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Dr Bhimrao Ambedkar: मरने के बाद क्यों और भी अहम हो गए अंबेडकर? जानिए पूरी कहानी

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Dr Bhimrao Ambedkar: एक समय था जब डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनके जीवनकाल में भी वो मान-सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे। लेकिन आज, वो भारतीय राजनीति और समाज की ऐसी धुरी बन चुके हैं, जिनके नाम के बिना कोई भी दल, कोई भी आंदोलन खुद को पूरा नहीं मानता। करोड़ों लोगों की भावनाएं उनसे जुड़ी हैं, और दुनिया में शायद ही ऐसी कोई दूसरी मिसाल हो, जहां एक व्यक्ति की विरासत इतनी गहराई से समाज को प्रभावित करती हो। लेकिन सवाल यही है – अंबेडकर मरने के बाद इतने अहम क्यों हो गए?

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राजनीतिक दलों की ‘पूजा’ और विचारधारा की अनदेखी- Dr Bhimrao Ambedkar

डॉ. अंबेडकर आज हर राजनीतिक पार्टी के लिए आदर्श बन चुके हैं – चाहे वामपंथ हो, दक्षिणपंथ हो या कोई तीसरी धारा। हर साल उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, फूल-मालाएं चढ़ाई जाती हैं, सोशल मीडिया पर पोस्ट डाले जाते हैं। लेकिन क्या पार्टियां उनकी विचारधारा को वाकई मानती हैं?

आनंद तेलतुम्बड़े, जो कि दलित एक्टिविस्ट हैं और डॉ. अंबेडकर की पोती रमा अंबेडकर के पति भी हैं, इस बात से खासे परेशान हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में साफ कहा कि भारतीय राजनीति में अंबेडकर की सिर्फ खोखली पूजा हो रही है, जबकि उनके मूल विचार जैसे सामाजिक न्याय, समता और बौद्धिक क्रांति को नजरअंदाज किया जा रहा है।

इतिहास की नजरंदाजी और वोटबैंक की राजनीति

उन्होंने ये भी बताया कि डॉ. अंबेडकर का निधन 1956 में हुआ। लेकिन जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ, वहां 1965 तक कोई स्मारक तक नहीं था। उनके बेटे यशवंत राव ने लोगों से चंदा इकट्ठा करके जो छोटा सा ढांचा बनवाया, वो आज की ‘चैत्यभूमि’ है।

लेकिन जब 60 और 70 के दशक में वोट बैंक की राजनीति शुरू हुई, तब नेताओं की नजर में अंबेडकर की अहमियत बढ़ी। दलित समाज अंबेडकर के आंदोलन के चलते पहले से संगठित था और इस वर्ग का वोट आसानी से जुटाया जा सकता था। यहीं से अंबेडकर का ‘राजनीतिक पूंजी’ के रूप में इस्तेमाल शुरू हुआ।

अंबेडकर का नाम, पहचान और भगवाकरण

क्या आप जानते हैं कि ‘अंबेडकर’ नाम असल में उनके टीचर का था? उनका असली नाम सकपाल था। कोंकण के अंबावडे गांव से आए थे, इसलिए नाम पड़ा अंबावेडकर। लेकिन उनके एक ब्राह्मण टीचर, जिन्हें उन पर बहुत स्नेह था, ने ही स्कूल में दाखिले के वक्त उनका नाम ‘अंबेडकर’ कर दिया। बाबा साहब ने खुद अपनी आत्मकथा में यह बात लिखी है।

आज वही अंबेडकर, जिनकी सोच पूरी तरह तार्किक और बौद्धिक थी, उन्हें एक खास धार्मिक रंग देने की कोशिश हो रही है। बीजेपी पर आरोप लगता है कि उन्होंने अंबेडकर का भगवाकरण किया। उनके बौद्ध धर्म अपनाने को हिंदू सुधार की तरह पेश किया गया, जबकि यह एक समाजिक विद्रोह था।

तेलतुम्बड़े की गिरफ्तारी और सरकार का संदेश

आपको बता दें, आनंद तेलतुम्बड़े को भीमा कोरेगांव केस में माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने 956 दिन जेल में बिताए, और अब भी उनके खिलाफ जांच चल रही है। लेकिन उनका मानना है कि यह गिरफ्तारी सिर्फ उन्हें नहीं, बल्कि एक संदेश थी कि चाहे अंबेडकर के परिवार का हिस्सा ही क्यों न हो, अगर ‘हद’ पार की तो बख्शा नहीं जाएगा।

जातिगत हिंसा की सच्चाई

तेलतुम्बड़े की सबसे बड़ी चिंता यही है कि अंबेडकर के नाम पर राजनीति तो हो रही है, लेकिन जमीन पर जातिगत दमन और हिंसा कम होने की बजाय बढ़ रही है। एल्गार परिषद, भीमा कोरेगांव हिंसा, और आज भी जारी असमानता ये सब बताता है कि अंबेडकर को लेकर जो श्रद्धा दिखाई जा रही है, वो असल में उनके विचारों से कितनी दूर है।

अंबेडकर क्यों जरूरी हैं आज भी

डॉ. अंबेडकर सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे। वे एक क्रांतिकारी विचारक, समाज सुधारक और इंसाफ की आवाज थे। उनकी बातों की आज जितनी जरूरत है, शायद पहले कभी नहीं थी क्योंकि भले ही उनके नाम पर सियासत चमक रही हो, लेकिन उनकी सोच को जीने वाला समाज आज भी बनना बाकी है।

इसलिए अंबेडकर मरने के बाद अहम हुए नहीं, बल्कि समाज ने उन्हें देर से पहचाना। लेकिन अब जब पहचाना है, तो ज़िम्मेदारी है कि उनकी विचारधारा को सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि व्यवहार में उतारा जाए।

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Bagram Airbase फिर से कब्जाने की ट्रंप की मंशा, तालिबान ने साफ कहा ‘ना’

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Bagram Airbase: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा बयान देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि अमेरिका काबुल के पास स्थित बगराम एयरबेस को फिर से अपने नियंत्रण में लेने की योजना बना रहा है। ट्रंप का दावा है कि इस कदम का मकसद चीन पर नजर रखना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम हकीकत बन सकता है, और अगर बन भी गया, तो अमेरिका को इससे क्या मिलेगा?

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बगराम एयरबेस: एक रणनीतिक किला | Bagram Airbase

अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस एक समय अमेरिका का सबसे बड़ा और अहम सैन्य अड्डा था। यह बेस इतना बड़ा है कि इसे एक छोटे शहर के बराबर माना जा सकता है। करीब 3300 एकड़ में फैला ये एयरबेस शिमला से थोड़ा छोटा है, लेकिन सामरिक दृष्टि से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण।

यहां का रनवे 7 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा है, और एक वक्त में यहां 40,000 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर तैनात थे। यह वही जगह थी जहां से अमेरिका तालिबान के खिलाफ पूरे अफगानिस्तान में सैन्य अभियान चलाता था। लेकिन जुलाई 2021 में अमेरिका ने अपनी सेनाएं वापस बुला लीं और कुछ ही हफ्तों में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया।

ट्रंप की मंशा क्या है?

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका बगराम बेस को दोबारा सक्रिय करना चाहता है ताकि वह चीन पर बेहतर निगरानी रख सके। उनका इशारा चीन के संभावित परमाणु ठिकानों की तरफ था।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि बगराम से 1,000 किलोमीटर के दायरे में कोई स्पष्ट परमाणु अड्डा नहीं है। लेकिन एक ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का एक संभावित न्यूक्लियर साइट काशगर में है, जो बगराम से सिर्फ 700 किलोमीटर की हवाई दूरी पर है।

क्या यह संभव है?

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि बगराम को फिर से कब्जा करने की फिलहाल कोई ‘एक्टिव योजना’ नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि यह व्यावहारिक रूप से बेहद मुश्किल है। इतनी बड़ी जगह को आतंकियों से सुरक्षित रखना, उसे फिर से ऑपरेशनल बनाना और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराना आसान काम नहीं है। अफगानिस्तान एक लैंडलॉक्ड देश है और वहां सैन्य मौजूदगी बनाए रखना एक बड़ा जोखिम है।

एक पूर्व रक्षा अधिकारी ने ट्रंप के दावे को “बढ़ा-चढ़ाकर” बताया और कहा कि इससे सैन्य से ज्यादा राजनीतिक फायदे की उम्मीद की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है।

तालिबान ने क्या कहा?

तालिबान ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जाकिर जलाली ने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत हो सकती है, लेकिन किसी भी हाल में अमेरिकी सैनिकों की वापसी या सैन्य मौजूदगी मंजूर नहीं होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित हो सकते हैं, मगर अफगान भूमि पर किसी विदेशी सेना को पैर जमाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

इसलिए ट्रंप की योजना चाहे जितनी बड़ी और रणनीतिक लगे, लेकिन उसकी राह में कई अड़चनें हैं। पहला, तालिबान की सख्त ना। दूसरा, सैन्य और आर्थिक व्यावहारिकताएं। और तीसरा, यह सवाल कि क्या वास्तव में बगराम से चीन पर नजर रखी जा सकती है।

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MP News: ‘तेरी भाभी और भतीजी में ज्यादा गर्मी है’, वीडियो वायरल, एसडीएम प...

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MP News: मुरैना जिले के सबलगढ़ में पदस्थ एसडीएम अरविंद माहौर पर एक महिला ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि एसडीएम उनके परिवार को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं, यहां तक कि उनकी बेटी को रात में फोन कर अभद्र मैसेज भी भेजते हैं। आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने एसडीएम को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।

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महिला ने लगाया शोषण और धमकी देने का आरोप– MP News

ग्वालियर के चंदन नगर की रहने वाली एक महिला अपने देवर को लेकर मुरैना कलेक्ट्रेट पहुंची और वहां एसडीएम अरविंद माहौर के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करवाई। महिला का आरोप है कि सबलगढ़ एसडीएम उनके परिवार को काफी समय से परेशान कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का दावा है कि एसडीएम किसी भी समय उनके देवर को बुला लेते हैं और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

“तेरी भाभी और भतीजी में गर्मी ज्यादा है” – वीडियो में कथित अभद्र भाषा

महिला ने शिकायत पत्र के साथ एक वीडियो भी सौंपा है जिसमें अरविंद माहौर कथित रूप से अपशब्द बोलते नजर आ रहे हैं। वीडियो में वह महिला के परिवार को लेकर बेहद अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए कह रहे हैं, “तेरी भाभी और भतीजी में ज्यादा गर्मी है।” पीड़ित पक्ष का कहना है कि ये बातें सुनकर वे बेहद आहत हैं और मानसिक तनाव में जी रहे हैं।

रात में बेटी को भेजते हैं मैसेज, बार-बार नंबर बदलते हैं

महिला ने मीडिया को बताया कि एसडीएम उनकी नाबालिग बेटी को रात में मैसेज भेजते हैं। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला पिछले एक साल से चल रहा है। बेटी ने कई बार नंबर बदलने की कोशिश की, लेकिन एसडीएम किसी न किसी तरह से दोबारा संपर्क कर लेते हैं। जब बेटी ने इस हरकत का विरोध किया तो उसके देवर को बुलाकर धमकाया गया। पीड़ित ने बताया कि इस पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग उनके पास है।

“अगर कुछ हुआ तो जिम्मेदार प्रशासन होगा” – आत्महत्या की चेतावनी

पीड़िता ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो वह अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने को मजबूर होगी। उसने साफ कहा कि ऐसी स्थिति में प्रशासन ही जिम्मेदार होगा। लोकलाज के डर से उन्होंने अब तक शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो सामने आकर आवाज उठानी पड़ी।

कलेक्टर ने लिया एक्शन, एसडीएम हटाए गए

मामला सामने आते ही मुरैना कलेक्टर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसडीएम अरविंद माहौर को सबलगढ़ से हटा दिया है। उन्हें मुरैना कलेक्ट्रेट में डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जानकारी के मुताबिक, अब सबलगढ़ में मेघा तिवारी को नया एसडीएम बनाया जा रहा है। वह जल्द ही अपना कार्यभार संभालेंगी।

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Yasin Malik का हलफनामा: कश्मीरी पंडितों की हत्या के आरोपों को बताया बेबुनियाद, खुदकुश...

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Yasin Malik: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर खुद पर लगे गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया है। मलिक ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों की हत्या और किसी भी तरह की आतंकी साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं रही है। मलिक ने यहां तक दावा किया है कि अगर उस पर लगे आरोप सच साबित हो जाएं, तो वह खुद को फांसी लगा लेगा।

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आरोप साबित हुए, तो खुद को फांसी लगा लूंगा- Yasin Malik

अपने हलफनामे में यासीन मलिक ने साफ कहा है, “अगर मुझ पर लगाए गए आरोप जैसे कश्मीरी पंडितों की हत्या, आतंकी साजिश, या सांप्रदायिक हिंसा साबित हो जाएं, तो मैं बिना मुकदमे के खुद को फांसी लगा लूंगा।” उसने दावा किया कि उसके खिलाफ इन आरोपों को बेवजह उछाला जा रहा है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पुराने टाडा केसों को उठाकर उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।

मेरी छवि पर नहीं कोई दाग

मलिक ने अपने बचाव में कई बड़ी मुलाकातों और घटनाओं का हवाला भी दिया है। उसने बताया कि उसकी विभिन्न प्रधानमंत्रियों चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के शासनकाल में कई बार बातचीत हुई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, उसने यह चौंकाने वाला दावा भी किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेताओं के साथ भी दिल्ली में पांच घंटे की लंबी बातचीत हुई थी।

आरएसएस और शंकराचार्य भी मिले थे

मलिक के अनुसार, 2001 में एक एनजीओ ‘सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकंसिलिएशन’ ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में उसकी और कुछ आरएसएस नेताओं की मीटिंग करवाई थी। ये बातचीत करीब पांच घंटे चली थी। इसके अलावा, मलिक ने यह भी बताया कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल के.एन. सूरी ने भी उसे कई बार निजी भोज के लिए बुलाया था।

हलफनामे में यासीन मलिक ने यह भी दावा किया कि दो शंकराचार्य उसके श्रीनगर स्थित घर आए थे और वे उसके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए थे। उसने सवाल उठाया कि “अगर मैं सांप्रदायिक या हिंसक सोच वाला होता, तो क्या ऐसे धर्मगुरु मेरे घर आते?”

मैंने कश्मीरी पंडितों के साथ हमदर्दी जताई

मलिक ने बताया कि उसने 1996 के बाद संग्रामपोरा, वंधामा, डोडा और शोपियां में हुए कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की सार्वजनिक तौर पर निंदा की थी। उसके मुताबिक, उसने कई बार कश्मीरी पंडितों से मुलाकातें कीं, जिनकी तस्वीरें और रिपोर्टें उस समय की अखबारों में भी छपी थीं।

क्या है मामला?

यासीन मलिक पर NIA ने आतंकी फंडिंग, देशविरोधी गतिविधियों और कश्मीरी पंडितों की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। इन आरोपों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें अब यासीन मलिक ने यह विस्तृत हलफनामा दायर कर खुद को निर्दोष बताया है।

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Journalist Rajiv Pratap missing: उत्तरकाशी से दिल्ली उत्तराखंड लाइव के पत्रकार राजीव ...

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Journalist Rajiv Pratap missing: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है। दिल्ली उत्तराखंड लाइव के पत्रकार राजीव प्रताप बीते गुरुवार रात से लापता हैं। उनकी गुमशुदगी की सूचना मिलने के बाद पूरे इलाके में हलचल मच गई है। परिवार वाले और स्थानीय लोग बेहद चिंतित हैं क्योंकि राजीव का मोबाइल नंबर बंद आ रहा है और अभी तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है।

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भागीरथी नदी में फंसा मिला वाहन- Journalist Rajiv Pratap missing

मिली जानकारी के अनुसार, राजीव प्रताप उत्तरकाशी जिले के मनेरी गांव के रहने वाले हैं। वे 18 सितंबर की रात लगभग 11 बजे से लापता हैं। पुलिस को सूचना मिलने के बाद एसडीआरएफ और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और खोजबीन शुरू की। तलाश के दौरान उनकी कार भागीरथी नदी के बीच गंगोरी और स्यूना गांव के पास फंसी मिली। हालांकि, वाहन के अंदर राजीव नहीं थे। तेज बहाव के कारण वाहन को नदी से बाहर निकालने में मुश्किलें आईं।

कार पुलिसकर्मी की थी, राजीव ने ली थी शाम को

पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि यह कार पुलिस लाइन में तैनात एक पुलिसकर्मी की थी, जिसे राजीव गुरुवार शाम को लेकर गए थे। इसके बाद से राजीव का मोबाइल नंबर बंद आना शुरू हो गया। शुक्रवार को वाहन नदी में फंसा मिलने के बाद परिजन ने कोतवाली उत्तरकाशी में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई है।

राजीव के साथ एक अन्य व्यक्ति भी था, जो रास्ते में उतरा

जांच में पता चला है कि राजीव के साथ कार में एक और शख्स था, जो रास्ते में ही कार से उतर गया था। फिलहाल इस व्यक्ति की पहचान और ठिकाने का पता नहीं चल पाया है। स्थानीय लोग और परिवार वाले राजीव के सक्रिय सामाजिक मुद्दों को उठाने की वजह से उनके अचानक गायब होने को संदिग्ध मान रहे हैं।

परिजन और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रहे

राजीव इलाके के कई संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते थे। इसी वजह से उनके अचानक लापता होने से परिजन काफी चिंतित हैं और पुलिस से तेजी से जांच की मांग कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम मामले की जांच कर रही है और हर पहलू से इस रहस्यमय घटना को सुलझाने की कोशिश कर रही है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई लापता होने की खबर

राजीव की गुमशुदगी की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है। उनके साथी पत्रकार और स्थानीय लोग उनके सुरक्षित मिलने की प्रार्थना कर रहे हैं। इस बीच प्रशासन ने भी इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है ताकि जल्द से जल्द राजीव का पता लगाया जा सके।

वहीं, उत्तरकाशी से पत्रकार राजीव प्रताप के लापता होने और उनका वाहन नदी में मिलने की खबर ने इलाके में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस और एसडीआरएफ की टीम लगातार उनकी खोज में जुटी हुई है। राजीव के परिवार वाले भी उनकी सुरक्षित वापसी के लिए इंतजार कर रहे हैं।

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H-1B visa update: अमेरिका ने हिला दिया H-1B वीजा सिस्टम! अब हर साल 88 लाख रुपए फीस, भ...

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H-1B visa update: अमेरिका ने H-1B वीजा के लिए एप्लिकेशन फीस में जबरदस्त बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो तकनीकी और पेशेवर नौकरी चाहने वालों के लिए बड़ा बदलाव लेकर आई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस नए आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके मुताबिक अब H-1B वीजा के लिए हर साल करीब एक लाख डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपए फीस देनी होगी। यह नया नियम 21 सितंबर 2025 से लागू हो जाएगा। आइए विस्तार से समझते हैं कि इससे भारत सहित दुनियाभर के लाखों लोगों और कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा।

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H-1B वीजा और इसकी अहमियत

पहले समझते हैं H-1B वीजा है क्या? H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो अमेरिका में विशेष तकनीकी स्किल वाले कर्मचारियों को रोजगार के लिए दिया जाता है। यह वीजा आमतौर पर IT, आर्किटेक्चर, हेल्थ सेक्टर जैसी विशेषज्ञता वाली नौकरियों के लिए होता है। अमेरिका हर साल लॉटरी प्रक्रिया के जरिए 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भारतीयों की होती है, जो कुल वीजा धारकों का लगभग 72 प्रतिशत हैं।

फीस बढ़ोतरी का असर H-1B visa update

पहले H-1B वीजा के लिए फीस लगभग 5 लाख रुपए होती थी, जो 3 साल के लिए वैध होता था और 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। अब फीस इतनी बढ़ाई गई है कि 6 साल के लिए कुल खर्च लगभग 5.28 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा, यानी खर्च में लगभग 50 गुना की वृद्धि हुई है। इसके कारण 3 लाख से अधिक भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं को भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।

ट्रम्प के तीन नए वीजा कार्ड

डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा में बदलाव के साथ ही तीन नए वीजा कार्ड भी लॉन्च किए हैं, ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’। खासतौर पर ट्रम्प गोल्ड कार्ड जिसकी कीमत लगभग 8.8 करोड़ रुपए है, व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड यानी स्थायी निवास का अधिकार देगा। इसके तहत व्यक्ति को ग्रीन कार्ड जैसा स्टेटस मिलेगा, लेकिन वोटिंग या पासपोर्ट जैसे कुछ अधिकार नहीं मिलेंगे।

भारतीयों पर इसका क्या असर होगा?

H-1B वीजा के नियमों में बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारत से अमेरिका जाने वाले टेक्निकल प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। साल 2023 में लगभग 1.91 लाख भारतीयों ने H-1B वीजा लिया था, जो 2024 में बढ़कर 2.07 लाख से ज्यादा हो गया। भारत की बड़ी IT कंपनियां जैसे इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL हर साल हजारों कर्मचारियों को इस वीजा पर अमेरिका भेजती हैं। नई फीस व्यवस्था के चलते कंपनियां अब इतनी बड़ी रकम चुकाने में झिझकेंगी, जिससे मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों के लिए वीजा पाना और भी कठिन हो जाएगा। नतीजतन, कंपनियां नौकरियों को आउटसोर्सिंग कर सकती हैं या अन्य देशों की ओर रुख कर सकती हैं।

H-1B वीजा वितरण में भारत की प्रमुखता

अगर हम 2022 के आंकड़ों की बात करें तो H-1B वीजा पाने वाले लोगों में भारत का दबदबा साफ दिखता है। कुल वीजा धारकों में से लगभग 72.6% यानी करीब 3,20,791 लोग भारत से हैं। चीन दूसरे नंबर पर है, जहां करीब 12.5% यानी 55,038 लोगों को ये वीजा मिला। इसके अलावा कनाडा, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस जैसे देश भी इस लिस्ट में हैं, लेकिन उनका हिस्सा बहुत कम है, जैसे कनाडा का लगभग 1%, दक्षिण कोरिया का 0.9% और फिलीपींस का 0.8%। यह साफ है कि भारत अमेरिका की तकनीकी और इंजीनियरिंग नोकरी बाजार में बड़ा योगदान देता है।

नए नियम के तहत फीस कैसे लगेगी?

21 सितंबर 2025 से लागू होने वाले नियम के मुताबिक, हर नया आवेदन या नवीनीकरण के लिए $100,000 (लगभग 88 लाख रुपए) की फीस देनी होगी। यह फीस कंपनियों को हर साल चुकानी होगी और इसका प्रमाण रखना होगा। अगर कंपनी भुगतान नहीं करती है, तो वीजा याचिका को अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग या राज्य विभाग रद्द कर सकता है।

अगर कर्मचारी अमेरिका से बाहर चले जाएं तो?

अगर कोई H-1B वीजा होल्डर 21 सितंबर के बाद अमेरिका छोड़ता है, तो वापस आने के लिए कंपनी को यह भारी शुल्क देना होगा। इसलिए बड़ी कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, जेपी मॉर्गन ने अपने कर्मचारियों को अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बाहर रहने वाले कर्मचारियों को 21 सितंबर से पहले अमेरिका वापस लौटने को कहा गया है, ताकि वे नए नियम की जटिलताओं से बच सकें।

कंपनियों की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां

भारत से लाखों इंजीनियर और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट हर साल अमेरिका में काम करने जाते हैं। इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, और HCL जैसी बड़ी कंपनियां H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं। हालांकि अब इतनी ज्यादा फीस के कारण ये कंपनियां भारत के टैलेंट को अमेरिका भेजने में हिचकेंगी। इससे भारत के पेशेवर टैलेंट का झुकाव यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मिडिल ईस्ट जैसे देशों की ओर बढ़ सकता है।

प्रशासन का कहना है – H-1B का गलत इस्तेमाल हुआ

व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीजा प्रणाली का बहुत ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ है। इसका मकसद उन हाई स्किल्ड लेबरर्स को अमेरिका लाना था, जो स्थानीय अमेरिकी कामगारों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन कंपनियां इसे वेतन घटाने और अमेरिकी नौकरियों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल करती रही हैं। नए नियमों के तहत कंपनियों को उच्च फीस देने के बाद ही अपने कर्मचारियों को वीजा दिलाना होगा, ताकि केवल वे लोग अमेरिका आएं जिनके पास बेहतरीन स्किल्स हों।

गोल्ड कार्ड और भविष्य की योजना

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि अब तक हर साल लगभग 2,81,000 लोगों को ग्रीन कार्ड दिया जाता है, लेकिन उनकी औसत कमाई 66,000 डॉलर (लगभग 58 लाख रुपए) है और कई बार वे सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब कंपनियां तैयार हैं H-1B वीजा के लिए सालाना एक लाख डॉलर देने के लिए, ताकि अमेरिकी नौकरियों को संरक्षण मिले।

नया ट्रम्प गोल्ड कार्ड EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा। यह कार्ड केवल उन्हीं को मिलेगा जिन्हें अमेरिका के लिए लाभकारी माना जाएगा। शुरुआत में लगभग 80,000 गोल्ड कार्ड जारी किए जाएंगे, जिससे अमेरिका को अनुमानित 100 अरब डॉलर की कमाई होगी। यह कार्ड स्थायी निवास के समान होगा, जिसमें वोटिंग या पासपोर्ट अधिकार शामिल नहीं होंगे।

ट्रम्प का संदेश – केवल टैलेंटेड लोगों को मौका मिलेगा

राष्ट्रपति ट्रम्प ने स्पष्ट किया है कि यह नई वीजा नीति खासतौर पर धनी और उच्च कौशल वाले विदेशी नागरिकों के लिए है, जो अमेरिका में काम करते हुए रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब केवल उन लोगों को वीजा देगा, जो अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां नहीं छीनेंगे, बल्कि अपने स्किल से देश के लिए मूल्य बढ़ाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वीजा फीस से जुटाई गई रकम टैक्स में कटौती और सरकारी कर्ज चुकाने में इस्तेमाल होगी।

आवेदन प्रक्रिया और जांच

इन नए वीजा कार्ड के लिए एक सरकारी वेबसाइट https://trumpcard.gov/ भी शुरू की गई है। इस पर आवेदन करने वालों को 15,000 डॉलर की जांच फीस देनी होगी और सुरक्षा जांच से गुजरना होगा। नए नियमों से अमेरिकी वीजा प्रक्रिया और भी सख्त और महंगी हो जाएगी।

इस नई नीति से भारत सहित कई देशों के तकनीकी पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। कंपनियों को भारी फीस चुकानी होगी, जिससे मिड-लेवल और एंट्री लेवल कर्मचारियों की संख्या कम हो सकती है। वहीं, उच्च कौशल और आर्थिक रूप से सक्षम पेशेवरों को ही अमेरिका में टिकने का मौका मिलेगा। इस बदलाव से वैश्विक तकनीकी टैलेंट का प्रवाह भी प्रभावित होगा, और भारत जैसे देशों के युवाओं को वैकल्पिक देशों की ओर रुख करना पड़ सकता है।

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Surekha Yadav Loco Pilot: एशिया की पहली महिला लोकोपायलट सुरेखा यादव का आखिरी स्टेशन त...

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Surekha Yadav Loco Pilot: रेल की सीटी, इंजन की गूंज और यात्रियों की उम्मीदों से भरी पटरियों पर एक महिला ने 36 साल तक वो जिम्मेदारी निभाई, जिसे कभी सिर्फ मर्दों का काम माना जाता था। हम बात कर रहे हैं एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर सुरेखा यादव की, जो इस महीने यानी 30 सितंबर 2025 को भारतीय रेलवे से रिटायर हो जाएंगी। सेंट्रल रेलवे ने उनके रिटायरमेंट की जानकारी देते हुए उन्हें महिला सशक्तिकरण का सच्चा प्रतीक बताया है।

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नवरात्रि में होगी विदाई, नारी शक्ति को मिलेगा सलाम- Surekha Yadav Loco Pilot

सिर्फ एक इत्तेफाक कहें या एक खास संयोग सुरेखा यादव जिस दिन आखिरी बार ट्रेन चलाएंगी, उस वक्त देशभर में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा होगा। नवरात्रि, यानी नारी शक्ति की आराधना का वक्त। और उसी दौरान रेलवे की ये बहादुर महिला कर्मचारी अपना 36 साल का सफर खत्म करेंगी। यह सिर्फ एक नौकरी की विदाई नहीं है, बल्कि एक प्रेरणादायक युग का अंत भी है।

सुरेखा कैसे बनीं ट्रेन ड्राइवर?

सुरेखा यादव का जन्म 2 सितंबर 1965 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। आम लड़कियों की तरह उन्होंने भी टीचर बनने का सपना देखा था और बीएड की पढ़ाई का मन बनाया था। लेकिन उन्हें तकनीकी चीज़ों में गहरी रुचि थी, और किस्मत ने उन्हें रेलवे की ओर मोड़ दिया।

उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और रेलवे की लिखित परीक्षा पास कर ली। फिर 1986 में उन्हें कल्याण ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेन ड्राइवर बनने की ट्रेनिंग मिली और 1989 में वह सहायक ड्राइवर बन गईं।

मालगाड़ी से लेकर वंदे भारत तक का सफर

शुरुआत में सुरेखा ने मालगाड़ियों को चलाया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2000 में उन्हें ‘मोटर वुमन’ बनाया गया। फिर 2011 में वे मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की ड्राइवर बनीं।

13 मार्च 2023 को सुरेखा यादव ने इतिहास रचते हुए पहली महिला ट्रेन ड्राइवर के तौर पर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई। उन्होंने सोलापुर से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) तक 455 किलोमीटर की दूरी तय की। इससे पहले वह डेक्कन क्वीन जैसी ट्रेनों के भी खतरनाक घाट सेक्शन पर कमान संभाल चुकी हैं।

आखिरी ट्रेन चलाई राजधानी एक्सप्रेस

अपने रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले सुरेखा यादव ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया। उन्होंने हजरत निज़ामुद्दीन से चलने वाली प्रतिष्ठित राजधानी एक्सप्रेस को इगतपुरी से CSMT तक चलाकर अपना आखिरी कार्य पूरा किया। यह एक बेहद भावुक और गौरवपूर्ण पल था, न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे रेलवे परिवार के लिए।

सेंट्रल रेलवे ने की रिटायरमेंट की घोषणा 

सेंट्रल रेलवे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सुरेखा यादव के रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए लिखा,
“एक सच्ची पथप्रदर्शक, जिन्होंने तमाम रुकावटों को पार कर अनगिनत महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने दिखा दिया कि कोई भी सपना अधूरा नहीं है। उनकी यात्रा भारतीय रेलवे में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी रहेगी।”

निजी जीवन और बैकग्राउंड

आपको बता दें, सुरेखा यादव का परिवार पूरी तरह से साधारण रहा है। उनके पिता एक किसान थे और पति महाराष्ट्र पुलिस में कार्यरत हैं। लेकिन सुरेखा ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे आज लाखों लड़कियां अपना सपना बना रही हैं।

क्यों है सुरेखा यादव की कहानी खास?

आज जब देश भर में महिलाओं के लिए अवसरों की बात होती है, तब सुरेखा यादव जैसी महिलाएं इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि हिम्मत, हुनर और मेहनत से कुछ भी मुमकिन है। एक समय था जब ट्रेन चलाना मर्दों का काम माना जाता था, लेकिन सुरेखा ने उस सोच को बदल दिया।

उनकी कहानी हमें सिखाती है कि करियर में रास्ते खुद बनाने पड़ते हैं चाहे वो लोहे की पटरियों पर हों या समाज की बंद सोच पर।

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सूर्य ग्रहण का बड़ा प्रभाव: इन राशियों की चमकेगी किस्मत, होगा धन लाभ और सफलता

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Surya grahan 2025: 21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा। भारतीय मानक समय के अनुसार, सुबह 10:59 बजे शुरू होगा और अगले दिन प्रातः 3:23 बजे समाप्त होगा। तो चलिए आपको इस लेख में विस्तार से बताते है कि इस सूर्य ग्रहण पर किन राशियों की चमकेगी किस्मत।

ज्योतिषीय प्रभाव क्या रहेंगे 

चूँकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहाँ के लोगों पर इसका कोई धार्मिक या आध्यात्मिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। विशेष रूप से, यह ग्रहण कन्या राशि में घटित होगा, और मिथुन राशि वालों के लिए यह कुछ चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह ग्रहण कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ हो सकता है, लेकिन इसका सूतक काल और धार्मिक नियम भारत में लागू नहीं होंगे।

वही इस बाद यह सूर्य ग्रहण भारत की बायज न्यूज़ीलैंड, टोंगा और फ़िजी के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।

सूतक काल के दौरान क्या न करें?

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है और कुछ सावधानियां बरतना बेहद ज़रूरी है। इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसलिए, सूतक काल के दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे क्या नहीं करें सूतक काल के दौरान खाना बनाना, खाना-पीना वर्जित है। हालाँकि, यह नियम बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर लागू नहीं होता है।

इस दौरान मूर्तियों को छूना या पूजा करना अशुभ माना जाता है। सभी मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। इसके बजाय, आप मन ही मन मंत्रों का जाप कर सकते हैं। वही सूतक काल के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध वर्जित है।

ग्रहण के दौरान क्या करें?

सूतक काल में ईश्वर का ध्यान और मंत्र जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। खाने-पीने की चीज़ों को दूषित होने से बचाने के लिए उनमें तुलसी के पत्ते डालें। ध्यान देने वाली बात सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। उन्हें अपने इष्ट देव का ध्यान और पूजा करनी चाहिए। इसके अलवा ग्रहण समाप्ति के बाद पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। घर में गंगाजल छिड़कें, स्नान करें और फिर दान-पुण्य करें।

शुभ प्रभाव वाली राशियाँ

मेष: इस राशि के जातकों को करियर में उन्नति और आर्थिक स्थिति में सुधार का अनुभव हो सकता है। नए अवसर प्राप्त होंगे, जिससे आर्थिक लाभ की संभावना बढ़ जाएगी।

मिथुन: मिथुन राशि वालों के लिए यह समय विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है। उन्हें व्यापार और रोज़गार में सफलता मिलेगी। साथ ही, अचानक धन लाभ की संभावना भी बन सकती है।

कन्या: यह ग्रहण कन्या राशि वालों के लिए शुभ संकेत लेकर आया है। उन्हें व्यावसायिक लाभ और निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

धनु: इस राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा, जिससे उनके लंबित कार्य पूरे हो सकेंगे। आय के नए स्रोत खुल सकते हैं और करियर में उन्नति हो सकती है।

जंग लगी कड़ाही को बनाएं चमकदार, बस रसोई की इन चीजों का करें इस्तेमाल

Tips to Clean utensils and pans: अगर आप भी अपने रसोई (Kitchen) के बर्तनों (Utensils) पर लगी चिकनाई और जंग से परेशान हैं, और आपको अपने बर्तनों से चिकनाई हटाने में घंटों लग जाते हैं, तो क्या आप भी जंग से बचना चाहते हैं? तो चलिए आपको इस लेख में, आपकी पसंदीदा कड़ाही को साफ़ करने और जंग लगने से बचाने के कुछ आसान और असरदार तरीके के बारे में बताते हैं। ये तरीके आपकी पुरानी कड़ाही को बिना ज़्यादा मेहनत के एकदम नया जैसा बना सकते हैं।

बेकिंग सोडा और नींबू का प्रयोग

यह विधि उन कड़ाही (Rusty pan) के लिए सबसे उपयुक्त है जिन पर जंग की हल्की परत जमी हो। सबसे पहले, कड़ाही में थोड़ा पानी डालें और उसे गैस पर गरम करें। जब पानी गुनगुना हो जाए, तो उसमें 2-3 छोटे चम्मच बेकिंग सोडा डालें और आँच बंद कर दें। कड़ाही में नींबू का रस निचोड़ें और उसे 10-15 मिनट के लिए रख दें। थोड़ी देर बाद, कड़ाही को स्क्रबर से रगड़ें। आप देखेंगे कि जंग आसानी से निकल जाती है। अंत में, कड़ाही को पानी से धोकर सुखा लें।

नमक और आलू का जादू

यह विधि उन लोगों के लिए है जो रसोई में आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करना चाहते हैं। एक आलू को आधा काट लें और कटे हुए हिस्से पर थोड़ा सा नमक छिड़कें। अब, इस नमकीन आलू को जंग लगे तवे पर रगड़ें। आप देखेंगे कि नमक और आलू का मिश्रण धीरे-धीरे जंग (Rust) हटा रहा है। अगर जंग ज़्यादा है, तो आप इस प्रक्रिया को कई बार दोहरा सकते हैं। जंग हटने के बाद, तवे को धोकर अच्छी तरह सुखा लें।

सिरके का प्रयोग

ज़द्दी जंग हटाने के लिए यह तरीका बहुत कारगर है। एक कटोरे में बराबर मात्रा में सफेद सिरका और पानी मिलाएँ। तवे को इस घोल में 2-3 घंटे के लिए भिगोएँ।

समय पूरा होने के बाद, तवे को बाहर निकालें और स्टील के स्क्रबर से रगड़ें। जंग आसानी से निकल जाएगी। तवे को अच्छी तरह धोकर सुखा लें और आगे जंग लगने से बचाने के लिए थोड़ा सा तेल लगाएँ।

जंग से बचाव के कुछ सुझाव

इस्तेमाल के बाद तवे को हमेशा अच्छी तरह सुखाएँ। तवे को धोकर उस पर तेल की एक हल्की परत लगाएँ। इससे कड़ाही हवा से सुरक्षित रहेगी और जंग नहीं लगेगी। कड़ाही को नम या गीली जगह पर रखने से बचें। इन सुझावों का पालन करके, आप अपनी कड़ाही को साफ़ और चमकदार रख सकते हैं।

Lucknow Land Scam Case: LDA घोटाले में VIP एंट्री! अपर्णा यादव की मां पर FIR, बेटी बो...

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Lucknow Land Scam Case: लखनऊ में चल रही प्रियदर्शनी-जानकीपुरम योजना के भूखंड आवंटन घोटाले ने सियासी और प्रशासनिक महकमे में हलचल मचा दी है। इस मामले में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष और भाजपा नेता अपर्णा यादव की मां, अंबी बिष्ट का नाम प्रमुखता से सामने आया है। अंबी बिष्ट उस वक्त लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की संपत्ति अधिकारी थीं, जिनके खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इस जांच का सिलसिला 2016 से चल रहा था और अब तक कई जिम्मेदार अधिकारियों को दोषी पाया गया है।

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पांच अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप, एफआईआर दर्ज- Lucknow Land Scam Case

इस घोटाले की जांच लखनऊ के विजिलेंस विभाग ने की थी। जांच में सामने आया कि तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट ने रजिस्ट्री और सेल डीड (विक्रय विलेख) पर हस्ताक्षर किए थे। साथ ही अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने कब्जा पत्र जारी किए, उपसचिव देवेंद्र सिंह राठौड़ ने आवंटन पत्र दिए। वहीं, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु और अवर सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूखंडों का गलत मूल्यांकन करने का आरोप लगा है।

विजिलेंस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ये पांचों अधिकारी स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ मिलकर आवंटन में गड़बड़ी कर रहे थे। सभी दस्तावेजों के हस्ताक्षर फोरेंसिक लैब (FSL) से सत्यापित कराए गए थे, जो सही पाए गए। इसके बाद शासन ने आईपीसी की धारा 120-बी (साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

अंबी बिष्ट का सरकारी करियर और राजनीतिक पृष्ठभूमि

अंबी बिष्ट लखनऊ विकास प्राधिकरण की संपत्ति अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुईं और बाद में लखनऊ नगर निगम में कर अधिकारी भी रहीं। करीब एक साल पहले 30 सितंबर 2024 को उन्होंने सरकारी सेवा से रिटायरमेंट लिया था। आपको बता दें, वे अपर्णा यादव की मां हैं, जो उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं और हाल ही में भाजपा में शामिल हुईं हैं। अपर्णा अक्सर विपक्षी दलों, खासकर अखिलेश यादव और कांग्रेस पर तीखे बयान देती रही हैं।

जांच और एफआईआर में देरी: 2016 से चल रही जांच अब मुकदमे में बदली

इस मामले की जांच 2016 में शासन के आदेश से शुरू हुई थी। विभिन्न रिपोर्टें आईं, समीक्षा हुई और अंत में 18 सितंबर 2025 को मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया गया। उसके बाद लखनऊ के विजिलेंस थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई। इस एफआईआर ने राजनीतिक हलचल को भी तेज कर दिया है, क्योंकि मामले में एक राजनीतिक परिवार का नाम आने से चर्चा बढ़ गई है।

अपर्णा यादव का विवादित बयान और मीडिया से जवाब

मामले के उजागर होने के बाद जब सुल्तानपुर में मीडिया ने अपर्णा यादव से उनकी मां पर एफआईआर के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया और ‘नो कमेंट’ कहा। लेकिन इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम वाले बयान पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस से ज्यादा वोट चोरी किसने की है? बोफोर्स क्या है? गूगल पर सर्च कीजिए, पोल खुल जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से राष्ट्र विरोधियों की नींद खराब हो गई है।”

यह बयान सियासी गलियारों में खूब चर्चा का विषय बना है।

प्रियदर्शनी-जानकीपुरम योजना: यह घोटाला क्या है?

प्रियदर्शनी-जानकीपुरम योजना लखनऊ विकास प्राधिकरण की एक बड़ी आवासीय परियोजना थी, जिसे शहर के उत्तरी हिस्से में 2010 के दशक की शुरुआत में लॉन्च किया गया था। इसका मकसद लखनऊ के बढ़ते आवासीय जरूरतों को पूरा करना था। इस योजना के सेक्टर-सी में एलडीए ने करीब 308 आवासों का निर्माण कराया, जिसमें थ्री बीएचके, टू बीएचके, एलआईजी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान शामिल थे।

2014-15 में इस योजना के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी दी गई थी। लेकिन जांच में यह सामने आया कि कई भूखंडों के आवंटन में नियमों की सख्ती से अनदेखी की गई और फर्जी दस्तावेज तैयार कर गड़बड़ी की गई।

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