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हेयर ट्रांसप्लांट से हुई इंजीनियर की मौत, जानें किन लोगों को नहीं कराना चाहिए ये ट्री...

Men die after hair transplant: हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां 37 वर्षीय इंजीनियर विनीत कुमार दुबे की हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद मौत हो गई। उनकी पत्नी जया त्रिपाठी ने इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन पर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामला बताते हैं और आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं जिन्हें हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए।

हेयर ट्रांसप्लांट के कारण इंजीनियर की मौत

बीते कुछ दिन पहले कानपुर से एक खबर सामने आई जहाँ जहां 37 वर्षीय इंजीनियर विनीत कुमार दुबे की हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद मौत हो गई। दरअसल, विनीत दुबे पनकी पावर प्लांट में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत थे। 11 मार्च को उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ गोंडा गई थीं। 13 मार्च को विनीत कल्याणपुर में एक निजी क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराने गए थे, जिसे एमबीबीएस डॉक्टर चलाते थे। वही 14 मार्च की सुबह जया को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया, जिसमें बताया गया कि विनीत का चेहरा सूज गया है और उसे अस्पताल ले जाया जा रहा है। अचानक कॉल कट गई और फिर उस नंबर पर संपर्क नहीं हो सका। डॉक्टर का फोन भी बंद मिला। जिसके बाद जया ने कानपुर में अपने चाचा से कहा विनीत को अस्पताल ले जाया जाए।

विनीत की हालत बिगड़ने पर उसे रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 15 मार्च को उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद जया त्रिपाठी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। रावतपुर थाने में भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 106 (1) के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जो लापरवाही से मौत का कारण बनती है। पुलिस ने इंजीनियर को डॉक्टर से मिलवाने वालों के बयान दर्ज किए हैं। पुलिस ने डॉक्टर को पूछताछ के लिए बुलाया है, लेकिन वह अभी तक पेश नहीं हुआ है। मामले की जांच जारी है। आपको बता दें, इस घटना के बाद से हेयर ट्रांसप्लांट जैसी कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी है।

जानें कि किसे हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए

आम तौर पर, हेयर ट्रांसप्लांट को एक सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है, लेकिन कुछ चिकित्सा स्थितियाँ और कारक जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसलिए, यह जानना ज़रूरी है कि किसे यह उपचार नहीं करवाना चाहिए दरअसल, जिन लोगों का रक्त शर्करा स्तर ठीक से नियंत्रित नहीं है, उन्हें संक्रमण और घाव भरने में समस्या हो सकती है। वही गंभीर हृदय रोग वाले व्यक्तियों में सर्जरी के दौरान और बाद में जटिलताओं का जोखिम बढ़ सकता है। दूसरी और ऐसे विकारों वाले लोगों में सर्जरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है।

  • इसके अलवा हेपेटाइटिस सी या एचआईवी ये संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर सकते हैं और संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • केलोइड्स बनने की प्रवृत्ति – यदि किसी व्यक्ति में केलोइड्स (असामान्य रूप से बढ़े हुए निशान) बनने की प्रवृत्ति है, तो प्रत्यारोपित क्षेत्र में मोटे निशान बन सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ – कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ उपचार के बाद अवास्तविक उम्मीदों और परिणामों को जन्म दे सकती हैं।
  • कुछ प्रकार के बाल झड़ना – स्कारिंग एलोपेसिया जैसी स्थितियों में, हेयर ट्रांसप्लांट प्रभावी नहीं होते हैं और स्थिति को और खराब कर सकते हैं।
  • दवाएँ – कुछ दवाएँ, जैसे रक्त पतला करने वाली दवाएँ, सर्जरी के दौरान जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
  • धूम्रपान – धूम्रपान रक्त प्रवाह को कम करता है और उपचार प्रक्रिया को धीमा कर सकता है, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है और ग्राफ्ट के जीवित रहने में मुश्किल होती है।

Pakistan Attack India: पाकिस्तान के ड्रोन हमले से हड़कंप! सीजफायर के बावजूद सीमा पर ब...

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Pakistan Attack India: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के तीसरे दिन, 11 मई, सोमवार की रात को जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन गतिविधियाँ देखी गईं। यह घटनाएँ उस वक्त हुईं जब दोनों देशों के बीच संघर्षविराम लागू हुए तीन दिन हो चुके थे। भारतीय सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए कई ड्रोन को मार गिराया और घटनास्थल पर ऐहतियातन सुरक्षा उपायों को लागू किया।

और पढ़ें: India-Pakistan Tension: पीएम मोदी ने ट्रंप की मध्यस्थता को नकारा, जानें वैश्विक मीडिया में किस तरह की आई प्रतिक्रिया?

सीमा पर ड्रोन गतिविधि: सांबा, पठानकोट, जालंधर और बाड़मेर में ड्रोन नजर आए- Pakistan Attack India

सोमवार रात करीब 9 बजे, जम्मू-कश्मीर के सांबा, पंजाब के जालंधर, पठानकोट और राजस्थान के बाड़मेर में संदिग्ध ड्रोन देखे गए। इन इलाकों में सुरक्षा बलों द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई। भारतीय एयर डिफेंस ने सांबा और पठानकोट में ड्रोन को नष्ट कर दिया। पंजाब के होशियारपुर में भी धमाके सुनाई दिए, जिसके बाद पूरे जिले में ब्लैकआउट कर दिया गया।

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सेना का बयान: स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में

भारतीय सेना ने देर रात 11:30 बजे एक बयान जारी करते हुए बताया कि फिलहाल किसी दुश्मन ड्रोन की गतिविधि की सूचना नहीं है। सेना ने कहा कि स्थिति पूरी तरह से शांत और नियंत्रण में है। सेना ने इस दौरान लगातार स्थिति पर निगरानी बनाए रखने का आश्वासन दिया।

भारत-पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच बातचीत

सीजफायर के दौरान भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच सोमवार शाम 5 बजे बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों देशों ने इस बात पर प्रतिबद्धता जताई कि भविष्य में दोनों तरफ से कोई गोली नहीं चलाई जाएगी। दोनों देशों के डीजीएमओ ने सीजफायर की प्रक्रिया को बनाए रखने पर सहमति जताई। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर में उसका उद्देश्य आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई था, और पाकिस्तान ने आतंकवादियों का समर्थन करने की कोशिश की थी।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी और उसके परिणाम

7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद से, पाकिस्तान की गोलाबारी में भारतीय सेना के 5 जवान और BSF के 2 जवान शहीद हो चुके हैं। इसके अलावा, 60 सैनिक घायल हुए हैं और 27 नागरिकों की भी जान गई है। हालांकि, अब स्थिति सामान्य हो रही है और भारतीय सेना पूरी तरह से शांति बनाए रखने के लिए सक्रिय है।

पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का बयान

भारत के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत की एकता और साहस की सराहना की। उन्होंने कहा, “देश ने अपनी मजबूती और संयम से यह साबित कर दिया कि 1.4 अरब लोग एकजुट होकर किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम, साथ ही तीनों सेनाओं की मजबूत तैयारी और तालमेल की वजह से यह ऑपरेशन सफल रहा।”

राजस्थान और पंजाब में ड्रोन गतिविधि और सुरक्षा उपाय

राजस्थान के बाड़मेर जिले के जालीपा में भी ड्रोन की गतिविधियाँ देखी गईं। इसके अलावा, पंजाब के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा और पिलानी में भी आसमान में संदिग्ध वस्तु दिखने की सूचना मिली। कलेक्टर ने इन इलाकों में ऐहतियात के तौर पर ब्लैकआउट कर दिया।

पंजाब के स्कूल-कॉलेजों की बंदी

पंजाब के अमृतसर, तरनतारन और पठानकोट जिलों के प्रशासन ने मंगलवार, 13 मई को सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है। फाजिल्का में भी अगले दो दिन के लिए स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है।

होशियारपुर में धमाके और ब्लैकआउट

पंजाब के होशियारपुर जिले के दसूहा में 5 से 7 धमाकों की आवाजें आईं। इसके बाद जिले में सायरन बजाए गए और ब्लैकआउट कर दिया गया। सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रण में रखा और किसी भी प्रकार की अनहोनी को टालने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया।

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India-Pakistan Tension: पीएम मोदी ने ट्रंप की मध्यस्थता को नकारा, जानें वैश्विक मीडिय...

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India-Pakistan Tension: पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को संबोधित करते हुए भारत की सैन्य शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ नीति को स्पष्ट किया। पीएम मोदी ने इस ऑपरेशन को ‘न्याय की अखंड प्रतिज्ञा’ बताया और कहा कि आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को यह समझ में आ चुका है कि हमारे बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का क्या अंजाम होगा।

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सैन्य शक्ति की सराहना और एयर डिफेंस सिस्टम की सफलता- India-Pakistan Tension

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना की ताकत का बखान करते हुए कहा, “दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। हमारे सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत की सेना न केवल अपनी सीमा की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि वह किसी भी सैन्य चुनौती का डटकर सामना करने में भी सक्षम है।

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अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में कवरेज

प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल भारत में बल्कि वैश्विक मीडिया में भी प्रमुखता से कवर किया गया। अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने इस संबोधन को प्रमुखता दी और लिखा कि भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई को रोका है, लेकिन भविष्य में यदि देश पर कोई आतंकवादी हमला होता है, तो वह अपनी शर्तों पर जवाब देगा। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वह आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर होगी, और आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।

पाकिस्तान के साथ बातचीत पर भारत का स्पष्ट रुख

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने यह बात जोर देकर कही कि “बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते, व्यापार और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” यह बयान भारत की कड़ी नीति को स्पष्ट करता है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।

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अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता की पेशकश पर प्रतिक्रिया

वाशिंगटन पोस्ट ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को अस्वीकार कर दिया है। यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी कड़ी नीति पर अडिग है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।

जापान टाइम्स का विश्लेषण

जापान टाइम्स ने पीएम मोदी के भाषण को विश्लेषित करते हुए लिखा कि मोदी ने न तो अमेरिका का जिक्र किया और न ही सीजफायर के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को श्रेय दिया। इसके बजाय, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले के बाद ही तनाव कम करने की अपील की। यह दर्शाता है कि भारत शांति की पहल करने के बावजूद किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमलों को सहन नहीं करेगा।

भारत की सुरक्षा नीति और परमाणु ब्लैकमेल पर दृढ़ रुख

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को सहन नहीं करेगा। यह बयान पाकिस्तान और अन्य देशों को यह संकेत देता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा और वह किसी भी प्रकार के उकसावे का जवाब अपनी शर्तों पर देगा।

पाकिस्तान के लिए सख्त संदेश

पाकिस्तानी मीडिया एजेंसी समा टीवी ने पीएम मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को युद्ध की धमकी दी है और आक्रामक टिप्पणी करके क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है। समा टीवी ने पीएम मोदी के बयान को “कठोर शर्तें” और “परमाणु ब्लैकमेल” के खिलाफ सख्त रुख के रूप में प्रस्तुत किया है।

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Bulandshahr News: अर्जुन की मौत के बाद पुलिस पर उठे सवाल, कुमकुम का क्या हुआ?

Bulandshahr News: बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद थाना क्षेत्र के ख्वाजपुर गांव में 7 मई को 25 वर्षीय अर्जुन लोधी की लाश पेड़ से फांसी पर लटकी मिली थी। अर्जुन पर एक BA की छात्रा कुमकुम को किडनैप करने का आरोप था। 2 मई से गायब कुमकुम की खोज में पुलिस जुटी थी, लेकिन अर्जुन की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में हत्या या आत्महत्या, दोनों ही पहलुओं पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

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घटना की शुरुआत: गायब छात्रा और अर्जुन पर आरोप- Bulandshahr News

कुमकुम, जो दिलावरी देवी डिग्री कॉलेज चिंगराठी में BA की छात्रा थी, 2 मई को दोपहर 12 बजे घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी, लेकिन उसके बाद उसका कुछ अता-पता नहीं चला। उसके पिता सुरेंद्र लोधी ने अर्जुन पर किडनैपिंग का आरोप लगाते हुए 4 मई को एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने अर्जुन को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन अर्जुन गुरुग्राम में अपने काम पर था और गांव नहीं आया।

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अर्जुन की बहन शीतल की शिकायत

अर्जुन की बहन शीतल ने बताया कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद घर में तोड़फोड़ की और परिवार को धमकियां दीं। शीतल के अनुसार, पुलिस ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर अर्जुन को नहीं ढूंढा गया, तो वे घर की ईंट से ईंट बजा देंगे। अर्जुन के परिवार को डर था कि पुलिस पूछताछ के नाम पर उसे टॉर्चर कर सकती है, इसलिए वह पुलिस से बचने के लिए इधर-उधर छिपता था।

अर्जुन का गांव लौटना और बाद की घटनाएं

अर्जुन 6 मई को अपने मामा के पास छिपने के लिए उटरावली गांव गया था। मामा वीरेंद्र ने बताया कि अर्जुन घबराया हुआ था और कह रहा था कि उसे पुलिस के डर से कहीं भी जाना पड़े, लेकिन उसे अपनी निर्दोषिता का पूरा विश्वास था। 7 मई को अर्जुन फिर से ख्वाजपुर लौटा, और बाद में उसकी लाश पेड़ से लटकी हुई पाई गई। अर्जुन के परिवार ने शक जताया है कि उसे हत्या करके लटकाया गया है, और यह शक लड़की के परिवार द्वारा किया गया हो सकता है, क्योंकि घटनास्थल के पास लड़की के परिवार के लोग शराब पीते हुए देखे गए थे।

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पुलिस का बयान और जांच की दिशा

इस मामले में पुलिस ने अर्जुन की मौत के बाद लड़की के परिवार के कई सदस्यों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारण का पता चलेगा। औरंगाबाद थाना प्रभारी वरुण शर्मा ने बताया कि अभी तक शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आई है, और जांच जारी है।

अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) रिजुल कुमार ने कहा कि पुलिस की टीमें कुमकुम की खोज में लगी हुई हैं, लेकिन फिलहाल उसका कोई पता नहीं चल पाया है। उन्होंने बताया कि अर्जुन से बातचीत करने की कोशिश की गई, लेकिन वह सामने नहीं आया था। पुलिस का कहना है कि जब तक कुमकुम की बरामदगी नहीं होती, तब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाएगा इसमें अर्जुन की कितनी भागीदारी थी?

मामले में उलझनें और सवाल

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह छात्रा कहां है? उसके लापता होने से पहले अर्जुन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, और अब अर्जुन की मौत हो चुकी है। क्या उसकी मौत हत्या है या आत्महत्या, यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ होगा। पुलिस द्वारा अर्जुन के परिवार को बार-बार धमकाने और दबाव बनाने के आरोप भी सामने आ रहे हैं, जिनसे मामले की सच्चाई पर संदेह उठता है।

अर्जुन की मौत के बाद, पुलिस को यह भी समझना होगा कि अर्जुन ने क्यों खुद को छिपा रखा था और क्या उसकी मौत का कारण वही लोग हैं जिन्होंने कुमकुम की गुमशुदगी के बाद अर्जुन को आरोपित किया। यह घटना न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि इस केस में शामिल सभी पक्षों के बीच के तनाव और दबाव को भी सामने लाती है।

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Buddha Purnima 2025: गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य को क्यों भेजा एक वेश्या के घर? जानें पू...

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Buddha Purnima 2025: 12 मई 2025 को पूरे देश में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन खासतौर पर गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जिनका आज भी हमारे जीवन में गहरा प्रभाव है। बुद्ध के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना, जो आज भी लोगों को प्रेरित करती है, वह है उनके शिष्य आनंद और एक वेश्या के बीच हुई घटना, जिसे बुद्ध ने बहुत ही शांति और समझदारी से सुलझाया।

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गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का महत्व- Buddha Purnima 2025

गौतम बुद्ध ने हमेशा अपनी शिक्षाओं में तात्त्विक दृष्टिकोण को प्रमुख माना, जिसमें सही आचरण, आत्मसंयम, और अंतर्मन की शांति को प्राथमिकता दी गई। उनका मानना था कि अगर मनुष्य अपने भीतर की दुनिया को ठीक कर ले, तो बाहरी दुनिया भी खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है। बुद्ध की यह घटना उनके इस सिद्धांत का बेहतरीन उदाहरण है, जहां उन्होंने अपने शिष्य आनंद को एक वेश्या के घर रहने की अनुमति दी, और इस निर्णय के पीछे की गहरी सीख को सिखाया।

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शिष्य आनंद को वेश्या के घर रहने की अनुमति

गौतम बुद्ध और उनके शिष्य अक्सर यात्रा करते रहते थे। उनका एक नियम था कि वे मॉनसून के दौरान एक जगह पर दो महीने से ज्यादा नहीं रुकते थे, ताकि किसी भी परिवार पर बोझ न पड़े। एक दिन शिष्य आनंद, जो बहुत ईमानदार और अनुशासनप्रिय था, एक वेश्या के घर ठहरने का आमंत्रण प्राप्त करता है। उस समय वेश्या का कार्य बहुत ही विवादास्पद था, और ऐसे में आनंद के लिए यह फैसला लेना कठिन था कि वह उस महिला के घर ठहरे या नहीं।

आनंद ने बुद्ध से अनुमति मांगी, और बुद्ध ने उसे मुस्कुराते हुए अनुमति दी। बुद्ध का कहना था कि अगर वह महिला आनंद को इस तरह सादगी और स्नेह के साथ आमंत्रित कर रही है, तो उसे इसका जवाब नहीं देना चाहिए। हालांकि, अन्य शिष्यों को यह बात समझ में नहीं आई। उन्होंने बुद्ध से सवाल किया कि वह अपने शिष्य को एक वेश्या के घर कैसे भेज सकते हैं। बुद्ध ने कहा कि उन्हें तीन दिनों में इसका उत्तर मिलेगा, और इसके बाद आनंद उस महिला के घर रहने चला गया।

तीन दिनों की घटनाएं और बुद्ध का उत्तर

पहले दिन से ही शिष्यों ने आनंद और उस वेश्या के घर से गाने-बजाने की आवाजें सुनीं। दूसरे दिन नाचने की आवाजें भी आईं, और तीसरे दिन शिष्य आनंद और वेश्या को एक साथ नाचते-गाते देख सकते थे। यह सब देखकर शिष्यों ने यह तय कर लिया था कि आनंद अब किसी भी हालत में भिक्षुओं के साथ यात्रा पर नहीं लौटेगा। सभी शिष्य अपने विचारों में थे कि आनंद शायद अब अपनी राह बदल चुका है।

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लेकिन अगले दिन, जब शिष्य अपने बीच चर्चाओं में व्यस्त थे, आनंद अपने साथ एक महिला भिक्षुणी को लेकर आया। यह वही महिला थी, जो पहले वेश्या के रूप में थी। वह अब भिक्षुणी बन चुकी थी। शिष्यों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ, लेकिन बुद्ध मुस्कराए और आनंद की पीठ थपथपाई। उन्होंने शिष्यों से कहा, “अगर आपका चरित्र मजबूत है, तो कोई भी आपको भ्रष्ट नहीं कर सकता। असल में, अगर आप स्वयं पवित्र हैं, तो आप किसी भी व्यक्ति को पवित्र बना सकते हैं।”

बुद्ध की शिक्षा: विश्वास और इच्छाशक्ति का महत्व

गौतम बुद्ध ने इस घटना से यह महत्वपूर्ण शिक्षा दी कि यदि किसी व्यक्ति की इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो वह किसी भी परिस्थिति के प्रभाव में नहीं आता। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी आंतरिक शक्ति पर विश्वास रखना चाहिए। बाहरी परिस्थितियां हमें प्रभावित करने वाली नहीं होतीं, जब तक हम अपनी इच्छाशक्ति और मनोबल को मजबूत रखते हैं।

इसके अलावा, बुद्ध की यह शिक्षा हमें यह भी बताती है कि हमें दूसरों के बारे में बिना किसी पूर्वाग्रह के विचार करना चाहिए। वेश्या, जो समाज के दृष्टिकोण से अपमानित मानी जाती थी, अंत में एक भिक्षुणी बन गई, जिसने खुद को सुधार लिया। यह सिद्ध करता है कि किसी को भी उनके अतीत के आधार पर आंकना गलत है। हमें हमेशा लोगों को उनके वर्तमान और भविष्य के आधार पर समझना चाहिए।

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Akali Dal Rise-Fall: अकाली दल की कहानी, संघर्ष से सत्ता तक! क्या पार्टी फिर से अपनी त...

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Akali Dal Rise-Fall: 1920 में, भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक और सामाजिक संघर्षों की बढ़ती लहर के बीच, शिरोमणि अकाली दल की नींव रखी गई थी। इस दल का उद्देश्य सिख समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना था, खासतौर पर गुरुद्वारों के प्रबंधन के मामलों में। इस दौरान, जथेदार करतर सिंह झब्बर ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि सिख समुदाय को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और इसके लिए एक संगठित दल का गठन किया जाना चाहिए। इस प्रकार, शिरोमणि अकाली दल की स्थापना हुई, जो सिख समुदाय के लिए एक राजनीतिक और सामाजिक शक्ति बन गया।

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अकाली दल की स्थापना के बाद के संघर्ष- Akali Dal Rise-Fall

शिरोमणि अकाली दल ने 1921 में गुरु राम दास के चरणों में अपने संगठन को स्थापित किया और इसने सिखों के धार्मिक अधिकारों को स्थापित करने के लिए संघर्ष शुरू किया। यह आंदोलन सिखों के गुरुद्वारों पर प्रबंधन नियंत्रण की एक लंबी और कठिन प्रक्रिया थी। इस समय के दौरान, अकाली दल ने कई संघर्षों का सामना किया, जिसमें खासतौर पर गवर्नमेंट और धर्म आधारित विरोधी पक्षों से जूझना पड़ा।

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1925 में, सरकारी हस्तक्षेप के बाद, शिरोमणि अकाली दल को ग़रम दल और नरम दल के रूप में विभाजित किया गया। दोनों दलों के बीच अंतरराष्ट्रीय सिख पहचान के लिए संघर्ष के साथ-साथ राजनीतिक समानता की भी जद्दोजहद चलती रही। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल ने 1947 के बाद का राजनीतिक कदम उठाया, जहां कांग्रेस पार्टी से सिखों के अधिकारों को लेकर धोखाधड़ी की गई।

आज़ादी के बाद शिरोमणि अकाली दल की भूमिका और संघर्ष

भारत की स्वतंत्रता के बाद, शिरोमणि अकाली दल ने कई बार अपने हक के लिए संघर्ष किया, जिसमें पंजाबी भाषा के अधिकार और सिखों के लिए अलग राज्य की मांग शामिल थी। सिखों को लगातार केंद्र सरकार से वादे किए गए थे, लेकिन 1947 में विभाजन के बाद उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिला। इसके परिणामस्वरूप अकाली दल ने राजनीतिक मोर्चा खोला और सिखों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखा।

अकाली दल का राजनीतिक प्रभाव और बदलती भूमिका

अकाली दल का प्रभाव 1966 में तेज़ी से बढ़ा, जब पंजाब में सिखों को उनके मूल अधिकार मिले और पंजाबी भाषी क्षेत्रों को राज्य की मंजूरी दी गई। 1967 में, अकाली दल ने पंजाब में पहली बार सत्ता हासिल की और इसने अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। इसके बाद, शिरोमणि अकाली दल ने 1970 में अपनी राजनीति को फिर से स्थिर किया और सत्ता में आने के बाद राज्य की स्थितियों को बेहतर बनाने का काम किया।

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हालाँकि, अकाली दल के भीतर आंतरिक विभाजन और राजनीतिक मतभेदों ने पार्टी की एकजुटता को प्रभावित किया। 1980 के दशक में, पार्टी ने पंजाबी पहचान की रक्षा के लिए कई धार्मिक आंदोलनों में भाग लिया, लेकिन इसके कारण राजनीति में उथल-पुथल भी आई।

1990 के दशक में शिरोमणि अकाली दल की नई दिशा

1990 के दशक में अकाली दल ने पुनः अपनी राजनीतिक दिशा को स्थिर किया। हालांकि, यह समय दल के लिए बहुत मुश्किल था, क्योंकि पार्टी की आंतरिक राजनीति और बाहरी विपक्ष दोनों से लगातार संघर्ष हो रहा था। लेकिन इसके बावजूद अकाली दल ने पंजाब में अपनी सत्ता बनाए रखी और पार्टी को फिर से एकजुट करने के प्रयास जारी रखे। इस समय के दौरान पार्टी में कई बदलाव आए और नए नेताओं ने पार्टी को आगे बढ़ाया।

अकाली दल और वर्तमान स्थिति

आज के समय में शिरोमणि अकाली दल को नए राजनीतिक बदलावों और आंतरिक विभाजन का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के भीतर कुछ नेताओं ने नए सिद्धांतों और योजनाओं के साथ अपनी पहचान बनाई है, जिससे पार्टी में आंतरिक मतभेद सामने आए हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से, शिरोमणि अकाली दल ने वोट राजनीति में प्रवेश किया है, जो अब तक पार्टी की धार्मिक और राजनीतिक पहचान को प्रभावित करता है।

अकाली दल की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया

वर्तमान में, शिरोमणि अकाली दल को अपनी राजनीतिक धारा को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों और धार्मिक समूहों के बीच संतुलन बनाना एक कठिन कार्य है, लेकिन यह आवश्यक है ताकि पार्टी अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए मजबूत हो सके। पार्टी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह एक बार फिर से अपने पंथिक सिद्धांतों और कर्तव्यों को प्राथमिकता दे, क्योंकि यह ही उसकी असली पहचान है।
शिरोमणि अकाली दल की राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन इसने सिख समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। अब, पार्टी को पुनर्निर्माण की जरूरत है ताकि यह अपने सिद्धांतों के आधार पर एकजुट हो सके और पंजाब तथा भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अपना प्रभाव बनाए रख सके।

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India Pakistan Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बावजूद छह प्रमुख फ...

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India Pakistan Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को संघर्ष विराम पर सहमति बनी, जो दोनों देशों के अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष बातचीत का परिणाम था। इस संघर्ष विराम के बाद भी भारत ने अपनी कुछ प्रमुख नीतियों को जारी रखने का निर्णय लिया है, जो पाकिस्तान से जुड़ी गंभीर कूटनीतिक और सैन्य फैसलों के रूप में सामने आए हैं। भारत के इन फैसलों में से छह ऐसे हैं जो युद्ध विराम के बावजूद लागू रहेंगे, और इनका पाकिस्तान के लिए गंभीर प्रभाव हो सकता है।

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सिंधु जल समझौते पर रोक- India Pakistan Ceasefire

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि सिंधु जल समझौते पर रोक जारी रहेगी। यह संधि, जिसे 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच किया गया था, सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के वितरण को नियंत्रित करती है। सूत्रों के अनुसार, शनिवार को हुए युद्ध विराम समझौते में कोई पूर्व शर्त नहीं थी, और इसके तहत सिंधु जल समझौते को स्थगित रखा गया है। यह कदम भारत द्वारा पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान को इस संधि से ऐतिहासिक रूप से लाभ होता है, जिसमें कृषि क्षेत्र के लिए पानी की आपूर्ति शामिल है।

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अटारी चेक पोस्ट का बंद रहना

भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा सीमा क्रॉसिंग को एक सप्ताह के भारी सीमा पार आवाजाही के बाद पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अटारी चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया है, और इस मार्ग से सीमा पार करने वाले व्यक्तियों को 1 मई से पहले वापसी करने का निर्देश दिया गया था। यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापार और यात्रा पर अंकुश लगाने के रूप में देखा जा सकता है।

व्यापार पर प्रतिबंध जारी

भारत ने पाकिस्तान से सभी आयातों पर प्रतिबंध जारी रखने का निर्णय लिया है। यह प्रतिबंध सीधे तौर पर पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं, चाहे वे सीधे हों या मध्यस्थ देशों के माध्यम से, लागू रहेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान में रजिस्टर्ड जहाजों को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश करने से रोका जाएगा। यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में और भी कड़ी दरार को दर्शाता है, जो किसी भी समय सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।

एयर स्पेस पर प्रतिबंध

भारत ने पाकिस्तान से आने और पाकिस्तान से होकर जाने वाली उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद रखने का निर्णय लिया है। यह कदम 30 अप्रैल से लागू है, और इससे पाकिस्तान से गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अब भारतीय हवाई क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद लंबे और वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करना होगा। यह एक कड़ी कूटनीतिक प्रतिक्रिया है, जो पाकिस्तान के लिए निश्चित रूप से असुविधाजनक साबित होगी।

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पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध

भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में पाकिस्तान के अभिनेताओं और कलाकारों पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला लिया है। इसके तहत भारत में चलने वाली ओटीटी प्लेटफार्मों और मीडिया स्ट्रीमिंग सेवाओं को पाकिस्तानी मूल की वेब श्रृंखला, फिल्में, गाने और पॉडकास्ट जैसी सामग्री को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इससे पाकिस्तान की सांस्कृतिक आवाजाही पर प्रभाव पड़ेगा, और भारत में पाकिस्तान की कला और मनोरंजन की उपस्थिति पर रोक लगाई जाएगी।

पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित

पाकिस्तान से आए नागरिकों के लिए भारत ने सभी प्रकार के वीजा सेवाओं को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद लिया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। जिन पाकिस्तानी नागरिकों को पहले ही वीजा जारी किया गया था, उन्हें 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था, और मेडिकल वीजा को 29 अप्रैल तक बढ़ाया गया था। इसके बाद सभी वीजा सेवाओं को रद्द कर दिया गया है।

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Russia South-korea Dangerous weapon: समुद्र में सुनामी लाने की क्षमता रखने वाले खतरना...

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Russia Southkorea Dangerous weapon: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के सैन्य संघर्ष ने दुनियाभर के शक्तिशाली देशों के हथियारों की शक्ति को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। इसमें सबसे प्रमुख नाम रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों का है। भारत ने पाकिस्तान से अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया, जो इस संघर्ष में महत्वपूर्ण साबित हुआ और पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया। वहीं, फ्रांस के अत्याधुनिक राफेल विमान की शक्ति भी 7 मई की रात पाकिस्तान पर भारतीय हमले में दिखाई दी, जिसने दुनियाभर में भारत की सैन्य ताकत का संदेश दिया।

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समुद्र में सुनामी लाने की क्षमता रखने वाले खतरनाक हथियार- Russia Southkorea Dangerous weapon

जब दुनिया के शक्तिशाली देशों के हथियारों की बात होती है, तो रूस और चीन जैसे देशों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। लेकिन रूस और उत्तर कोरिया के पास कुछ ऐसे खतरनाक हथियार भी हैं, जो सिर्फ सेना के लिए नहीं बल्कि पूरे महासागर में सुनामी लाने की क्षमता रखते हैं। ये हथियार इतने ताकतवर हैं कि अमेरिका और चीन जैसे देशों को भी इनके नाम से डर लगता है।

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रूस का ‘पोसिडॉन’: समुद्र में सुनामी लाने की क्षमता वाला अंडरवाटर ड्रोन

रूस, जो हमेशा से अपने अत्याधुनिक हथियारों के लिए जाना जाता है, के पास एक ऐसा खतरनाक हथियार है, जो समुद्र में सुनामी लाने की क्षमता रखता है। इसे ‘अनमैंड अंडरवाटर व्हीकल पोसिडॉन’ कहा जाता है। यह एक अंडरवाटर ड्रोन है, जिसे परमाणु शक्ति से चलाने का दावा किया गया है। पोसिडॉन परमाणु और पारंपरिक हथियार दोनों को कैरी करने में सक्षम है और इसे समुद्र के भीतर लंबी दूरी तक ले जाने की क्षमता प्राप्त है। रूस का कहना है कि यह ड्रोन इतना शक्तिशाली है कि इसका इस्तेमाल समुद्र में सुनामी लाने के लिए किया जा सकता है, जो न केवल युद्ध की दिशा बदल सकता है, बल्कि व्यापक तबाही भी मचा सकता है।

उत्तर कोरिया का ‘हेइल-5-23’: सुनामी लाने वाला दूसरा खतरनाक ड्रोन

रूस के बाद, वह देश जिसकी यह ताकतवर तकनीक है, वह उत्तर कोरिया है। उत्तर कोरिया ने 2024 में दावा किया था कि उसने एक अंडरवाटर न्यूक्लियर ड्रोन का परीक्षण किया है, जो पानी में लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। उत्तर कोरिया ने इस ड्रोन का नाम ‘हेइल-5-23’ रखा है, जहां ‘हेइल’ का अर्थ सुनामी है। उत्तर कोरिया का कहना है कि इस ड्रोन में भी समुद्र में सुनामी लाने की क्षमता है, और यह हथियार विशेष रूप से अमेरिका से खतरे को देखते हुए विकसित किया गया है।

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उत्तर कोरिया का यह कदम उसकी सैन्य रणनीति का हिस्सा है, जो बड़े पैमाने पर परमाणु हथियारों के परीक्षण और विकास से जुड़ा हुआ है। ‘हेइल-5-23’ को एक प्रकार से एक अत्याधुनिक समुद्री हथियार माना जाता है, जिसका उद्देश्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को गंभीर खतरे में डालना है।

इन हथियारों के संभावित प्रभाव

रूस और उत्तर कोरिया द्वारा विकसित किए गए ये अंडरवाटर ड्रोन सैन्य युद्ध की प्रकृति को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं। इन हथियारों की शक्ति इतनी भयंकर है कि ये किसी भी महासागर को अपनी ताकत से हिला सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है। यदि इनका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तो ये न केवल सैन्य जीत दिला सकते हैं, बल्कि इनसे वैश्विक स्तर पर गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट भी पैदा हो सकते हैं।

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Ind vs Pak Tension: कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम समझौते का स्वागत किया है। उनका मानना है कि शांति का रास्ता ही इस समय भारत के लिए सबसे उपयुक्त है। थरूर ने कहा कि 1971 के युद्ध और वर्तमान समय की परिस्थितियों में बड़ा अंतर है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था, तब इंदिरा गांधी ने उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया था, लेकिन वह लड़ाई नैतिक थी, क्योंकि बांग्लादेश को मुक्त कराना एक स्पष्ट और महत्त्वपूर्ण लक्ष्य था।

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1971 का युद्ध और आज की स्थिति में अंतर- Ind vs Pak Tension

शशि थरूर ने कहा कि 1971 में भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए युद्ध लड़ा था, और उस समय का संघर्ष नैतिक और आवश्यक था। उन्होंने कहा कि 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष एक स्पष्ट लक्ष्य के बिना था। पाकिस्तान पर लगातार हमले करते रहना कोई उद्देश्य नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक युद्ध के ठोस कारण नहीं होते, तब तक इसे जारी नहीं रखना चाहिए।

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उनका यह भी कहना था कि भारत के लोग शांति के हकदार हैं। उन्होंने पुलवामा और कश्मीर में हुए आतंकी हमलों का हवाला देते हुए कहा कि हमारे लोग बहुत कुछ सह चुके हैं। शशि थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार आतंकवादियों को सबक सिखाने में कामयाब रही है, लेकिन अब इस संघर्ष को बढ़ाने का कोई उद्देश्य नहीं है।

आतंकवादियों को पकड़ने की सरकार की कोशिश जारी

थरूर ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि भारत सरकार पहलगाम आतंकवादी हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने के प्रयासों को जारी रखेगी। यह हमला 26 निर्दोष भारतीयों की जान ले चुका था, और थरूर का मानना है कि आतंकवादियों को पकड़ने के लिए समय और मेहनत लगेगी, लेकिन यह काम होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरे देश को लंबे समय तक युद्ध के जोखिम में डालें।

1971 की जीत एक महान उपलब्धि

शशि थरूर ने 1971 की जीत को एक महान उपलब्धि बताया, जिसे भारतीयों के रूप में गर्व के साथ याद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने उस समय उपमहाद्वीप का नक्शा फिर से लिखा था और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 2025 में पाकिस्तान की स्थिति और शक्ति पूरी तरह से बदल चुकी है। पाकिस्तान के पास आज ऐसे हथियार और सैन्य उपकरण हैं जो युद्ध की स्थितियों को बेहद जटिल बना सकते हैं।

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पाकिस्तान पर सिर्फ गोले दागते रहना कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं

थरूर ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत ने लोगों को स्वतंत्रता दिलाने के लिए नैतिक लड़ाई लड़ी थी, लेकिन आज पाकिस्तान पर केवल गोलाबारी करना कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ कोई संघर्ष शुरू करने के रूप में नहीं देखा था। अगर पाकिस्तान ने बातचीत के लिए आगे कदम नहीं बढ़ाया होता, तो भारत भी इस दिशा में नहीं बढ़ता।

कांग्रेस की इंदिरा गांधी को याद करने की प्रतिक्रिया

कांग्रेस के नेताओं ने युद्ध विराम की खबर आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीरें साझा की थीं, जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत को जीत दिलाई थी। इस पोस्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद के सैन्य कदमों की आलोचना के रूप में देखा गया। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने जवाब देते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह याद नहीं हैं, और यह सवाल भी उठाया कि 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने क्या कार्रवाई की थी।

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Vikram Misri Trolling: विक्रम मिसरी के खिलाफ सोशल मीडिया ट्रोलिंग, असदुद्दीन ओवैसी और...

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Vikram Misri Trolling: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। कई यूजर्स ने उनके पोस्ट्स पर अभद्र टिप्पणियां कीं और यहां तक कि विक्रम मिसरी की पुरानी तस्वीरों को साझा किया, जिसमें उनके परिवार के सदस्यों का जिक्र भी किया गया। इस दौरान उनकी बेटी का मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किया गया। इसके बाद विक्रम मिसरी ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपना X अकाउंट प्राइवेट कर लिया। इसका मतलब है कि अब केवल वेरिफाइड यूजर्स ही उनका अकाउंट देख सकते हैं और पोस्ट्स पर टिप्पणी कर सकते हैं। इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने उनकी ट्रोलिंग की कड़ी आलोचना की और कहा कि सीनियर अधिकारियों को पर्सनल स्तर पर निशाना बनाने वाले लोगों के खिलाफ इंडिया मजलिस जानी चाहिए।

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असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस ने किया विक्रम मिसरी का बचाव– Vikram Misri Trolling

विक्रम मिसरी पर हो रही इस ट्रोलिंग के बीच, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उनके समर्थन में आवाज उठाई। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में विक्रम मिसरी को “ईमानदार और मेहनती राजनयिक” बताया और ट्रोल्स को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने लिखा, “विक्रम मिसरी एक सभ्य, ईमानदार और मेहनती डिप्लोमेट हैं, जो हमारे देश के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं। हमें याद रखना चाहिए कि सिविल सेवक कार्यपालिका के अधीन काम करते हैं, और उन्हें किसी भी राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।”

कांग्रेस नेता सलमान अनीस सोज ने भी विक्रम मिसरी का समर्थन किया और ट्रोल्स पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “विक्रम मिसरी एक कश्मीरी हैं और उन्होंने भारत को गर्व महसूस कराया है। किसी भी तरह की ट्रोलिंग उनकी देश सेवा को कम नहीं कर सकती। अगर कोई शुक्रिया नहीं कह सकता तो उसे अपना मुंह बंद रखना चाहिए।”

सीजफायर की घोषणा और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

विक्रम मिसरी के खिलाफ यह ट्रोलिंग उस समय शुरू हुई, जब उन्होंने 10 मई को प्रेस ब्रीफिंग में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की जानकारी दी। हालांकि, इस घोषणा के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने फिर से सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे सोशल मीडिया पर विक्रम मिसरी पर कड़ी आलोचना शुरू हो गई। इसके बाद, ट्रोल्स ने विक्रम मिसरी और उनके परिवार के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां की, जो उनकी सामाजिक स्थिति और कड़ी मेहनत को पूरी तरह नकारा कर रही थीं।

 

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विक्रम मिसरी का करियर और योगदान

विक्रम मिसरी, जो अब भारत के 35वें विदेश सचिव के रूप में कार्यरत हैं, ने 2024 में इस पद का कार्यभार संभाला। इसके पहले वे 2022 से 2024 तक भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर के डिप्टी थे और इससे पहले 2019 से 2021 तक चीन में भारतीय एंबेसडर रहे। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण स्थानों पर कार्य किया है, जैसे कि स्पेन, म्यांमार और इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में प्राइवेट सेक्रेटरी के तौर पर।

विक्रम मिसरी की व्यक्तिगत पृष्ठभूमि

विक्रम मिसरी का जन्म 7 नवंबर 1964 को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुआ था और वे एक कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। बाद में उन्होंने झारखंड के जमशेदपुर के जेवियर लेबर रिलेशंस इंस्टीट्यूट से MBA किया। सरकारी सेवा में आने से पहले, विक्रम मिसरी ने विज्ञापन क्षेत्र में भी काम किया था, जिसमें लिंटास इंडिया और कॉन्ट्रैक्ट एडवरटाइजिंग जैसे प्रमुख नाम शामिल थे।

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