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GST Savings Festival: 22 सितंबर से शुरू हुआ ‘GST बचत उत्सव’, Amazon-Flipkart सेल के स...

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GST Savings Festival: 22 सितंबर 2025 की सुबह एक बड़ी राहत की खबर लेकर आई है। अब तक सिर्फ त्योहारों में मिलने वाले ऑफर्स और सेल की बात होती थी, लेकिन इस बार सरकार ने आम लोगों को डबल फायदा देने का प्लान बनाया है। एक तरफ GST रेट्स में कटौती की गई है, वहीं दूसरी ओर Amazon और Flipkart जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपनी मेगा फेस्टिव सेल की शुरुआत कर दी है। यानी सामान सस्ता और ऊपर से डिस्काउंट फायदे का मौका, वो भी एक साथ।

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प्रधानमंत्री ने किया एलान, आज से शुरू ‘GST बचत उत्सव’ GST Savings Festival

रविवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने बताया कि 22 सितंबर से देशभर में ‘GST बचत उत्सव’ शुरू हो रहा है। इसके तहत रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले ढेरों प्रोडक्ट्स पर GST घटा दिया गया है। खास बात ये है कि ये कटौती फेस्टिव सीजन से पहले की गई है, जिससे आम आदमी को सीधा फायदा मिलने वाला है।

UHT दूध, ब्रेड, आइसक्रीम जैसे आइटम्स अब होंगे और सस्ते

GST काउंसिल की बैठक में तय हुआ कि डेली यूज में आने वाले 99% प्रोडक्ट्स पर टैक्स घटाया जाएगा। इनमें UHT दूध, ब्रेड, आइसक्रीम जैसे खाने के आइटम्स शामिल हैं। अब इनपर कम टैक्स लगेगा, जिससे इनकी कीमतों में गिरावट आनी तय है। साथ ही टीवी, एयर कंडीशनर और डिशवॉशर जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर भी अब सिर्फ 18% GST लगेगा, जो पहले 28% था। यानी इनकी कीमतों में भी अच्छी-खासी कटौती होगी।

Amazon-Flipkart सेल में डबल डिस्काउंट का मौका

Amazon और Flipkart की फेस्टिव सेल 23 सितंबर से शुरू हो रही है, लेकिन प्राइम और प्लस मेंबर्स के लिए अर्ली एक्सेस आज से ही शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर कोई ग्राहक अभी शॉपिंग करता है, तो उसे सेल का डिस्काउंट और GST कटौती दोनों का फायदा मिलेगा।

एक्साम्पल से समझें फायदा कितना बड़ा है

मान लीजिए किसी AC की MRP 40,000 रुपये है। अब अगर ई-कॉमर्स साइट उसपर 20% की छूट देती है, तो उसकी कीमत 32,000 रुपये हो जाएगी। पहले इसपर 28% GST लगता था, यानी कुल कीमत 51,200 रुपये होती। लेकिन अब 18% टैक्स लगेगा, तो AC की फाइनल कीमत 37,760 रुपये हो जाएगी। मतलब एक साथ डिस्काउंट और टैक्स में राहत से ग्राहक को करीब 13,440 रुपये तक का सीधा फायदा।

स्मार्टफोन पर भी भारी छूट, लेकिन GST में बदलाव नहीं

हालांकि स्मार्टफोन पर सरकार ने GST रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, फिर भी सेल में आईफोन, सैमसंग, गूगल पिक्सल, रियलमी और रेडमी जैसे ब्रांड्स पर जबरदस्त ऑफर चल रहे हैं। पुराने एक्सचेंज और बैंक ऑफर्स के जरिए स्मार्टफोन की कीमत काफी कम हो सकती है।

होम और किचन एप्लायंसेज पर भी छूट

इस बार सेल में कंज्यूमर एप्लायंसेज पर भी बड़ा डिस्काउंट दिया जा रहा है। खासकर होम और किचन से जुड़ी चीजों जैसे वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव, मिक्सर-ग्राइंडर आदि पर कंपनियां पहले ही छूट का एलान कर चुकी हैं। ऊपर से अब GST में कटौती का असर इनकी फाइनल कीमत पर भी दिखेगा।

अब क्या करें ग्राहक?

अगर आप टीवी, AC, वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स खरीदने का प्लान कर रहे थे, तो अब सही वक्त है। सरकार की तरफ से टैक्स में कटौती और ई-कॉमर्स साइट्स की सेल का फायदा उठाकर आप हजारों रुपये की बचत कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, ये ऑफर्स सीमित समय के लिए हैं, इसलिए देरी ना करें।

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GST On Sin Goods: वो सामान जो आज से महंगे हो गए, देखें 40% GST वाले ‘Sin Goods&...

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GST On Sin Goods: आज से, यानी 22 सितंबर 2025 से, देशभर में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के नए रेट्स लागू हो गए हैं। ये बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को किए गए ऐलान का हिस्सा हैं। इन नए रेट्स के तहत कुछ सामानों के दाम घटे हैं, जबकि कुछ उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है, जो सीधे तौर पर आम आदमी के बजट पर असर डाल सकते हैं।

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क्या सस्ता हुआ है? GST On Sin Goods

सबसे पहले, जो सामान आम लोगों के रोजमर्रा के जीवन में काम आते हैं, उनकी कीमतों में राहत मिली है। जैसे दूध, घी, पनीर, मक्खन, तेल, शैंपू, आदि पर जीएसटी कम हुआ है। इसके अलावा, टीवी, फ्रिज, एसी, कार और बाइक्स के दाम भी घटे हैं। इन सभी उत्पादों पर अब 5% और 18% टैक्स लागू किया गया है, जबकि पहले ये सामान 12% या 28% जीएसटी स्लैब में आते थे।

क्या महंगा हुआ है?

लेकिन, जीएसटी में बदलाव का दूसरा पहलू भी है, जो महंगे उत्पादों से जुड़ा है। सरकार ने कुछ सामानों को “सिन गुड्स” यानी हानिकारक उत्पादों की श्रेणी में डाल दिया है। इनमें सिगरेट, तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, जुए और सट्टेबाजी से जुड़ी सेवाएं, और फास्ट फूड जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं। इन सामानों पर अब 40% जीएसटी लागू किया जाएगा, जो पहले 28% पर था। इसका मतलब ये है कि इन चीजों के दाम अब और बढ़ेंगे, जो खासकर उन लोगों के लिए चिंता का कारण हो सकता है, जो इनका सेवन करते हैं।

सुपर-लग्जरी आइटम्स पर भी असर

इसके अलावा, कुछ लग्जरी सामान जैसे बड़ी कारें, प्राइवेट जेट्स, यॉट्स, और हेलीकॉप्टर भी इस सूची में शामिल किए गए हैं। इन पर भी अब 40% की दर से जीएसटी लागू किया जाएगा। अगर आप महंगी और हैवी इंजन वाली कार या बाइक खरीदने का सोच रहे हैं, तो इस पर आपको अधिक टैक्स चुकाना होगा। पेट्रोल कार (1200cc से ज्यादा) और डीजल कार (1500cc से ज्यादा) के दाम भी अब बढ़ने की संभावना है।

आईपीएल के टिकट भी महंगे होंगे

क्रिकेट प्रेमियों के लिए भी एक बड़ी खबर है। अब आईपीएल के टिकटों पर भी 28% जीएसटी के बजाय 40% टैक्स लगेगा। इसका सीधा मतलब ये है कि अब मैच देखने का खर्चा बढ़ने वाला है।

सोने-चांदी की कीमतों में उछाल

इस बीच, सोने और चांदी की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। सोना आज सुबह 695 रुपये महंगा होकर 110,542 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। वहीं, चांदी 2,226 रुपये महंगी होकर 1,32,064 रुपये प्रति किलो हो गई है। इसके कारण निवेशकों के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न हो सकती है, खासकर जो लोग सोने और चांदी में निवेश करते हैं।

शेयर बाजार में गिरावट

जीएसटी रेट्स के लागू होते ही शेयर बाजार में गिरावट का रुझान देखने को मिला। बीएसई का सेंसेक्स सुबह 342 अंक नीचे आकर 82,284.21 पर ट्रेड कर रहा था। वहीं, निफ्टी भी 85 अंक गिरकर 25,242.05 पर था। ये गिरावट जीएसटी के नए रेट्स और बाजार में हो रहे अन्य आर्थिक बदलावों का असर हो सकती है।

कुल मिलाकर, जीएसटी के नए रेट्स ने जहां कुछ चीजों को सस्ता किया है, वहीं कुछ महंगी भी हो गई हैं। अब, आम आदमी को इन बदलावों का सीधा असर अपनी रोजमर्रा की खरीदारी में महसूस होगा। हालांकि, विलासिता से जुड़े सामानों पर टैक्स बढ़ाने का सरकार का ये कदम स्वास्थ्य और आर्थिक नुकसान को लेकर सख्ती दिखाने की कोशिश है। वहीं, सोने, चांदी और आईपीएल जैसे मनोरंजन क्षेत्रों के महंगे होने से आर्थिक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। इस बदलाव के बाद, लोग अपनी खरीदारी और निवेश के फैसलों में थोड़ा सावधान रहने की सोच सकते हैं।

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Delhi African Elephant Death: अफ्रीकी हाथी शंकर की मौत की वजह आई सामने,पोस्टमॉर्टम रि...

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Delhi African Elephant Death: दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (एनजेडपी) में रहने वाले एकमात्र अफ्रीकी हाथी शंकर की अचानक मौत ने पशु प्रेमियों और चिड़ियाघर प्रशासन को गहरा झटका दिया है। 29 वर्षीय शंकर की मौत 17 सितंबर की रात करीब 8 बजे हुई। चिड़ियाघर प्रशासन द्वारा जारी शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि शंकर की मौत दिल की बीमारी से हुई (Acute Cardiac Failure) से हुई है। हालांकि, मौत की असली वजह का पता बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा।

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सुबह से ही बिगड़ रही थी तबीयत– Delhi African Elephant Death

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक, शंकर की तबीयत 17 सितंबर की सुबह से ही कुछ ठीक नहीं थी। वह आम दिनों के मुकाबले कम घास-पत्तियां खा रहा था और हल्का दस्त भी हो रहा था। हालांकि, वह फल और दूसरी सब्ज़ियां सामान्य रूप से खा रहा था। चिड़ियाघर की पशु चिकित्सा टीम ने उसकी जांच कर इलाज शुरू किया और देखभाल कर्मी पूरे दिन उस पर नजर बनाए हुए थे।

लेकिन शाम होते-होते हालत अचानक बिगड़ गई। शाम 7:25 बजे के आसपास शंकर अपने शेड में अचानक गिर पड़ा। तुरंत इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। हैरानी की बात यह है कि एक दिन पहले, 16 सितंबर तक, उसकी तबीयत को लेकर कोई चिंता की बात सामने नहीं आई थी।

चिड़ियाघर का सितारा था शंकर

शंकर को नवंबर 1998 में जिम्बाब्वे से लाया गया था, और वह पिछले 27 सालों से एनजेडपी का हिस्सा था। अपनी विशाल कद-काठी, शांत स्वभाव और खास अंदाज़ की वजह से वह वहां आने वाले बच्चों और बड़ों, दोनों का चहेता बन गया था। सिर्फ आगंतुक ही नहीं, चिड़ियाघर के कर्मचारियों के बीच भी वह काफी लोकप्रिय था। शंकर को 2005 में मादा अफ्रीकी हाथी ‘बंबई’ की मौत के बाद से अकेले रहना पड़ा था, जो उसकी मानसिक सेहत के लिए चिंता का विषय बना।

लंबे समय से ‘मस्ट’ की समस्या से था परेशान

शंकर पिछले कई वर्षों से एक विशेष शारीरिक स्थिति से गुजर रहा था, जिसे ‘मस्ट’ कहा जाता है। इस दौरान नर हाथियों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है। ऐसे समय में शंकर को अक्सर बांधकर रखना पड़ता था। यही नहीं, मस्ट के दौरान वह काफी बेचैन और तनावग्रस्त भी हो जाता था।

जब तोड़ी थी बाड़े की दीवार

शंकर की आक्रामकता का एक बड़ा उदाहरण साल 2023 में देखने को मिला, जब उसने अपने बाड़े की दीवार तोड़ दी थी। इस घटना में खुद शंकर और एक देखभाल कर्मचारी घायल हो गए थे। उस वक्त उसे बेहोश कर काबू में लाया गया था। इसके बाद 2024 में भी जुलाई से सितंबर तक वह मस्ट की स्थिति में रहा और लंबे समय तक जंजीरों में बंधा रहा, जिससे उसके पैरों में गहरे घाव हो गए थे।

देखभाल को लेकर उठ चुके हैं सवाल

शंकर की देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके हैं। अक्टूबर 2024 में, शंकर की हालत को लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठन विश्व चिड़ियाघर एवं एक्वेरियम संघ (WAZA) ने दिल्ली चिड़ियाघर की सदस्यता निलंबित कर दी थी। यह मामला खासा सुर्खियों में रहा था।

जांच जारी, रिपोर्ट का इंतजार

फिलहाल चिड़ियाघर प्रशासन ने मौत की वजह जानने के लिए निदेशक स्तर और मंत्रालय की जांच शुरू कर दी है। साथ ही, IVRI बरेली की रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि शंकर की मौत वाकई हार्ट फेल होने से हुई या इसके पीछे कोई और कारण छिपा है।

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Who Is Mithun Manhas: कौन हैं मिथुन मन्हास? BCCI अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे, कभी...

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Who Is Mithun Manhas: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की अगली वार्षिक आम सभा 28 सितंबर को होने जा रही है और इससे पहले नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हैरानी की बात यह है कि इस बार BCCI अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे हैं दिल्ली के पूर्व कप्तान मिथुन मन्हास, जो कभी भारत की अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं रहे। अगर मन्हास अध्यक्ष बनते हैं, तो वह इतिहास रच देंगे क्योंकि वो पहले अनकैप्ड क्रिकेटर होंगे जो इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचेंगे।

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निर्विरोध जीत की परंपरा और मन्हास की बढ़त- Who Is Mithun Manhas

2019 में BCCI संविधान में हुए संशोधन के बाद से अब तक हर बार अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुनाव ही देखा गया है। इसी चलन को देखते हुए मिथुन मन्हास का रास्ता भी लगभग साफ माना जा रहा है। उनसे पहले पूर्व दिग्गज सौरव गांगुली और रोजर बिन्नी भी यह जिम्मेदारी निभा चुके हैं। ऐसे में बोर्ड ने एक बार फिर पूर्व क्रिकेटर पर भरोसा जताया है।

मन्हास का मैदान और बोर्डरूम दोनों में लंबा अनुभव

मिथुन मन्हास को क्रिकेट का अनुभव तो है ही, लेकिन उनके पास प्रशासनिक समझ भी शानदार है। वे जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं और BCCI की AGMs में राज्य का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने दिल्ली के लिए 157 मैच खेले और करीब 10,000 रन बनाए। 2007-08 में उन्होंने दिल्ली को रणजी ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई थी।

आईपीएल से भी की कमाई, पैसों की भी समझ

BCCI को सिर्फ क्रिकेट की समझ रखने वाला नहीं, बल्कि आर्थिक तौर पर भी मजबूत नेतृत्व चाहिए होता है। मिथुन मन्हास इस कसौटी पर भी खरे उतरते हैं।
आईपीएल में उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स, पुणे वॉरियर्स और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेला और इस दौरान करीब ₹1.86 करोड़ रुपये कमाए।

  • 2008-2010: दिल्ली डेयरडेविल्स से ₹1.2 मिलियन प्रति सीजन
  • 2011-2013: पुणे वॉरियर्स से ₹3 मिलियन प्रति सीजन
  • 2014-2015: चेन्नई सुपर किंग्स से ₹3 मिलियन प्रति सीजन

यह बताता है कि मन्हास को खेल के साथ-साथ वित्तीय प्रबंधन का भी अनुभव है, जो BCCI जैसी संस्था के लिए बेहद जरूरी है।

मिथुन मन्हास का क्रिकेट करियर एक नजर में

मिथुन मन्हास का घरेलू करियर बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने 157 फर्स्ट क्लास मैचों में 9714 रन बनाए, जिसमें उनका औसत 45.82 रहा और 27 शतक उनके नाम दर्ज हैं। लिस्ट ए क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन कमाल का रहा, जहां उन्होंने 130 मैचों में 4126 रन बनाए और औसत 45.84 बनाए रखा। वहीं, टी20 फॉर्मेट में उन्होंने 91 मुकाबलों में 1170 रन बनाए।

मन्हास ने अपने करियर के दौरान खुद को एक बहुपयोगी खिलाड़ी के तौर पर साबित किया। वह विकेटकीपिंग, मिडिल ऑर्डर बल्लेबाजी और पार्ट-टाइम ऑफ स्पिन गेंदबाजी तीनों भूमिकाएं निभाने में सक्षम रहे। इस तरह, मन्हास ना सिर्फ रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे, बल्कि जरूरत पड़ने पर गेंद और दस्तानों से भी टीम के लिए योगदान देते रहे हैं।

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Ban on Nankana Sahib Yatra: ननकाना साहिब यात्रा पर रोक से नाराज़ सिख संगठन, बोले- ये ...

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Ban on Nankana Sahib Yatra: भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ननकाना साहिब के दर्शन पर सिख श्रद्धालुओं की यात्रा पर रोक लगाने के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस फैसले पर केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह सिख समुदाय के धार्मिक अधिकारों और अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता में सीधा दखल है।

शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभा के महासचिव डॉ. कुशल सिंह ने कहा कि बंटवारे के समय से ही भारत और पाकिस्तान के बीच यह सहमति रही है कि सिख श्रद्धालु धार्मिक मौकों पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों, खासकर ननकाना साहिब, जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों से यह परंपरा चल रही है और इसे कभी किसी सरकार ने नहीं रोका, यहां तक कि भारत-पाक युद्ध के समय भी सिखों का जत्था वहां दर्शन के लिए जाता रहा है।

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“राजनीतिक कारणों से लगाया गया प्रतिबंध”

डॉ. कुशल सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान में सिख समुदाय को कोई खतरा नहीं है और यह प्रतिबंध पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से लगाया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “बिना सिख संगठनों से चर्चा किए यह एकतरफा फैसला लेना हमें मंजूर नहीं है।”

सिख संगठनों की ओर से जारी संयुक्त बयान में जस्टिस रंजीत सिंह, गुरतेज सिंह, शमशेर कारी, ताज मुहम्मद, डॉ. प्यारे लाल गर्ग समेत कई प्रमुख लोगों के नाम शामिल हैं। सभी ने एक सुर में इस निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया, जो हर भारतीय नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

युद्ध के समय भी नहीं रोकी गई थी यात्रा- Ban on Nankana Sahib Yatra

डॉ. कुशल सिंह ने यह भी कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात या 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय भी सिखों की तीर्थ यात्रा पर रोक नहीं लगाई गई थी। उस समय सीमा सील होने के बावजूद भारत सरकार ने श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी थी।

करतारपुर कॉरिडोर भी बंद, बढ़ी चिंता

बता दें, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते करतारपुर साहिब कॉरिडोर को भी बंद कर दिया गया है। अब सिख संगठनों ने मोदी सरकार से अपील की है कि इसे जल्द से जल्द खोला जाए, ताकि श्रद्धालु अपने पवित्र स्थलों के दर्शन कर सकें।

पाकिस्तान की ओर से भी अपील

इधर, पाकिस्तान की सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने भी भारत सरकार से अपील की है कि वह श्रद्धालुओं को ननकाना साहिब और करतारपुर जैसे धार्मिक स्थलों तक जाने की अनुमति दे। उनका कहना है कि 22 सितंबर को गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की उपस्थिति बेहद जरूरी है।

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (PSGPC) के अध्यक्ष सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने भारत सरकार के रुख पर चिंता जताई और कहा कि 26 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लगाए गए प्रतिबंधों का असर धार्मिक यात्रा पर नहीं पड़ना चाहिए।

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India Pakistan Tension: भारत-पाक मैच से ठीक पहले एलओसी पर तनाव, नौगाम सेक्टर में हुई ...

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India Pakistan Tension: रविवार को जहां करोड़ों आंखें भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले एशिया कप मुकाबले पर टिकी हैं, वहीं इससे ठीक एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर हालात गर्मा गए। पाकिस्तान की ओर से नौगाम सेक्टर में की गई गोलीबारी ने एक बार फिर यह संकेत दे दिया कि सीमा पार शांति सिर्फ एक भ्रम है।

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शनिवार शाम को चली गोलियां- India Pakistan Tension

सेना सूत्रों के मुताबिक, शनिवार शाम करीब 6:15 बजे पाकिस्तानी सैनिकों ने छोटे हथियारों से फायरिंग की। यह गोलीबारी लगभग एक घंटे तक रुक-रुक कर चलती रही। हालांकि, इसमें किसी तरह की जनहानि या बड़े नुकसान की खबर नहीं है। सेना ने फिलहाल इसे संघर्षविराम उल्लंघन नहीं माना है, लेकिन दोनों ओर से हुई फायरिंग ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट जरूर कर दिया है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी टेंशन

इस घटना को हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद की सबसे बड़ी हरकत माना जा रहा है। बता दें कि 7 मई को भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की सीमा में मौजूद कई आतंकी लॉन्चपैड और हवाई ठिकाने तबाह कर दिए गए थे, जबकि भारत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ था।

इसके बाद दोनों देशों ने 10 मई 2025 को संघर्षविराम पर सहमति जताई थी। लेकिन अब एक बार फिर पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी को सीजफायर के बाद पहला बड़ा उकसावा माना जा रहा है।

ड्रोन हमलों की नाकाम कोशिश भी कर चुका है पाकिस्तान

ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान ने ड्रोन से हमले की कोशिश भी की थी, जिसे भारतीय सेना ने मुस्तैदी से नाकाम कर दिया था। इस पर भारत ने पाकिस्तान के वायुसेना अड्डों पर जवाबी कार्रवाई की थी। इसके बाद तनाव भले ही कम हुआ हो, लेकिन सीमा पर शांति अब भी कच्चे धागे से बंधी लगती है।

सेना ने हालात की समीक्षा की

इस बीच उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने शनिवार को उत्तरी कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था और घुसपैठ रोधी रणनीति की समीक्षा की। उन्होंने सेना के जवानों द्वारा तैयार किए गए तकनीकी नवाचार और युद्ध-तैयारी का प्रदर्शन देखा और उनकी सराहना की।

जनरल शर्मा ने ‘ऑपरेशन गुड्डार’ में हिस्सा लेने वाले राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों को सम्मानित भी किया। इस ऑपरेशन में कुलगाम जिले में दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया गया था, जिनमें एक पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल था।

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि एलओसी पर छोटी झड़पें सामान्य मानी जाती हैं, खासकर जब गश्त या निगरानी में सीमा पर आमना-सामना हो जाए। लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत-पाक के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है, इसलिए ऐसी हर छोटी घटना अब कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई है।

क्रिकेट मैदान से पहले सीमा पर भिड़ंत

भारत-पाक मैच से एक दिन पहले एलओसी पर हुई इस घटना ने माहौल को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया है। एक ओर दोनों देश क्रिकेट के मैदान में आमने-सामने होंगे, तो दूसरी ओर सीमा पर भी हालात सामान्य नहीं हैं। यह साफ है कि पाकिस्तान की तरफ से क्रिकेट के बहाने बनी नरमी की हवा को बार-बार बारूदी हरकतों से खराब किया जा रहा है।

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Black Hole Science: जब ब्लैक होल बना बेकाबू दानव, 2.4 गुना स्पीड से कर रहा है ब्रह्मा...

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Black Hole Science: ब्लैक होल हमेशा से ही ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों में से एक रहे हैं। लेकिन अब खगोलविदों ने ऐसा ब्लैक होल खोज लिया है जिसने हमारी समझ को ही चुनौती दे दी है। इसका नाम है RACS J0320-35। यह ब्लैक होल बिग बैंग के करीब 92 करोड़ साल बाद बना था और तब से लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी की मदद से जब इसकी जांच की गई, तो पता चला कि यह ब्लैक होल लगभग एक अरब सूरज के बराबर भारी है।

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एडिंग्टन लिमिट को तोड़ा, बढ़ रहा है बेलगाम- Black Hole Science

वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लैक होल की बढ़त पर एक सीमा होती है, जिसे एडिंग्टन लिमिट कहा जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि ब्लैक होल रेडिएशन और गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन बनाकर ही बढ़ सकते हैं, जिससे उनकी वृद्धि की गति सीमित रहती है। लेकिन RACS J0320-35 इस सीमा को 2.4 गुना पार कर चुका है। मतलब यह ब्लैक होल हर साल 300 से 3,000 सूरज जितना मटेरियल निगल रहा है, जो खगोल विज्ञान की मौजूदा थ्योरी के लिए बड़ा झटका है।

वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया और नई खोज

हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के लुका इघिना ने कहा, “यह देखकर चौंका देने वाला है कि कोई ब्लैक होल इतनी रफ्तार से बढ़ सकता है। अगर यह दानव नियमों को तोड़ते हुए भी स्थिर है, तो शायद ब्रह्मांड में कोई नई भौतिकी चल रही है, जिसे हम अभी समझ नहीं पाए हैं।”

वैज्ञानिकों ने एक्स-रे, इन्फ्रारेड और ऑप्टिकल डेटा का इस्तेमाल करते हुए इस ब्लैक होल की मास और ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह ब्लैक होल संभवतः एक बड़े तारे के फटने से बना था, जिसकी मास 100 सूरज से कम थी। लेकिन इतनी छोटी शुरुआत के बाद यह कैसे इतनी तेजी से बड़ा हुआ, यह अभी भी एक बड़ा सवाल है।

प्राचीन ब्रह्मांड की नई तस्वीर

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने पहले भी कुछ ऐसे तेज़-तर्रार ब्लैक होल्स खोजे हैं, जो शुरुआती ब्रह्मांड में तेजी से बढ़ रहे थे। सवाल अब ये है कि क्या शुरुआती ब्रह्मांड में ऐसे ‘फास्ट ईटर्स’ सामान्य थे? अगर हां, तो हमारी अब तक की ब्रह्मांडीय थ्योरी गलत साबित हो सकती है और ब्रह्मांड की शुरुआत हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा जटिल थी।

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ब्लैक होल सिर्फ मटेरियल निगलने वाले दानव नहीं हैं, बल्कि ये ऊर्जा के शक्तिशाली जेट्स भी छोड़ते हैं, जो शुरुआती गैलेक्सियों के निर्माण और आकार देने में अहम भूमिका निभाते होंगे। यानी ये ब्लैक होल ब्रह्मांड को ना केवल निगलते, बल्कि उसकी रूपरेखा भी बनाते हैं।

भविष्य की खोजों के लिए नई राह

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ब्रह्मांड ने पहली बार इतने विशाल ब्लैक होल्स कैसे बनाए? RACS J0320-35 इस रहस्य की चाबी साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से शुरुआती ब्रह्मांड के कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिल सकता है।

यह शोध 8 सितंबर को Astrophysical Journal Letters में प्रकाशित हुआ है और इसे खगोल विज्ञान की दुनिया में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इस खोज ने भविष्य में ब्रह्मांड की समझ को नई दिशा देने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।

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H-1B visa Update: न पुराने वीजा धारकों पर असर, न सालाना फीस… ट्रंप प्रशासन ने साफ किय...

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H-1B visa Update: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए इसकी फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। अब H-1B वीजा के लिए आवेदन करने पर $1,00,000 (करीब 88 लाख रुपये) की एकमुश्त फीस देनी होगी। ट्रंप के इस फैसले ने अमेरिका और दुनियाभर के उन लोगों को हिला कर रख दिया है जो अमेरिका में नौकरी करने की तैयारी कर रहे थे, खासकर भारतीय प्रोफेशनल्स को यह फैसला सीधे तौर पर प्रभावित करता है। मगर, अब ट्रंप प्रशासन ने नए नियमों पर सफाई पेश की है।

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क्या है नया नियम? H-1B visa Update

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लैविट ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि यह फीस सालाना नहीं बल्कि एक बार की (वन-टाइम) होगी। यह सिर्फ नए H-1B वीजा आवेदकों पर लागू होगी। यानी अगर आपने पहले से H-1B वीजा ले रखा है या आप उसका नवीनीकरण (रिन्यूअल) करवा रहे हैं, तो आप पर यह नई फीस लागू नहीं होगी।

कैरोलिन ने यह भी साफ किया कि जो लोग पहले से वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं, या जो वर्तमान में अमेरिका के बाहर हैं लेकिन H-1B वीजा पर हैं, उनसे यह फीस नहीं वसूली जाएगी।

कब से लागू हुआ आदेश?

ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित नया आदेश रविवार रात 12 बजे से लागू हो गया है। यानी अब से H-1B वीजा के लिए नई पिटीशन फाइल करने वालों को ही यह नई फीस देनी होगी।

कंपनियों में मची हलचल

ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिका की तमाम टेक कंपनियों में खलबली मच गई है। अमेजन, मेटा, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के हजारों कर्मचारी H-1B वीजा पर काम कर रहे हैं। व्हाइट हाउस के आदेश के बाद इन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को तुरंत ईमेल भेजकर स्थिति को समझने और जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है।

हालांकि, जिनके पास पहले से वैध वीजा है, उनके लिए घबराने की जरूरत नहीं है।

US सरकार की सफाई

USCIS (यूएस सिटिज़नशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) ने भी साफ किया है कि यह नियम सिर्फ नई पिटीशनों पर लागू होगा। यानी जो वीजा आवेदन अभी तक दाखिल नहीं किए गए हैं, उन्हीं पर यह $1,00,000 की फीस लगेगी।

कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने पहले कहा था कि यह फीस सालाना होगी, लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह बयान गलतफहमी का कारण बना और फीस केवल एक बार ली जाएगी।

भारतीय नागरिकों के लिए मदद

इस बीच, अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर +1-202-550-9931 जारी किया है। यह नंबर केवल आपातकालीन मामलों के लिए है और उन लोगों की सहायता करेगा जिन्हें इस नई नीति के चलते अचानक किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

क्यों मायने रखता है H-1B वीजा?

H-1B वीजा अमेरिका की कंपनियों को विदेशी प्रोफेशनल्स को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है, खासकर IT, इंजीनियरिंग, मेडिकल और फाइनेंस जैसे सेक्टर में। हर साल हजारों भारतीय इस वीजा के तहत अमेरिका में काम करने जाते हैं।

अब नई फीस के चलते ना सिर्फ भारतीयों के लिए अमेरिका जाना महंगा हो जाएगा, बल्कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भी विदेशी टैलेंट को हायर करना काफी खर्चीला साबित हो सकता है।

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Bagram Military Base: “बगराम एयरबेस लौटाओ, नहीं तो होगा बुरा अंजाम”, ट्रं...

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Bagram Military Base: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में हैं, और इस बार वजह बना है अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस। ट्रंप ने शनिवार को अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर एक पोस्ट करते हुए अफगानिस्तान को खुले शब्दों में चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस नहीं करता है, तो बहुत बुरा होगा।” यह बयान सामने आते ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है।

दरअसल, ट्रंप की नजर लंबे समय से इस एयरबेस पर रही है। गुरुवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। ट्रंप ने कहा था, “हम बगराम को वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वहां से एक घंटे की दूरी पर चीन अपने परमाणु हथियार बना रहा है।”

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क्यों है बगराम एयरबेस इतना खास? Bagram Military Base

बगराम एयरबेस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से करीब 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। 1950 के दशक में इसे सोवियत संघ और अमेरिका की मदद से बनाया गया था, लेकिन 2001 के 9/11 हमलों के बाद अमेरिका ने इसे अपने सबसे बड़े सैन्य अड्डे के रूप में विकसित किया।

यहां अमेरिका के लड़ाकू विमान, ड्रोन, हेलिकॉप्टर ऑपरेट होते थे, और आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन यहीं से होता था। यहां बर्गर किंग और पिज्जा हट जैसे अमेरिकी रेस्टोरेंट भी थे, साथ ही एक बड़ा डिटेंशन सेंटर भी था, जिसे “बगराम जेल” कहा जाता था।

2021 में जब जो बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी की, तब तालिबान ने इस बेस पर कब्जा कर लिया और अमेरिका समर्थित काबुल सरकार भी गिरा दी गई।

ट्रंप का साफ संदेश: बेस चाहिए, नहीं तो…

शनिवार को जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जे के लिए सेना भेज सकते हैं, तो उन्होंने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा, “हम इस बारे में बात नहीं करेंगे। लेकिन अगर उन्होंने बेस नहीं दिया, तो आप देखेंगे कि मैं क्या करता हूं।”

इस बयान के बाद अफगानिस्तान सरकार की ओर से कड़ा रिएक्शन आया है।

तालिबान का जवाब- “हम अमेरिकी सेना को वापस नहीं आने देंगे”

तालिबान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाल ने ट्रंप की धमकी को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को किसी भी हाल में मंजूर नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को आपसी सम्मान के आधार पर आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते कायम करने चाहिए, लेकिन इसमें सैन्य हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है।

जलाल ने दोहा समझौते का हवाला देते हुए कहा कि अफगानिस्तान कभी भी विदेशी फौजों की मौजूदगी को स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन व्यापार और अन्य गतिविधियों के लिए बातचीत के रास्ते खुले हैं।

चीन भी हुआ नाराज़

ट्रंप की धमकी से सिर्फ अफगानिस्तान नहीं, बल्कि चीन भी नाराज़ नजर आया। बीजिंग में मीडिया से बात करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “हम किसी भी प्रकार के क्षेत्रीय तनाव और टकराव के खिलाफ हैं।” उन्होंने दो टूक कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य वहां के लोगों के हाथों में होना चाहिए, न कि बाहरी ताकतों के।

बता दें, चीन ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद सबसे पहले अफगानिस्तान के साथ राजनयिक संबंध बनाए और देश में तांबे की खदान और तेल प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश कर रहा है।

क्या बगराम पर दोबारा कब्जा मुमकिन है?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बगराम को फिर से हासिल करना अमेरिका के लिए आसान काम नहीं होगा। इसके लिए अमेरिका को करीब 10 हजार से ज्यादा सैनिक, आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम और भारी संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।

यह कदम एक तरह से फिर से अफगानिस्तान पर सैन्य कार्रवाई जैसा होगा, जो कि न सिर्फ खर्चीला है बल्कि रणनीतिक तौर पर बेहद जटिल भी। इसके अलावा, सुरक्षा की भी बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इलाके में इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन एक्टिव हैं। साथ ही ईरान से मिसाइल हमले का खतरा भी मौजूद है, जैसा कि जून 2025 में कतर में अमेरिकी बेस पर हमले के दौरान देखा गया था।

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Surya Grahan 2025: 21 सितंबर की रात लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानिए किसे मिलेगा...

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Surya Grahan 2025: 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण हाल ही में खत्म हुआ है और अब एक और अहम खगोलीय घटना आसमान में दस्तक देने वाली है, वो है साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय नजरिए से सूर्य ग्रहण को बेहद संवेदनशील समय माना जाता है, लेकिन क्या इस बार भारत पर इसका कोई असर होगा? चलिए, जानते हैं इस सूर्य ग्रहण से जुड़ी हर जरूरी जानकारी सरल और सीधी भाषा में।

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कब लगेगा 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण? Surya Grahan 2025

इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025, रविवार की रात को लगेगा। यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा, यानी सूर्य का केवल एक हिस्सा ही चंद्रमा द्वारा ढका जाएगा।

  • ग्रहण की शुरुआत: रात 10:59 बजे
  • मध्य काल: रात 1:11 बजे
  • समाप्ति: सुबह 3:23 बजे
  • कुल अवधि: करीब 4 घंटे 24 मिनट

भारत में दिखेगा या नहीं?

सबसे बड़ी बात ये है कि यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, क्योंकि यह रात में होगा और उस समय भारत में सूर्य अस्त हो चुका होगा। खगोलीय लिहाज से ये भले बड़ा पल हो, लेकिन आम लोग इसे अपनी आंखों से नहीं देख सकेंगे।

सूतक काल मान्य होगा क्या?

जैसा कि परंपराओं में बताया गया है, सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से पूजा-पाठ, भोजन, और मांगलिक कार्यों पर रोक लगाने वाला होता है।
लेकिन इस बार चूंकि भारत में यह ग्रहण दिखेगा ही नहीं, इसलिए सूतक काल भी प्रभावी नहीं माना जाएगा। न ही मंदिरों के कपाट बंद होंगे और न ही शादी-ब्याह या अन्य शुभ कार्यों पर रोक लगेगी।

किन देशों में दिखेगा यह सूर्य ग्रहण?

ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी हिस्से, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और अंटार्कटिका जैसे इलाकों में नजर आएगा। इन क्षेत्रों में यह खगोलीय दृश्य खासा आकर्षण का केंद्र रहेगा।

राहु-केतु और ग्रहण का क्या है कनेक्शन?

सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होता है, जब सूर्य और चंद्रमा राहु या केतु के नज़दीक होते हैं। ये दोनों छाया ग्रह हैं, जिनका खगोलीय स्थान पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं के बीच का मिलन बिंदु होता है। जब ये तीनों एक सीध में आ जाते हैं, तो सूर्य ग्रहण बनता है।

राशियों पर क्या होगा असर?

हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन ज्योतिषीय प्रभाव जरूर रहेगा। सूर्य इस दौरान कन्या राशि में होगा, जिसका असर कुछ राशियों पर देखने को मिल सकता है।

  • नकारात्मक असर: मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ और मीन राशि
  • सकारात्मक या सामान्य असर: मेष, वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु और मकर राशि

इन राशियों को सलाह दी जाती है कि वे आने वाले हफ्तों में निर्णय लेते समय थोड़ा सतर्क रहें।

अगला सूर्य ग्रहण कब लगेगा?

बता दें, 2026 में पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी को होगा, जो वलयाकार ग्रहण (Ring of Fire) होगा। इस दौरान सूर्य का किनारा जलते हुए रिंग की तरह दिखेगा। यह एक दुर्लभ खगोलीय दृश्य होगा, जो लगभग 2 मिनट 20 सेकंड तक नजर आएगा।

डिस्क्लेमर: यह लेख पंचांग, ज्योतिष और मान्यताओं के आधार पर तैयार किया गया है। वैज्ञानिक रूप से ग्रहणों का असर साबित नहीं किया गया है। कृपया किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।

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