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Union Cabinet Meeting: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ फसलों के लिए 2,07,000 करोड़ रुपये ...

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Union Cabinet Meeting: केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज हुई बैठक में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई अहम निर्णय लिए गए। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत कुल 2,07,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही किसानों को सस्ते ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ब्याज सहायता योजना (Interest Subvention Scheme) को भी हरी झंडी मिली है। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तीन प्रमुख परियोजनाओं को भी मंजूरी प्रदान की गई है।

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MSP के लिए 2,07,000 करोड़ रुपये का प्रावधान- Union Cabinet Meeting

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के लिए MSP को मंजूरी मिली है, जिसकी अनुमानित लागत 2,07,000 करोड़ रुपये होगी। यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% लाभ मिले। इस मूल्य निर्धारण में देश-दुनिया की फसल कीमतों, फसलों के बीच संतुलन और कृषि व गैर-कृषि क्षेत्रों के व्यापार संतुलन जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को भी ध्यान में रखा गया है।

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ब्याज सहायता योजना का विस्तार

किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए ब्याज सबवेंशन योजना को भी मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत 15,642 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से किसानों को खेती, बागवानी व अन्य फसलों के लिए 3 लाख रुपये तक और सहायक कृषि गतिविधियों जैसे पशुपालन, मछली पालन के लिए 2 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा। यह ऋण 7% सालाना की रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध होगा, जिसमें सरकार 1.5% ब्याज सबवेंशन देगी। यदि किसान समय पर ऋण चुकाते हैं, तो उन्हें 3% अतिरिक्त छूट भी मिलेगी, जिससे किसानों को कुल 4% ही ब्याज चुकाना होगा।

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इसके अलावा, 2 लाख रुपये तक के ऋण पर किसानों से कोई गारंटी नहीं ली जाएगी। देशभर के 449 बैंक और वित्तीय संस्थान इस योजना से जुड़े हैं, जो किसानों को ऋण लेने में सहूलियत प्रदान करेंगे।

तीन बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं मंजूर

मंत्रिमंडल ने तीन महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है, जिनका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इनमें पहला प्रोजेक्ट आंध्र प्रदेश के बदवेल से नेल्लोर तक 108 किलोमीटर लंबा 4-लेन हाइवे का निर्माण है। इस हाइवे का निर्माण 3,653 करोड़ रुपये की लागत से BOT (Build-Operate-Transfer) टोल मोड पर अगले 20 वर्षों में पूरा किया जाएगा। यह हाइवे राष्ट्रीय राजमार्ग-67 (NH-67) का हिस्सा होगा और कृष्णपट्टनम पोर्ट से सीधे संपर्क प्रदान करेगा।

यह मार्ग प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोरों जैसे विशाखापत्तनम-चेन्नई (VCIC), हैदराबाद-बेंगलुरु (HBIC) और चेन्नई-बेंगलुरु (CBIC) से जुड़ेगा। इसके साथ ही, इससे हुबली, होस्पेट, बेल्लारी, गूटी, कडप्पा और नेल्लोर जैसे आर्थिक केंद्रों को भी फायदा होगा।

इसके अलावा, महाराष्ट्र में 135 किलोमीटर लंबी वर्धा-बल्लारशाह रेललाइन और मध्य प्रदेश में 41 किलोमीटर लंबी रतलाम-नागदा रेललाइन को चौड़ा करने की भी मंजूरी दी गई है, जिससे इन क्षेत्रों में परिवहन सुविधाएं बेहतर होंगी और व्यापार में वृद्धि होगी।

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Bijli Mahadev Mandir: बिजली महादेव मंदिर के बंद होने पर उठे सवाल, जानें क्या है इसके ...

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Bijli Mahadev Mandir: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर हाल ही में एक बड़े अपडेट के कारण चर्चा का विषय बन गया है। मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, और इसके कारण अब तक कई अफवाहें और अटकलें फैल चुकी हैं। हालांकि, मंदिर समिति ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए एक स्पष्ट बयान जारी किया है। इस घटनाक्रम के बाद इस मंदिर को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या कारण है जिसकी वजह से यह ऐतिहासिक स्थल बंद कर दिया गया है।

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मंदिर बंद होने की जानकारी और अफवाहें- Bijli Mahadev Mandir

काशवारी गांव में स्थित बिजली महादेव मंदिर को लेकर मंदिर समिति ने हाल ही में जगह-जगह पोस्टर लगाकर मंदिर बंद होने की जानकारी दी थी। हालांकि इसके बाद सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर अफवाह फैलने लगी कि बिजली गिरने की वजह से मंदिर बंद किया गया है। अफवाहों के मुताबिक बिजली गिरने की वजह से मंदिर को नुकसान पहुंचा है और इसी वजह से मंदिर को काम के लिए बंद किया गया है।

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इस संदर्भ में मंदिर समिति ने साफ तौर पर कहा है कि मंदिर पर बिजली गिरने की बात पूरी तरह से गलत है। यह जानकारी पूरी तरह से अफवाह है और इसका कोई आधार नहीं है। मंदिर समिति ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा कि मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है, लेकिन इसके पीछे बिजली गिरने का कारण नहीं है, जैसा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं।

गुप्त कारज और पारंपरिक मान्यता

मंदिर समिति के बयान में यह भी बताया गया है कि मंदिर को बंद करने का कारण एक गुप्त कारज (धार्मिक कार्य) है, जो भगवान शिव की इच्छा के तहत होता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि मंदिर को बंद करने का यह निर्णय देवता के आदेश के बाद लिया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि मंदिर में केवल पुजारी और पुरोहित ही इस दौरान रह सकते हैं। आम लोग या श्रद्धालु इस समय मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।

इसके अलावा, बिजली महादेव मंदिर को लेकर एक महत्वपूर्ण मान्यता भी है। कहा जाता है कि हर 12 वर्ष में मंदिर में आकाशीय बिजली गिरती है, और इस दौरान शिवलिंग खंडित हो जाता है। इस समय के बाद, खास मक्खन, सत्तू और अन्य सामग्रियों से शिवलिंग को जोड़ने का कार्य किया जाता है। स्थानीय लोग इस घटना को भगवान शिव के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं, जो न केवल मंदिर की सुरक्षा करता है, बल्कि इलाके में फैली बुराइयों को भी नष्ट करता है।

शिवजी की आज्ञा से गिरती है बिजली

बिजली महादेव मंदिर की मान्यता के अनुसार, एक प्राचीन कथा भी है, जो इस स्थान की महत्ता को और भी प्रगाढ़ करती है। कथानुसार, कुलांत नामक राक्षस ने कुल्लू घाटी को ब्यास नदी का प्रवाह रोककर डुबाने की कोशिश की थी। उसने घाटी में खतरनाक सांप का रूप धारण किया था, जिससे पूरे क्षेत्र को तबाह करने की योजना बनाई थी।

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तब भगवान शिव ने कुलांत को चेतावनी दी और कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गई है। जैसे ही राक्षस ने पीछे मुड़कर देखा, शिवजी ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। इस घटना के बाद, राक्षस का शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिसे आज कुल्लू की पहाड़ी माना जाता है।

इसके बाद, भगवान शिव ने इंद्रदेव से कहा कि हर 12 साल में इस स्थान पर बिजली गिराई जाए, ताकि क्षेत्र की रक्षा की जा सके और बुराई का नाश हो सके। यह मान्यता आज भी बिजली महादेव मंदिर में हर 12 साल बाद गिरने वाली आकाशीय बिजली से जुड़ी है।

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Ghaziabad Constable Murder: मसूरी में नोएडा पुलिस के सिपाही की हत्या, आठ और आरोपित गि...

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Ghaziabad Constable Murder: मसूरी के नाहल गांव में रविवार रात को हुई नोएडा पुलिस के सिपाही सौरभ देशवाल की हत्या मामले में पुलिस ने अब तक आठ और आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषियों को पकड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं। मंगलवार देर रात मसूरी पुलिस ने इन आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया, जिनमें नाहल और मसूरी के कुछ निवासी शामिल हैं।

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क्या हुआ था नाहल गांव में? (Ghaziabad Constable Murder)

रविवार रात को नोएडा पुलिस की टीम ने नाहल गांव में एक छापेमारी की थी, जिसके दौरान आरोपितों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव और फायरिंग की थी। इस हमले में नोएडा पुलिस के कांस्टेबल सौरभ देशवाल को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि गोली बेहद नजदीक से सौरभ के शरीर में लगी थी, जिससे उनकी जान चली गई। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए 18-20 संदिग्धों की पहचान की है, और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां

मसूरी पुलिस ने मंगलवार देर रात इस हत्या के मामले में और आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया। इनमें नाहल गांव के जावेद, इनाम, महताब, हसीन, मुरसलीम, अब्दुर रहमान, डबारसी गांव के महराज और मसूरी के जावेद शामिल हैं। इन आरोपितों पर पुलिसकर्मियों पर हमला करने और सिपाही की हत्या में शामिल होने का आरोप है।

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इसके अलावा, मंगलवार शाम मसूरी पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया, जो इस हत्या के मुख्य संदिग्धों में से एक था। पुलिस ने बताया कि एसीपी मसूरी लिपि नगायच के नेतृत्व में मसूरी झाल तिराहे पर चेकिंग के दौरान बाइक सवार युवक को रुकने का इशारा किया। लेकिन जब युवक ने रुकने के बजाय पुलिस पर फायर किया और भागने की कोशिश की, तो पुलिस ने जवाबी फायरिंग की, जिसमें आरोपी के पैर में गोली लगी। पुलिस ने उसे पकड़ लिया और उसकी पहचान अब्दुल रहमान के रूप में हुई।

अब्दुल रहमान एक हिस्ट्रीशीटर है, जिसके खिलाफ 18 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने उसकी बाइक और एक तमंचा भी बरामद किया। इस गिरफ्तारी से सिपाही हत्याकांड के बारे में नए तथ्य सामने आए हैं।

पहले गिरफ्तार मुख्य आरोपित कादिर

रविवार रात नोएडा पुलिस ने कादिर नामक मुख्य आरोपित को नाहल गांव से गिरफ्तार किया था। कादिर पर चोरी के आरोप थे, और वह पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए भाग रहा था। नोएडा पुलिस की टीम ने उसे गिरफ्तार किया और उसे लेकर जाने लगी, तभी गांव के कुछ युवकों ने पुलिस टीम पर पथराव किया और गोलीबारी शुरू कर दी। इस दौरान कांस्टेबल सौरभ देशवाल को गोली लगी और वह शहीद हो गए।

Who is Qadir criminal
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नोएडा पुलिस की कार्यवाही पर सवाल

इस घटना के बाद, नोएडा पुलिस की कार्रवाई पर सवाल भी उठ रहे हैं। आरोप है कि नोएडा पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस को बिना सूचित किए और बिना निर्धारित गाइडलाइनों का पालन किए नाहल गांव में दबिश दी, जिससे यह दर्दनाक घटना हुई। गाजियाबाद पुलिस ने यह माना है कि नोएडा पुलिस ने मौखिक रूप से सूचित किया था, लेकिन लिखित सूचना नहीं दी गई थी, जो कि एक गंभीर लापरवाही मानी जा रही है।

यदि नोएडा पुलिस स्थानीय पुलिस से सही तरीके से संपर्क करती और निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करती, तो शायद यह घटना नहीं होती और सिपाही सौरभ देशवाल की जान बच सकती थी।

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PM Modi Slams Congress: प्रधानमंत्री मोदी का सरदार पटेल के कश्मीर रुख पर बयान, “अगर उ...

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PM Modi Slams Congress: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के कश्मीर को लेकर अलग-अलग रुख पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। मोदी ने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री पटेल चाहते थे कि सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर तब तक कार्रवाई जारी रखे जब तक पूरा क्षेत्र वापस नहीं ले लिया जाता, लेकिन कांग्रेस सरकार ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पटेल की यह रणनीति अपनाई गई होती तो शायद आज देश को आतंकवाद की इस कष्टदायक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।

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पीएम मोदी के बयान की पृष्ठभूमि- PM Modi Slams Congress

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2023 को हुए आतंकवादी हमले के बाद आया, जिसमें पाकिस्तान और वहां से प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद मोदी ने अपने भाषण में कहा, “सरदार पटेल की इच्छा थी कि जब तक पीओके वापस नहीं लिया जाता, तब तक सेना को रुकना नहीं चाहिए था।”

 

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सरदार पटेल और नेहरू के बीच कश्मीर पर मतभेद

इतिहासकार राजमोहन गांधी ने अपनी पुस्तक ‘पटेल: ए लाइफ’ में बताया है कि सरदार पटेल का कश्मीर को लेकर नजरिया समय के साथ बदलता रहा। शुरुआत में, सितंबर 1947 तक, पटेल की कश्मीर में रुचि कम थी और उन्होंने कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को स्वीकार करने का इशारा किया था। लेकिन जूनागढ़ के विलय की घटना के बाद उनका नजरिया बदल गया और उन्होंने कश्मीर को भारत के लिए उतना ही महत्वपूर्ण माना जितना कि जूनागढ़ को।

पटेल चाहते थे कि भारत जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को सैन्य सहायता तुरंत दे और पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को जल्द से जल्द वापस लिया जाए। वे कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के खिलाफ थे क्योंकि उनका मानना था कि जमीन पर कार्रवाई करना अधिक प्रभावी होगा।

वहीं, नेहरू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने पर ज़ोर दे रहे थे और उन्होंने इसे संयुक्त राष्ट्र के सामने पेश किया। इसके अलावा, नेहरू ने कश्मीर के मुद्दे पर युद्धविराम का भी समर्थन किया, जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र बढ़ गए।

1947-48 के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएं

26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ, लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर में अपने हमले जारी रखे। भारत ने मजबूरी में अपनी सेना कश्मीर भेजी। नेहरू ने 1 जनवरी 1948 को इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का फैसला किया। यह निर्णय लॉर्ड माउंटबेटन के प्रोत्साहन पर लिया गया था।

सरदार पटेल ने प्रधानमंत्री नेहरू के जिन्ना से मिलने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था। उनका मानना था कि जब भारत मजबूत स्थिति में है तो प्रधानमंत्री का पाकिस्तान के संस्थापक के सामने झुकना ठीक नहीं होगा।

पटेल की आशंकाएं और बाद की स्थिति

पटेल की आशंकाएं सही साबित हुईं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में भारत की शिकायत के बाद पाकिस्तान ने कई आरोप लगाए और मामला विवादास्पद बन गया। इस बहस ने कश्मीर समस्या को अंतरराष्ट्रीय विवाद में बदल दिया।

पटेल कई महत्वपूर्ण फैसलों से असंतुष्ट थे, जिनमें जनमत संग्रह का प्रस्ताव, युद्धविराम और महाराजा हरि सिंह को हटाना शामिल था। हालांकि, उन्होंने कभी स्पष्ट रूप से अपनी नीति नहीं बताई। उनके करीबी भी नहीं कह सके कि वे कश्मीर समस्या को कैसे सुलझाना चाहते थे।

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Kaveri Engine Project: कावेरी इंजन की कहानी- 1980 के दशक से लेकर राफेल तक, भारत की टे...

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Kaveri Engine Project: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान की सीमा के पार जाकर अपने टारगेट को सफलता से निशाना बनाया, जो देश के लिए गर्व का विषय है। इस प्रदर्शन के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक है इन विमानों के इंजन, जो उन्हें ध्वनि से तेज गति, हवा में अद्भुत घूमने-फिरने की क्षमता और उच्च फायर पावर देते हैं। भारत लंबे समय से स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जिसका नाम है कावेरी इंजन प्रोजेक्ट।

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कावेरी इंजन की शुरुआत और उद्देश्य- Kaveri Engine Project

1989 में शुरू हुआ कावेरी प्रोजेक्ट भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसका लक्ष्य था 81-83 kN थ्रस्ट वाला टर्बोफैन इंजन विकसित करना, जिसे हल्के लड़ाकू विमान तेजस में लगाया जा सके। इस परियोजना का संचालन डीआरडीओ की गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैबलिशमेंट (GTRE) ने किया। हालांकि तकनीकी जटिलताएं, आवश्यक सामग्री की कमी और वित्तीय बाधाओं के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हुई। तेजस विमान में अमेरिका के GE F404 इंजन का उपयोग करना पड़ा क्योंकि कावेरी इंजन अपेक्षित प्रदर्शन नहीं दे पाया।

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तकनीकी और राजनीतिक चुनौतियां

1998 के बाद भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों के बाद कई देशों ने भारत को संवेदनशील लड़ाकू विमान तकनीक की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे कावेरी प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ क्योंकि सिंगल-क्रिस्टल ब्लेड जैसी जरूरी सामग्रियां भारत को नहीं मिल पाईं। तकनीकी विशेषज्ञता और परीक्षण सुविधाओं की कमी के कारण भारत को रूस जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ा।

आधुनिक प्रगति और भविष्य की संभावनाएं

हालांकि प्रोजेक्ट में बाधाएं आईं, लेकिन हाल के वर्षों में कावेरी इंजन ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। GTRE ने ड्राई वैरिएंट इंजन विकसित किया है, जिसे कठोर परीक्षणों में शानदार परिणाम मिले हैं। इस इंजन के पंखे का डिजाइन विशेष रूप से ‘सांप’ आकार का है, जो हवा की बेहतर खपत सुनिश्चित करता है और इसे 13 टन वजन वाले रिमोटली पाइलटेड स्ट्राइक एयरक्राफ्ट (RSPA) जैसे मानव रहित लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त बनाता है।

देरी के कारण

कावेरी प्रोजेक्ट में देरी के पीछे मुख्य रूप से तकनीकी जटिलताएं, फंड की कमी और पश्चिमी देशों की प्रतिबंध नीति रही है। ये देश भारत को केवल हथियारों का बाजार मानते हैं, तकनीक साझा करने से कतराते हैं, ताकि भारत की आत्मनिर्भरता सीमित रहे। साथ ही, विमान इंजन बनाने के लिए उन्नत एयरोथर्मल डायनेमिक्स, धातु विज्ञान और नियंत्रण प्रणाली में विशेषज्ञता आवश्यक है, जो एक चुनौती रही।

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भारत की स्वदेशी तकनीक की मांग

‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा आत्मनिर्भरता के तहत भारत ने कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को पुनः गति दी है। सरकार ने DRDO को प्रति वर्ष 100 इंजन बनाने के लिए बजट भी आवंटित किया है। यह न केवल रक्षा बल्कि नागरिक उड्डयन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्वदेशी तकनीक की अहमियत और बढ़ गई है, क्योंकि जियो-पॉलिटिकल चुनौतियों के बीच भारत को विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता कम करनी है।

राफेल सोर्स कोड विवाद और कावेरी की भूमिका

हाल ही में भारत ने राफेल लड़ाकू विमान का सोर्स कोड मांगकर उसमें स्वदेशी हथियारों को इंटीग्रेट करने की कोशिश की, लेकिन फ्रांस ने इसे साझा करने से मना कर दिया। सोर्स कोड, जो विमान के ऑपरेशन का मूल प्रोग्रामिंग हिस्सा होता है, न मिलने के कारण भारत के लिए स्वदेशी विकल्प और भी जरूरी हो गया है। यदि कावेरी इंजन अपने पूर्ण थ्रस्ट (90 kN) को प्राप्त कर लेता है, तो यह भविष्य में राफेल जैसे विमानों के लिए स्वदेशी विकल्प बन सकता है।

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MP Fake Rape case: झाबुआ-मंदसौर में पुलिसिया ज्यादती और फर्जी मुकदमों का भंडाफोड़: 20...

MP Fake Rape case: 20-21 सितंबर 2023 की मध्यरात्रि लगभग 3 बजे पुलिस की टीम झाबुआ जिले के एक मजदूर परिवार के घर पहुंची। घर के दरवाजे खुलते ही पुलिस ने इमरान नाम के युवक को बिना किसी वारंट या उचित प्रक्रिया के बिना ही बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। उसे घसीटते हुए पुलिस ने अपनी गाड़ी में बैठा लिया। इसके बाद उसी प्रकार एजाज के घर भी छापा मारा गया, उसे भी पिटाई के बाद पुलिस वाहन में बैठाकर थांदला थाना ले जाया गया। वहां पुलिस ने आरोपियों को दस- दस कोरे पन्ने पर दस्तखत करने को कहा। जब उन्होंने मना किया तो पुलिस ने कहा कि एक लड़की की एक्सीडेंट में मौत हुई है और ऐसे केस बनाकर कुछ दिनों में छोड़ देंगे।

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लेकिन आरोपियों ने दस्तखत करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने बेरहमी की हद पार करते हुए आरोपियों को बर्फ की सिल्लियों पर घंटों लिटाया और लगातार पीटा। उनके पैरों पर डंडे मारे गए, जिससे वे कई दिनों तक खड़े भी नहीं हो पाए। आखिरकार पुलिस के दबाव में वे कागजों पर दस्तखत करने को मजबूर हुए। इस झूठे केस में उन पर एक ऐसी लड़की के साथ रेप और हत्या का मामला दर्ज किया गया, जो आज तक जिंदा है।

इमरान, शाहरुख, एजाज और सोनू को इसी झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 20 महीनों की काली जेल की सजा के बाद वे जमानत पर रिहा हुए हैं, लेकिन सवाल उठता है कि जिस लड़की की हत्या का केस दर्ज था, वह अभी जिंदा है तो फिर उस लाश का क्या हुआ जो पुलिस ने मिली बताई? और पुलिस ने जिंदा लड़की की हत्या का मामला कैसे दर्ज कर दिया?

शाहरुख की आपबीती: फंसे मुसलमान और हिंदू दोस्त– MP Girl Fake Rape case

शाहरुख भानपुरा का मजदूर है। उसने बताया कि पुलिस ने उसे 19 सितंबर की रात बिना किसी सही वजह के उठाया। पुलिस पूछताछ के लिए अपने कुछ मुस्लिम और हिंदू दोस्तों के नाम मांगे, ताकि मामला हिंदू-मुस्लिम विवाद न बने। पुलिस को इस बात की चिंता थी कि मामला संवेदनशील न हो। शाहरुख ने ऐसे लोगों के नाम बताए जिनके बारे में उसे पूरा पता नहीं था।

दरअसल, 9 सितंबर 2023 को थांदला थाना क्षेत्र में एक महिला ललिता बाछड़ा का शव मिला था। परिजन ने उसकी पहचान की और शव का अंतिम संस्कार भी किया। लेकिन पुलिस ने इस हत्या का झूठा आरोप शाहरुख पर लगाया क्योंकि ललिता उनसे परिचित थी।

ललिता का 18 महीने बाद वापस आना: सच का खुलासा

11 मार्च 2025 को ललिता खुद गांधी सागर थाने पहुंची और बताया कि वह जिंदा है। उसने अपने आधार कार्ड, वोटर आईडी सहित कई दस्तावेज दिखाए। ललिता ने खुलासा किया कि अगस्त 2023 में वह बिना परिवार को बताए भानपुरा में शाहरुख के पास गई थी। शाहरुख ने उससे प्यार का झांसा देकर उसे पांच लाख रुपए में बेच दिया। उसे कोटा ले जाकर कैद रखा गया। वहां उसने कई बार भागने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाई।

ललिता ने कहा कि उसके शरीर में ऑपरेशन के कारण बच्चे नहीं हुए। उसके पहले से एक लड़का और एक लड़की हैं जो अब उसे जिंदा देखकर खुश हैं। उसे घर लौटने के बाद पता चला कि उसकी मौत की खबरें फैलाई जा रही थीं और उसका अंतिम संस्कार भी हो चुका था।

शाहरुख की सफाई और साजिश का आरोप

शाहरुख ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने ललिता को कभी नहीं बेचा। उनका कहना है कि ललिता और उसके परिवार वाले उनके खिलाफ फर्जी साजिश कर रहे हैं और उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं। कोर्ट में बयान देने के लिए उन्होंने परिवार वालों से चार लाख रुपए लिए हैं और धमकियां दे रहे हैं।

सोनू की बात: निर्दोषों की गिरफ्तारी और पुलिस का अत्याचार

सोनू उर्फ अरुण खन्नीवाल ने बताया कि उसे वडोदरा से गिरफ्तार किया गया था। उसे रास्ते भर पीटा गया और फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया। उसे भी 10 कोरे कागजों पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया गया। 20 महीने की जेल अवधि के दौरान वह परिवार की रोजी-रोटी छिनने और पत्नी की गंभीर बीमारी का सामना करता रहा।

इमरान की व्यथा: परिवार के लिए कर्ज और दवाइयों की परेशानी

इमरान ने बताया कि जेल में वे शाहरुख से भिड़े क्योंकि पुलिस ने उन पर दबाव बनाया था। उन्हें तीन से चार लाख रुपए का कर्ज लेना पड़ा। इमरान के पांच बच्चे हैं और वह घर का एकमात्र कमाने वाला था। उसकी पत्नी गंभीर बीमारी से जूझ रही है।

इमरान की पत्नी रुखसार ने बताया कि पुलिस के आने से उनकी जिंदगी तबाह हो गई। परिवार ने कर्ज लिया, मकान गिरवी रखा और दवाइयों के लिए पैसे जुटाए। उन्होंने जांच अधिकारी टीआई राजकुमार कंसारिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

परिवारों की पीड़ा और आर्थिक तंगी

एजाज के 70 वर्षीय पिता, शाहरुख की मां मुन्नी ने बताया कि जेल में रहने के दौरान वे लगातार झाबुआ कोर्ट जाती रहीं। परिवार पर लाखों रुपए का बोझ आ गया है। मुन्नी ने कहा कि उन्हें बदनाम किया गया और लोगों के तानों का सामना करना पड़ा।

पुलिस और वकीलों का पक्ष

सरकारी वकील मानसिंह भूरिया ने कहा कि जांच अभी चल रही है और कोर्ट में कोई नया चालान पेश नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को जमानत इसलिए मिली क्योंकि पीड़िता के परिवार ने बयान बदल दिया।

वहीं, आरोपियों के वकील मोहम्मद युनुस लोदी ने बताया कि 18 महीने बाद लड़की जिंदा लौटने से साफ हो गया कि जांच अधिकारी की लापरवाही के कारण निर्दोषों को फंसाया गया है। उन्होंने हाईकोर्ट से जमानत दिलाई है और जांच के लिए पुनः कार्रवाई की मांग की है।

टीआई पर गंभीर आरोप

थांदला टीआई राजकुमार कंसारिया पर 28 मार्च 2024 को भोपाल महिला थाना में रेप का केस दर्ज हुआ था। एक महिला ने आरोप लगाया कि टीआई ने शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया। इस मामले की जांच चल रही है।

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गर्मियों में क्यों सीजनल फलों को खाना है जरूरी, ये फायदे आपको कर देंगे हैरान

Eating Fruits in the summer season: गर्मियों के मौसम में मौसमी फल खाना कई कारणों से बहुत फायदेमंद होता है। ये फल न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि पोषण से भरपूर भी होते हैं और गर्मियों में शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। तो चलिए इस लेख में हम आपको उन फलों के बारे में बताते हैं जिन्हें खाकर आप भी गर्मियों में दिनभर तरोताजा रह सकते हैं।

शरीर को राहत देने वाले फायदेमंद फल

गर्मियों में शरीर को डिहाइड्रेशन से बचने के लिए बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है। तरबूज़, खरबूजा, खीरा, संतरा और अंगूर जैसे मौसमी फलों में पानी की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। ये शरीर में तरल पदार्थों की कमी को पूरा करते हैं और आपको हाइड्रेटेड रखते हैं। वही गर्मियों के फल विटामिन (विशेष रूप से विटामिन सी और ए), खनिज (जैसे पोटेशियम और मैग्नीशियम) और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। ये पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

गर्मियों में कुछ लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं आम हो सकती हैं। जिसके लिए मौसमी फलों को अन्य खाद्य पदार्थों से ज़्यादा खाना चाहिए। मौसमी फलों में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। आम और पपीता जैसे फल भी पाचन एंजाइमों से भरपूर होते हैं। कई मौसमी फलों की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है। तरबूज और खीरा जैसे फल अपने ठंडक देने वाले गुणों के लिए जाने जाते हैं।

एनर्जी बूस्टर वाले फल जो शरीर को तंदरुस्ती

गर्मियों में अक्सर थकान और सुस्ती महसूस होती है। फल प्राकृतिक शर्करा (फ्रुक्टोज) का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं और आपको सक्रिय और तरोताजा महसूस कराते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि मौसमी फल आमतौर पर कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होते हैं, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। यह अनावश्यक स्नैकिंग को रोकता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है। इसके अलावा आपको बता दें कि गर्मियों में सूरज की किरणें और गर्मी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल (जैसे आम, संतरा, जामुन) त्वचा को चमकदार बनाए रखने, सनबर्न से बचाने और कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

Who is Anushka Yadav: जानिए कौन हैं अनुष्का यादव, जिनके भाई के कारण तेज प्रताप यादव क...

Who is Anushka Yadav: बिहार के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में पिछले दो दिनों से भूचाल मचा हुआ है। इसका कारण है तेज प्रताप यादव द्वारा सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट करना, जिसमें उन्होंने एक लड़की अनुष्का यादव के साथ अपने 12 साल पुराने रिश्ते का खुलासा किया। इस पोस्ट के वायरल होने के बाद तेज प्रताप ने इसे डिलीट कर दिया, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसकी गूंज अब भी कायम है। साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

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कौन हैं अनुष्का यादव? (Who is Anushka Yadav)

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुष्का यादव राजद की छात्र शाखा के प्रदेश अध्यक्ष रहे आकाश यादव की बहन हैं। उनका परिवार पटना के लंगरटोली क्षेत्र में रहता है। अनुष्का के पिता का नाम मनोज यादव है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, आकाश यादव वह शख्स हैं जिनके कारण तेज प्रताप यादव आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से टकराए थे।

Who is Anushka Yadav Tej Pratap Yadav
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आकाश यादव और जगदानंद सिंह का विवाद

पटना के पत्रकारों के अनुसार, जब राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने आकाश यादव को छात्र शाखा अध्यक्ष पद से हटाकर गगन यादव को नियुक्त किया, तो तेज प्रताप ने इस फैसले का विरोध किया। तेज प्रताप ने इस मामले को लेकर कोर्ट जाने तक की धमकी दी थी। इस कारण जगदानंद सिंह बहुत आहत हुए और उन्होंने पार्टी छोड़ने तक का मन बना लिया था। हालांकि, लालू यादव ने बीच-बचाव कर उन्हें पार्टी में बनाए रखा।

यह टकराव तेज प्रताप और उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के बीच राजद पर नियंत्रण की लड़ाई के रूप में देखा गया था। आकाश यादव की नियुक्ति तेज प्रताप ने की थी, जबकि गगन यादव तेजस्वी समर्थक माने जाते थे।

लालू यादव का दखल और राजनैतिक स्थिति

इस विवाद के दौरान तेज प्रताप की अलग-अलग गतिविधियों ने राजद के अंदर राजनीतिक संकट को बढ़ा दिया था। उन्होंने ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ नाम से अलग संगठन बनाने की भी कोशिश की। लेकिन बाद में लालू यादव के हस्तक्षेप से पार्टी के अंदर की स्थितियां शांत हुईं। तेज प्रताप ने तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने में सहायक भूमिका निभाने का संकेत भी दिया था।

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अनुष्का यादव के साथ रिश्ते का खुलासा और आकाश यादव की राजनीति

तेज प्रताप द्वारा अनुष्का यादव के साथ अपने 12 साल पुराने रिश्ते का खुलासा करने के बाद आकाश यादव का नाम भी चर्चा में आया है। आकाश यादव वर्तमान में पशुपति पारस की पार्टी में युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर हैं। इस मामले ने राजद के अंदरूनी समीकरणों को फिर से उभार कर रख दिया है।

तेज प्रताप यादव की इस सोशल मीडिया पोस्ट ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी है। अनुष्का यादव के व्यक्तित्व और उनके परिवार की राजनीति से जुड़े रहस्य अब सार्वजनिक हुए हैं, जिससे राजद के अंदरूनी मतभेद और झलकते नजर आ रहे हैं। वहीं, लालू यादव के परिवार और पार्टी के भीतर इस विवाद ने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में इस मामले के राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों ही स्तरों पर और अधिक विस्तार से सामने आने की संभावना है।

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UK Lord Mayor: जानें कौन है जसवंत सिंह विरदी? ब्रिटेन के पहले पगड़ीधारी सिख लॉर्ड मेय...

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UK Lord Mayor: ब्रिटेन में सिख समुदाय ने अपनी समृद्ध संस्कृति, मजबूत परंपराओं और अथक मेहनत के जरिए देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में एक खास मुकाम हासिल किया है। चाहे वह व्यवसाय में हो, समाज सेवा में या राजनीति में, सिखों ने ब्रिटेन की विविधता को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी धारा में, जसवंत सिंह विरदी का नाम खास पहचान के साथ उभरता है, जिन्होंने ब्रिटेन के कोवेंट्री शहर के पहले पगड़ीधारी सिख लॉर्ड मेयर बनकर इस समुदाय के योगदान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि ब्रिटेन में सिख समुदाय के दृढ़ संकल्प और सांस्कृतिक समावेश का भी उदाहरण है।

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जसवंत सिंह विरदी का प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि- UK Lord Mayor

जसवंत सिंह विरदी का जन्म पंजाब में हुआ था। उनका बचपन कोलकाता में बीता, जहां उन्होंने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। 1960 के दशक में करीब 60 साल पहले उनका परिवार कोवेंट्री, ब्रिटेन में आकर बस गया। इससे पहले उनका परिवार केन्या में रहता था। ब्रिटेन में बसने के बाद जसवंत सिंह ने समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय होकर अपनी पहचान बनाई। साल 2023 में उन्होंने लॉर्ड मेयर के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली है, वहीं उनकी पत्नी कृष्णा ने लॉर्ड मेयरेस का पद ग्रहण किया।

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कोवेंट्री में 17 साल की सेवा

लॉर्ड मेयर बनने से पहले, जसवंत सिंह ने कोवेंट्री के स्थानीय निकाय में 17 साल तक काउंसलर के रूप में काम किया। वे पिछले नौ साल से बाबलेक वार्ड के प्रतिनिधि थे। लॉर्ड मेयर की भूमिका में उन्होंने मेयर केविन मैटन का स्थान लिया, जबकि मल मटन को डिप्टी लॉर्ड मेयर बनाया गया है। इससे पहले जसवंत सिंह पिछले 12 महीनों तक डिप्टी लॉर्ड मेयर के पद पर कार्यरत थे।

पगड़ीधारी सिख लॉर्ड मेयर के तौर पर गर्व

जसवंत सिंह ने अपने पद ग्रहण के मौके पर कहा, “मैं अपने अपनाए हुए गृह नगर का लॉर्ड मेयर बनकर बेहद गर्व महसूस कर रहा हूं। इस शहर ने मुझे और मेरे परिवार को वर्षों तक बहुत कुछ दिया है। अब मुझे इसका प्यार दिखाने में खुशी होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि एक सिख के रूप में ‘चेन्स ऑफ ऑफिस’ के साथ पगड़ी पहनना उनके लिए खास महत्व रखता है। उन्होंने कहा, “यह हमारे बहुसांस्कृतिक शहर को दर्शाएगा और शायद दूसरों को भी प्रेरित करेगा।”

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ब्रिटेन में सिख समुदाय की भूमिका

ब्रिटेन में सिख समुदाय की उपस्थिति और योगदान कई दशकों से महत्वपूर्ण रहे हैं। ब्रिटेन में सिखों की संख्या लगभग 5,35,000 है, जो कुल आबादी का 0.8 प्रतिशत है। लंदन के साउथ हॉल क्षेत्र को ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है, जहां भारत से जुड़े सांस्कृतिक प्रभाव गहराई से दिखते हैं। यहां गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा स्थित है, जो भारत के बाहर सबसे बड़ा गुरुद्वारा माना जाता है।

सिख धर्म और सामाजिक सुधार

इतना ही नहीं, ब्रिटेन में सिख समुदाय ने ‘सिख कोर्ट’ जैसी संस्थाएं भी बनाई हैं, जो पारिवारिक और सामाजिक विवादों को सिख धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप हल करती हैं। 2019 में ब्रिटिश गृह विभाग ने धार्मिक कारणों से सिखों को कृपाण रखने का अधिकार दिया, जो उनके सांस्कृतिक पहचान के सम्मान की बड़ी पहल थी।

सिख सैनिकों के लिए ब्रिटिश सेना ने ‘नितनेम गुटका’ जैसी धार्मिक प्रार्थना पुस्तिकाएं जारी की हैं, जो सैन्य जीवन में उनकी धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और सिखों के लिए सम्मान एवं समावेश का प्रतीक हैं।

महाराजा दलीप सिंह से आधुनिक सिख समुदाय तक

ब्रिटेन में सिखों का पहला उल्लेखनीय आगमन महाराजा दलीप सिंह के रूप में हुआ था, जो पंजाब के अंतिम सिख शासक थे। 1849 में ब्रिटिश शासन के बाद उन्हें ब्रिटेन निर्वासित कर दिया गया था। 1911 में लंदन के पुटनी में पहला सिख गुरुद्वारा स्थापित हुआ। तब से लेकर आज तक ब्रिटेन में सिखों ने धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

वहीं, जसवंत सिंह विरदी की कोवेंट्री में लॉर्ड मेयर के रूप में नियुक्ति न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और सफलता का प्रतीक है, बल्कि ब्रिटेन के बहुसांस्कृतिक समाज में सिख समुदाय की बढ़ती भूमिका और स्वीकार्यता का भी संदेश है। यह उनके लिए एक गौरवशाली पल है, जो आने वाले समय में और भी प्रेरणादायक साबित होगा।

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मीना कुमारी की प्रॉपर्टी चर्चा में क्यों? अब कौन होगा करोड़ों की संपत्ति का मालिक, को...

Tragedy queen Meena kumari story: अगर हम आपसे पूछे कि अपनी आंखों से अदाकारी कर अगर कोई एक्ट्रेस फैंस का दिल लूट कर ले जाए तो किस एक्ट्रेस का नाम आपके जहां में आता है। हर वक्त नशे में डूबी रहने वाली एक्ट्रेस, जिसने अपने करियर में तो बहुत नाम कमाया था, लेकिन प्यार और शादी के मामले में इनकी किस्मत बेहद फूटी निकली। कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि इस एक्ट्रेस को पति के जुल्मों सितम भी सहने पड़े थे, और हलाला जैसी कष्टदायक पीड़ा तक का सामना करना पड़ा। ये एक्ट्रेस जो मात्र 38 साल की उम्र में तन्हां जिंदगी जीने के बाद दुनिया को अलविदा कह कर चली गई थी। जी हां, हम बात कर रहे है ट्रेजेडी क्वीन के नाम से मशहूर एक्ट्रेस मीना कुमारी की। मीना कुमारी का नाम एक बार फिर से उछला है, लेकिन इस बार वजह न तो कोई उनकी फिल्म है और न ही उनकी जिंदगी का कोई अनछुआ पहलू। इस बार विवादों में फंसी है क्योंकि उनपर आरोप लगे है 162 परिवारों को घर से बेघर करने का। क्या है ये मामला, जानेंगे इस खबर में।

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क्या है पूरा मामला

मीना कुमारी ने साल 1952 में फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से शादी कर ली थी। कमल अमरोही ने मीना कुमारी को 1951 में अपनी फिल्म अनारकली के लिए साइन किया था लेकिन महाबलेश्वर से मुंबई आते वक्त एक कर एक्सीडेंट में मीना कुमारी बुरी तरह घायल हो गई थी। उसे दौरान कमल अमरोही लगातार मीना कुमारी से मिलने अस्पताल जाया करते थे मीना कुमारी को कमल अमरोही का यह अंदाज काफी पसंद आया और वह उन्हें मन ही मन चाहने लगी। कमाल अमरोही ने भी मीना कुमारी के इस प्यार को स्वीकार किया और दोनों ने 1952 में शादी कर ली कमाल अमरोही मीना कुमारी से उम्र में 15 साल बड़े थे।

शादी के लिए तोहफा

कमाल अमरोही और मीना कुमारी ने एक साथ मिलकर शादी के तोहफे के रूप में 1959 में मुंबई के बांद्रा के पालीहिल में 11000 स्क्वायर यार्ड यानि की करीब 2.5 एकड़ की एक जमीन खरीदी थी। जिसकी कीमत उस वक्त 5 लाख रूपय थी। लेकिन 1966 में मीना कुमारी से तलाक होने के बाद कमाल अमरोही ने इस जमीन को कोज़िहोम कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लिमिटेड को बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के लिए लीज पर दे दी थी। जिसके लिए सोसायटी को हर महीने 8835 रुपए प्रति महीने किराया देना तय किया गया। लेकिन 1970 में अमरोही ने पूरा किराया न मिलने को लेकर शिकायत दर्ज की थी, लेकिन सोसाईटी ने तर्क दिया कि जमीन का पूरा हिस्सा अमरोही के नाम पर नहीं है इसलिए पूरा किराया नहीं दिया जा रहा है जिसका बाद  1990 में कमाल अमरोही ने इस कॉन्ट्रैक्ट को टर्मिनेट कर दिया , जिसका कारण था कि सोसायटी ने उन्हें न तो पूरा भुगतान किया है और न ही रेंट समय पर पे किया जा रहा था।

जमीन पर विवाद

1991 में अमरोही ने एक कैसे फाइल किया जिसमें उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट तो खारिज करके जमीन उन्हें वापिस दी जानी चाहिए, इसकी मांग की थी। उस समय अमरोही ने सोसाइटी को बकाया राशि 66060 रूपय देने की मांग की थी।हालांकि 1993 में कमाल अमरोही का निधन हो गया और उनके बेटे ताजदार अमरोही ने इस केस को आगे बढ़ाया, जिसे लेकर  23 अप्रैल 2025 को बांद्रा की स्मॉल कॉज कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए 6 महीने के अंदर सोसाईटी को खाली करने का आदेश सुनाया है। कोर्ट ने लीज़ एग्रीमेंट की धारा 14(ए) के हवाले से कहा कि अगर लीज की राशि या किराये की राशि सही समय पर भुगतान नहीं की जाती है तो मालिक को अधिकार है कि वो उन लीज के कॉंट्रेक्ट को खारिज कर अपने जमीन पर मालिकाना हक मांग सकते है। अमरोही की शिकायत के अनुसार सोसाइटी ने नियमों का उलंघन किया है। इसलिए ये कांट्रेक्ट खुद ही खारिज हो गया है।

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आपको बता दे कि इस सोसाईटी में करीब 162 परिवार रहते है, सोसाईटी का कहना है कि उन्होंने सभी बकाया भुगतान कर दिए है। वो लोग करीब 20 सालों से एस्क्रो खाते में ब्याज और किराये का पैसा जमा करा रहे है। इस मामले को लेकर अब वो मुम्बई हाई कोर्ट में अपील करेंगे। वो लोग करीब 50 सालों से कोज़ीहोम कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रह रहे है। उन्होंने सारे भुगतान किए है फिर वो अपना घर खाली क्यों करेंगे। हालांकि उन्होंने इस याचिका के खिलाफ  स्टे लोने की भी कोशिश की थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाये।

फिलहाल ये केस ताजदार अमरोही के पक्ष में है, ऐसे में देखना ये है कि आगे इस केस में क्या नए मोड़ आते है। आपको बता दे कि ताजदार अमरोही मीना कुमारी के सौतेले बेटे है जो कमाल अमरोही की पहली पत्नी के बेटे है। जमीन मीना कुमारी के नाम से खरीदी गई तो उनका नाम उछलना स्वाभाविक है। लेकिन भले ही ट्रेजेडी क्वीन ने अपने सपनो के घर बनाने के लिए जमीन खरीदी हो मगर वो सपना उनकी तन्हा जिंदगी के साथ ही चला गया ।