अगर यही हाल रहा, तो भारत जैसे “सनशाइन स्टेट” का सपना धुंध और बादलों में गुम हो जाएगा।

और पढ़ें: Black Hole Science: जब ब्लैक होल बना बेकाबू दानव, 2.4 गुना स्पीड से कर रहा है ब्रह्मांड को चकनाचूर!

Realme 15 Pro: ऐसा फोन जो पल-पल में बदल देगा अपना रंग, देखें यह कमाल का बैक पैनल!

0

Realme 15 Pro: हाल ही में Realme ने Realme15 Pro 5G फ़ोन लंच किया है। जो Realme 15 Pro 5G गेम ऑफ थ्रोन्स लिमिटेड एडिशन में कथित तौर पर रंग बदलने वाला बैक पैनल है। कंपनी का दावा है कि यह दुनिया का पहला हीट-सेंसिटिव, रंग बदलने वाला स्मार्टफोन है। तो चलिए आपको इस लेख में इस फ़ोन फीचर के बारे में विस्तार से बताते हैं।

ड्रैगनफायर कलर-चेंजिंग टेक्नोलॉजी

Realme 15 प्रो गेम ऑफ थ्रोन्स एडिशन न केवल पावरफुल फोन है, बल्कि अपने शानदार लुक के साथ अन्य सभी डिवाइसों को भी मात देता है। इस लिमिटेड एडिशन फोन में आमतौर पर काले रंग का बैक पैनल होता है।

लेकिन जब तापमान बढ़ता है (जैसे 42°C या उससे अधिक तापमान पर गर्म पानी के संपर्क में आने पर, या जब फोन गर्म हो जाता है), तो यह गहरे लाल रंग (फायरी रेड) में बदल जाता है। ऐसा ‘ड्रैगनफायर कलर-चेंजिंग टेक्नोलॉजी’ के कारण होता है।

यह फोन गेम ऑफ थ्रोन्स थीम पर बेस है और इसमें हाउस टार्गैरियन के सिंबल वाला एक विशेष लेदर बैक पैनल है इसके अलावा, Realme ने दो विशेष थीम जोड़ी हैं..

  • ड्रैगनफायर थीम (Dragonfire Theme) – लाल और सुनहरे रंग, जो अग्नि और शक्ति का प्रतीक हैं।
  • आइस थीम (Ice Theme) – नीला और सफ़ेद रंग, जो शीतलता और शांति का प्रतीक हैं।

फ़ोन का Specifications 

Features Details
डिस्प्ले 6.7 इंच AMOLED, 120Hz
प्रोसेसर Snapdragon 7s Gen 3
कैमरा 50MP Sony IMX882 + 8MP Ultra Wide + 2MP Macro
फ्रंट कैमरा 32MP
बैटरी 5000mAh, 100W SuperVOOC चार्जिंग
स्टोरेज 12GB RAM + 512GB ROM
सॉफ्टवेयर Realme UI 6, Android 15 बेस्ड

इसके अलवा आपको बता दें, इस फ़ोन की कीमत लगभग 44,999 रूपए है वही फोन में (12GB + 512GB Variant) है। दूसरी और बैंक ऑफर के बाद Effective Price लगभग ₹41,999 तक आ जाती है।

Who Is Sharnanandji Maharaj: पहली बार किसी को दी अपनी गद्दी, चरण पखारते हुए रो पड़े प...

0

Who Is Sharnanandji Maharaj: हाल ही में सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों के बीच जब वृंदावन के प्रसिद्ध संत बाबा प्रेमानंद महाराज से मिलने रमणरेती महावन के पूज्य गुरु शरणानंद महाराज पहुँचे, तो दो संतों का यह मिलन एक बेहद भावुक और अविस्मरणीय दृश्य बन गया। इस मुलाकात ने न सिर्फ भक्तों का दिल छू लिया बल्कि उन अफवाहों पर भी विराम लगा दिया जो प्रेमानंद जी के स्वास्थ्य को लेकर फैल रही थीं।

और पढ़ें: How to meet Swami Kailashananda Giri: स्वामी कैलाशानंद गिरि से कैसे मिलें? जानें संन्यास, आध्यात्म और दीक्षा की प्रक्रिया 

केली कुंज आश्रम में जैसे ही बाबा प्रेमानंद ने गुरु शरणानंद महाराज को आते देखा, वह बिना देर किए गद्दी से उठ खड़े हुए और साष्टांग दंडवत प्रणाम कर उनके स्वागत में आगे बढ़े। प्रेम से ओतप्रोत इस दृश्य में दोनों संतों की आंखों से आंसू बह रहे थे। बाबा प्रेमानंद ने अपनी गद्दी पर गुरु शरणानंद जी को बैठाया, उनके चरण पखारे और फिर अपने दुपट्टे से उन्हें पोंछा। इसके बाद उन्होंने आरती उतारकर अपने प्रेम और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण दिया।

पहली बार किसी और को दी गद्दी पर बैठने की इजाजत- Who Is Sharnanandji Maharaj

यह पहला मौका था जब बाबा प्रेमानंद महाराज ने किसी अन्य संत को अपनी निजी गद्दी पर बैठने दिया।

मुलाकात के दौरान गुरु शरणानंद महाराज ने प्रेमानंद जी से कहा कि उनका एक भक्त अपनी किडनी उन्हें दान करना चाहता है। इस पर प्रेमानंद महाराज ने विनम्रता से जवाब दिया,
“जब तक राधा रानी जी की कृपा बनी रहेगी, मैं अपनी मौजूदा किडनी से ही जीवन यापन करूंगा।”
उनकी इस बात ने उनके भक्तों और शिष्यों को भाव-विभोर कर दिया।

कौन हैं शरणानंद जी महाराज?

शरणानंद जी महाराज वृंदावन के एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक संत हैं। प्रेमानंद महाराज के समकालीन और आध्यात्मिक साथी माने जाते हैं। दोनों संत वर्षों से एक-दूसरे के साथ भक्ति मार्ग पर सत्संग और सेवा कार्य करते आ रहे हैं। उनकी गिनती उन गिने-चुने संतों में होती है, जो परंपरा, प्रेम और सरलता को साथ लेकर चलते हैं।

जब सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज की सेहत को लेकर अफवाहें उड़ने लगीं कि वो अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत नाजुक है, तब खुद शरणानंद महाराज उनका हालचाल लेने आश्रम पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से जानकारी ली कि महाराज लंबे समय से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसमें नियमित डायलिसिस चल रही है और अब ट्रांसप्लांट की जरूरत जताई गई है।

अफवाहों पर लगा विराम

आपको बता दें, इस मुलाकात से पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि बाबा प्रेमानंद अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी तबीयत बेहद खराब है। इन अफवाहों को तब और बल मिला जब सुबह 4 बजे की उनकी नियमित पदयात्रा कुछ दिनों से बंद कर दी गई थी।

लेकिन अब इन सभी अफवाहों को केलि कुंज आश्रम और मथुरा पुलिस ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। आश्रम ने एक आधिकारिक एडवाइजरी जारी कर बताया कि
“गुरुदेव श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी पूरी तरह स्वस्थ हैं। केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रातःकालीन पदयात्रा अस्थायी रूप से स्थगित की गई है। दर्शन और वार्ताएं पूर्ववत चल रही हैं।”

मथुरा पुलिस ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बाबा प्रेमानंद और गुरु शरणानंद महाराज की भेंट का वीडियो जारी किया है ताकि किसी भी तरह की भ्रांति न रहे।

भावुक हुए संत और शिष्य

दोनों संतों की यह आत्मीय मुलाकात देखकर वहां मौजूद संत और शिष्य भी खुद को रोक नहीं पाए और उनकी आंखों से भी आंसू छलक पड़े। आश्रम में मौजूद भक्तों को काजू, किशमिश और बादाम का प्रसाद भी वितरित किया गया, जो कि गुरु शरणानंद जी ने स्वयं दिया।

वहीं, भक्तों से भी अपील की गई है कि किसी भी भ्रामक खबर या सोशल मीडिया अफवाह पर ध्यान न दें, और केवल आधिकारिक सूत्रों पर ही भरोसा करें।

क्या है प्रेमानंद जी की बीमारी?

आपको बता दें, प्रेमानंद महाराज 2006 से एक आनुवंशिक बीमारी – ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) से पीड़ित हैं। इस बीमारी में किडनी में धीरे-धीरे सिस्ट बन जाते हैं, जो काम करना बंद कर देते हैं। आज भी वह रोज करीब 5 घंटे डायलिसिस पर रहते हैं, फिर भी अपनी दिनचर्या, भजन और सत्संग में कोई कमी नहीं आने देते।

कुछ समय पहले राज कुंद्रा और फलाहारी बाबा जैसे अन्य भक्तों ने भी उन्हें किडनी डोनेट करने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने हर बार ईश्वर की इच्छा को सर्वोपरि मानकर इन प्रस्तावों को विनम्रता से ठुकरा दिया।

और पढ़ें: Sadguru Riteshwar Ji Maharaj Biography: आध्यात्मिकता और समाजसेवा का प्रतीक सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज, जानें उनके बारे में सबकुछ

Kanpur News: कानपुर के मिश्री बाजार में दोहरे धमाके से मचा हड़कंप, पटाखों की आड़ में ...

0

Kanpur News: त्योहारों की खरीदारी से गुलजार कानपुर का मिश्री बाजार बुधवार की शाम अचानक दहशत के साए में आ गया। करीब 7:30 बजे एक के बाद एक दो धमाकों ने पूरे इलाके को हिला दिया। बाजार में ऐसी अफरातफरी मची कि लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगे। हर तरफ चीख-पुकार थी, दुकानों की खिड़कियों के शीशे चटक गए और कई दुकानों की दीवारों में दरारें पड़ गईं।

मिश्री बाजार, जो मूलगंज थाना क्षेत्र में आता है, बेहद घनी आबादी वाला इलाका है। मस्जिद और थाना सिर्फ कुछ ही दूरी पर हैं। उसी इलाके में जब ये धमाके हुए तो हर किसी को लगा कि कोई बड़ा आतंकी हमला हो गया है। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, असल वजह कुछ और ही निकली….पटाखों की आड़ में चल रहा अवैध कारोबार।

और पढ़ें: Baghpat News: बागपत के श्मशान घाट में गायब हो रही अस्थियां, रहस्यमयी घटनाओं ने गांव में मचाई दहशत

स्कूटी में हुए दोनों धमाके- Kanpur News

पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि ये धमाके स्कूटी में हुए। पहली स्कूटी अश्वनी कुमार की थी जो हादसे में खुद भी घायल हो गए और इस वक्त लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती हैं। दूसरी स्कूटी विजयेंद्र प्रसाद रस्तोगी की बताई जा रही है, जिनसे फिलहाल पुलिस संपर्क नहीं कर पाई है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पहला धमाका इतना तेज था कि लगा जैसे जमीन हिल गई हो। इसके कुछ सेकंड बाद दूसरा धमाका हुआ जो पहले से भी ज्यादा जोरदार था।

इस हादसे में कुल आठ लोग घायल हुए हैं। चार गंभीर रूप से घायल लोगों को लखनऊ रेफर किया गया है, दो का इलाज कानपुर जिला अस्पताल में चल रहा है, जबकि दो लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

पटाखों की ओट में ‘बारूद’ का धंधा

धमाकों के बाद जब पुलिस ने छानबीन शुरू की तो पता चला कि बाजार में खिलौनों की दुकानों के पीछे अवैध रूप से पटाखों का स्टॉक किया गया था। त्योहार के समय इन दुकानों में बड़े पैमाने पर बिना लाइसेंस पटाखों की बिक्री की जा रही थी। पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने जानकारी दी कि मामला आतंकी साजिश जैसा नहीं लगता, लेकिन यह कोई सामान्य दुर्घटना भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि कुछ दुकानों से गनपाउडर से भरे डिब्बे और भारी मात्रा में फायरक्रैकर्स बरामद किए गए हैं।

सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि ये सारा खेल थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर चल रहा था और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। अब शक जताया जा रहा है कि कुछ पुलिसकर्मी भी इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं।

जांच में उतरी ATS, STF और जल्द पहुंच सकती है NIA

घटना की गंभीरता को देखते हुए अब यूपी एटीएस और एसटीएफ ने जांच की कमान संभाल ली है। पुलिस ने कहा है कि वे किसी भी एंगल को नजरअंदाज नहीं कर रहे – चाहे वो आतंकी साजिश हो या अवैध कारोबार। सूत्रों के मुताबिक, एनआईए की टीम भी जल्द कानपुर पहुंच सकती है और धमाके में इस्तेमाल विस्फोटक का फोरेंसिक जांच करेगी।

अफवाहों से और बढ़ा तनाव

धमाकों के बाद बाजार में कई तरह की अफवाहें फैल गईं। किसी ने बम फेंके जाने की बात कही तो किसी ने इसे आतंकी हमला बता दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस को इलाके में भारी फोर्स तैनात करनी पड़ी। पुलिस कमिश्नर ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर पहुंचकर लोगों को भरोसा दिलाया कि यह आतंकी हमला नहीं, बल्कि पटाखों से जुड़ा हादसा है।

अब सख्ती तय, हर दुकान और गोदाम की होगी जांच

इस घटना के बाद कानपुर पुलिस ने शहरभर में अवैध पटाखों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना लाइसेंस पटाखे बेचने वालों को तुरंत जेल भेजा जाए। खुद पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि इस त्योहारी सीजन में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और शहर के हर कोने में सर्च ऑपरेशन चलाया जाएगा।

फिलहाल, फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से विस्फोटक के सैंपल इकट्ठा कर लखनऊ भेज दिए हैं, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि धमाके की असली वजह क्या थी।

और पढ़ें: Jaunpur News: गंगा स्नान के बहाने वृद्धाश्रम छोड़ आया बेटा, मां अब तन्हा… ये है प्रयागराज की मीरा देवी की कहानी