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Islamabad Blast: इस्लामाबाद में आत्मघाती धमाके से दहशत, श्रीलंकाई टीम ने उठाई घर लौटन...

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Islamabad Blast: पाकिस्तान दौरे पर गई श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर एक बार फिर सुरक्षा का साया मंडराने लगा है। इस्लामाबाद में हुए भीषण आत्मघाती हमले के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों में दहशत फैल गई है। सूत्रों के मुताबिक, टीम के कई सदस्य अब पाकिस्तान में ठहरने के बजाय जल्द से जल्द अपने देश लौटना चाहते हैं। हालांकि, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने साफ कर दिया है कि सीरीज़ रद्द नहीं होगी, सिर्फ उसके शेड्यूल में थोड़ा बदलाव किया गया है।

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खिलाड़ी लौटना चाहते हैं, बोर्ड ने मना किया- Islamabad Blast

श्रीलंका ने इस तीन मैचों की वनडे सीरीज़ के लिए 16 सदस्यीय टीम भेजी थी। लेकिन PTI की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कम से कम आठ खिलाड़ी सुरक्षा चिंताओं के चलते स्वदेश लौटने की इच्छा जता चुके हैं। श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड (SLC) ने इस मुद्दे पर तुरंत टीम मैनेजमेंट से बातचीत की और खिलाड़ियों को भरोसा दिलाया कि उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

SLC ने एक बयान में कहा, “हमें टीम प्रबंधन से जानकारी मिली कि कुछ खिलाड़ी सुरक्षा कारणों से वापस लौटना चाहते हैं। हमने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों से बातचीत की है और टीम को आश्वस्त किया गया है कि सुरक्षा के सारे इंतज़ाम कड़े किए गए हैं।”

PCB ने कहा – सीरीज़ जारी रहेगी, बस शेड्यूल बदला गया

PCB के अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीरीज़ को रद्द करने का कोई सवाल ही नहीं है। नकवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “हम श्रीलंका क्रिकेट का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने पाकिस्तान दौरा जारी रखने का फैसला किया। अब दूसरा वनडे 14 नवंबर को और तीसरा मैच 16 नवंबर को रावलपिंडी में खेला जाएगा।”

दरअसल, दोनों टीमों के बीच दूसरा वनडे गुरुवार को खेला जाना था, जिसे अब शुक्रवार तक टाल दिया गया है। वहीं तीसरा मैच अब 15 की जगह 16 नवंबर को रावलपिंडी में होगा।

धमाके ने बढ़ाई चिंता, इस्लामाबाद के पास है रावलपिंडी

खिलाड़ियों की सबसे बड़ी चिंता रावलपिंडी की भौगोलिक स्थिति को लेकर है। इसी हफ्ते इस्लामाबाद में ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स के बाहर हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी। चूंकि रावलपिंडी इस्लामाबाद के बिलकुल नजदीक है, इसलिए टीम को डर है कि कहीं वे भी खतरे की जद में न आ जाएं।

यह वही स्थिति है जैसी चार साल पहले बनी थी, जब न्यूजीलैंड की टीम को सुरक्षा अलर्ट मिलने के बाद रावलपिंडी से बिना मैच खेले ही लौटना पड़ा था

SLC ने दी चेतावनी – लौटने वालों की होगी कार्रवाई

SLC ने खिलाड़ियों को चेतावनी दी है कि अगर कोई खिलाड़ी या सपोर्ट स्टाफ सदस्य बोर्ड के निर्देशों के बावजूद वापस लौटता है, तो उसके खिलाफ औपचारिक समीक्षा की जाएगी। बोर्ड ने यह भी कहा कि यदि कोई खिलाड़ी सच में दौरा छोड़ना चाहता है, तो उसकी जगह रिप्लेसमेंट खिलाड़ी भेजा जाएगा ताकि सीरीज़ बाधित न हो।

पाकिस्तान ने दी सुरक्षा की गारंटी

PCB के सूत्रों ने माना है कि श्रीलंका की टीम सुरक्षा को लेकर वाकई चिंतित है। इसी बीच श्रीलंकाई उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के गृह मंत्री और PCB अध्यक्ष से मुलाकात कर सुरक्षा स्थिति पर ब्रीफिंग ली है। PCB ने भरोसा दिया है कि रावलपिंडी और इस्लामाबाद दोनों जगह अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं और खिलाड़ियों की सुरक्षा में कोई चूक नहीं होगी।

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Delhi Blast mastermind: दिल्ली धमाके के मास्टरमाइंड मौलवी ने डॉक्टरों को कैसे बनाया ज...

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Delhi Blast mastermind: दिल्ली में हुए घातक कार धमाके की गुत्थी अब धीरे-धीरे सुलझती नजर आ रही है। जांच एजेंसियों के हाथ एक ऐसे शख्स का सुराग लगा है, जिसने न सिर्फ इस साजिश की नींव रखी बल्कि अपने धार्मिक प्रभाव और चालाकी से डॉक्टरों जैसे पढ़े-लिखे युवाओं को आतंक की अंधेरी राह पर धकेल दिया। उसका नाम है मौलवी इरफान अहमद, जो कश्मीर के शोपियां का रहने वाला है।

सूत्रों के मुताबिक, मौलवी इरफान ही दिल्ली धमाके और फरीदाबाद में पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल का असली मास्टरमाइंड है। बताया जा रहा है कि उसने श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ के तौर पर काम करते हुए कई मेडिकल छात्रों का ब्रेनवॉश किया और उन्हें ‘जिहाद’ के नाम पर हथियार उठाने के लिए उकसाया।

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कैसे खुला पूरा राज- Delhi Blast mastermind

इस पूरे मॉड्यूल की पोल उस वक्त खुलनी शुरू हुई जब 16 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगाए गए। सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हुईं और पोस्टर लगाने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में नाम सामने आया — मौलवी इरफान अहमद का। वहीं से कड़ियां जुड़ती चली गईं और एजेंसियों को समझ आया कि यह कोई छोटी साजिश नहीं, बल्कि एक बड़े आतंकी नेटवर्क का हिस्सा है।

इरफान ने अपने दो शागिर्दों  डॉ. आदिल अहमद (अनंतनाग) और डॉ. उमर (पुलवामा) को इस नेटवर्क से जोड़ा। आदिल की गिरफ्तारी के बाद उसके बैंक लॉकर से AK-47 राइफल बरामद हुई। इसके बाद मामला और गंभीर हो गया। आदिल ने पूछताछ में बताया कि डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन भी इस जिहादी मॉड्यूल में शामिल हैं और फरीदाबाद के ठिकानों पर विस्फोटक छिपाए गए हैं।

इरफान था ब्रेन’ – डॉक्टर बने एक्ज़ीक्यूटर’  

जांच में सामने आया है कि इरफान का सीधा संबंध जैश-ए-मोहम्मद से था। वह अपने छात्रों को कट्टरपंथी वीडियो दिखाकर बरगलाता था और VOIP कॉल्स के ज़रिए अफगानिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं से संपर्क रखता था। उसके इशारों पर ही डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल ने पूरे नेटवर्क को दिल्ली-एनसीआर तक फैला दिया।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली धमाके से ठीक पहले, जब फरीदाबाद मॉड्यूल के कुछ सदस्य पकड़े गए, तो डर के मारे डॉ. उमर ने घबराहट में धमाका कर दिया, ताकि साजिश का असली चेहरा सामने न आ सके।

अल फलाह यूनिवर्सिटी भी सवालों के घेरे में

इस पूरी साजिश का एक और चौंकाने वाला पहलू है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी। यही वह जगह है जहां इन डॉक्टरों के बीच नेटवर्क और गहरा हुआ। जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर नबी, और डॉ. शाहीन सईद तीनों का कनेक्शन इसी यूनिवर्सिटी से है।

डॉ. शाहीन को इस आतंकी मॉड्यूल की फाइनेंसर बताया जा रहा है। वहीं, एक और डॉक्टर नासिर, जिसे पहले कश्मीर में जिहादी गतिविधियों के चलते बर्खास्त किया गया था, उसे भी अल फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई। यही नहीं, डॉ. उमर को भी श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से अनुशासनहीनता के कारण निकाला गया था, लेकिन बाद में उसे भी अल फलाह में जगह मिल गई।

जांच अब पहुंची अहम मोड़ पर

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, एजेंसियों को यकीन है कि मौलवी इरफान अहमद ने दिल्ली धमाके की पूरी योजना बनाई थी और डॉक्टरों को इसमें मोहरा बनाया गया। अब इरफान की तलाश में जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली तक छापेमारी चल रही है।

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Delhi Blast News: दिल्ली धमाके के बाद पाकिस्तान में मचा हड़कंप, लाहौर की ओर बढ़ी सेना...

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Delhi Blast News: दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके को भारत सरकार ने जब बुधवार शाम आधिकारिक तौर पर आतंकी हमला घोषित किया, तो इस खबर ने पाकिस्तान में जैसे भूचाल ला दिया। ऑपरेशन सिंदूर-1.0 के दौरान भारत से करारी हार झेल चुका पाकिस्तान अब एक बार फिर से खौफ में दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर ने तुरंत मीटिंग बुलाकर अपनी फौज को लाहौर की ओर रवाना कर दिया है। बताया जा रहा है कि भारत के सख्त रुख को देखते हुए पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर पर टैंकों की तैनाती शुरू कर दी है।

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दिल्ली धमाके पर भारत का सख्त रुख- Delhi Blast News

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह तय किया गया कि लाल किले के पास हुआ धमाका “राष्ट्र-विरोधी ताकतों द्वारा किया गया आतंकी हमला” था। इस घोषणा के बाद पाकिस्तान के अंदर हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को डर है कि भारत “ऑपरेशन सिंदूर-2.0” के तहत किसी बड़े जवाबी कदम की तैयारी कर सकता है।

भारतीय सेना प्रमुख ने दिन में ही एक सख्त बयान दिया था — “अगर पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर 1.0 से सबक नहीं लिया, तो 2.0 उसे सबक सिखा देगा।” इस बयान के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान की सेना ने सीमाओं पर अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दीं। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफ कहा कि दिल्ली धमाके के गुनहगारों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।

पाकिस्तान में आपात हालात जैसे हालात

सूत्रों का दावा है कि पाकिस्तान में सेना के सभी अवकाश रद्द कर दिए गए हैं और लाहौर, पेशावर, और इस्लामाबाद के आसपास फुल अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सेना प्रमुख मुनीर ने अपने शीर्ष अधिकारियों को आदेश दिया है कि किसी भी स्थिति में भारत की ओर से की जाने वाली सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगले 72 घंटों में पाकिस्तान एक मिसाइल परीक्षण भी कर सकता है, जो भारत को संदेश देने की कोशिश होगी कि वह पूरी तरह सतर्क है। हालांकि, अंदरखाने यह भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान का यह कदम उसकी घबराहट को छिपाने की कोशिश है।

लाहौर क्यों बना पाकिस्तान की पहली ढाल?

पाकिस्तानी सेना ने सबसे पहले लाहौर को किले में बदलना शुरू किया है। जानकार बताते हैं कि लाहौर की भौगोलिक स्थिति इसकी बड़ी वजह है।

  • लाहौर वाघा बॉर्डर के बेहद करीब है और भारत के संभावित हमले की स्थिति में यह सबसे पहले निशाने पर आ सकता है।
  • कराची के बाद लाहौर पाकिस्तान का सबसे बड़ा औद्योगिक और आर्थिक केंद्र है, जहां आईटी, कपड़ा, इंजीनियरिंग और सेवा उद्योगों की बड़ी मौजूदगी है।
  • यह शहर देश के मुख्य रेलवे जंक्शन और सड़क नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जो इसे सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम बनाता है।
  • लाहौर का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और सीमावर्ती स्थिति इसे रणनीतिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण टारगेट बनाती है।

बढ़ा तनाव, पर नजरें अब दिल्ली पर

बता दें, दिल्ली धमाके के बाद भारत में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। वहीं पाकिस्तान की घबराहट इस बात की गवाही देती है कि उसे भारत की संभावित प्रतिक्रिया का अंदाजा है। ऑपरेशन सिंदूर-1.0 की यादें अभी भी पाकिस्तानी सेना के ज़ेहन में ताज़ा हैं, जब भारतीय कार्रवाई ने उसके कई ठिकाने तबाह कर दिए थे।

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Delhi Blast: लाल किले के पास हुए कार धमाके को सरकार ने बताया ‘आतंकवादी हमला’, कैबिनेट...

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Delhi Blast: दिल्ली में सोमवार (10 नवंबर) को लाल किले के पास हुआ कार विस्फोट अब औपचारिक रूप से एक आतंकवादी घटना घोषित कर दिया गया है। बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस हमले को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। सरकार ने कहा कि यह घटना “राष्ट्र-विरोधी ताकतों द्वारा अंजाम दिया गया एक जघन्य आतंकवादी कृत्य” है।

बैठक की शुरुआत दो मिनट के मौन से हुई, जिसमें मंत्रियों ने धमाके में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। कैबिनेट ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि निर्दोष लोगों की जान लेने वाला यह कृत्य न सिर्फ कायरतापूर्ण है बल्कि देश की शांति और एकता पर हमला भी है।

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कैबिनेट का संदेश – आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस- Delhi Blast

सरकार ने आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति अपनी ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी दोहराई और भरोसा दिलाया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया, “भारत आतंकवाद की किसी भी अभिव्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेगा। जो भी इस हमले के पीछे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”

कैबिनेट ने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच सबसे तेज़ और पेशेवर तरीके से की जाए ताकि अपराधियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों की पहचान कर जल्द न्याय के दायरे में लाया जा सके। बैठक में यह भी कहा गया कि सरकार इस घटना पर “उच्चतम स्तर” से लगातार नज़र रख रही है।

अभी तक नहीं मिली किसी संगठन की आधिकारिक पुष्टि

हालांकि, अभी तक किसी भी जांच एजेंसी या मंत्रालय ने किसी आतंकी संगठन का नाम नहीं लिया है। 48 घंटे से अधिक बीत जाने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि धमाके के पीछे कौन था या इसका मकसद क्या था।

दिल्ली पुलिस ने इस घटना को लेकर पहले ही यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया था, जिसके बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच अपने हाथों में ले ली है। सूत्रों के मुताबिक, एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि क्या इसका कोई संबंध हाल ही में फरीदाबाद में पकड़े गए उस आतंकी मॉड्यूल से है, जिसकी जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही थी। हालांकि, अब तक दोनों मामलों के बीच कोई आधिकारिक लिंक सामने नहीं आया है।

देश में हाई अलर्ट, 13 की मौत से सन्न दिल्ली

10 नवंबर की शाम लाल किले के पास हुए इस धमाके ने पूरे देश को हिला दिया था। विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल अस्पतालों में इलाजरत हैं। घटना के बाद दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों की पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। जांच एजेंसियां इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही हैं और धमाके की प्रकृति को समझने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।

कैबिनेट ने अधिकारियों की सराहना की, अंतरराष्ट्रीय समर्थन का ज़िक्र

प्रस्ताव में कैबिनेट ने उन सुरक्षा बलों, अधिकारियों और नागरिकों की सराहना की जिन्होंने मुश्किल हालात में साहस और संवेदनशीलता के साथ काम किया। साथ ही, सरकार ने दुनिया के कई देशों की ओर से मिले समर्थन और एकजुटता के संदेशों का भी आभार जताया।

कैबिनेट ने अपने प्रस्ताव के अंत में कहा, “सरकार हर भारतीय की सुरक्षा और कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आतंकवादियों को उनके मंसूबों में कभी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।”

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Nithari Kand: 16 खोपड़ियां, 13 मुकदमे और 19 साल बाद कोली की रिहाई— निठारी कांड का सबस...

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Nithari Kand: नोएडा का वो इलाका, जो कभी एक आम रिहायशी बस्ती था, 29 दिसंबर 2006 के बाद से देशभर में खौफ का पर्याय बन गया। सेक्टर 31 का निठारी गांव जहां से इंसानी कंकाल और खोपड़ियां मिली थीं – अब भी उस दर्दनाक याद से उबर नहीं पाया है। करीब दो दशकों बाद, उसी मामले के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। आईए जानते हैं क्या था ‘निठारी कांड’।

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कैसे खुला था निठारी कांड का भयानक सच- Nithari Kand

अक्टूबर 2006 से नोएडा पुलिस को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि निठारी इलाके से गरीब परिवारों के बच्चे रहस्यमय तरीके से गायब हो रहे हैं। पुलिस महीनों तक कोई ठोस सुराग नहीं जुटा पाई। इसी दौरान ‘पायल’ नाम की एक युवती लापता हो गई। जांच के दौरान पुलिस ने पायल का मोबाइल एक रिक्शेवाले के पास से बरामद किया। पूछताछ में उसने बताया कि यह मोबाइल उसे डी-5 कोठी के एक शख्स ने दिया था।

जब पुलिस उस कोठी तक पहुंची, तो वहां जो मिला उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया — नाले के पास बोरियों में भरे 16 मानव खोपड़ियां, कंकाल के टुकड़े और कपड़ों के अवशेष। बाद में कहा गया कि ये उन्हीं लापता बच्चों और युवतियों के अवशेष थे। बंगले के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहयोगी सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद खुलासा हुआ उस कांड का, जिसे आज पूरा देश ‘निठारी हत्याकांड’ के नाम से जानता है।

कदम-दर-कदम बढ़ा मामला, और आती रही सजा पर सजा

2007 में सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली। गाजियाबाद की अदालत ने 2009 में पहले ही मामले में पंढेर और कोली दोनों को मौत की सजा सुनाई। अगले कुछ सालों में कोली को अलग-अलग मामलों में चार और बार फांसी की सजा मिली। वहीं पंढेर कुछ मामलों में बरी होता गया।

2010 से 2021 के बीच कोली को कई मामलों में दोषी ठहराया गया, लेकिन धीरे-धीरे कई अदालती फैसले पलटे। आखिरकार अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया, यह कहते हुए कि जांच में गंभीर खामियां थीं और सबूत अपर्याप्त थे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर 2025 को कोली को निठारी हत्याकांड के आखिरी यानी 13वें मामले में भी बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर उस पर कोई और केस लंबित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि निठारी कांड बेहद जघन्य अपराध था, लेकिन दोषसिद्धि सिर्फ अनुमान या शक के आधार पर नहीं की जा सकती। अदालत ने साफ कहा — “संदेह चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, वह सबूत का विकल्प नहीं बन सकता।”

पीठ ने इस मामले की जांच पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों की लापरवाही और देरी ने असली अपराधी की पहचान की प्रक्रिया को कमजोर कर दिया।

  • स्थल को खुदाई से पहले सुरक्षित नहीं किया गया।
  • बयान और रिमांड कागजातों में विरोधाभास थे।
  • कोली को बिना चिकित्सकीय जांच के लंबे समय तक पुलिस हिरासत में रखा गया।
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक सबूत सही तरीके से दर्ज नहीं किए गए।

अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने निठारी के परिवारों और पड़ोसियों से पर्याप्त पूछताछ नहीं की और अंग व्यापार के पहलू की भी गंभीरता से जांच नहीं की गई। हर चूक ने जांच की विश्वसनीयता को कमजोर किया।

जेल से बाहर आने की तैयारी में कोली

आपको बता दें, कोली इस वक्त गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद है। जेल अधीक्षक बृजेश सिंह के अनुसार, करीब दो साल पहले उसे गाजियाबाद जेल से यहां शिफ्ट किया गया था। उसकी पत्नी और बेटा अक्सर मिलने आते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मंगलवार को मिलने के बाद अब उसकी कॉपी गाजियाबाद जिला न्यायाधीश को भेजी जाएगी, जिसके बाद आदेश लुक्सर जेल पहुंचेगा। उम्मीद है कि बुधवार तक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और कोली को रिहा कर दिया जाएगा।

न्यायालय की टिप्पणी – निर्दोषता की धारणा जब तक अपराध साबित न हो

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “निर्दोष होने की धारणा तब तक बनी रहती है जब तक अपराध साबित न हो जाए, और यह साबित होना चाहिए ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर। जब साक्ष्य कमजोर हों, तो सजा रद्द करना ही न्यायसंगत कदम होता है, चाहे अपराध कितना भी भयानक क्यों न हो।”

अदालत ने आगे कहा कि अगर जांच पेशेवर और समय पर की जाती, तो शायद असली अपराधी पकड़ा जा सकता था और कई जानें बचाई जा सकती थीं। यह टिप्पणी सिर्फ एक आरोपी की रिहाई से आगे जाकर, हमारी जांच प्रणाली की कमजोरियों की ओर भी इशारा करती है।

निठारी कांड की प्रमुख घटनाएं (संक्षेप में)

  • 29 दिसंबर 2006: डी-5 कोठी के पीछे 16 मानव खोपड़ियां मिलीं।
  • 30 दिसंबर 2006: और कंकाल मिले, पांच पुलिसकर्मी निलंबित।
  • 11 जनवरी 2007: सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली।
  • 2009 से 2010: कोली और पंढेर को कई मामलों में मौत की सजा।
  • 2021: 12वें मामले में कोली को फांसी, पंढेर बरी।
  • 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को बरी किया।
  • जुलाई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने सभी अपीलें खारिज कीं।
  • 11 नवंबर 2025: सुप्रीम कोर्ट ने कोली को आखिरी मामले में भी बरी किया।

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RSS Pracharak Salary: स्वयंसेवक कौन, प्रचारक की सैलरी कौन देता है? कांग्रेस ने RSS से...

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RSS Pracharak Salary: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा चंदा जुटाने और उसके वित्तपोषण के तरीकों को लेकर सोमवार को सवाल खड़ा किया। यह प्रतिक्रिया संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर आई जिसमें उन्होंने कहा था कि संगठन पूरी तरह से अपने स्वयंसेवकों के योगदान पर चलता है। प्रियांक खरगे ने इस दावे को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए और संगठन से स्पष्टता मांगी।

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कौन हैं ये स्वयंसेवक और कैसे होता है योगदान? (RSS Pracharak Salary)

मंत्री ने कहा, “भागवत ने कहा कि आरएसएस अपने स्वयंसेवकों द्वारा दिये गए चंदे से काम करता है। लेकिन इस दावे पर कई सवाल उठते हैं। ये स्वयंसेवक कौन हैं, उनकी पहचान कैसे की जाती है, वे कितना चंदा देते हैं और किस प्रकार के माध्यम से धन एकत्र किया जाता है?” उन्होंने यह भी पूछा कि अगर संघ पारदर्शी है तो उसे सीधे अपनी पंजीकृत पहचान के तहत चंदा क्यों नहीं दिया जाता।

वित्तीय और संगठनात्मक ढांचे पर सवाल

प्रियांक खरगे ने संघ के वित्तीय और संगठनात्मक ढांचे पर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने पूछा कि संघ, जो औपचारिक रूप से पंजीकृत संस्था नहीं है, अपना ढांचा कैसे चलाता है। उन्होंने यह जानना चाहा कि पूर्णकालिक प्रचारकों का वेतन कौन देता है, संगठन के नियमित संचालन संबंधी खर्चों को कौन पूरा करता है, और बड़े पैमाने पर आयोजनों, अभियानों और संपर्क गतिविधियों का वित्तपोषण कैसे किया जाता है।

स्थानीय कार्यालय और पारदर्शिता

मंत्री ने स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय कार्यालयों से सामग्री या गणवेश खरीदने के मामले को भी उठाया। उन्होंने सवाल किया कि इस धन का हिसाब-किताब कहाँ रखा जाता है और स्थानीय कार्यालयों एवं अन्य बुनियादी ढांचे के रखरखाव का खर्च कौन उठाता है। उनका कहना था कि ये सभी प्रश्न पारदर्शिता और जवाबदेही के मूलभूत मुद्दों को उजागर करते हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि व्यापक राष्ट्रीय उपस्थिति और प्रभाव के बावजूद आरएसएस पंजीकृत क्यों नहीं है।

धार्मिक और धर्मार्थ संस्थाओं की तुलना

प्रियांक खरगे ने कहा कि भारत में हर धार्मिक या धर्मार्थ संस्था को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखना अनिवार्य है, तो ऐसे में आरएसएस के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता का अभाव क्यों है। उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि संगठन के लिए ऐसी व्यवस्था न होना उचित नहीं है।

आरएसएस प्रमुख ने क्या कहा था

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उनका संगठन व्यक्तियों के एक समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा, “आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराते? आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया।”

प्रियांक खरगे के सवालों ने आरएसएस के चंदा जुटाने और वित्तीय प्रबंधन की पारदर्शिता पर नए बहस के द्वार खोल दिए हैं। यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन सकता है।

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Japan mysterious Inunaki Village: जापान का रहस्यमयी इनुनाकी गांव, जहां जानें के बाद क...

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Japan mysterious Inunaki Village: जापान के फुकुओका प्रांत में छिपा हुआ इनुनाकी गांव दुनिया के सबसे रहस्यमयी और डरावने स्थानों में से एक माना जाता है। यह जगह सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि भयानक किंवदंतियों के लिए भी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि जो भी इस गांव में प्रवेश करता है, वह वापस नहीं लौटता। इन डरावनी कहानियों ने इसे जापान के सबसे डरावने स्थलों में शामिल कर दिया है।

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गुमनाम पत्र से शुरू हुआ रहस्य- Japan mysterious Inunaki Village

इनुनाकी गांव की रहस्यमयी कहानी 1990 के दशक में शुरू हुई। 1999 में निप्पॉन टीवी को एक गुमनाम पत्र मिला, जिसमें दावा किया गया कि यह गांव जापान का हिस्सा नहीं है और यहां जापान का संविधान लागू नहीं होता। पत्र में लिखा गया था कि गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है: “यहां से आगे जापान का संविधान लागू नहीं होता।” इस पत्र ने लोगों की जिज्ञासा और भय दोनों बढ़ा दिए।

 

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इतिहास और टनल की भूतिया कहानी

इतिहास के अनुसार, इनुनाकी गांव 1691 से 1889 तक अस्तित्व में था। 1986 में इनुनाकी बांध बनने के कारण मूल गांव जलमग्न हो गया। गांव के पास स्थित ‘इनुनाकी टनल’ भी डरावनी घटनाओं के लिए जाना जाता है। 1988 में टनल के पास एक भयानक अपराध हुआ, जब कुछ युवकों ने एक फैक्ट्री कर्मचारी का अपहरण कर उसे टनल में जला दिया। इसके बाद यह टनल भूतिया स्थल बन गया और लोग यहां रात में चीखें सुनने की बात करते हैं।

नरभक्षण और हिंसा की डरावनी कथाएं

किंवदंतियों के अनुसार, इस गांव के निवासी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे हुए थे और हिंसक प्रवृत्ति के थे। कहानियों में दावा किया जाता है कि यहां नरभक्षण (आदमी का मांस खाना) और अन्य अनाचार जैसी भयानक प्रथाएं प्रचलित थीं। कुछ कथाओं में यह भी कहा जाता है कि एक पागल व्यक्ति ने गांव के सभी लोगों को कुल्हाड़ी से मार डाला था। ये कहानियां गांव की भयावह छवि को और गहरा बनाती हैं।

शापित फोन बूथ और पॉपुलर कल्चर में प्रभाव

गांव के पास एक शापित फोन बूथ की कहानी भी बहुत मशहूर है। लोगों का मानना है कि रात के समय इस बूथ पर कॉल आता है, और जो भी कॉल उठाता है, धीरे-धीरे गांव की ओर खिंच जाता है। इन रहस्यमयी घटनाओं ने जापानी पॉप कल्चर को भी प्रभावित किया है। 2019 में इन कहानियों पर आधारित फिल्म “हाउलिंग विलेज” और वीडियो गेम “इनुनाकी टनल” भी बन चुके हैं।

इनुनाकी गांव की कहानियां पूरी तरह से किंवदंतियों और रहस्यों पर आधारित हैं। इस गांव को लेकर फैल रही डरावनी कथाओं ने इसे जापान के सबसे रहस्यमयी और डरावने स्थलों में बदल दिया है। हालांकि, वास्तविकता में इन घटनाओं की पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी यह जगह साहसिक खोजकर्ताओं और डरावनी कहानियों के शौकीनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

डिस्क्लेमर: यह समाचार प्रचलित कहानियों और मान्यताओं पर आधारित है। Nedrick News इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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Delhi Car Blast News: सफेद नमक या खतरनाक बम? फरीदाबाद से दिल्ली तक अमोनियम नाइट्रेट क...

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Delhi Car Blast News: दिल्ली में हाल ही में हुए कार धमाके के पहले फरीदाबाद से बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद होने की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। यह केमिकल सामान्य रूप से खाद के रूप में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी विस्फोटक क्षमता इसे खतरनाक बनाती है। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में यह कैसे स्टोर की गई थी और क्या इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।

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अमोनियम नाइट्रेट: क्या है यह केमिकल? (Delhi Car Blast News)

अमोनियम नाइट्रेट एक तरह का सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ है, जो आम नमक की तरह दिखता है। इसका रासायनिक सूत्र NH4NO3 है। यह प्राकृतिक रूप से नहीं मिलता और लैब में बनाया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल कृषि में खाद के रूप में होता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन मौजूद होता है जो फ़सलों की पैदावार बढ़ाता है।

इसके पानी में आसानी से घुल जाने वाले गुण के कारण इसे खेतों में घोल बनाकर आसानी से डाला जा सकता है। लेकिन इसकी एक और खासियत यह है कि यह नाइट्रोजन के साथ-साथ ऑक्सीजन भी छोड़ता है। ऑक्सीजन किसी भी विस्फोट या आग के लिए जरूरी होती है, इसलिए इसे सावधानी से संभालना जरूरी है।

खुद में शांत, लेकिन खतरे की संकेतक

अमोनियम नाइट्रेट अपने आप में विस्फोटक नहीं है। यह तब तक शांत रहता है जब तक इसमें कोई विस्फोटक मिलाया न जाए। अगर इसमें डीज़ल, पेट्रोल या केरोसिन जैसे ईंधन मिलाया जाए तो यह ANFO (अमोनियम नाइट्रेट फ़्यूल ऑयल) बन जाता है। ANFO बहुत शक्तिशाली विस्फोटक है और खदानों में खुदाई के काम में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सख्त नियम और लाइसेंस की आवश्यकता

खाद होने के बावजूद, अमोनियम नाइट्रेट के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े नियम हैं। भारत में 2012 में कानून बनाया गया कि 45% से अधिक अमोनियम नाइट्रेट वाले पदार्थों को कानूनी तौर पर विस्फोटक माना जाएगा। इसे बनाने, बेचने या स्टोर करने के लिए लाइसेंस आवश्यक है। किसी भी बिक्री का रिकॉर्ड रखना और यह देखना कि इसे कहां इस्तेमाल किया गया, कानून के तहत अनिवार्य है।

भारत में पहले भी सामने आया खतरा

इससे पहले उत्तर प्रदेश में नवंबर 2007 में धमाके हुए थे, जिनमें इस केमिकल का नाम सामने आया। जयपुर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और दिल्ली के धमाकों में भी इसके इस्तेमाल की आशंका जताई गई थी। कानून बनने के बावजूद, बड़ी मात्रा में इसका पकड़ा जाना यह दिखाता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं लीकेज है।

सिस्टम में लीकेज और सुरक्षा का सवाल

अमोनियम नाइट्रेट को डीज़ल या अन्य ईंधन के साथ मिलाकर बनाये गए ANFO का इस्तेमाल आतंकियों ने कई बार किया है। अमेरिका में 1995 में ओक्लाहोमा सिटी बम धमाके में लगभग 2,500 किलो ANFO से एक पूरी सरकारी बिल्डिंग उड़ा दी गई थी, जिसमें 168 लोगों की मौत हुई और आसपास की कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं।

1970 में विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में भी 1,000 किलो ANFO से बड़े विस्फोट हुए थे। भारत में 2012 में पुणे के जंगली महाराज रोड पर हुए विस्फोटों में भी ANFO मिलने की बात सामने आई थी। मुंबई के ऑपेरा हाउस, ज़ावेरी बाज़ार और दादर धमाकों में भी इसके इस्तेमाल की संभावना थी।

वैश्विक घटनाओं से सीख

2020 में बेरूत में बंदरगाह पर 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखे हुए थे। पास में आग लगने के कारण विस्फोट हुआ और पूरे बंदरगाह में तबाही मच गई। 7 किलोमीटर तक इमारतें हिलीं, 218 लोग मारे गए और 7,000 से अधिक घायल हुए। यह घटना दिखाती है कि यह साधारण दिखने वाला केमिकल भी अगर विस्फोटक से मिले तो कितना विनाशक हो सकता है।

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Miss Universe 2025 में भारतीय सुंदरी ने दिया ऐसा ‘WOW’ जवाब, करोड़ों भारत...

Miss Universe India 2025: दुनिया भर में कई महिलाये मिस इंडिया, मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं और अपने देश का नाम बार-बार रोशन कर चुकी हैं। इस साल मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व मनिका विश्वकर्मा कर रही हैं। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें मनिका न सिर्फ़ अपनी खूबसूरती और लुक्स के लिए, बल्कि अपने तेज़ दिमाग़ के लिए भी चर्चा का विषय बन गई हैं। यहाँ तक कि वहाँ मौजूद जज भी वाह कह उठे।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विडियो 

हाल ही में मिस यूनिवर्स कांटेस्ट (Miss Universe Contest) का आयोजन थाईलैंड (Thailand) में किया गया है। जहाँ कई देशो की सुन्दरी शामिल हुयी है वही इस भारत को रिप्रेजेंट कर रहीं मनिका विश्वकर्मा (Manika Vishwakarma) भी अपने कॉन्फिडेंस, ग्लैमर लुक और अपने स्मार्टनेस को लेकर सुर्खियों में छाई हुयी हैं। जी हाँ उनका एक विडियो सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें उनके जवाब ने हर किसी का ध्यान खींच लिया। मनिका ने अपने जवाब से सवाल पूछने को इम्प्रेस कर दिया…तो चलिए जानते है उस  सवाल के बारे में जो उनसे जजों द्वारा पूछा गया था।

मनिका विश्वकर्मा क्या सवाल पूछा गया 

दरअसल 5 नवंबर को इंस्टाग्राम पेज द पेजेंट वॉल्ट ने शेयर किया है। वीडियो में इंटरव्यूअर ने उनसे पूछा, ‘क्या आप कहेंगे कि मिस यूनिवर्स में कॉम्पिटिशन करना हर लड़की का सपना होता है? तो उन्होंने इसका जवाब बड़ी ख़ूबसूरती के साथ दिया था। जिसके बाद उनसे फाइनल राउंड में जो सवाल पूछा गया था, वह यह था कि “यदि आपको महिलाओं की शिक्षा की वकालत करने या गरीब परिवारों के लिए तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करने में से किसी एक को चुनना हो, तो आप किसे प्राथमिकता देंगी और क्यों? आप जवाबी तर्कों (counterarguments) को कैसे संबोधित करेंगी?”

मनिका विश्वकर्मा का विजयी जवाब

मनिका ने जवाब में महिलाओं की शिक्षा को प्राथमिकता दी और कहा कि “यह सिक्के के दो पहलू हैं। एक तरफ, हमने देखा है कि महिलाओं को बुनियादी अधिकारों, जैसे शिक्षा, से लंबे समय तक वंचित रखा गया है। दूसरी तरफ, हम इस वंचना का परिणाम देखते हैं…गरीब परिवार। हमारी 50 परसेंट आबादी को बुनियादी सुविधा से वंचित कर दिया गया है, जो उनका जीवन बदल सकती है। अगर मुझे चुनना पड़े, तो मैं महिलाओं की शिक्षा का विकल्प चुनूँगी।”

अपने चुनाव का बचाव करते हुए, उन्होंने कहा की “मैं इसकी वकालत करूँगी क्योंकि यह केवल एक व्यक्ति का जीवन नहीं बदलेगा; यह इस देश, इस दुनिया के भविष्य के पूरे ताने-बाने को बदल देगा। हालाँकि दोनों मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह ऐसे कदम उठाने के बारे में है जो लंबे समय तक मदद कर सकें।”

वही मनिका का यह जवाब सुनकर, इंटरव्यू लेने वाले ने कहा, “वाह!” जिसके बाद से मनिका का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया और उन्हें खूब तारीफ़ें मिलीं। कुछ लोगों ने तो यहाँ तक कहा, “उनसे कोई सवाल मत पूछो; वो अपने जवाबों से सबको प्रभावित कर देंगी।” एक और ने लिखा, “मनिका एक खूबसूरत और बुद्धिमान महिला हैं।”

Delhi Blasts Mystery: दिल्ली ब्लास्ट की गुत्थी सुलझने लगी, अल फलह यूनिवर्सिटी के कमरे...

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Delhi Blasts Mystery: दिल्ली में सोमवार को हुए धमाके ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। राजधानी के बीचोंबीच हुए इस विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियां लगातार जांच में जुटी हैं, और अब इस केस की दिशा फरीदाबाद की अल फलह यूनिवर्सिटी की ओर मुड़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 का कमरा नंबर 13 इस पूरी साजिश का केंद्र था यानी वही जगह जहां से दिल्ली ब्लास्ट की पूरी योजना तैयार की गई थी। जांच एजेंसियों को इस कमरे से कई अहम सबूत मिले हैं, जिनसे यह शक अब लगभग पक्के सबूत में बदलता जा रहा है।

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डॉ. शाहीन अंसारी बनीं जांच का सबसे बड़ा चेहरा- Delhi Blasts Mystery

इस केस की सबसे अहम कड़ी डॉ. शाहीन अंसारी हैं, जिन्हें फरीदाबाद से विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया गया है। शाहीन की गिरफ्तारी ने जांच एजेंसियों को हैरान कर दिया क्योंकि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और वह एक शिक्षित महिला थीं। शुरुआत में शाहीन ने पूछताछ के दौरान कुछ भी नहीं कहा, लेकिन अब ATS की सख्त पूछताछ के बाद कई परतें खुलने लगी हैं।

परिवार से टूटा था रिश्ता

शाहीन के पिता सईद अंसारी, जो वन विभाग से रिटायर हो चुके हैं, ने बताया कि उनकी बेटी का पिछले डेढ़ साल से घर से कोई संपर्क नहीं था। उन्होंने कहा, “शाहीन बहुत सीधी और पढ़ाई में तेज थी। वह कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थी, लेकिन 2013 में अचानक नौकरी छोड़ दी।”
इसके बाद शाहीन ने महाराष्ट्र के जफर हयात से शादी की थी, लेकिन दो साल बाद तलाक हो गया। इसी के बाद वह परिवार से पूरी तरह अलग हो गई और धीरे-धीरे सबके संपर्क से बाहर चली गईं।

यूनिवर्सिटी और डॉ. मुजम्मिल का कनेक्शन

नौकरी छोड़ने के बाद शाहीन फरीदाबाद में बस गईं, जहां उनकी मुलाकात डॉ. मुजम्मिल से हुई। जांच एजेंसियों के अनुसार, शाहीन को अल फलह यूनिवर्सिटी से जोड़ने वाला व्यक्ति यही मुजम्मिल था।
यहीं से शाहीन का संपर्क एक संदिग्ध नेटवर्क से हुआ, जिसने उन्हें कट्टरपंथ की राह पर धकेला। पुलिस ने यूनिवर्सिटी के कमरे से डिजिटल डेटा, सीसीटीवी फुटेज और दस्तावेज जब्त किए हैं, जो यह साबित करते हैं कि ब्लास्ट की पूरी योजना इसी कमरे में तैयार की गई थी।

शाहीन के भाई परवेज पर भी जांच एजेंसियों की नजर

शाहीन की गिरफ्तारी के बाद ATS ने उनके भाई परवेज अंसारी के लखनऊ स्थित घर पर भी छापा मारा। टीम ने घर का ताला तोड़कर तलाशी ली और लैपटॉप, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क जैसे डिजिटल उपकरण बरामद किए।
जांच में यह भी सामने आया कि परवेज ने हाल ही में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से सीनियर रेजिडेंट के पद से “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया था। एजेंसियों को शक है कि परवेज और शाहीन लगातार संपर्क में थे और किसी साझा योजना पर काम कर रहे थे।

AK-47 और मुजम्मिल का खुलासा

पूरी साजिश में एक और नाम तेजी से उभर रहा है — डॉ. मुजम्मिल। उसकी कार से पुलिस ने AK-47 राइफल बरामद की, जिसके बाद उसने पूछताछ में शाहीन का नाम लिया। शाहीन के डिजिटल रिकॉर्ड से एजेंसियों को कुछ संदिग्ध ईमेल और विदेशी संपर्कों के सबूत भी मिले हैं।

सहारनपुर कनेक्शन

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शाहीन की कार का रजिस्ट्रेशन लखनऊ का था लेकिन नंबर प्लेट सहारनपुर की लगी थी। पूछने पर उसने गोलमोल जवाब दिए। वहीं उसके भाई परवेज के बारे में पता चला है कि वह कुछ महीने पहले सहारनपुर के चौक इलाके में एक क्लिनिक चला रहा था।

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