Home Blog Page 53

Snake Venom: सांप के जहर से अब कैंसर और हार्ट अटैक का इलाज, जानिए पूरा सच

0

Snake Venom: अक्सर जब हम सांप का नाम सुनते हैं, तो दिमाग में डर की एक लहर दौड़ जाती है। और हो भी क्यों न, हर साल भारत और दुनिया में करीब 1.25 लाख लोगों की मौत सांप के डसने से होती है। लेकिन अब विज्ञान ने एक ऐसा मोड़ ले लिया है जहां वही ज़हर, जो अब तक जान का दुश्मन माना जाता था, अब ज़िंदगी बचाने का ज़रिया बनता जा रहा है।

और पढ़ें: Twins Village in Kerala: केरल का ‘ट्विन टाउन’, जहां हर घर में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, जानें इस अजीबोगरीब गांव का राज

इस विषय पर वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट स्वप्निल खताल, जो पिछले 24 सालों से वन्यजीवों और सांपों के व्यवहार पर काम कर रहे हैं, ने लोकल 18 से बातचीत में कुछ बेहद दिलचस्प और जानकारीपूर्ण बातें साझा कीं।

दवा बनाने में हो रहा सांप के ज़हर का इस्तेमाल- Snake Venom

स्वप्निल बताते हैं कि सांप का विष असल में प्रोटीन का एक जटिल मिश्रण होता है। ये विष अलग-अलग तरह के होते हैं जैसे हीमोटॉक्सिक (रक्त को प्रभावित करने वाला), न्यूरोटॉक्सिक (नसों पर असर डालने वाला), मायोटॉक्सिक (मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाने वाला) और साइटोटॉक्सिक (कोशिकाओं को नष्ट करने वाला)। इन सभी प्रकार के विषों में पाए जाने वाले प्रोटीन कंपोनेंट्स को अब दवा उद्योग में काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल का दौरा, स्ट्रोक, अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं बनाने में इन विषों का उपयोग किया जा रहा है। ख़ासकर, रसल वाइपर नामक सांप का हीमोटॉक्सिक विष तो इतना प्रभावशाली है कि इसे ब्लड प्रेशर और ब्लड क्लॉटिंग (रक्त के थक्के बनने) से जुड़ी दवाओं के रिसर्च में प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है।

ज़हर अब सिर्फ जानलेवा नहीं, खूबसूरती बढ़ाने वाला भी

जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि सांप का विष अब कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी अपनी जगह बना चुका है। कई महंगे और इंटरनेशनल ब्रांड्स ने स्नेक वेनम एक्सट्रैक्ट का उपयोग स्किन केयर प्रोडक्ट्स में करना शुरू कर दिया है। माना जाता है कि इससे त्वचा की उम्र धीमी होती है और झुर्रियों में कमी आती है।

बिच्छू और मकड़ी के विष का भी कुछ इसी तरह से उपयोग दवाओं और स्किन प्रोडक्ट्स में किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि विष अब केवल डर की वजह नहीं, बल्कि उपयोग की संभावना बन चुका है।

कैंसर और ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियों में भी हो रहा परीक्षण

स्वप्निल खताल बताते हैं कि कई रिसर्च संस्थान अब सांप के विष पर आधारित दवाओं को लेकर कैंसर, ब्रेन हेमरेज और ट्यूमर जैसे रोगों के इलाज के लिए परीक्षण कर रहे हैं। अभी यह स्टेज क्लिनिकल ट्रायल तक पहुंची नहीं है, लेकिन संभावनाएं बेहद मजबूत हैं।

और पढ़ें: Finland Traffic Rules: इस देश में इनकम के हिसाब से कटता है ट्रैफिक चालान, जानें कैसे एक शख्स पर लगा करोड़ों का जुर्माना

Zakir Naik AIDS News: क्या मलेशिया में एड्स से जूझ रहा है जाकिर नाइक? विवादों के बीच ...

0

Zakir Naik AIDS News: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक चौंकाने वाला दावा तेजी से फैल रहा है कि विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को एड्स (AIDS) हो गया है और वो मलेशिया के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। यह खबर इतनी तेजी से वायरल हुई कि कई लोग इसे सच मानने लगे। लेकिन अब इस पूरे मामले पर खुद जाकिर नाइक के वकील ने चुप्पी तोड़ी है और इसे पूरी तरह से फर्जी, बेबुनियाद और बदनाम करने वाली साजिश बताया है।

और पढ़ें: Uttarakhand Illegal Mining: विधायक ने बताया ‘खनन का काला सच’, सरकार ने रिपोर्ट से किया इनकार!

अफवाह कहां से उड़ी? Zakir Naik AIDS News

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि जाकिर नाइक को एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) हो गया है और वह मलेशिया की क्लैंग घाटी में एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। दावा यह भी किया गया कि उनकी हालत गंभीर है और उन्हें गुपचुप तरीके से इलाज मिल रहा है। इन खबरों ने देखते ही देखते कई प्लेटफॉर्म्स पर तूल पकड़ लिया।

वकील ने क्या कहा?

जाकिर नाइक के वकील अकबरदीन अब्दुल कादिर ने इन सभी खबरों को झूठा करार देते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है, जो नाइक की छवि को धूमिल करने के लिए चलाई जा रही है। उन्होंने मलेशियाई न्यूज़ पोर्टल ‘मलेशियाकिनी’ से बातचीत में साफ किया कि,

“इन अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। ये बातें न सिर्फ झूठी हैं बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी हैं।”

वकील के मुताबिक, नाइक की सेहत बिलकुल ठीक है और जब वह पिछली बार उनसे मिले थे, तब वो एकदम स्वस्थ नजर आ रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि जाकिर नाइक अब यह पता लगाने की प्रक्रिया में हैं कि आखिर इन झूठी खबरों के पीछे कौन लोग हैं। हो सकता है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाए।

क्यों उड़ रही हैं ऐसी अफवाहें?

वकील अकबरदीन ने इशारा किया कि इस तरह की अफवाहें जाकिर नाइक की लोकप्रियता और धार्मिक प्रभाव को देखते हुए फैलाई जा रही हैं। उनका मानना है कि कुछ लोग नाइक की छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से यह सब कर रहे हैं।

कौन है जाकिर नाइक?

जाकिर नाइक, जिनका पूरा नाम जाकिर अब्दुल करीम नाइक है, पहले पेशे से एक डॉक्टर थे, लेकिन 1991 के बाद उन्होंने पूरी तरह से इस्लामी प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। वे खुद को धर्मगुरु नहीं, बल्कि इस्लाम के प्रचारक और विद्वान बताते हैं। हालांकि, उन पर आरोप है कि उनके भाषणों में कट्टरपंथ और धार्मिक उन्माद को बढ़ावा मिलता है।

वह इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन और पीस टीवी के संस्थापक हैं। दुनिया के प्रभावशाली इस्लामी चेहरों में भी उनका नाम लिया जाता है, लेकिन भारत में उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं। यही वजह है कि 2017 में वह भारत छोड़कर मलेशिया भाग गए और तब से वहीं रह रहे हैं।

भारत से फरार, मलेशिया में ‘सरकारी संरक्षण’

बता दें, भारत सरकार ने जाकिर नाइक के खिलाफ जांच एजेंसियों को सक्रिय किया था, लेकिन उसके पहले ही वो मलेशिया में शरण ले चुके थे। वहां उन्हें कुछ हद तक सरकारी संरक्षण भी मिला हुआ है। पिछले साल उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया था, जिसके बाद उनकी आलोचना और ज्यादा तेज हो गई थी।

और पढ़ें: Lansdowne Property for Sale: बाढ़ के बाद भी नहीं थमे बिल्डर, लैंसडाउन में अब भी बेच रहे ‘ड्रीम होम’

Madhya Pradesh News: राजगढ़ की मंजू की रहस्यमयी बीमारी: दिनभर खाती हैं 60-70 रोटियां,...

0

Madhya Pradesh News: सोचिए, कोई दिनभर में 60 से 70 रोटियां खाए और फिर भी कहे कि उसे कमजोरी लग रही है। ये कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि राजगढ़ जिले के नेवज गांव की 28 वर्षीय मंजू सौंधिया की है, जो बीते तीन साल से एक अजीब बीमारी से जूझ रही हैं। उनकी ये हालत न सिर्फ उन्हें, बल्कि उनके पूरे परिवार को मानसिक, शारीरिक और अब आर्थिक तौर पर भी थका चुकी है।

और पढ़ें: Brain-Eating Amoeba Symptoms: ब्रेन खाने वाले अमीबा से केरल में हड़कंप, एक महीने में 5 मौतें, 56 वर्षीय महिला ने तोड़ा दम

बीमारी जिसने सबका चैन छीना- Madhya Pradesh News

मंजू पहले बिल्कुल स्वस्थ थीं, घर-परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती थीं। उनके दो छोटे बच्चे हैं एक 6 साल की बेटी और 4 साल का बेटा। लेकिन पिछले तीन सालों से मंजू को अचानक से एक अजीब आदत लग गई वो थी रोटियां खाने की आदत, जो थमने का नाम ही नहीं ले रही। सुबह से लेकर रात तक मंजू सिर्फ रोटियां और पानी ही लेती हैं। एक बार में 20-30 रोटियां खा लेती हैं, और पूरे दिन का आंकड़ा 60-70 तक पहुंच जाता है।

परिवार वालों के मुताबिक, मंजू खाना खाने के कुछ ही देर बाद फिर से भूख का रोना रोने लगती हैं। उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ खाया ही नहीं। यही वजह है कि वे बार-बार रोटी खाती हैं।

इलाज करवाया, लेकिन राहत नहीं मिली

मंजू की इस अजीब हालत ने ससुराल और मायके दोनों जगह के परिवार वालों को परेशान कर दिया है। उन्होंने राजस्थान के कोटा और झालावाड़, साथ ही इंदौर, भोपाल, राजगढ़ और ब्यावरा तक जांच करवाई, लेकिन कहीं से कोई इलाज कारगर साबित नहीं हुआ।

डॉ. कोमल दांगी, जिनके पास मंजू छह महीने पहले इलाज के लिए पहुंचीं, उन्होंने बताया कि मंजू को घबराहट और कमजोरी की शिकायत थी। भर्ती कर इलाज किया गया और बाद में मल्टीविटामिन दवाएं दी गईं, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।

डॉ. दांगी के मुताबिक, ये एक साइकोसामैटिक डिसऑर्डर हो सकता है, जिसमें मरीज को लगता है कि उसने खाना नहीं खाया और वह लगातार खाने की ओर भागता है। उन्होंने इसे एक तरह का साइकियाट्रिक डिसऑर्डर बताया। हालांकि, जब मंजू को भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. आरएन साहू को दिखाया गया तो उन्होंने मानसिक बीमारी से इनकार कर दिया।

रोटियों की जगह दूसरा खाना देने की सलाह

एक और बड़ी दिक्कत ये है कि मंजू को कई दवाओं से लूज मोशन हो जाते हैं, इसलिए वे लंबे समय तक दवा ले भी नहीं पातीं। डॉ. दांगी ने परिवार को सलाह दी है कि वे मंजू को धीरे-धीरे रोटियों से हटाकर खिचड़ी, फल और हल्का-फुल्का खाना दें, ताकि उनकी आदत और मानसिक स्थिति में बदलाव आ सके।

बीमारी की शुरुआत कैसे हुई?

मंजू के भाई चंदरसिंह सौंधिया बताते हैं कि मंजू को पहले टाइफाइड हुआ था। उसके बाद से ही उसकी सेहत में ये बदलाव आने लगे। अब स्थिति ये है कि मंजू अपने मायके और ससुराल के बीच आना-जाना करती हैं, लेकिन इलाज का कोई फायदा नहीं मिल रहा।

अब आर्थिक हालात भी बिगड़े

सालों तक इलाज करवाते-करवाते अब मंजू के परिजन आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। परिवार का कहना है कि अभी तक सरकारी मदद भी नहीं मिली है और अब इलाज के लिए पैसे नहीं बचे। वो अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि कोई डॉक्टर या सरकारी संस्थान आगे आकर मंजू की इस रहस्यमयी बीमारी का हल निकाले।

और पढ़ें: Uttarakhand Illegal Mining: विधायक ने बताया ‘खनन का काला सच’, सरकार ने रिपोर्ट से किया इनकार!

Charlie Kirk Shot Dead: कौन थे चार्ली किर्क? सबके सामने मारी गई गोली, मच गया अमेरिका ...

0

Charlie Kirk Shot Dead: अमेरिका में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप के खास सहयोगी और टर्निंग पॉइंट यूएसए के फाउंडर चार्ली किर्क की 10 सितंबर 2025 को गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात उस वक्त हुई जब चार्ली यूटा वैली यूनिवर्सिटी के एक आउटडोर कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। इस घटना ने सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी को ही नहीं, बल्कि पूरे अमेरिकी राजनीति को एक गहरा झटका दिया है।

और पढ़ें: India US Relation: भारत-अमेरिका ‘नेचुरल पार्टनर’, ट्रंप ने फिर बढ़ाया दोस्ती का हाथ, पीएम मोदी ने दिया भरोसे से भरा जवाब

ट्रंप के सबसे करीबी लोगों में से एक थे चार्ली किर्क- Charlie Kirk Shot Dead

31 साल के चार्ली किर्क को अमेरिका में दक्षिणपंथी राजनीति का एक उभरता हुआ चेहरा माना जाता था। उन्होंने 18 साल की उम्र में “टर्निंग पॉइंट यूएसए” नाम का छात्र संगठन शुरू किया था, जिसका मकसद राइट विंग विचारधारा को युवाओं के बीच मजबूत करना था। डोनाल्ड ट्रंप के 2016 और 2024 के चुनाव अभियानों में उनकी भूमिका काफी अहम रही। ट्रंप ने खुद कहा था कि “चार्ली युवाओं के दिल की धड़कन हैं, उनसे बेहतर कोई नहीं समझता कि युवा क्या सोचते हैं।”

कैसे हुई हत्या?

घटना उस वक्त हुई जब चार्ली किर्क यूटा के ओरेम शहर स्थित यूटा वैली यूनिवर्सिटी के एक खुले मंच पर मास शूटिंग्स पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उसी दौरान एक गोली उनकी गर्दन पर आकर लगी और वह मंच पर गिर पड़े। मौके पर मौजूद लोग इस हमले से दहशत में आ गए। आनन-फानन में उन्हें निजी वाहन से अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

यूटा डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक सेफ्टी के अधिकारी ब्यू मेसन ने पुष्टि की कि सिर्फ एक गोली चली और टारगेट सिर्फ किर्क थे। यूनिवर्सिटी परिसर को तुरंत खाली करा लिया गया और कक्षाएं अगली सूचना तक रद्द कर दी गई हैं।

एफबीआई जांच में जुटी, साजिश की आशंका

घटना के तुरंत बाद एफबीआई ने जांच शुरू कर दी है। एफबीआई डायरेक्टर काश पटेल के अनुसार, एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है, हालांकि कुछ स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि असली हमलावर अभी भी फरार हो सकता है। शुरुआती जांच में यह संकेत मिला है कि हत्या के पीछे राजनीतिक दुश्मनी हो सकती है, क्योंकि चार्ली किर्क के विचार अक्सर विवादों में रहते थे और उन्होंने कई बार अपने विरोधियों को खुलकर निशाने पर लिया था।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस जल्द ही यूटा पहुंचने वाले हैं ताकि मामले की जांच की निगरानी की जा सके। वहीं, यूटा के गवर्नर स्पेंसर कॉक्स ने इस घटना को “अमेरिकी लोकतंत्र पर सीधा हमला” बताया है।

चार्ली किर्क: एक प्रभावशाली लेकिन विवादास्पद चेहरा

चार्ली किर्क की छवि ट्रंप समर्थक युवाओं में काफी मजबूत थी। उनके एक्स (पूर्व ट्विटर) पर 5.3 मिलियन फॉलोअर्स थे, और उनका रेडियो शो ‘द चार्ली किर्क शो’ हर महीने 5 लाख से ज्यादा श्रोताओं तक पहुंचता था। उन्होंने “टाइम फॉर अ टर्निंग पॉइंट” और “द कॉलेज स्कैम” जैसी किताबों में योगदान दिया था।

वो सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि इजरायल जैसे देशों में भी अपनी कड़ी राजनीतिक राय के लिए जाने जाते थे। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें ‘इजरायल का शेर-दिल दोस्त’ कहा था।

ट्रंप को गहरा झटका

चार्ली किर्क की मौत डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ा व्यक्तिगत और राजनीतिक नुकसान है। ट्रंप ने एक बयान में कहा, “डोनाल्ड ट्रंप ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश में युवाओं के दिल को चार्ली से बेहतर कोई नहीं समझ सकता था। किर्क सभी के पसंदीदा थे, खासकर मेरे।” ट्रंप ने पूरे अमेरिका में राष्ट्रीय झंडे आधे झुकाने का आदेश दिया है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना ट्रंप के 2028 के चुनावी रणनीति को भी प्रभावित कर सकती है क्योंकि किर्क युवाओं से सीधा जुड़ाव रखने वाले इकलौते चेहरे थे जो रिपब्लिकन एजेंडा को कॉलेज परिसरों तक ले जा रहे थे।

परिवार और निजी जीवन

बता दें, चार्ली किर्क अपने पीछे पत्नी एरिका और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। एरिका पूर्व मिस एरिजोना यूएसए रह चुकी हैं और सार्वजनिक जीवन में अक्सर उनके साथ नजर आती थीं।

और पढ़ें: ‘मैं मोदी जी से प्रभावित हूं’: Sushila Karki ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के संकेत दिए

‘मैं मोदी जी से प्रभावित हूं’: Sushila Karki ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के संकेत दिए

0

Sushila Karki: राजनीतिक अस्थिरता और देशव्यापी प्रदर्शनों से जूझ रहे नेपाल में अब शांति की एक नई उम्मीद जगी है। देश की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की जिम्मेदारी संभालने पर सहमति दे दी है। मौजूदा हालात में यह फैसला नेपाल के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि लंबे समय से नेतृत्वविहीन देश में अब एक मजबूत चेहरा सामने आ रहा है।

और पढ़ें: Nepal New PM: Balen Shah ने मेयर बनकर ऐसा क्या किया कि अब जनता उन्हें नेपाल का अगला पीएम देखना चाहती है?

Gen-Z प्रदर्शनकारियों का समर्थन | Sushila Karki

नेपाल में चल रहे जनआंदोलन की कमान युवाओं के हाथ में है, खासकर Gen-Z ग्रुप के। इन्हीं युवाओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपस में चर्चा कर सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाया है। कार्की ने भी इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए कहा है कि वह पूरी तरह से तैयार हैं और उनका पहला फोकस उन परिवारों की मदद करना होगा जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान अपने करीबी खोए हैं।

उन्होंने साफ कहा, ” मेरी पहली प्राथमिकता उन लोगों का सम्मान करने की होगी, जिन्होंने प्रदर्शनों में अपनी जान खोई है।”

नेपाल की सियासी हालात और सुशीला कार्की का उभरना

आपको बता दें, केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में सत्ता का पूरी तरह से खालीपन है। फिलहाल देश की कमान नेपाली सेना के हाथों में है, जिसने हालात बिगड़ते देख देशभर में कर्फ्यू और प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। राजनीतिक विकल्पों में बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कुलमान घीसिंग और सुमना श्रेष्ठ के नाम भी सामने आए हैं, लेकिन सुशीला कार्की सबसे आगे नजर आ रही हैं। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

मोदी जी से प्रभावित, भारत को बताया दोस्त

वहीं, इस सब में चौंकाने की बात यह थी कि कार्की ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “मैं मोदी जी को नमस्कार करती हूं। उनका व्यक्तित्व मुझे प्रभावित करता है। उनके काम करने का तरीका बेहद प्रभावशाली है।” भारत को लेकर उन्होंने कहा कि नेपाल की मदद में भारत हमेशा सबसे आगे रहा है। उन्होंने अपने निजी रिश्तों को भी साझा किया, “भारत के साथ मेरे संबंध गहरे हैं। मेरे बहुत से दोस्त भारत में हैं।”

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा रहीं कार्की

आपको बता दें, सुशीला कार्की का भारत से जुड़ाव सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भी है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स किया है। वे बताती हैं कि बीएचयू में बिताया गया समय उनके व्यक्तित्व को गढ़ने में अहम रहा। “मुझे आज भी BHU के मेरे टीचर्स याद हैं। वहां की शिक्षा और माहौल ने मेरी सोच को नई दिशा दी,” उन्होंने कहा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ रही हैं मुखर

सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनी थीं। अपने कार्यकाल में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त फैसलों के लिए जानी गईं। एक मौजूदा मंत्री को जेल भेजने के उनके फैसले ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था। यही वजह रही कि सत्ता में बैठे कई लोग उनसे असहज हो गए थे, और 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रस्ताव को खारिज कर उन्हें राहत दी।

क्या नेपाल को मिलेगा नया रास्ता?

नेपाल के मौजूदा हालात को देखते हुए साफ है कि देश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। सुशीला कार्की जैसी सशक्त और ईमानदार शख्सियत का सामने आना जनता और खासकर युवाओं के लिए एक आशा की किरण है। अगर उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है, तो यह न सिर्फ राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक अहम कदम होगा, बल्कि नेपाल के लिए एक नई शुरुआत भी साबित हो सकती है।

और पढ़ें: KP Sharma Oli News: कहां हैं ओली? देश छोड़ने की फिराक या अंडरग्राउंड प्लान? नेपाल में बगावत उफान पर

Kia ने कम की अपनी कारों की कीमतें, Carnival पर सबसे ज्यादा फायदा, जानिए कितना सस्ता ह...

0

Kia Carens: वाहन खरीदने का सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है। देश में वाहन निर्माता कंपनियां एक के बाद एक अपने मॉडल्स की कीमतों में भारी कटौती कर रही हैं। इसकी वजह है केंद्र सरकार द्वारा GST दरों में किया गया संशोधन। ताज़ा अपडेट Kia Motors से आया है, जिसने अपनी कई पॉपुलर गाड़ियों की कीमतें घटा दी हैं। सबसे ज्यादा फायदा Kia Carnival पर देखने को मिल रहा है, जिसकी कीमत में 4.48 लाख रुपये तक की कटौती हुई है।

और पढ़ें: Tesla Model Y की भारत में ग्रैंड एंट्री, पहले ग्राहक बने महाराष्ट्र के मंत्री, पोते को दिया खास तोहफा

GST में बदलाव का असर, Kia ने सभी मॉडल किए सस्ते- Kia Carens

किआ ने आधिकारिक तौर पर जानकारी दी है कि GST दरों में बदलाव के बाद कंपनी ने अपने सभी प्रमुख मॉडलों की कीमतों में कटौती की है। इस कदम से ग्राहकों को लाखों रुपये तक की बचत हो सकती है।

22 सितंबर से ये नई कीमतें पूरे देश में लागू कर दी जाएंगी।

किस मॉडल पर कितनी हुई कटौती?

  • Kia Carnival: ₹4.48 लाख तक की भारी कटौती
  • Kia Sonet: ₹1.65 लाख तक सस्ता
  • Kia Syros: ₹1.86 लाख तक की छूट
  • Kia Seltos: ₹75,000 तक की बचत
  • Kia Carens: ₹48,000 तक सस्ता
  • Kia Carens Clavis: ₹78,000 की कटौती

यानि अब वही कार जो पहले बजट से बाहर लगती थी, वह अब किफायती दाम पर आपके गैराज की शोभा बन सकती है।

क्यों किया गया कीमतों में बदलाव?

हाल ही में हुई GST परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि कुछ श्रेणियों के वाहनों पर GST की दरों को घटाया जाएगा। इसका मकसद है कि आम उपभोक्ता को राहत दी जा सके और ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की रफ्तार को रोका जा सके।

सरकार के इस कदम का असर सिर्फ Kia पर नहीं पड़ा, बल्कि कई और कंपनियों ने भी अपने प्रोडक्ट्स को अब किफायती बना दिया है।

TVS और JSW-MG मोटर ने भी की कीमतों में कटौती

JSW MG Motor ने अपने वाहनों की कीमत में ₹54,000 से ₹3.04 लाख तक की छूट दी है। ये नई कीमतें 7 सितंबर से ही लागू हो चुकी हैं। कंपनी का मानना है कि इससे ग्राहकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे और बाजार में उनकी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।

वहीं, TVS Motor ने भी अपने सभी पेट्रोल वाहनों पर GST राहत का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने की घोषणा की है। हालांकि, अभी तक मॉडल-वाइज प्राइस कट की जानकारी साझा नहीं की गई है।

GST कटौती का बड़ा असर – ग्राहकों और कंपनियों दोनों को फायदा

सरकार द्वारा की गई यह कटौती न सिर्फ ग्राहकों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि कंपनियों के लिए भी यह एक मौका है अपनी बिक्री बढ़ाने का।

GST दरों में कटौती से होंगे ये फायदे:

  • ग्राहकों को मिलेंगे सस्ते और किफायती विकल्प
  • वाहनों की बिक्री में संभावित इजाफा
  • ब्रांड वैल्यू और बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त

और पढ़ें: Samsung की नई Bespoke AI वॉशिंग मशीन लॉन्च, जानिए खासियत और कीमत

Uttarakhand Illegal Mining: विधायक ने बताया ‘खनन का काला सच’, सरकार ने रि...

0

Uttarakhand Illegal Mining: उत्तराखंड के गदरपुर से बीजेपी विधायक अरविंद पांडेय ने हाल ही में बौर नदी में बड़े स्तर पर अवैध खनन के आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि खनन माफिया ने 200 मीटर चौड़ी नदी को दो किलोमीटर तक चौड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि आसपास की जमीन में 60 फीट तक गहरे गड्ढे खोद दिए गए हैं और 300 एकड़ ज़मीन को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने अपनी बात में इतनी गंभीरता जताई कि कहा, यदि ये आरोप गलत साबित हुए, तो वे आगे से चुनाव भी नहीं लड़ेंगे।

और पढ़ें: Lansdowne Property for Sale: बाढ़ के बाद भी नहीं थमे बिल्डर, लैंसडाउन में अब भी बेच रहे ‘ड्रीम होम’

क्या कहती है जांच रिपोर्ट? Uttarakhand Illegal Mining

अब इस मामले पर भूतत्व एवं खनिकर्म, राजस्व, और चकबंदी विभाग की संयुक्त जांच रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसमें विधायक के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है।

30 अगस्त को तीनों विभागों की टीम ने रत्नामढ्या, केलाखेड़ा और बाजपुर क्षेत्र का निरीक्षण किया।

जांच में पाया गया कि—

  • नदी की चौड़ाई अधिकतम 30 से 40 मीटर तक ही है।
  • कहीं भी 60 फीट गहरे गड्ढे नहीं पाए गए।
  • अवैध खनन होते हुए भी नहीं मिला।

अधिकारियों का क्या कहना है?

खनन अधिकारी मनीष कुमार की रिपोर्ट में साफ कहा गया कि बौर नदी का बहाव क्षेत्र कहीं भी 50 से 60 मीटर से अधिक नहीं है।

वहीं, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा ने भी बयान जारी कर कहा कि जिन इलाकों का जिक्र विधायक ने किया था, वहां जांच के दौरान कोई अनियमितता सामने नहीं आई।

क्या पहले भी हुई थी कार्रवाई?

जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले कुछ महीनों में अवैध खनन पर कई कार्रवाईयां हुई हैं:

  • 6 मई को केलाखेड़ा में अवैध खनन की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
  • 3 जुलाई को गदरपुर में बिना नंबर प्लेट के डंपर को पकड़ा गया था।
  • इस दौरान खनिज निरीक्षक पर हमला करने की कोशिश भी की गई थी।
  • ग्राम खुशालपुर में दो लोगों पर 3.24 करोड़ का जुर्माना लगाया गया।
  • अब तक 29 डंपर और जेसीबी मशीनें सीज की जा चुकी हैं।

विधायक ने क्या कहा?

जांच रिपोर्ट आने के बावजूद विधायक अरविंद पांडेय अपने दावों पर कायम हैं।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन व्यंग्य में जोड़ते हुए कहा –

“इस रिपोर्ट के लिए तो विभाग को सम्मानित कर देना चाहिए।”

सोशल मीडिया पर गर्म हुआ मामला

इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर भी काफी तूल पकड़ लिया है।

विधायक समर्थक पुराने वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे हैं, जिनमें नदी क्षेत्र में गड्ढे और खनन दिखाई दे रहा है। वहीं विरोधी पक्ष इसे सरकार और प्रशासन को बदनाम करने की राजनीतिक साजिश बता रहा है। कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

अब आगे क्या?

अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या विधायक अपने आरोपों को साबित करने के लिए और सबूत पेश करेंगे, या ये मामला वक्त के साथ ठंडा पड़ जाएगा। फिलहाल, विभागीय रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि बौर नदी में बड़े स्तर पर खनन नहीं हुआ, जैसा कि दावा किया गया था।

और पढ़ें: New Vice President CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन बनें भारत के 15वें उपराष्ट्रपति, जानिए उनके राजनीतिक सफर से लेकर निजी जीवन तक की पूरी कहानी

Mosquito Biting Reason: शराब पीते ही मच्छरों की पार्टी शुरू! नई रिसर्च में चौंकाने वा...

0

Mosquito Biting Reason: अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें लगता है कि मच्छर सिर्फ आपको ही क्यों काटते हैं, तो शायद आपको अपनी आदतें बदलने की ज़रूरत है। खासकर तब, जब आप शराब या बीयर पीते हैं। हाल ही में एक दिलचस्प रिसर्च सामने आई है जिसमें यह दावा किया गया है कि शराब पीने वालों के शरीर की गंध मच्छरों को बाकी लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा आकर्षित करती है।

और पढ़ें: Heart attack in animals: क्या आपको पता है? जानवरों को भी हो सकता है हार्ट अटैक और किडनी फेल – इंसानों जैसी होती हैं ये बीमारियां

यह स्टडी नीदरलैंड के रेडबौड यूनिवर्सिटी निजमेगेन के वैज्ञानिक फेलिक्स होल और उनकी टीम ने की है। रिसर्च बायोआरएक्सआईवी पर पब्लिश हुई है और इसमें बताया गया है कि शराब, खासकर बीयर पीने के बाद व्यक्ति की बॉडी ओडर में ऐसा बदलाव आता है, जो मच्छरों को काफी लुभाता है।

लोलैंड्स म्यूजिक फेस्टिवल बना रिसर्च की प्रयोगशाला- Mosquito Biting Reason

इस रिसर्च को और भी दिलचस्प बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने पारंपरिक लैब की बजाय नीदरलैंड के फेमस म्यूजिक फेस्टिवल ‘लोलैंड्स’ को चुना। हजारों मादा मच्छरों के साथ एक पॉप-अप लैब बनाई गई, जिसमें 500 लोगों को शामिल किया गया।

वॉलंटियर्स से उनकी डाइट, नहाने की आदतें, सनस्क्रीन के इस्तेमाल और शराब सेवन के बारे में जानकारी ली गई। फिर इन लोगों को एक खास बक्से में हाथ डालने को कहा गया जिसमें मच्छर मौजूद थे। ये मच्छर काट नहीं सकते थे, लेकिन सूंघ सकते थे। यानी यह किसी ‘मच्छर ब्लड बैंक’ जैसा था।

क्या निकला नतीजा?

शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन लोगों ने शराब पी रखी थी, मच्छर उनकी ओर 1.35 गुना ज्यादा आकर्षित हो रहे थे। और यही नहीं जो लोग रोज़ाना नहाते नहीं थे या सनस्क्रीन नहीं लगाते थे, उनके आस-पास भी मच्छरों की संख्या काफी ज्यादा थी।

ये परिणाम बताते हैं कि मच्छर केवल खून के भूखे नहीं होते, बल्कि उन्हें शरीर से आने वाली महक और केमिकल्स काफी आकर्षित करते हैं।

गंध है असली कारण, शराब नहीं

रिसर्चर्स ने साफ किया कि मच्छर शराब को नहीं, बल्कि उसके बाद शरीर से निकलने वाली गंध को पसंद करते हैं। शराब पीने से शरीर के मेटाबॉलिज़्म में बदलाव आता है, जिससे त्वचा की गंध बदल जाती है और मच्छर उसे सूंघकर खिंचे चले आते हैं।

फोर्ब्स के मुताबिक, फेलिक्स होल ने एक इंटरव्यू में कहा कि “शराब पीने वालों का व्यवहार और उनकी बॉडी ओडर अलग हो जाती है। खासकर किसी फेस्टिवल या पार्टी जैसे माहौल में, जहां पसीना, धूल और बीयर सब कुछ एक साथ मिक्स हो जाता है।”

350 फीट दूर से पहचान लेते हैं ‘शिकार’

हैरानी की बात यह है कि मच्छर इंसानी गंध को 350 फीट दूर से भी सूंघकर पहचान सकते हैं। यानी अगर आपने थोड़ी सी बीयर भी पी है, और आसपास मच्छर हैं, तो समझिए उन्होंने आपको ‘लॉक’ कर लिया है।

कैसे बचें मच्छरों से?

अगर आप मच्छरों की ‘फेवरेट लिस्ट’ से बाहर निकलना चाहते हैं, तो ये उपाय अपनाएं:

  • शराब और बीयर का सेवन कम करें
  • रोज़ाना स्नान करें
  • बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाएं
  • साफ कपड़े पहनें और शरीर को ढक कर रखें

और पढ़ें: Vitamin B12 की कमी शरीर पर डाल सकती है गंभीर असर, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

Jacqueline Fernandez News: बीमार बच्चे के लिए फरिश्ता बनीं जैकलीन फर्नांडिज़, सर्जरी ...

0

Jacqueline Fernandez News: बॉलीवुड की ग्लैमरस दुनिया से जुड़ी खबरें अक्सर चकाचौंध भरी होती हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी कहानियां सामने आती हैं जो दिल छू जाती हैं। हाल ही में एक ऐसी ही दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई, जब बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिज ने एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे बच्चे की सर्जरी का पूरा खर्च उठाने की ज़िम्मेदारी ली।

और पढ़ें: Nargis-Sunil Dutt Love Story: जिससे पर्दे पर कहा ‘बेटा’, उसे ही दिल दे बैठी हसीना, किसी फिल्मी कहानी से अलग नहीं है नरगिस-सुनील की प्रेम कहानी

दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में जैकलीन एक छोटे से बच्चे से मिलती दिखाई देती हैं, जो हाइड्रोसिफलस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में मस्तिष्क में बहुत ज्यादा फ्लूइड जमा हो जाता है, जिससे सिर का आकार असामान्य रूप से बढ़ जाता है और कई न्यूरोलॉजिकल परेशानियां पैदा होती हैं। इस बीमारी का इलाज संभव तो है, लेकिन बेहद महंगा और जटिल होता है।

सोशल मीडिया पर वीडियो वाइरल- Jacqueline Fernandez News

सोशल मीडिया पर वाइरल वीडियो में जैकलीन उस बच्चे को प्यार से दुलारती नजर आ रही हैं और उसके परिवार से बातचीत करती दिखती हैं। उनके साथ इस मुलाकात में सोशल वर्कर और इन्फ्लुएंसर हुसैन मंसूरी भी मौजूद थे। हुसैन ने इस मुलाकात का वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा,

“जैकलीन फर्नांडिज जी, इस बच्चे की सर्जरी का खर्च उठाने के लिए आपका दिल से शुक्रिया। आप वाकई एक नेकदिल इंसान हैं। सभी से गुज़ारिश है कि मोहम्मद और उसके परिवार के लिए दुआ करें।”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Hussain Mansuri (@iamhussainmansuri)

जैकलीन ने भी इस वीडियो को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर करते हुए लिखा,

“धन्यवाद हुसैन भाई। आइए हम सभी मोहम्मद और उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें।”

उनकी ये भावुक अपील फैंस के दिलों को छू गई और सोशल मीडिया पर लोग एक्ट्रेस की तारीफों के पुल बांधने लगे। कई यूज़र्स ने कमेंट्स में जैकलीन को “रियल हीरो”, “एंजेल इन डिसगाइस” जैसे नामों से नवाज़ा।

जैकलीन का ये कदम इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि ग्लैमर इंडस्ट्री की चमक के पीछे भी संवेदनशीलता और इंसानियत छिपी होती है। ये सिर्फ पैसों की मदद नहीं थी, बल्कि उस परिवार को भावनात्मक सहारा देने का एक प्रयास भी था, जो अपने बच्चे की बीमारी से जूझ रहा है।

जैकलीन का वर्कफ्रंट भी है व्यस्त

अगर बात करें जैकलीन फर्नांडिज़ के करियर की, तो हाल ही में वह अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘हाउसफुल 5’ में नजर आई थीं, जिसे दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी। आने वाले समय में वह ‘वेलकम टू द जंगल’ नाम की फिल्म में नजर आएंगी, जिसमें अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, संजय दत्त, रवीना टंडन और दिशा पटानी जैसे दिग्गज कलाकार भी शामिल हैं।

और पढ़ें: Ajay Devgn Movie: ‘मैदान’ बनी बोनी कपूर का घाटे का सौदा, 210 करोड़ खर्च कर भी नहीं निकली बाज़ी

Lansdowne Property for Sale: बाढ़ के बाद भी नहीं थमे बिल्डर, लैंसडाउन में अब भी बेच र...

0

Lansdowne Property for Sale: पिछले दिनों उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ ने जैसे पहाड़ों को हिला कर रख दिया हो। नदियां उफान पर थीं, रास्ते टूट गए, और कई घर पानी में डूब गए। एक तरफ पूरी घाटी त्रस्त थी, दूसरी तरफ ऐसा लग रहा था जैसे कोई सुन नहीं रहा। क्योंकि, इस आपदा के बाद भी ब्रोकर बिना रुके, नए-नए “ड्रीम प्रोजेक्ट्स” लेकर आ गए। वो भी ठीक ऐसे इलाकों में जहां बार-बार भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बना रहता है। खासकर लैंसडाउन जैसे खूबसूरत लेकिन जोखिम भरे इलाके में। यहां हाल की बाढ़ के बावजूद नए प्रोजेक्ट्स की भरमार है।

और पढ़ें: Ahmedabad Land Sinking: गुजरात में धीरे-धीरे धंस रही है ज़मीन: अहमदाबाद-सूरत में सबसे ज्यादा खतरा

अजीब बात ये है कि इस खतरनाक कहानी के बीच ब्रोकरों के झांसे में आकर लोग अपने सपनों के घर के चक्कर में अपनी सुरक्षा तक दांव पर लगा रहे हैं। तो सवाल ये उठता है, आखिर क्यों लोग फिर भी पहाड़ों की इन खतरनाक जगहों में अपना पैसा लगा रहे हैं? चलिए, इस कहानी के पीछे की हकीकत जानते हैं।

लैंसडाउन: जहां नेचर की गोद में, ब्रोकरों का ‘खतरनाक सपना’ पल रहा है- Lansdowne Property for Sale

पहले बात करते हैं लैंसडाउन की। ये जगह गढ़वाल हिल्स में बसी है, जहां ब्रिटिश काल से ही पर्यटन का केंद्र रही है। लेकिन प्रकृति की मार यहां बार-बार पड़ती है। यह इलाका हर साल बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित होता है।

  • वर्ष 2021: द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, लैंसडाउन में एक निर्माणाधीन (under-construction) होटल स्थल पर अचानक भूस्खलन (landslide) हुआ, जिसमें तीन लोगों – दो महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई।
  • 2023 में, तेज बारिश से लैंसडाउन के पास भू-धंसाव हुआ और सड़कें घंटों बंद रहीं। कोटद्वार से हल्द्वानी तक बाढ़ जैसे हालात बन गए।
  • 2024 में, चिनबौ संपर्क मार्ग और कठवाणा-खंसूली रोड पर मलबा गिरा, जिससे पूरा ट्रैफिक ठप हो गया।
  • 2025 की अगस्त, फिर एक बार वही कहानी दोहराई गई। फ्लैश फ्लड्स में हाथियों का झुंड खोह नदी पार कर रहा था कि एक बच्चा बह गया। ये घटना वायरल हुई और लोगों का दिल दहल गया।

अब सोचिए, जब हाथियों का ये हाल है, तो इंसानों के घर, मकान, सड़कें और प्लॉट किस हाल में होंगे?

इतना सब होने के बाद भी क्यों नहीं रुक रहा है निर्माण?

अब आप पूछेंगे कि जब खतरे इतने साफ हैं, तो लोग यहां घर क्यों बना रहे हैं? इसका जवाब है – ब्रोकरों का ‘नेचर वाला सपना’ और लोगों की आंखों पर बंधी उम्मीदों की पट्टी।

ब्रोकर बताते हैं:

“यहां व्यू मिलेगा, ट्रैफिक नहीं, नेचर के बीच जियो, प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ रही है।”

लेकिन वो नहीं बताते:

“यह जगह लैंडस्लाइड जोन में है, RERA अप्रूवल नहीं है, बारिश में सड़कें बह जाती हैं, और इमरजेंसी में हॉस्पिटल तक पहुंचना मुश्किल है।”

चलिए अब एक विडिओ दिखते हैं आपको। ये विडिओ लैंसडाउन का बताया जा रहा है हालांकि नेडरिक न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।

https://youtube.com/shorts/DksGNY54p-o?si=WNnV9eitUuJLJxLx 

विडिओ में अप देख साकते हैं लैंसडाउन में निर्माण चल रहा था। अचानक पहाड़ी पर भूस्खलन हो गया, और मजदूर जान बचाकर भागे। ये दृश्य बताता है कि ओवर कंस्ट्रक्शन कितना खतरनाक है, लेकिन अफसोस  ब्रोकर इसे “छोटी सी घटना” बताकर टाल देते हैं।

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहा लैंडस्लाइड और फ्लड का खतरा

आपकी जानकारी के लिए बता दें, 2023 में उत्तराखंड में कुल 1,100 लैंडस्लाइड दर्ज किए गए। लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी। अगले ही साल, यानी 2024 में, ये संख्या बढ़कर 1,813 हो गई यानी लगभग दोगुनी। ये आंकड़े किसी अलार्म बेल से कम नहीं हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इसके बावजूद भी पहाड़ी इलाकों में धड़ल्ले से प्रॉपर्टी डील हो रही है।

2013 की केदारनाथ त्रासदी, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, या फिर 2021 में चमोली ग्लेशियर के फटने से आई भीषण बाढ़ ये सब घटनाएं शायद हमारी सामूहिक याददाश्त से मिटती जा रही हैं। वरना कोई क्यों उस ज़मीन पर ‘ड्रीम होम’ बनाए, जो हर साल किसी न किसी आपदा की चपेट में आ जाती है?

लेकिन ब्रोकरों और प्रॉपर्टी डेवलपर्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके पास तैयार पैकेज है, हरी-भरी वादियाँ, नज़रों को सुकून देने वाले व्यू और नेचर के बीच एक शांत, परियों जैसे घर का सपना। और लोग, उस सपने के पीछे भाग रहे हैं, बिना ये समझे कि जो हरियाली उन्हें आकर्षित कर रही है, वो दरअसल खतरे का इलाका है।

पहाड़ों में घर लेने के नुकसान

  1. कंस्ट्रक्शन खर्च: समतल ज़मीन से 5x ज्यादा। स्ट्रक्चर को मजबूत बनाना पड़ता है।
  2. मेंटेनेंस का झंझट: बारिश में लीकेज, सर्दियों में बर्फबारी, हर मौसम में खतरा।
  3. सिक्योरिटी: अकेला मकान, जानवरों और चोरी दोनों का डर।
  4. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: नज़दीकी हॉस्पिटल, स्कूल या मॉल बहुत दूर होते हैं।
  5. प्राकृतिक खतरे: लैंडस्लाइड, बाढ़, मडस्लाइड – सब किसी भी मौसम में मुसीबत बन सकते हैं।

इन्वेस्टमेंट? सोचिए दो बार

हालांकि, कई लोग इन मकानों को इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखते हैं। सोचते हैं कि रेंटल इनकम होगी या प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ेगी।
सच ये है कि पहाड़ों में इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न इतना स्थिर नहीं होता।

  • भीमताल जैसे इलाकों में कीमत 4,000 से 6,000 रुपये प्रति वर्ग फुट है। लेकिन पहाड़ी इलाकों में इसे दोबारा बेचना मुश्किल है क्योंकि खरीदार अब रिस्क देख रहे हैं।
  • Insurance महंगा हो गया है।

अगर फिर भी लेने का मन बना रहे हैं, तो ये बातें ज़रूर ध्यान में रखें:

  1. RERA अप्रूवल देखें।
  2. मानसून के समय साइट विजिट करें, असली हाल तभी दिखेगा।
  3. Civil Engineer से स्लोप, ड्रेनेज और फाउंडेशन की जांच कराएं।
  4. अकेले मकानों से बेहतर गेटेड सोसाइटी चुनें।
  5. पानी और बिजली जैसी बेसिक सुविधाओं की स्थिति समझें।
  6. हर 3 महीने में विजिट करें, वरना घर बर्बाद हो सकता है।
  7. बिक्री की शर्तें पढ़ें “As-Is” जैसी टर्म से सावधान रहें।
  8. डॉक्टर, मेडिकल और लोकल बाजार की दूरी जानें क्योंकि आपात स्थितियों में यही काम आएंगे।

और पढ़ें: Chamoli Cloudburst: चमोली के थराली में मलबे ने मचा दी भारी तबाही, दो लोग लापता, प्रशासन राहत और बचाव में जुटा