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Covid-19 Cases in India: देश में कोरोना की फिर एंट्री, नए वेरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 से...

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Covid-19 Cases in India: देश में एक बार फिर कोरोना वायरस को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। INSACOG (इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 के दो नए सबवेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 भारत में सामने आए हैं। अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला मिला, जबकि मई में गुजरात में LF.7 के चार केस दर्ज किए गए हैं। इन नए वेरिएंट्स की मौजूदगी ने केंद्र और राज्यों की सरकारों को एक बार फिर अलर्ट मोड पर ला दिया है।

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WHO ने दोनों वेरिएंट्स को अंडर मॉनिटरिंगश्रेणी में रखा– Covid-19 Cases in India

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8 और LF.7 को फिलहाल ‘Variants Under Monitoring’ की कैटेगरी में रखा है। यानी इन पर नजर रखी जा रही है, लेकिन इन्हें ‘Variants of Concern’ या ‘Variants of Interest’ में अभी नहीं रखा गया है। हालांकि एशिया के कुछ देशों जैसे चीन, सिंगापुर और हांगकांग में कोविड मामलों में तेजी के पीछे इन वेरिएंट्स की भूमिका मानी जा रही है।

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भारत में JN.1 अभी भी सबसे प्रमुख वेरिएंट

INSACOG के अनुसार, भारत में इस समय सबसे ज्यादा पाया जाने वाला वेरिएंट JN.1 है, जो कुल सैंपलों में 53% हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन सबवेरिएंट्स (20%) आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि NB.1.8.1 में पाए गए A435S, V445H और T478I जैसे म्यूटेशन इसे ज्यादा तेजी से फैलने और प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में सक्षम बना सकते हैं।

सरकार की नजर, विशेषज्ञों की बैठक

देश में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की गई। इसमें ICMR, NCDC और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। बैठक में बताया गया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सावधानी और निगरानी जारी रहनी चाहिए।

राज्यों से मामले: महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल में हल्की बढ़त

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 19 मई 2025 तक देश में 257 एक्टिव केस हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटे में 23 नए मामले सामने आए हैं। केरल में मई महीने में 273 केस दर्ज किए गए। महाराष्ट्र के ठाणे में गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हुई, जबकि मुंबई, पुणे और नागपुर में भी नए मामले मिले हैं।

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तेलंगाना, उत्तराखंड और एमपी से भी केस रिपोर्ट

तेलंगाना में हैदराबाद के एक पल्मोनोलॉजिस्ट संक्रमित पाए गए थे, जो अब स्वस्थ हैं। उत्तराखंड के ऋषिकेश में गुजरात से आए एक पर्यटक और एम्स ऋषिकेश की डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इंदौर (म.प्र.) में भी दो मरीजों की पुष्टि हुई है।

स्थिति पर नियंत्रण, लेकिन सतर्कता जरूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारें हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं। IDSP और ICMR के सेंटिनल नेटवर्क के जरिए पूरे देश में निगरानी की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन मास्क, हाथ धोना और लक्षण दिखने पर टेस्ट करवाना जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार फिर से अपनाना आवश्यक हो गया है।

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Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur: मिनी पंजाब रुद्रपुर, उत्तराखंड में पंजाबी संस्कृति ...

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Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur: उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का रुद्रपुर, जिसे अक्सर ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और सिख समुदाय की मजबूत उपस्थिति के लिए जाना जाता है। यह शहर न केवल कुमाऊँ क्षेत्र का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षिक केंद्र है, बल्कि सिख संस्कृति और परंपराओं का भी एक महत्वपूर्ण गढ़ है। रुद्रपुर को ‘मिनी पंजाब’ की संज्ञा इसके सिख समुदाय की बड़ी आबादी, उनकी खेती-बाड़ी की परंपरा और पंजाबी संस्कृति के प्रभाव के कारण मिली है। आइए, इसकी वजहों, सिख आबादी और गुरुद्वारों की जानकारी पर एक नजर डालें।

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‘मिनी पंजाब’ क्यों? (Uttarakhand Mini Punjab Rudrapur)

रुद्रपुर को ‘मिनी पंजाब’ कहने की प्रमुख वजह 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद हुई सिख समुदाय की बसावट है। विभाजन के दौरान पंजाब और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों से विस्थापित सिख परिवारों ने उत्तराखंड के तराई क्षेत्र, खासकर उधम सिंह नगर जिले में शरण ली, जिससे यहाँ सिख आबादी का एक मजबूत आधार बना। ये परिवार पंजाब-हरियाणा की तरह गेहूं और धान जैसी फसलों की खेती में माहिर थे, जिसने क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया। इसके अलावा, सिख समुदाय की मेहनत, उद्यमशीलता और सामुदायिक भावना ने रुद्रपुर को पंजाबी संस्कृति का एक छोटा-सा प्रतिबिंब बना दिया। पंजाबी भोजन, त्योहार जैसे बैसाखी, और गुरुद्वारों में होने वाले कीर्तन और लंगर इस क्षेत्र में पंजाबी प्रभाव को और गहरा करते हैं।

सिख आबादी

2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड की कुल आबादी में सिख समुदाय का हिस्सा लगभग 3.17% है, जो राज्य की कुल जनसंख्या (1,00,86,292) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उधम सिंह नगर जिला, जिसमें रुद्रपुर शामिल है, सिखों की सबसे बड़ी आबादी वाला जिला है। उधम सिंह नगर में सिख आबादी काफी अधिक है, जो जिले की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। रुद्रपुर शहर में ही सिख समुदाय की जनसंख्या लगभग 30,000-40,000 के बीच मानी जाती है, हालांकि यह आंकड़ा अनौपचारिक है और नवीनतम जनगणना डेटा के अभाव में अनुमानित है। यहाँ के सिख समुदाय ने न केवल खेती, बल्कि व्यापार, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

गुरुद्वारे: सिख संस्कृति का केंद्र

रुद्रपुर में कई गुरुद्वारे हैं जो सिख समुदाय के धार्मिक और सामाजिक जीवन का केंद्र हैं। इनमें से प्रमुख हैं:

  1. गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, रुद्रपुर: यह शहर का सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा है, जो सिख समुदाय के लिए पूजा और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र है। यहाँ नियमित रूप से कीर्तन, पाठ और लंगर का आयोजन होता है। गुरुद्वारा सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है और यहाँ का लंगर समानता और सेवा के सिख सिद्धांतों को दर्शाता है। यह गुरुद्वारा स्थानीय सिख समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
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2. गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब: रुद्रपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर नानकमत्ता में स्थित यह गुरुद्वारा सिख धर्म के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। गुरु नानक देव जी से संबंधित इस गुरुद्वारे में हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहाँ नानक सागर डैम भी एक आकर्षण है, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।

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सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान

रुद्रपुर के सिख समुदाय ने क्षेत्र की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के बाद रुद्रपुर एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन गया, जिसमें सिख समुदाय के व्यापारियों और उद्यमियों की बड़ी भागीदारी रही। इसके अलावा, सिखों की मेहनत और सामुदायिक भावना ने रुद्रपुर को एक जीवंत और समावेशी शहर बनाया है। यहाँ के गुरुद्वारों में आयोजित लंगर और सामुदायिक सेवा के कार्यक्रम सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करते हैं।

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Health Tips for Summer: गर्मियों में किन सब्जियों से रहें सावधान! जानिए सेहत के लिए ह...

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Health Tips for Summer: गर्मी का मौसम आते ही सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। बढ़ती गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे कई बीमारियां घर कर सकती हैं। इस दौरान अक्सर फल और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ा दिया जाता है ताकि शरीर को ठंडक मिले और पोषण भी मिले। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर हरी सब्जी गर्मियों के लिए फायदेमंद नहीं होती? कुछ सब्जियां गर्म मौसम में खाने से नुकसान भी पहुंचा सकती हैं और सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं उन सब्जियों के बारे में जिनसे गर्मियों में परहेज करना चाहिए।

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आलू: गर्मियों में न करें ज्यादा सेवन- Health Tips for Summer

आलू भारतीय घरों की पसंदीदा सब्जी है, लेकिन गर्मियों में इसका ज्यादा सेवन आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। आलू में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है, जिसे पचाने में गर्मी के मौसम में पेट को दिक्कत हो सकती है। यह पेट में गर्मी बढ़ाता है और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। अगर आप वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं तो गर्मी में आलू से पूरी तरह बचना चाहिए क्योंकि यह वजन बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

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पालक: पाचन संबंधी समस्याओं का कारण

गर्मियों में पालक खाने से भी बचना चाहिए। इस मौसम में पालक के पत्तों में कीड़े लग सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। साथ ही पालक में हिस्तामिन नामक पदार्थ होता है जो कुछ लोगों में एलर्जी और पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। त्वचा पर खुजली और एलर्जी के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं, इसलिए गर्मी में पालक के सेवन से बचना ही बेहतर होता है।

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लहसुन: गर्मी बढ़ाता है शरीर का तापमान

लहसुन अपनी गर्म तासीर के लिए जाना जाता है। गर्मी के मौसम में लहसुन का सेवन शरीर के तापमान को बढ़ा सकता है जिससे आपको त्वचा से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। गर्मी में लहसुन का सेवन सीमित मात्रा में ही करें ताकि आपके शरीर को अतिरिक्त गर्मी न मिले और त्वचा संबंधी दिक्कतें न हों।

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फूलगोभी: पाचन में बाधा डालती है

फूलगोभी की तासीर भी गर्म होती है और यह सर्दियों में ज्यादा खाई जाती है। गर्मी के मौसम में इसका सेवन पाचन तंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है। फूलगोभी खाने से आपको पेट में गैस, एसिडिटी या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गर्मियों में फूलगोभी का सेवन कम से कम करना चाहिए।

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स्वस्थ रहने के लिए गर्मियों में क्या खाएं?

गर्मी के मौसम में खीरा, लौकी, तुरई, परवल, भिंडी जैसी सब्जियां ज्यादा खाना चाहिए क्योंकि ये शरीर को ठंडक देती हैं और पाचन में मदद करती हैं। साथ ही संतरे, तरबूज, आम, नींबू जैसे रसीले फल शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते और शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं।

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First Period Celebration: भारत के अलग-अलग राज्यों में पीरियड्स का जश्न, अछूत से त्योह...

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First Period Celebration: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं के जीवन में एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह शारीरिक परिपक्वता और युवावस्था का संकेत होता है। जहां भारत के कई हिस्सों में आज भी पीरियड्स को सामाजिक अछूत मानकर कई तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं, वहीं कुछ राज्यों में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसे त्योहारों और रीति-रिवाजों का मकसद लड़की के महिला बनने के सफर को सम्मान देना और उसे समाज में स्वीकार्य बनाना है। आइए, जानते हैं भारत के विभिन्न राज्यों में पीरियड्स से जुड़े खास रीति-रिवाज।

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कर्नाटक: ऋतुशुद्धि या ऋतु कला संस्कार- First Period Celebration

कर्नाटक में लड़की के पहली बार पीरियड्स होने पर ‘ऋतुशुद्धि’ नामक समारोह का आयोजन किया जाता है। इसे ‘ऋतु कला संस्कार’ भी कहा जाता है। इस अवसर पर लड़की पहली बार हाफ-साड़ी पहनती है, जो उसकी युवावस्था में प्रवेश को दर्शाता है। इस समारोह के दौरान परिवार और रिश्तेदार इकट्ठा होते हैं, और लड़की को पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं ताकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस नई अवस्था के लिए तैयार हो सके। यह परंपरा यह सुनिश्चित करती है कि लड़की को इस दौरान किसी प्रकार की समस्या न हो।

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असम: तुलोनिया बिया का त्योहार

असम में ‘तुलोनिया बिया’ नामक एक भव्य त्योहार मनाया जाता है जो लड़की के पहली बार मासिक धर्म शुरू होने पर आयोजित होता है। इस त्योहार में लड़की को सात दिनों तक अलग रखा जाता है और उसे कई काम करने से मना किया जाता है। साथ ही, इस दौरान उसे सूर्य, चंद्रमा और तारों को देखना भी अशुभ माना जाता है। सातवें दिन के बाद, लड़की की एक विशेष रस्म होती है जिसमें केले के पौधे से उसकी शादी की जाती है। इस अवसर पर रिश्तेदार आते हैं और लड़की को उपहार देते हैं, जिससे उसे महिला बनने का अहसास होता है।

तमिलनाडु: मंजल निरातु विज़ा समारोह

तमिलनाडु में पीरियड्स को ‘मंजल निरातु विज़ा’ के नाम से मनाया जाता है। यह एक बड़ा पारिवारिक उत्सव होता है जिसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड भेजकर बुलाया जाता है। लड़की को हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है और उसे नारियल, आम और नीम के पत्तों से बनी झोपड़ी (कुदिसाई) में रखा जाता है। इस झोपड़ी में स्वादिष्ट व्यंजन और झाड़ू रखे जाते हैं। नहाने के बाद लड़की को रेशमी साड़ी और आभूषण पहनाए जाते हैं। इस समारोह का समापन ‘पुण्य धनम’ से होता है, जिसके बाद झोपड़ी हटाई जाती है और पंडित घर को पवित्र करता है।

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ओड़िशा: राजा प्रभा का तीन दिन का उत्सव

ओड़िशा में मासिक धर्म को तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसे ‘राजा प्रभा’ कहा जाता है। राजा शब्द संस्कृत के ‘राज’ से लिया गया है, जिसका अर्थ मासिक धर्म होता है। इस दौरान यह माना जाता है कि धरती माता को भी मासिक धर्म होता है। पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को स्नान कराया जाता है। यह समारोह मानसून के दौरान ‘मिथुन संक्रांति’ से जुड़ा होता है, जो बारिश और मिट्टी की उर्वरता का प्रतीक है। इसके अंतर्गत महिलाएं और लड़कियां नए कपड़े पहन कर और मिठाइयों के साथ जश्न मनाती हैं।

आंध्र प्रदेश: पेडमनिषी पंडगा

आंध्र प्रदेश में ‘पेडमनिषी पंडगा’ नामक समारोह मनाया जाता है जो पीरियड्स के पहले, पांचवें और आखिरी दिन होता है। पहले दिन लड़की का ‘मंगल स्नान’ किया जाता है, जिसमें पांच महिलाएं उसे नहलाती हैं, लेकिन उसकी मां इसमें शामिल नहीं होती। पीरियड्स के दौरान लड़की को अलग कमरे में रखा जाता है और उसे बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। खाने-पीने से लेकर बिस्तर तक सभी चीजें अलग रखी जाती हैं। समारोह के आखिरी दिन लड़की को चंदन का लेप लगाया जाता है और उसके चाचा उसे साड़ी व आभूषण भेंट करते हैं।

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Trending GK Quiz: वो कौन सा जानवर है जिसे पानी पीना मना है, वरना होती है मौत? जानिए 1...

Trending GK Quiz: सामान्य ज्ञान, जिसे जनरल नॉलेज भी कहा जाता है, हर व्यक्ति के लिए बेहद आवश्यक होता है। यह न केवल हमारे सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल करने में भी मदद करता है। कहा जाता है कि ज्ञान ही वह शक्ति है, जिसके बल पर व्यक्ति दुनिया में अपना दबदबा बना सकता है, भले ही वह अकेला ही क्यों न हो। इसलिए, हर उम्र के लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे रोजाना कुछ नया सीखते रहें, खासकर वे जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अपना सामान्य ज्ञान मजबूत बनाए रखना चाहिए।

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आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सामान्य ज्ञान से जुड़े 10 ऐसे अनोखे सवाल, जिनके जवाब जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इन सवालों को आप नोट भी कर सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।

सवाल 1: दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कौन सा है? (Trending GK Quiz)

जवाब: माउंट एवरेस्ट।
यह पर्वत पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 8,848.86 मीटर है।

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सवाल 2: कौन सा ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है?

जवाब: बुध।
सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे पास स्थित ग्रह बुध है।

सवाल 3: विश्व का सबसे बड़ा महासागर कौन सा है?

जवाब: प्रशांत महासागर।
यह महासागर क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा महासागर है।

सवाल 4: ताजमहल किस नदी के किनारे स्थित है?

जवाब: यमुना नदी।
आगरा में स्थित ताजमहल यमुना नदी के तट पर बना हुआ है।

सवाल 5: शरीर का सबसे कमजोर अंग कौन सा है?

जवाब: क्लैविकल या कॉलर बोन।
यह हड्डी शरीर की सबसे कमजोर हड्डियों में गिनी जाती है।

सवाल 6: सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा कौन सा है?

जवाब: बांस (Bamboo)।
बांस एक ऐसा पौधा है जो सबसे तेज गति से बढ़ता है और यह कुछ प्रकार के बांस के पौधे एक दिन में कई फीट तक बढ़ सकते हैं।

सवाल 7: सूर्य चंद्रमा से कितना गुना बड़ा है?

जवाब: सूर्य, चंद्रमा से लगभग 400 गुना बड़ा है।
हालांकि दोनों का आकार आकाश में लगभग समान दिखाई देता है, क्योंकि सूर्य चंद्रमा से बहुत दूर है।

सवाल 8: शरीर का सबसे गंदा अंग कौन सा होता है?

जवाब: नाभी।
नाभी में त्वचा के अंदर गंदगी और जीवाणु जमा हो जाते हैं, इसलिए यह शरीर का सबसे गंदा हिस्सा माना जाता है।

सवाल 9: भारत के किस राज्य को ‘देश का अन्न भंडार’ कहा जाता है?

जवाब: पंजाब।
पंजाब को इसकी उपजाऊ जमीन और कृषि उत्पादन के कारण ‘देश का अन्न भंडार’ कहा जाता है।

सवाल 10: कौन सा जानवर पानी पीने के बाद मर जाता है?

जवाब: कंगारू चूहा।
यह जानवर विशेष परिस्थितियों में पानी पीने से मर सकता है, क्योंकि यह बहुत ही खास जल संतुलन में रहता है।

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इन सवालों से न केवल आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि ये आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायक होंगे। रोजाना थोड़ा-थोड़ा ज्ञान बढ़ाने की आदत बनाएं, क्योंकि ज्ञान ही सफलता की कुंजी है। ऐसे रोचक और उपयोगी सामान्य ज्ञान के सवाल और जवाब समय-समय पर सीखते रहना आपकी सोच और समझ को तेज करेगा और आपको हर स्थिति में बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।

तो आज ही इन सवालों को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें और सभी का ज्ञान बढ़ाएं!

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B Praak Struggle Story: बी प्राक के पिता नहीं चाहते थे बेटा बने सिंगर, संघर्ष से बना ...

B Praak Struggle Story: ‘तेरी मिट्टी’, ‘फिलहाल’ और ‘मन भरिया’ जैसे दिल छू लेने वाले गानों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले सिंगर बी प्राक को आज किसी पहचान की ज़रूरत नहीं। उनकी दर्दभरी आवाज़ और इमोशनल टोन ने उन्हें पंजाबी और हिंदी म्यूज़िक इंडस्ट्री का जाना-माना नाम बना दिया है। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे एक लंबा संघर्ष और पारिवारिक असहमति की कहानी छुपी है, जिसे जानकर हर संगीत प्रेमी भावुक हो सकता है।

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जब पिता ने नहीं माना सिंगिंग को करियर- B Praak Struggle Story

हाल ही में एक इंटरव्यू में बी प्राक ने अपनी जिंदगी के उस पहलू का खुलासा किया, जिसे उन्होंने अब तक दुनिया से छिपाकर रखा था। उन्होंने बताया कि उनके पिता, पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री के मशहूर संगीत निर्देशक वरिंदर बचन, नहीं चाहते थे कि उनका बेटा सिंगर बने। वरिंदर बचन ने कई लोकप्रिय पंजाबी गाने और भजन तैयार किए थे और ‘जाट पंजाब दा’ जैसी फिल्मों में भी काम किया था।

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बी प्राक ने बताया कि बचपन में जब वो अपनी मां के साथ बैठते थे, तो हमेशा कुछ न कुछ गुनगुनाते रहते थे। वे तब से ही सिंगर बनना चाहते थे। लेकिन पिता का सपना कुछ और था — वो चाहते थे कि उनका बेटा म्यूजिक डायरेक्टर बने, न कि गायक। उन्होंने साफ शब्दों में बी प्राक से कह दिया था, “तुम अच्छा नहीं गाते, मैं तुम्हें सिंगर के तौर पर लॉन्च नहीं कर सकता।”

खुद से खुद को साबित करने की जिद

अपने बेटे को गायक बनने से रोकने के पीछे वरिंदर बचन की मंशा खराब नहीं थी, बल्कि वह चाहते थे कि बी प्राक पहले संगीत को गहराई से समझें। इसके लिए उन्होंने उन्हें कई स्टूडियो में भेजा, जहां यह सख्त हिदायत दी गई कि उनके साथ किसी भी तरह की विशेष व्यवहार ना किया जाए। पिता ने स्पष्ट कहा कि बी प्राक को अपने दम पर अपनी पहचान बनानी होगी।

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बी प्राक बताते हैं कि उन्हें यह बात चुभी जरूर, लेकिन अब जब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो समझते हैं कि पिता का वह निर्णय ही उनकी असली ताकत बना। उन्होंने सरस्वती स्टूडियो में असिस्टेंट की तरह काम शुरू किया, जहां उन्हें पानी तक पिलाने का काम करना पड़ा। लेकिन यहीं से उन्होंने संगीत को जड़ से समझा और अपने करियर की नींव रखी।

संघर्ष से चमक तक का सफर

पिता के नाम के बिना, अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। लेकिन बी प्राक ने हार नहीं मानी। उनके अनुसार, “ये मेरी जिंदगी की सबसे बेहतरीन सीख थी। उस समय तकलीफ जरूर हुई, लेकिन आज मैं जो भी हूं, उसी फैसले की वजह से हूं।” यही कारण है कि जब उनकी आवाज़ ‘तेरी मिट्टी’ में गूंजी, तो हर दिल को छू गई।

एक भावुक विरासत

बी प्राक के पिता, वरिंदर बचन का साल 2021 में निधन हो गया। हालांकि वह बेटे को सिंगर बनते नहीं देख पाए, लेकिन उन्होंने जो सख्ती और मार्गदर्शन दिया, वही बी प्राक के करियर की सबसे मजबूत नींव बन गया।

आज बी प्राक जिस मुकाम पर हैं, वह न सिर्फ उनकी मेहनत की कहानी है, बल्कि उस पिता-पुत्र के रिश्ते की भी मिसाल है, जिसमें सख्ती के पीछे गहरी सोच और प्यार छिपा होता है। बी प्राक की यह कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच्चाई में बदलना चाहता है – चाहे रास्ता कितना ही मुश्किल क्यों न हो।

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Venice of africa: पानी पर बसा अनोखा गनवी गांव जिसने सोशल मीडिया पर मचाई धूम

Venice of africa: दुनिया में कई तरह के अनोखे और विचित्र गांव मौजूद हैं, जो अपनी विशेषता के कारण सबका ध्यान आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा गांव देखा है जो पूरी तरह से पानी पर बना हो? यदि नहीं, तो अफ्रीका के बेनिन देश में स्थित गनवी (Ganvie) गांव की कहानी आपके लिए बेहद रोचक साबित होगी। इस गांव को ‘अफ्रीका का वेनिस’ कहा जाता है, और इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है।

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पानी पर बसे गनवी गांव की कहानी- Venice of africa

गनवी गांव बेनिन के नोकोई झील के बीचों-बीच स्थित है। लगभग 30,000 लोगों की आबादी वाला यह गांव पूरी तरह पानी पर ही टिका हुआ है। यहां के घर लकड़ी और बांस से बनाए गए हैं, जो मजबूत खंभों पर टिके हुए हैं और पानी के ऊपर लहराते रहते हैं। इस गांव में सड़कें नहीं हैं, और वहां के लोग अपने दैनिक जीवन की गतिविधियां नावों से ही करते हैं। घरों तक पहुंचने, बाजार जाने और कामकाज के लिए भी वे नावों का ही सहारा लेते हैं।

 

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अनोखा जीवन और रोजमर्रा की गतिविधियां

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में गनवी गांव का अनूठा जीवन दिखाया गया है। वीडियो में कई बच्चे पानी में खेलते नजर आते हैं, जबकि तैरते हुए बाजार में दुकानदार नावों पर सामान बेच रहे होते हैं। इस बाजार में हाथ से बनी वस्तुएं, ताजी सब्जियां, मछलियां और अन्य जरूरी चीजें मिलती हैं। यह नजारा ऐसा लगता है जैसे आप किसी फिल्मी दुनिया में आ गए हों।

गांव के ज्यादातर लोग मछली पकड़ने का काम करते हैं। वे पारंपरिक तरीके से, बांस और जाल का उपयोग कर मछली पकड़ते हैं। इसके अलावा, कुछ परिवार पास के मैदानी इलाकों में जमीन लेकर जानवरों का पालन करते हैं। यहां पानी पर ही कई रेस्टोरेंट भी हैं, जहां लोग नाव से पहुंच कर भोजन का आनंद लेते हैं।

गांव की अन्य सुविधाएं और अनूठी चुनौतियां

गनवी गांव में स्कूल, बैंक, डाकघर, चर्च, मस्जिद और मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो इस गांव के रहने वालों को शहर जैसी सुविधाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, यहां की सबसे बड़ी चुनौती कब्रिस्तान का प्रबंधन है। क्योंकि पूरा गांव पानी पर स्थित है, मृतकों को दफनाने के लिए मिट्टी बाहर से लानी पड़ती है।

सोशल मीडिया पर गनवी गांव की लोकप्रियता

यह दिलचस्प वीडियो इंस्टाग्राम के vmotorshowofficial अकाउंट से पोस्ट किया गया है और अब तक इसे चार लाख से अधिक बार देखा जा चुका है। वीडियो को देखकर दर्शक इसकी अनोखी जीवनशैली और प्राकृतिक खूबसूरती की तारीफ कर रहे हैं। कई लोग तो इसे देखकर दंग रह गए और इस अद्भुत गांव को दुनिया के लिए एक चमत्कार मानने लगे हैं।

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Defence Investiture Ceremony 2025: राष्ट्रपति भवन में रक्षा अलंकरण समारोह 2025 के प्र...

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Defence Investiture Ceremony 2025: 22 मई, 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के प्रथम चरण में देश के वीर सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस के बहादुर जवानों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार मरणोपरांत सहित कुल छह कर्मियों को कीर्ति चक्र और सात मरणोपरांत सहित 33 कर्मियों को शौर्य चक्र प्रदान किया।

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इस समारोह में भारतीय वायु सेना (IAF) के चार बहादुर पायलटों को भी शौर्य चक्र से नवाजा गया, जिनकी वीरता और साहस की गाथा हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इन चारों में विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन, स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार, फ्लाइट लेफ्टिनेंट अमन सिंह हंस और कॉर्पोरल (अब सार्जेंट) डाभी संजय हिफ्फाभाई शामिल हैं।

विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन की बहादुरी- Defence Investiture Ceremony 2025

विंग कमांडर कीन को एक उड़ान के दौरान लड़ाकू विमान के ऑयल सिस्टम में अचानक आई गंभीर खराबी और दोनों इंजन बंद हो जाने के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। भारतीय वायु सेना ने बताया कि कीन ने विमान को नियंत्रण में रखते हुए रिहायशी इलाकों से दूर ले जाकर एक इंजन पुनः चालू किया और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की। इस साहसपूर्ण कार्रवाई ने बहुमूल्य राष्ट्रीय संपत्ति और मानवीय जीवन की रक्षा की।

स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार का अद्भुत पराक्रम

रात के समय एक इंस्ट्रक्शनल उड़ान के दौरान, जब लड़ाकू विमान के इंजन में आग लग गई, तब दीपक कुमार ने सीमित विकल्पों के बावजूद असाधारण निर्णय और कुशलता दिखाते हुए विमान को रनवे पर सुरक्षित उतारा। यह स्थिति बेहद खतरनाक थी क्योंकि वह मात्र 1000 फीट की ऊंचाई पर थे। उनकी वीरता ने न केवल विमान को बचाया, बल्कि संभावित जान-माल के नुकसान को टाल दिया।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अमन सिंह हंस की साहसिक पहल

मार्च 2024 में, फ्लाइट लेफ्टिनेंट अमन सिंह हंस एक लंबी दूरी की रात की उड़ान पर थे, जब 28,000 फीट की ऊंचाई पर उनके विमान के कॉकपिट में विस्फोट हो गया। इस हादसे में विमान के महत्वपूर्ण उपकरण बंद हो गए। गंभीर परिस्थिति के बावजूद, उन्होंने धैर्य बनाए रखा, नियंत्रण वापस पाया और विमान को सुरक्षित रूप से नजदीकी हवाई अड्डे पर उतारा। उनके इस साहस ने विमान और जमीनी जीवन को बचाया।

कॉर्पोरल डाभी संजय हिफ्फाभाई की अद्भुत बहादुरी

मई 2024 में जम्मू-कश्मीर में एक आतंकवादी हमले के दौरान कॉर्पोरल डाभी संजय हिफ्फाभाई ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अपनी स्थिति को मजबूत रखा और अपनी टीम की सुरक्षा के लिए दुश्मन से मुकाबला किया। उन्होंने गोली लगने के बावजूद बिना घबराए सामरिक कौशल और साहस दिखाया, जिससे उनकी टीम के कई सदस्य बच गए।

भारतीय वायु सेना का सम्मान

भारतीय वायु सेना ने अपने आधिकारिक ‘X’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से इन चारों वीर योद्धाओं की बहादुरी की कहानी साझा की है। आईएएफ ने इनके साहसिक कारनामों को यादगार बताया और कहा कि ऐसे जवान राष्ट्र की सुरक्षा की धुरी हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किए गए ये सम्मान न केवल इन बहादुर जवानों के अदम्य साहस को सराहते हैं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत हैं। यह समारोह भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता, त्याग और देशभक्ति को उजागर करता है, जो हर भारतीय के दिल में देशप्रेम और गर्व की भावना को जगाता है।

इस प्रकार, रक्षा अलंकरण समारोह 2025 के प्रथम चरण ने देश के वीर सपूतों को सम्मानित कर उनकी अद्भुत वीरता को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण साबित होगी।

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Shashi Tharoor on Pakistan: टीम इंडिया का ग्लोबल मिशन, पाकिस्तान की पोल खोलने विदेश र...

Shashi Tharoor on Pakistan: पाकिस्तान के काले कारनामों को दुनिया के सामने उजागर करने के लिए टीम इंडिया एक महत्वपूर्ण वैश्विक मिशन पर निकल चुकी है। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के नेतृत्व में शनिवार सुबह एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया के लिए रवाना हो गया है। इस मिशन का उद्देश्य पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों और साजिशों से संबंधित सच्चाईयों को संबंधित देशों में स्पष्ट करना है।

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शशि थरूर का स्पष्ट रुख- Shashi Tharoor on Pakistan

प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्वकर्ता शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में भारत की विदेश नीति और कूटनीति पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति पारदर्शिता और संवाद की परंपरा पर आधारित है, लेकिन इसे मध्यस्थता कहना गलत होगा। थरूर ने बताया कि भारत ने न तो पाकिस्तान और न ही किसी अन्य पक्ष के बीच औपचारिक मध्यस्थता की भूमिका निभाई है।

Shashi Tharoor on Pakistan
Source-Google

थरूर ने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर कोई देश हमसे संपर्क करता है और हम उसे अपनी रणनीतियों के बारे में बताते हैं तो क्या इसे मध्यस्थता कहा जाएगा? मुझे नहीं लगता।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत के विदेश मंत्री हमेशा सार्वजनिक रूप से उन संपर्कों की जानकारी साझा करते हैं जो विदेशों से होते हैं।

भारत का साझा रुख विदेशों में

शशि थरूर ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत का एकजुट और स्पष्ट रुख विदेशों में पेश करना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी प्रतिनिधिमंडलों को ब्रीफिंग दी है ताकि वे एक साझा संदेश के साथ विदेश यात्रा करें। थरूर ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करते समय पार्टी के मतभेद पीछे रह जाते हैं और सभी सांसद राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हैं।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद

इस मिशन में कांग्रेस के अलावा एलजेपी, जेएमएम, टीडीपी, भाजपा और शिवसेना के सांसद भी शामिल हैं। शशि थरूर ग्रुप 5 का नेतृत्व कर रहे हैं, जो अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया के दौरे पर है।

Shashi Tharoor on Pakistan
Source-Google

ट्रंप के मध्यस्थता दावे पर भारत की प्रतिक्रिया

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अमेरिका की मध्यस्थता का दावा किया था। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने संघर्षविराम स्थापित करने में सहायता की है, जो व्यापार वार्ताओं के माध्यम से संभव हुआ। हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह संघर्षविराम दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधे संवाद का परिणाम था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का।

मिशन का महत्व

यह मिशन भारत की विदेश नीति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को उजागर करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। भारत की यह पहल उसके हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

शशि थरूर और उनके साथ के सांसद इस प्रतिनिधिमंडल के जरिए विश्व समुदाय को भारत की सच्चाई समझाने के साथ-साथ देश की छवि को भी मजबूत करने का प्रयास करेंगे। इस यात्रा को भारत की कूटनीति की एक सक्रिय और सकारात्मक छवि माना जा रहा है।

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इसलिए पीरियड्स में डार्क चॉकलेट खाना होता है फायदेमंद, जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की रा...

Dark chocolate during periods: पीरियड्स (Periods) के दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं अक्सर कई तरह के उपाय अपनाती हैं। इन्हीं उपायों में से एक है डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate) का सेवन, जिसकी चर्चा हाल के सालों में खूब हुई है। लेकिन क्या वाकई डार्क चॉकलेट पीरियड्स के दौरान आरामदायक और फायदेमंद विकल्प हो सकता है? तो चलिए आपको इस लेख में इस के बारे में विस्तार से बताते हैं और विशेषज्ञों की राय और वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं।

पीरियड्स में डार्क चॉकलेट खाने के फायदे

  • ऐंठन और दर्द कम करना: डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate) मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो लालसा को कम करने में मदद करता है। यह किशोरावस्था के दौरान पेट दर्द और ऐंठन से भी राहत प्रदान कर सकता है।
  • मूड बेहतर करना: मूड स्विंग के कारण निवेशकों में मूड स्विंग आम बात है। डार्क चॉकलेट में सेरोटोनिन (जिसे लोकप्रिय “फील-गुड” हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है) और फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जो मूड को बेहतर बनाते हैं और तनाव को कम करने में मदद करते हैं। यह एक एंटीडिप्रेसेंट के रूप में कार्य कर सकता है।
  • ऊर्जा और स्फूर्ति: कई महिलाएं पीरियड्स के दौरान थका हुआ और कमज़ोर महसूस करती हैं। डार्क चॉकलेट में कैलोरी होती है जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और थकान दूर करने में मदद करती है।
  • सूजन कम करना: डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर (Dark chocolate is rich in antioxidants) होती है, जो शरीर में सूजन को कम करने में मददगार होती है। यह पीरियड्स के दौरान होने वाली किसी भी परेशानी को कम करने में भी मदद कर सकती है।
  • हार्मोनल संतुलन: डार्क चॉकलेट हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में भी मदद कर सकती है, खासकर तब जब पीरियड्स के दौरान हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।

जानें एक्सपर्ट्स की राय क्या कहती है 

विशेषज्ञ आमतौर पर पीरियड्स के दौरान डार्क चॉकलेट खाने की सलाह देते हैं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है जैसे ऐसी डार्क चॉकलेट चुनें जिसमें कम से कम 70% कोको हो। कोको की मात्रा जितनी ज़्यादा होगी, सेहत के लिए उतने ही ज़्यादा फ़ायदे होंगे। डार्क चॉकलेट फ़ायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। दिन में 1-2 छोटे टुकड़े काफ़ी हो सकते हैं।

इसके अलावा डार्क चॉकलेट चुनें जिसमें चीनी कम हो। चीनी का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। आपको बता दें, पीरियड्स के दौरान डार्क चॉकलेट का सेवन दर्द को कम करने, मूड को बेहतर बनाने और ऊर्जा बढ़ाने में मदद कर सकता है। हालांकि, किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ की तरह इसका सेवन भी संयमित तरीके से और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।