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 Trump Meets Syria President: सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को अमेरिका का रेड कारप...

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Trump Meets Syria President: दुनिया की राजनीति कब, कहां और कैसे करवट ले ले इसे समझना आसान नहीं है। और जब बात अमेरिका की हो, तो कुछ भी संभव है। जो अमेरिका कभी किसी को ‘आतंकी’ करार देता है, वहीं कुछ सालों बाद उसी को गले भी लगा लेता है। ताजा मामला सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा का है, जिनके लिए कभी अमेरिका ने सबसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था और आज वही अमेरिका उनके लिए रेड कारपेट बिछा रहा है।

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2013 में ‘ग्लोबल टेररिस्ट’, 2025 में ‘स्टेट गेस्ट’ Trump Meets Syria President

अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जिन्हें अमेरिका ने 2013 में ‘स्पेशली डिज़िग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ घोषित किया था। उस समय उनका नाम अमेरिका की आतंकी निगरानी सूची में था। लेकिन अब, यही शख्स संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंचे हैं वो भी एक स्टेट गेस्ट के रूप में।

यह 58 साल में पहली बार हुआ है जब कोई सीरियाई नेता अमेरिका की धरती पर आधिकारिक रूप से कदम रख रहा है। इससे पहले 1967 में नुरुद्दीन अल-अतासी अमेरिका आए थे। उनके बाद से ही अल-असद परिवार ने सीरिया की सत्ता संभाली थी। लेकिन अब, एक नए नेता के रूप में अहमद अल-शरा ने राजनीतिक इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ दिया है।

विद्रोही से राष्ट्रपति तक का सफर

अहमद अल-शरा की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। वे एक दशक से ज्यादा वक्त तक उत्तरी सीरिया में विद्रोही नेता रहे। उन्होंने बागी गुटों की अगुवाई की, संघर्ष किया, और धीरे-धीरे सत्ता की ओर बढ़े। अंततः उन्होंने सीरिया पर नियंत्रण पा लिया। सत्ता में आने के बाद अल-शरा ने अपनी छवि बदलने पर खासा ध्यान दिया खुद को एक ‘विजनरी लीडर’ के तौर पर पेश करने लगे।

डोनाल्ड ट्रंप से हो चुकी है मुलाकात

सिर्फ UNGA ही नहीं, अल-शरा की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात भी सुर्खियों में रही है। ये मुलाकात मई 2025 में सऊदी अरब में हुई थी, जहां गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) के सम्मेलन में दोनों नेताओं ने बात की। इस बैठक में ट्रंप ने बड़ा ऐलान करते हुए सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने की बात कही और कहा कि अमेरिका अब सीरिया की नई सरकार के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में काम करेगा।

ये कदम अमेरिका की विदेश नीति में 180 डिग्री के बदलाव जैसा था और इसे एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा गया।

लेकिन चुनौतियां अब भी बरकरार

अल-शरा के सामने अभी भी कई गंभीर चुनौतियां हैं। सीरिया अब भी गृहयुद्ध जैसी स्थिति से जूझ रहा है। जून में सुवैदा इलाके में हिंसक घटनाएं हुईं, और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। इसके अलावा, इजरायल द्वारा सीरिया के कुछ क्षेत्रों में किए गए हवाई हमलों ने हालात को और बिगाड़ दिया।

सीरिया ने इन हमलों को लेकर इजरायल पर आरोप लगाया कि वह 1974 के डिसएंगेजमेंट एग्रीमेंट का उल्लंघन कर रहा है और सैन्य ठिकाने बना रहा है।

अमेरिका का बदला रुख या कोई रणनीति?

अब सवाल ये उठता है कि क्या अमेरिका का यह बदलता रवैया केवल कूटनीतिक मजबूरी है या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है? अहमद अल-शरा की रिहाई और उनका स्वागत ये बताता है कि अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, अब मध्य पूर्व में नई समीकरण बनाने की कोशिश कर रहा है।

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Azam Khan News: आजम खान की रिहाई से UP की सियासत में हलचल, सपा से दूरी या बसपा की ओर ...

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Azam Khan News: उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े चेहरे और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान करीब 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा होने जा रहे हैं। मंगलवार, 23 सितंबर को उन्हें जेल से रिहा किया जाएगा। लंबे वक्त से कानूनी लड़ाई लड़ रहे आजम को आखिरकार राहत मिली है और अब उनकी रिहाई ने यूपी की सियासत में नया मोड़ ला दिया है।

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रामपुर की राजनीति में वापसी, फिर से केंद्र में आजम? Azam Khan News

दरअसल रामपुर की राजनीति में आजम खान का दशकों से दबदबा रहा है। लेकिन जब से वो जेल गए, इस इलाके की सियासी तस्वीर काफी हद तक बदल चुकी है। हाल ही में रामपुर लोकसभा उपचुनाव और विधानसभा सीट पर सपा की पकड़ बरकरार तो रही, लेकिन आजम की गैरमौजूदगी से उनके प्रभाव में भारी गिरावट आई। अब जब वो वापसी कर रहे हैं, तो सवाल ये है कि क्या वे फिर से उसी ताकत के साथ वापसी करेंगे?

आजम के करीबी अभी भी सपा के संगठन में सक्रिय हैं, जिससे साफ है कि उनकी पकड़ अब भी कमजोर नहीं हुई है। रामपुर के साथ-साथ पूरे पश्चिमी यूपी की राजनीति में आजम खान की वापसी हलचल मचाने वाली साबित हो सकती है।

अखिलेश यादव से रिश्ते में आई खटास?

आजम खान और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के रिश्तों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। पिछले दो सालों में अखिलेश सिर्फ एक-दो बार ही आजम से मिलने सीतापुर जेल पहुंचे। उनकी जमानत के लिए पार्टी की तरफ से भी कोई बड़ा सार्वजनिक प्रयास नहीं दिखा। इन बातों को लेकर ये अटकलें तेज हैं कि आजम अब सपा से नाराज़ हैं।

इस बीच नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजम से मुलाकात और कुछ नेताओं की तरफ से बसपा जॉइन करने के कयास भी लगने लगे हैं। हालांकि, आजम के सपा छोड़ने की फिलहाल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राजनीति में “संकेत” भी बहुत कुछ कह जाते हैं।

बसपा का ऑफर और सपा के लिए खतरे की घंटी?

आजम खान की रिहाई से ठीक एक दिन पहले, बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह ने एक बड़ा बयान देकर माहौल और गर्मा दिया। उन्होंने कहा, “अगर आजम खान बसपा में आते हैं तो उनका दिल से स्वागत होगा।” उनका मानना है कि आजम जैसे नेता के आने से बसपा को मजबूती मिलेगी और 2027 विधानसभा चुनाव में यह कदम फायदेमंद साबित हो सकता है।

इस बयान ने सपा की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अगर आजम खान जैसा मजबूत मुस्लिम चेहरा बसपा में शामिल होता है, तो मुस्लिम-दलित वोटों का एक नया समीकरण बन सकता है। ये न सिर्फ सपा के लिए झटका होगा, बल्कि भाजपा के लिए भी नई चुनौती बन सकती है।

क्या वाकई सपा छोड़ेंगे आजम?

हालांकि, सपा के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि आजम खान पार्टी छोड़ने वाले नहीं हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “आजम खान की वफादारी समाजवादी पार्टी के साथ रही है। उनके बसपा जाने की बातें सिर्फ अफवाह हैं।” लेकिन इन अफवाहों की वजह भी कुछ ठोस हैं जैसे अखिलेश यादव से दूरी, जमानत के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की कमी, और विपक्षी नेताओं से मुलाकातें।

वहीं, यह भी खबरें हैं कि मायावती ने चुपचाप आजम खान के परिवार से संपर्क बढ़ाया है, ताकि एक मजबूत मुस्लिम चेहरा पार्टी में जोड़ा जा सके। मायावती की नजरें 2027 विधानसभा चुनाव पर हैं, और आजम जैसे नेता को साथ लाना उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

2027 की राजनीति की तैयारी?

आजम खान की रिहाई के साथ ही यूपी की राजनीति एक नए मोड़ पर आ गई है। आने वाले हफ्तों में साफ होगा कि आजम अपने पुराने घर यानी सपा में ही रहेंगे या फिर बसपा का दामन थामेंगे। अगर वो बसपा में जाते हैं, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम-दलित गठजोड़ बन सकता है, जिससे सपा का पारंपरिक वोट बैंक कमजोर हो सकता है।

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GST Rate Cut: नवरात्रि के पहले दिन GST कटौती से ऑटो सेक्टर में उथल-पुथल, Tata Motors ...

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GST Rate Cut: नवरात्रि के पहले दिन, 22 सितंबर को, ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नई हलचल देखने को मिली, जब Tata Motors ने फेस्टिव सीजन की शुरुआत में शानदार बिक्री के आंकड़े पेश किए। इस दिन कंपनी ने 10,000 से अधिक वाहनों की डिलीवरी की और 25,000 से ज्यादा ग्राहक इन्क्वायरीज प्राप्त कीं। यह उत्साह और ग्राहकों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि GST रेट कट का सीधा असर बाजार पर पड़ा है।

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GST रेट कट: एक बड़ा असर

22 सितंबर से लागू हुए नए GST रेट कट ने ऑटो सेक्टर को एक नया जीवनदान दिया है। इस टैक्स कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों को हुआ है, खासकर कारों और SUVs पर। 5 सितंबर को, Tata Motors ने स्पष्ट किया था कि इस नई GST कटौती का पूरा लाभ वे अपने ग्राहकों तक पहुंचाएंगे, और यही बात ग्राहकों ने महसूस की है। कंपनी ने नवरात्रि के पहले दिन को भी अपने लिए एक अहम मौके के रूप में लिया, जब बिक्री और इन्क्वायरी दोनों में ही अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई।

अन्य कंपनियों का भी शानदार प्रदर्शन- GST Rate Cut

Tata Motors का यह प्रदर्शन अकेला नहीं है। अन्य प्रमुख ऑटो कंपनियों जैसे मारुति सुजुकी और Hyundai Motor India ने भी फेस्टिव सीजन की शुरुआत धूमधाम से की। मारुति सुजुकी ने 22 सितंबर को लगभग 80,000 इन्क्वायरीज प्राप्त कीं और करीब 30,000 वाहनों की डिलीवरी की। यह कंपनी के 35 साल के इतिहास में सबसे मजबूत नवरात्रि शुरुआत थी।

Hyundai Motor India ने भी पिछले पांच वर्षों में किसी एक दिन की डीलर बिलिंग का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया। कंपनी ने एक ही दिन में 11,000 डीलर बिलिंग्स दर्ज कीं, जो एक नया रिकॉर्ड है। यह कंपनी के लिए भी एक बड़ी सफलता है, और इसका मुख्य कारण GST कटौती और ग्राहकों के लिए विशेष ऑफर्स को माना जा रहा है।

ऑटो कंपनियों के लिए उत्सव की शुरुआत

GST 2.0 के तहत टैक्स दरों में कटौती और कंपनियों के द्वारा पेश किए गए आकर्षक फेस्टिव ऑफर्स का असर अब पूरे ऑटो सेक्टर में दिखाई दे रहा है। नवरात्रि के पहले दिन से ही डीलरशिप्स पर कार खरीदारों की भीड़ देखने को मिली और इन्क्वायरी में भी भारी वृद्धि हुई। ऑटो कंपनियां, जैसे Tata Motors, Maruti Suzuki, और Hyundai, ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए GST कटौती के साथ-साथ अन्य डिस्काउंट्स और ऑफर्स भी दे रही हैं।

ऑटो शेयर बाजार में भी हलचल

इस उत्सवी सीजन में कंपनियों की शानदार बिक्री का असर शेयर बाजार में भी दिखा। Tata Motors के शेयर मंगलवार को 1.7% की बढ़त के साथ ₹707.8 प्रति शेयर के इंट्राडे उच्चतम स्तर तक पहुंचे थे। हालांकि, इस साल अब तक कंपनी के शेयर में 6.4% की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि पूरे उत्सवी सीजन में मांग बनी रहेगी।

मारुति का एंट्री-लेवल कारों पर खास ऑफर

मारुति सुजुकी ने न केवल अपनी कारों पर GST कट का लाभ ग्राहकों को दिया, बल्कि कंपनी ने खासतौर पर एंट्री-लेवल कारों पर अस्थायी छूट भी दी है। इसका मकसद दोपहिया वाहन मालिकों को अपनी कारों की तरफ आकर्षित करना है। इस कदम से कंपनी को न केवल नए ग्राहक मिलेंगे, बल्कि यह भारत के मिडल क्लास और पहली बार कार खरीदने वालों को भी लुभाएगा।

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Malayalam Superstar Mohanlal Journey: एक्टर बनने से पहले था कुश्ती चैंपियन, साउथ का य...

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Malayalam Superstar Mohanlal Journey: साउथ सिनेमा आज जिस ऊँचाई पर है, उसमें कई दिग्गज कलाकारों का हाथ है। इनमें से एक नाम है मोहनलाल का, जिनकी फैन फॉलोइंग सिर्फ केरल तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पर्दे पर आने से पहले मोहनलाल एक बेहतरीन पहलवान थे और उनकी जिंदगी की शुरुआत एक खेल के मैदान से हुई थी, न कि फिल्मी सेट से।

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जब अखाड़े से मिली पहचान- Malayalam Superstar Mohanlal Journey

मोहनलाल विश्वनाथन ने अपने करियर की शुरुआत बतौर कुश्ती चैंपियन की थी। 1977 से 1978 के दौरान वो स्टेट लेवल कुश्ती चैंपियन रहे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में होने वाली नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का मन बनाया था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

उन्हें एक दिन अचानक एक फिल्म ऑडिशन के लिए कॉल आया और यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। उन्होंने पहलवानी छोड़ दी और कैमरे के सामने आने का फैसला किया। और यकीन मानिए, इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पर्दे पर भी दमदार, असल ज़िंदगी में भी

मोहनलाल सिर्फ पर्दे के ही हीरो नहीं हैं, असल जिंदगी में भी उन्होंने दमखम दिखाया है। साल 2012 में उन्हें दक्षिण कोरिया के वर्ल्ड ताइक्वांडो हेडक्वार्टर से ब्लैक बेल्ट से नवाजा गया। यानी एक्टर के अंदर असली मार्शल आर्टिस्ट की ताकत भी है।

रिकॉर्ड ब्रेकर सुपरस्टार

मोहनलाल का फिल्मी करियर कई मायनों में बेमिसाल है। अपने चार दशक से ज्यादा के करियर में वो 400 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं। एक बार तो उन्होंने एक ही साल में 35 फिल्में की थीं, जिनमें से 25 सुपरहिट साबित हुईं। ये आंकड़े किसी भी सुपरस्टार के लिए एक सपना हो सकते हैं।

दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड की घोषणा

हाल ही में मोहनलाल को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान यानी दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह सम्मान उन्हें 23 सितंबर 2025 को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा। इससे पहले भी उन्हें चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है।

साल 2025 में धमाकेदार वापसी

2025 मोहनलाल के लिए बेहद खास साल रहा है। उनकी तीन फिल्में हृदयपूर्वम, थुडारम और एल2 एम्पुरान बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हिट रहीं। इससे साफ है कि उम्र चाहे जो भी हो, मोहनलाल का स्टारडम अब भी लोगों के सिर चढ़कर बोलता है।

पर्सनल लाइफ भी उतनी ही संतुलित

मोहनलाल की निजी जिंदगी भी काफी शांत और प्रेरणादायक रही है। उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा है और दोनों के एक बेटा और एक बेटी हैं। पर्दे पर जितने सशक्त नजर आते हैं, निजी जीवन में भी उन्होंने हमेशा संतुलन बनाए रखा है।

मोहनलाल की कहानी सिर्फ एक कलाकार की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने जिंदगी में जो भी रास्ता चुना, उसमें खुद को पूरी तरह झोंक दिया। चाहे वो पहलवानी का मैदान हो या फिल्मी दुनिया मोहनलाल ने हर जगह अपनी मेहनत और लगन से पहचान बनाई। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार उनकी इसी मेहनत का एक शानदार प्रमाण है।

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West Bengal News: 6600 कंपनियां छोड़ गईं बंगाल! ममता सरकार के खिलाफ कोर्ट पहुंची इंडस...

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West Bengal News: पश्चिम बंगाल में उद्योगों को दी जाने वाली तीन दशक पुरानी प्रोत्साहन योजनाओं को खत्म करने के राज्य सरकार के फैसले से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। देश की नामी-गिरामी कंपनियाँ अल्ट्राटेक सीमेंट, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग, डालमिया सीमेंट और नुवोको विस्तास अब कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी हैं, जहाँ उन्होंने सरकार के इस फैसले को ‘असंवैधानिक’ और ‘उद्योग-विरोधी’ करार दिया है।

हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को संयुक्त रूप से सुनने का निर्णय लिया है, और अगली सुनवाई की तारीख 7 नवंबर 2025 तय की गई है।

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क्या है पूरा मामला? West Bengal News

मार्च 2025 में ममता बनर्जी सरकार ने ‘पश्चिम बंगाल अनुदान और प्रोत्साहन की प्रकृति में प्रोत्साहन योजनाओं और दायित्वों का निरसन विधेयक, 2025’ पारित किया था। यह कानून अप्रैल में अधिसूचित हो गया, जिसके तहत 1993 से अब तक लागू सभी औद्योगिक प्रोत्साहन योजनाएँ रद्द कर दी गईं। इसमें वो सभी सुविधाएँ शामिल थीं जो राज्य ने कंपनियों को आकर्षित करने के लिए दी थीं – जैसे:

  • जमीन पर सब्सिडी
  • टैक्स रिफंड
  • बिजली दरों पर छूट
  • ब्याज में राहत
  • और अन्य वित्तीय लाभ

सरकार का कहना है कि अब इन संसाधनों को आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए उपयोग किया जाएगा। लेकिन कंपनियों का कहना है कि यह फैसला पीछे से वार जैसा है, जिससे उनके मौजूदा निवेश खतरे में पड़ गए हैं।

कंपनियों की दलीलें

इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग ने कोर्ट में कहा है कि यह अधिनियम ‘राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर’ और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनका दावा है कि उन्होंने राज्य की नीतियों पर भरोसा करके निवेश किया, और अब जब वो सुविधाएँ अचानक छीनी जा रही हैं, तो ये सीधे-सीधे ‘वादा तोड़ने’ जैसा है।

कंपनियाँ यह भी कह रही हैं कि इस फैसले से राज्य में काम करना आर्थिक रूप से मुश्किल हो गया है और उनकी उत्पादन लागत तेजी से बढ़ रही है।

उद्योग और राजनीति के टकराव की लंबी कहानी

पश्चिम बंगाल का औद्योगिक इतिहास अक्सर राजनीति के हस्तक्षेप से बर्बाद होता आया है। वामपंथी शासन में मजदूर यूनियनों की सख्ती और पूंजी-विरोधी सोच ने कई कंपनियों को बाहर जाने पर मजबूर किया। वहीं, ममता बनर्जी भी सत्ता में सिंगुर और नंदीग्राम जैसे आंदोलनों के बल पर आईं जहाँ फैक्ट्रियों के लिए जमीन अधिग्रहण का जमकर विरोध हुआ।

2011 से अब तक 6,600 से ज्यादा कंपनियाँ बंगाल छोड़ चुकी हैं, जिनमें 2,200 सिर्फ पिछले पाँच साल में चली गईं। जुलाई 2025 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि ये कंपनियाँ ज्यादातर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली चली गईं। ब्रिटानिया ने 2024 में अपनी कोलकाता यूनिट बंद कर दी और टाटा तो पहले ही सिंगुर से बाहर हो चुका था।

विकास की जगह वोट बैंक?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आर्थिक कम, राजनीतिक ज्यादा है। 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं पर ज़ोर दिया है। लेकिन इसकी कीमत राज्य के औद्योगिक भविष्य को चुकानी पड़ रही है।

जहाँ दूसरे राज्य सस्ती ज़मीन, टैक्स छूट और तेज़ मंजूरी प्रक्रिया देकर निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं, वहीं बंगाल में अनिश्चितता, राजनीतिक हस्तक्षेप और पॉलिसी रिवर्सल का डर है।

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Navratri baby girl names: नवरात्रि के मौके पर अपनी नन्ही परी के लिए रखें देवी से प्रे...

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Navratri baby girl names: हर माता-पिता के लिए अपनी बेटी के लिए नाम चुनना एक बेहद खास पल होता है। नाम केवल एक पहचान नहीं, बल्कि उसके भविष्य की दिशा, सोच और ऊर्जा का प्रतीक भी बन जाता है। ऐसे में जब नवरात्रि जैसा पावन पर्व सामने हो, तो यह मौका बन जाता है देवी के किसी सुंदर, पवित्र और शक्ति से भरे नाम को चुनने का।

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नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, और हर स्वरूप एक अलग गुण, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक होता है। अगर आप इस दौरान अपनी बेटी का नाम रखने का विचार कर रहे हैं, तो देवी से जुड़े कुछ खूबसूरत नाम आपके लिए खास हो सकते हैं। ये नाम न केवल सुंदर और ट्रेंडी हैं, बल्कि उनके पीछे छिपे अर्थों में भी गहराई और ताकत है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ खास नामों के बारे में:

आनंद का स्रोत – नंदिनी (Nandini)

नंदिनी का अर्थ है ‘खुशी देने वाली’। यह नाम न केवल कर्णप्रिय है बल्कि बेटी के जीवन में सुख-समृद्धि का संकेत भी देता है।

भक्ति और पवित्रता – पार्वती (Parvati) Navratri baby girl names

पार्वती का अर्थ होता है ‘पर्वत की पुत्री’। यह नाम पवित्रता, मातृत्व और भक्ति का प्रतीक है, और भारतीय संस्कृति में अत्यंत आदरणीय माना जाता है।

आधारशक्ति – आध्या (Aadhya)

आध्या का अर्थ होता है ‘प्रथम शक्ति’। यह नाम मां दुर्गा के मूल रूप को दर्शाता है। यह न केवल सुंदर सुनाई देता है बल्कि इसमें आत्मबल, नेतृत्व और मजबूत व्यक्तित्व का भाव छिपा होता है।

सफलता की देवी – जया (Jaya)

जया का अर्थ है ‘विजय’ या ‘सफलता’। यह नाम जीवन की चुनौतियों में डटे रहने और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बेटियों को मजबूत बनाने की सोच रखने वाले परिवारों के लिए यह एक शानदार विकल्प है।

शुभता का प्रतीक – कल्याणी (Kalyani)

कल्याणी का मतलब होता है ‘शुभ’, ‘सुंदर’ और ‘सौभाग्यशाली’। यह नाम जीवन में सौंदर्य, सकारात्मकता और शुभ संकेत लाने वाला माना जाता है।

शिवशक्ति का रूप – माहेश्वरी (Maheshwari)

यह नाम देवी दुर्गा के उस रूप को दर्शाता है जो भगवान शिव की शक्ति से संपन्न हैं। यह नाम दिव्यता, शक्ति और संतुलन का प्रतीक है।

अनुग्रह और ताकत – शर्वाणी (Sharvani)

शर्वाणी का मतलब है ‘शिव की पत्नी’, यानी देवी दुर्गा। यह नाम एक ओर जहां शक्ति का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर कोमलता और ग्रेस को भी दर्शाता है।

ऊर्जा से भरपूर – ईशा (Isha)

ईशा नाम का मतलब होता है ‘देवी शक्ति’, ‘सुरक्षा देने वाली’ और ‘ऊर्जा की स्रोत’। यह नाम आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से जुड़ा हुआ है।

सौम्यता और शक्ति का मेल – अनिका (Anika)

अनिका का मतलब है ‘कृपा’ और यह भी देवी दुर्गा का एक स्वरूप है। यह नाम उन माता-पिता के लिए परफेक्ट है जो अपनी बेटी में शक्ति के साथ-साथ कोमलता और सौंदर्य की उम्मीद रखते हैं।

नामों के पीछे सिर्फ ध्वनि नहीं, भाव भी होता है

बेटी के नाम में सिर्फ सुंदरता ही नहीं, एक संदेश और पहचान भी होनी चाहिए। नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर ऐसे नाम चुनना, जो देवी के गुणों से जुड़े हों, एक आध्यात्मिक आशीर्वाद की तरह है।

तो इस बार अगर आपके घर लक्ष्मी ने जन्म लिया है, तो ये नाम सिर्फ उसे एक पहचान नहीं देंगे, बल्कि उसके पूरे जीवन के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन सकते हैं।

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Sahitya Akademi Controversy: सम्मान की चादर के नीचे दबा अन्याय, साहित्य अकादमी में यौ...

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Sahitya Akademi Controversy: भारत की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था, साहित्य अकादमी, इन दिनों गंभीर सवालों के घेरे में है। वजह है संस्था के मौजूदा सचिव पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर और सत्यापित माना है। ये मामला सिर्फ किसी एक अधिकारी की नैतिक विफलता का नहीं है, बल्कि पूरे साहित्यिक समाज की साख और संवेदनशीलता पर एक गहरी चोट है।

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दरअसल, एक महिला कर्मचारी ने अकादमी के सचिव पर लगातार यौन उत्पीड़न, अश्लील इशारों, अनचाहे स्पर्श और मानसिक दबाव का आरोप लगाया था। ये कोई एक-दो बार की घटना नहीं थी, बल्कि एक लंबा सिलसिला था, जिसके बारे में कई लोगों को जानकारी थी, फिर भी चुप्पी साधी गई।

महिला ने नवंबर 2019 में अकादमी के कार्यकारी बोर्ड को अपनी शिकायत भेजी, जिसे आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को सौंपा गया। इसके साथ ही, उसने POSH अधिनियम 2013 के तहत स्थानीय शिकायत समिति (LCC) में भी औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। LCC ने शुरुआती तौर पर शिकायत को सही मानते हुए उसे तीन महीने की पेड लीव भी दी।

लेकिन हैरानी की बात ये रही कि जनवरी 2020 में ICC ने बिना महिला की बात सुने जांच बंद कर दी और अगले ही महीने अकादमी ने उसकी प्रोबेशन खत्म कर उसे नौकरी से निकाल दिया। अदालत ने इसे सीधा प्रतिशोध बताया और साफ कहा कि यह POSH कानून का उल्लंघन है।

दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख- Sahitya Akademi Controversy

इस मामले में जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने बेहद कड़ा फैसला सुनाया। उन्होंने साफ कहा कि सचिव ‘नियोक्ता’ की श्रेणी में आते हैं और इसलिए ICC द्वारा जांच रोकना और महिला की बर्खास्तगी एक प्रशासनिक अन्याय और पद के दुरुपयोग का मामला है। अदालत ने महिला को तत्काल बहाल करने, सेवा में निरंतरता बनाए रखने, पूरा वेतन और अन्य लाभ देने का आदेश दिया।

इसके साथ ही कोर्ट ने साहित्य अकादमी को जमकर फटकार लगाई कि उन्होंने संस्थान में सुरक्षित और पारदर्शी कार्य वातावरण देने में पूरी तरह असफलता दिखाई है।

लेखक समाज की चुप्पी और दोहरा मापदंड

सबसे बड़ा सवाल अब साहित्यिक समुदाय से पूछा जा रहा है क्या लेखक केवल सत्ता और समाज की आलोचना के लिए होते हैं, या अपने ही घर के अन्याय के खिलाफ भी खड़े होंगे? जब सचिव पर गंभीर आरोपों की पुष्टि कोर्ट कर चुका है, फिर भी वे अपने पद पर बने हुए हैं, तो ये किसी व्यक्तिगत समस्या से कहीं ज्यादा, साहित्यिक नैतिकता का संकट है।

जो लेखक अन्याय, विषमता और दमन के खिलाफ कलम उठाते हैं, क्या वे इस मुद्दे पर भी वैसा ही साहस दिखाएंगे?

प्रकाशकों और आयोजकों की भूमिका

और भी दुखद बात ये है कि कुछ प्रकाशक और साहित्यिक मंच अब भी आरोपी को मंच और मान दे रहे हैं। यह न सिर्फ पीड़िता के लिए, बल्कि हर उस महिला के लिए अपमानजनक है जो कभी उत्पीड़न का शिकार रही हो।

ये केवल बिक्री या लोकप्रियता का मामला नहीं है, बल्कि उत्पीड़न को सामाजिक वैधता देने जैसा खतरनाक चलन है।

अब जरूरी है एकजुटता और नैतिक बहिष्कार

इस पूरे प्रकरण में लेखक समाज की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। जब तक आरोपी अपने पद से नहीं हटाए जाते, तब तक साहित्यिक आयोजन, पुरस्कार या अकादमी से जुड़ी किसी भी गतिविधि में भागीदारी नैतिक गिरावट का प्रतीक होगी।

लेखकों, कवियों, आलोचकों और पाठकों को एकजुट होकर नैतिक बहिष्कार की मुहिम चलानी होगी। केवल स्याही से नहीं, आचरण से भी साहित्य की ताक़त दिखानी होगी।

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नवरात्र व्रत में बनाएं कच्चे केले के हेल्दी कटलेट, मिनटों में तैयार होगा स्वादिष्ट स्...

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Raw Banana Cutlets: शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रही है। सभी लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि व्रत में क्या खाया जाए, जो आसानी से बन जाए और स्वादिष्ट भी हो, तो कच्चे केले के कटलेट एक बेहतरीन विकल्प हैं। ये बनाने में बहुत आसान हैं और कुछ ही मिनटों में बन कर तैयार हो जाते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में विस्तार से कच्चे केले के कटलेट्स बनाने की रेस्पी के बारे में बताते हैं।

हेल्दी कच्चे केले के कटलेट

अगर आप नवरात्रि व्रत (Navratri fasting) के दौरान कुछ हल्का और स्वादिष्ट खाना चाह रहे हैं, तो कच्चे केले के कटलेट (Cutlets) बना सकते है। जो की कुछ कम समय में बनकर तैयार ही जाते है और ये काफी हेल्थी भी होते हैं।

  • सामग्री – Ingredients
  • कच्चे केले – 2-4
  • सेंधा नमक – स्वादानुसार
  • काली मिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच
  • हरी मिर्च – 1 (बारीक कटी हुई)
  • धनिया पत्ती – 2 छोटे चम्मच (बारीक कटी हुई)
  • नींबू का रस – 1/2 छोटा चम्मच
  • गरम मसाला – 1/4 छोटा चम्मच
  • तेल – तलने के लिए

कटलेट बनाने की विधि

सबसे पहले कच्चे केलों को उबाल लें। फिर ठंडा होने पर, उन्हें छीलकर अच्छी तरह मसल लें। अब, मसले हुए केले, सेंधा नमक, काली मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, हरा धनिया, नींबू का रस और गरम मसाला एक कटोरे में डालकर अच्छी तरह मिलाएँ। एक गाढ़ा मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण से छोटे-छोटे गोले बनाएँ और उन्हें अपनी पसंद के कटलेट का आकार दें।

इसके बाद एक कड़ाही में तेल गरम करें। तेल गरम होने पर, कटलेट को धीमी आँच पर सुनहरा भूरा होने तक तलें। गरमागरम कच्चे केले के कटलेट को धनिये या पुदीने की चटनी के साथ परोसें। ये कटलेट व्रत के लिए एक बेहतरीन नाश्ता (Snacks) हैं, न सिर्फ़ स्वादिष्ट बल्कि सेहतमंद भी। आप चाहें तो इन्हें डीप-फ्राई करने की बजाय शैलो फ्राई भी कर सकते हैं।

UP News: अब ना जाति की रैली, ना एफआईआर में जाति का जिक्र! जातिगत भेदभाव पर यूपी सरकार...

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UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिगत भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य में न तो कोई जाति आधारित रैली होगी और न ही सरकारी दस्तावेजों में किसी की जाति का ज़िक्र किया जाएगा। पुलिस रिकॉर्ड्स, एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो, और अन्य कानूनी दस्तावेजों से भी जाति से जुड़े कॉलम पूरी तरह से हटा दिए जाएंगे।

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इस निर्देश की सीधी शुरुआत इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल ही में दिए गए एक फैसले से हुई है। 19 सितंबर 2025 को जस्टिस विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने ‘प्रवीण छेत्री बनाम राज्य’ केस में सुनवाई करते हुए कहा कि एफआईआर और अरेस्ट मेमो में जाति लिखना न सिर्फ अनावश्यक है, बल्कि संवैधानिक नैतिकता के भी खिलाफ है। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि “जाति का महिमामंडन राष्ट्र-विरोधी (Anti-National) है।”

क्या-क्या बदलेगा? UP News

मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेशों में साफ कहा गया है कि:

  • FIR और पुलिस रिकॉर्ड्स: अब एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट जैसे दस्तावेजों में आरोपी या गवाह की जाति नहीं लिखी जाएगी। पहचान के लिए जाति की जगह माता-पिता का नाम, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और फिंगरप्रिंट जैसे आधुनिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • NCRB और CCTNS सिस्टम में बदलाव: पुलिस विभाग को निर्देश दिया गया है कि वो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) से बात करके CCTNS सिस्टम से ‘जाति’ का कॉलम हटाने की अपील करे। जब तक ये तकनीकी बदलाव नहीं होता, तब तक उस कॉलम को खाली छोड़ा जाएगा।
  • पब्लिक प्लेसेज पर जातीय प्रतीक हटेंगे: अब किसी थाने के बोर्ड, सरकारी गाड़ियों, ऑफिस साइनबोर्ड या किसी सार्वजनिक स्थल पर जाति का जिक्र या प्रतीक नहीं होगा। वाहन मालिक भी अब अपनी गाड़ी पर जाति से जुड़े स्टिकर, झंडे या स्लोगन नहीं लगा पाएंगे। इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया जाएगा।
  • जाति आधारित रैलियों और सोशल मीडिया पर सख्ती: अब किसी भी तरह की जाति विशेष की रैली, सम्मेलन या शोभा यात्रा की इजाजत नहीं होगी। सोशल मीडिया पर भी अगर कोई जाति का महिमामंडन करता है या घृणा फैलाता है, तो उसके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।

कहां रहेगी छूट?

हालांकि, जहां कानूनी रूप से जाति का उल्लेख ज़रूरी है जैसे SC/ST एक्ट के केस वहां ये नियम लागू नहीं होंगे। इन मामलों में जाति का जिक्र जारी रहेगा, क्योंकि वो केस की संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा होता है।

हाईकोर्ट का साफ संदेश

कोर्ट ने DGP के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अपराधियों की पहचान में जाति मदद करती है। कोर्ट का कहना था कि तकनीक के इस दौर में पहचान के और भी विश्वसनीय साधन मौजूद हैं। जाति को सामने लाना अब सिर्फ भेदभाव को बढ़ावा देने जैसा है।

क्या है इसका असर?

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में, जहां राजनीति से लेकर समाज तक में जातिगत समीकरणों का बहुत असर रहा है, वहां सरकार का यह फैसला एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है। यह कदम न सिर्फ कानून में एकरूपता लाएगा, बल्कि समाज में जातिगत भेदभाव और नफरत फैलाने वालों पर भी सख्ती से लगाम लगाएगा।

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GST Cut on Car-Bikes:  जीएसटी कटौती से आज से सस्ती हुईं कारें और बाइक्स, अब 3.5 लाख म...

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GST Cut on CarBikes: आज यानी 22 सितंबर 2025 से देश में नया GST स्ट्रक्चर लागू हो गया है, जो खास तौर पर आम जनता और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से इस GST रिफॉर्म का ऐलान किया था और अब ये पूरे देश में लागू हो चुका है। नए टैक्स ढांचे के तहत अब देश में सिर्फ दो टैक्स स्लैब (5% और 18%) होंगे। वहीं, लग्ज़री और हानिकारक प्रोडक्ट्स (Sin Goods) पर 40% जीएसटी लगेगा।

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इस बदलाव का सबसे बड़ा असर कार और बाइक की कीमतों पर पड़ा है। देश की बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, हीरो, बजाज, होंडा, रॉयल एनफील्ड और हुंडई सभी ने अपने वाहनों की कीमतों में भारी कटौती कर दी है।

कारों पर कितनी छूट मिली? GST Cut on CarBikes

अब 4 मीटर से छोटी और कम इंजन क्षमता वाली कारों (1,200 सीसी पेट्रोल और 1,500 सीसी डीज़ल) पर केवल 18% जीएसटी लगेगा। पहले इन्हें 28% टैक्स स्लैब में रखा गया था। वहीं, लग्ज़री कारों पर अब 40% टैक्स लगेगा, लेकिन पहले की तरह कोई अतिरिक्त सेस (Cess) नहीं लिया जाएगा। पहले इन पर 28% जीएसटी + 22% सेस यानी कुल करीब 50% टैक्स वसूला जाता था।

किस कंपनी ने कितनी कीमत घटाई?

मारुति सुजुकी

  • कटौती: ₹1.29 लाख तक
  • अब सबसे सस्ती कार S-Presso की शुरुआती कीमत: ₹3.49 लाख
  • वैगनआर, ऑल्टो, ब्रेज़ा, स्विफ्ट जैसी कारों पर भारी राहत

महिंद्रा

  • कटौती: ₹1.56 लाख तक
  • XUV3XO की शुरुआती कीमत अब ₹7.28 लाख
  • Thar 3-डोर मॉडल पर ₹1.35 लाख की राहत
  • कुल बचत: ₹2.56 लाख तक (छूट+ऑफर्स)

टाटा मोटर्स

  • टिएगो की कीमत में ₹75,000 तक की कटौती
  • Nexon पर ₹1.55 लाख की कटौती + ₹45,000 तक के ऑफर
  • हैरियर और सफारी पर भी ₹1.4 लाख से ज्यादा की छूट

हुंडई मोटर्स

  • टक्सन SUV पर ₹2.4 लाख तक की छूट
  • Creta अब ₹10.73 लाख में, पहले थी ₹11.11 लाख
  • Grand i10 की कीमत ₹5.47 लाख रह गई, पहले ₹5.99 लाख थी

टोयोटा, BMW, ऑडी

  • Toyota: ₹3.49 लाख तक की कटौती
  • BMW: ₹13.6 लाख तक की कटौती (लग्ज़री सेगमेंट में सबसे ज्यादा)
  • Audi: ₹7.83 लाख तक की राहत

बाइक्स और स्कूटर हुए और सस्ते

अब 350 सीसी से कम इंजन वाली बाइक्स पर भी 28% की जगह सिर्फ 18% जीएसटी लगेगा। भारत में बिकने वाली अधिकतर कम्यूटर बाइक इसी रेंज में आती हैं। यानी मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अब बाइक खरीदना और आसान हो गया है।

हीरो मोटोकॉर्प

  • HF Deluxe की कीमत में ₹5,805 की कटौती, अब ₹54,933 से शुरू
  • Splendor Plus अब ₹73,346 में, पहले ₹80,166 थी
  • कुल छूट: ₹15,743 तक

बजाज ऑटो

  • CT 110X अब ₹61,061 में, पहले ₹67,561 थी
  • Pulsar 125 में ₹8,000 तक की राहत
  • डोमिनार मॉडल पर ₹20,000 तक की कटौती

यामाहा

  • R15 की कीमत ₹1.74 लाख, पहले ₹1.89 लाख
  • Ray ZR स्कूटर पर ₹7,759 की कटौती
  • इंश्योरेंस बेनिफिट्स भी मिल रहे हैं

टीवीएस मोटर्स

  • Ronin बाइक पर ₹14,330 की छूट
  • अन्य स्कूटर और बाइक्स पर भी आकर्षक ऑफर्स

सुजुकी मोटरसाइकिल्स

  • V-Storm पर ₹18,024 की कटौती

खरीददारों को क्या फायदा?

  • पहले ₹70-75 हजार की बाइक अब ₹55,000 से मिल रही है
  • ₹4.5–5 लाख की छोटी कारें अब ₹3.5 लाख में
  • मिड-सेगमेंट SUV पर ₹80,000 से ₹2 लाख तक की बचत

वाहन निर्माता कंपनियों को राहत

पिछले कुछ महीनों से ऑटो सेक्टर में बिक्री सुस्त थी और स्टॉक्स फंसे हुए थे। यह GST कटौती वाहन कंपनियों के लिए नई जान जैसा काम करेगी। बाजार में अब खरीदारों की संख्या बढ़ेगी, और त्योहारी सीज़न में बिक्री में बूम आने की पूरी उम्मीद है।

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