Home Blog Page 54

Nepal New PM: Balen Shah ने मेयर बनकर ऐसा क्या किया कि अब जनता उन्हें नेपाल का अगला प...

0

Nepal New PM: नेपाल के मौजूदा हालात में जब राजनीतिक अस्थिरता और नेताओं पर भरोसा डगमगाया हुआ है, ऐसे में एक नाम है जिसने युवाओं के दिल में अलग जगह बना ली है, वो है बालेन शाह। कभी अंडरग्राउंड रैपर के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले बालेन, अब काठमांडू के मेयर हैं और देशभर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, युवा उन्हें नेपाल का अगला प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। लेकिन क्यों? अगर आप भी इस क्यों का जवाब ढूंढ रहे हैं तो ये खबर पूरी पढ़िए।

और पढ़ें: KP Sharma Oli News: कहां हैं ओली? देश छोड़ने की फिराक या अंडरग्राउंड प्लान? नेपाल में बगावत उफान पर

रैप से राजनीति तक का सफर- Nepal New PM

27 अप्रैल 1990 को काठमांडू में जन्मे बालेन शाह ने भारत से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। रैप म्यूजिक के जरिए वो पहले ही युवाओं में लोकप्रिय हो चुके थे। उनके गाने ‘बलिदान’ को यूट्यूब पर 70 लाख से ज़्यादा बार देखा गया। उनके गीतों में भ्रष्टाचार, राजनीतिक विफलता और गरीबी जैसे मुद्दे छाए रहते थे। वो वही बातें करते हैं जो आम नेपाली युवा महसूस करता है।

कैसे जीता चुनाव?

2022 में उन्होंने काठमांडू मेयर का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और देश की बड़ी पार्टियों नेपाली कांग्रेस और CPN-UML के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देते हुए जीत हासिल की। उन्हें 61,767 वोट मिले, जो दूसरे स्थान से 23,000 वोट ज़्यादा थे।

मेयर बनते ही काम पर लग गए

मेयर बनने के बाद बालेन ने वो सब करने की ठानी जिसे बाकी नेता सिर्फ वादों में छोड़ देते हैं। अवैध निर्माणों के खिलाफ डोजर अभियान चलाया, जिसमें न सिर्फ अवैध दुकानें, बल्कि त्रिभुवन एयरपोर्ट पर पड़ी सरकारी सामग्री और पुलिस चौकियां तक हटा दी गईं। इस दौरान कोर्ट से भी टकराव हुआ लेकिन उन्होंने कदम पीछे नहीं हटाए।

जनता से सीधा जुड़ाव

आपको बता दें, बालेन शाह पारंपरिक नेताओं से अलग हैं। फेसबुक, एक्स (ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बेहद एक्टिव रहते हैं और हर फैसले का लाइव अपडेट देते हैं। उन्होंने पब्लिक मीटिंग्स को लाइव स्ट्रीम करना शुरू किया ताकि जनता सीधे प्रशासन से जुड़ी रह सके।

शिक्षा में किया बड़ा प्रयोग

उन्होंने “टेक्स्टबुक-फ्री फ्राइडे” जैसे इनोवेटिव प्रोग्राम की शुरुआत की, जिसमें बच्चों को हर शुक्रवार किताबों के बजाय स्किल्स और प्रैक्टिकल नॉलेज सिखाई जाती है।

जब PM ओली से भिड़े

मेयर रहते हुए भी बालेन कई बार तत्कालीन पीएम केपी शर्मा ओली से भिड़ गए। अवैध निर्माण हटाने को लेकर उन्हें CPN-UML नेताओं से धमकियां भी मिलीं। लेकिन उन्होंने न झुकने की नीति अपनाई। एक मौके पर वे सांसद के घर से बाल मजदूरों को छुड़ाकर लाए, जिससे उनकी ईमानदार और साहसी नेता की छवि और मज़बूत हो गई।

ग्लोबल पहचान भी हासिल

आपको बता दें, बालेन शाह को 2023 में Time Magazine ने ‘100 उभरते नेता’ की सूची में शामिल किया और New York Times ने भी उन्हें कवर किया। उनका पहनावा, बोलने का तरीका और आधुनिक सोच उन्हें Gen Z और मिलेनियल्स के लिए रिलेटेबल बनाता है।

क्या बनेंगे नेपाल के अगले पीएम?

अब जब नेपाल में भारी उथल-पुथल है और देश की युवा आबादी बदलाव चाहती है, तो बालेन शाह जैसे नेता को एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। 72 साल के नेताओं की जगह 35 साल का साहसी और आधुनिक सोच वाला बालेन युवाओं को ज़्यादा पसंद आ रहा है।

फिलहाल वो मेयर हैं, लेकिन अगर जनता का भरोसा और यूथ सपोर्ट ऐसे ही बना रहा, तो ‘रैपर से पीएम’ तक का सफर भी दूर नहीं लगता।

और पढ़ें: Nepal Protest: नेपो किड्स, भ्रष्टाचार और Gen-Z के विद्रोह को लेकर क्या है इंटरनेशनल मीडिया का रिएक्शन?

Punjab Vs Bihar Flood: पंजाब में बाढ़ पर छाती पीटने वाले स्टार्स बिहार में आई भयंकर ब...

0

Punjab Vs Bihar Flood: पिछले कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में आई बारिश नाम की तबाही ने धरातल पर बसे पंजाब को पूरी तरह से बाढ़ के पानी के आगोश में धकेल दिया है। 2025 में ब्यास नदी में 11.70 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा गया, रही सही कसर पहाड़ो पर हुई बारिश ने पूरी कर दी। नतीजा ये हुई कि पंजाब के मैदानी इलाकों में मौजूद अब तक 1902 गांव पूरी तरह से डूब गए है। लगभग 51 लोगों की जान जा चुकी है, 15 जिलों में 3.87 लाख लोग बेघर हो गए तो वहीं 1.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल बाढ़ के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गई।  बीएसएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें दिन रात एक करके बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत का कार्य कर रही है, लेकिन आपदा की इस घड़ी में सबसे ज्यादा तारीफ के कोई काबिल है तो वो है पंजाब की बहादुर जनता, और वो सभी लोग जो पंजाब की आपदा में उनके साथ खड़े रहे।

फिल्म हस्तियां कर रही मदद Punjab Flood updates

फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई सितारे है जिन्होंने खुल कर बाढ़ पीड़ितो के लिए राहत सामग्री भिजवाई, इतना ही नहीं पंजाब की जनता खुद आगे बढ़ कर मदद के लिए आगे आई। एक्टर और सिंगर दिलजीत दोसांझ(diljit dosanjh) ने 10 गावों को गोद ले लिया, तो वहीं शहनाज गिल(Shahnaz gill) और गायक सतिंदर सरताज के फाउंडेशन ने बाढ़ प्रभावित परिवारों को राशन किट बांट रही है। तो वहीं एमी विर्क(ammy virk) ने 200 परिवारों को गोद लिया है। शाहरूख खान(Shahrukh khan), आलिया भट्ट(Aaliya Bhatt), विकी कौशल(vicky kaushal) जैसे सितारों ने खुल कर बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी संवेदनाये व्यक्त की, लेकिन एक सवाल है जो अभी भी उठना बाकि है, और वो ये है कि पंजाब में आई बाढ़ को वैश्विक स्तर पर मुद्दा बनाया गया, राहत के लिए दिन रात काम भी किया जा रहा है, छोटे स्तर से लेकर सेलीब्रिटी तक बाढ़ पीड़ितो की मदद के लिए आगे आ रहे है।

और पढ़ेः 1902 गांव पानी में, 4 लाख लोग बेहाल, 23 जिले चपेट में और 43 मौतें… नंगल-आनंदपुर साहिब में भी अलर्ट. 

लेकिन सवाल ये है कि जब हर साल बिहार बाढ़ की चपेट में आता है, पूरा का पूरा गांव खत्म हो जाता है, और ये सिलसिला हर साल का है, तो फिर आखिर कोई भी बिहार के बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए खुल कर आगे क्यों नहीं आता है। मदद करना तो छोड़िए खुद मैनस्ट्रीम मीडिया भी बिहार के बाढ़ पीड़ितों के बारे में चर्चा तक नही करती है। लेकिन ये भेदभाव क्यों है। क्यों जिस तरह से पंजाब के लिए सेलीब्रटिज हाहाकार मचा रहे है, वो बिहार के लिए क्यों नहीं मचाते..यहां तक कि जो भोजपुरी फिल्मों के कलाकार है, वो तक कोई टीका टिप्पणी करने से बचते है।

बिहार में हर साल बाढ़ से तबाही Bihar Flood updates

बिहार में मौजूदा स्थिति की बात की जाये तो इस वक्त गंगा, कोसी, बारांडी और कारी कोसी नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। बिहार में इस वक्त बक्सर-पटना, बड़हिया, हाथीदह, मुंगेर, भागलपुर व कहलगांव में हाइ अलर्ट जारी कर दिया है।बिहार में बाढ़ पीड़ितों के लिए वैश्विक स्तर पर बात भी नहीं होती है, क्योंकि ये शायद हर साल होने वाली आपदा जैसी है। लेकिन बाढ़ आने के बाद जनजीवन तो बिहार के लोगों का भी प्रभावित होता है। फिर सरकार की तरफ से उन लोगों की राहत के लिए क्यों कोई सामने नहीं आता। जो सेलिब्रिटी आज पंजाब के लिए खड़े नजर आ रहे है वो बिहार के बुरे समय में मूक दर्शक बन कर क्यों बैठ जाते है। और सबसे बड़ी बात, बिहार और पूर्वांचल को अपना घर और वहां की जनता को अपना परिवार कहने वाले भोजपुरी सेलिब्रिटी भी आगे बढ़ कर बाढ़ पीड़ितों की मदद करने क्यों नहीं आते। क्या अश्लील गानें बनाने और फिल्मों में अश्लील जुबान का इस्तेमाल करके बिहार को बदनाम करने की ही जिम्मेदारी है उन पर, लेकिन जिस जनता के कारण वो आज इतने बड़े सेलीब्रिटी बन बैठे है, उनके बारे में बात तक नहीं होती।

और पढ़ेः पंजाब की बाढ़ त्रासदी में मदद को आगे आए अक्षय, हरभजन और दिलजीत. 

पूरा गांव बह गया नदी के साथ

बिहार में बाढ़ की स्थिति इतनी खराब है कि पूरा का पूरा जवइनियां गांव मिट्टी के कटाव के कारण नदी के साथ बह गया। हजारों लोग बेघर हो गए। लेकिन उनकी चीख पुकार सुनने वाला कोई क्यों नहीं है। उनके लिए राहत का ऐलान कोई सेलिब्रिटी क्यों नहीं करता है, जबकि बिहार भी तो भारत का हिस्सा है, फिर दो राज्यों को लेकर इतना ज्यादा भेदभाव क्यों है। ये सबसे बड़ा सवाल है।

पितृ पक्ष में कौआ गाय कुत्ता और चींटी को भोजन देने की परंपरा के पीछे की मान्यता क्या ...

0

Pitr paksh 2025: कहते है कि पितृ पक्ष के दौरान कौओं, गायों, कुत्तों और चींटियों को भोजन कराने की परंपरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे “पंचबलि कर्म” भी कहा जाता है, जिसमें भोजन का एक अंश पाँच अलग-अलग प्राणियों (कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी और देवता) को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन प्राणियों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुँचता है और वे तृप्त होते हैं और सदेव अपना आशीर्वाद बनाये रखते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

प्राणियों को भोजन कराने का महत्व 

कौआ: कौए को पितरों का प्रतीक और यम (मृत्यु के देवता) का दूत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज कौओं के रूप में पृथ्वी पर आते हैं। जब कौआ श्राद्ध का भोजन ग्रहण करता है, तो ऐसा माना जाता है कि पूर्वज तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को मिलता है।

गाय- हिंदू धर्म में गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है और इसमें सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। गाय को भोजन कराना सभी देवताओं को प्रसन्न करने और पितरों की आत्मा को शांति देने के समान माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि गाय को भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि आती है। वही गाय को हिन्दू ड्रम में काफी शुभ माना जाता है।

कुत्ता- कुत्ते को यमराज का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुत्तों को भोजन कराने से यमराज प्रसन्न होते हैं और हमारे द्वारा अर्पित भोजन विभिन्न आध्यात्मिक लोकों तक पहुँचता है। इसके आलवा आप काले कुत्ते को अगर आप घर रोज रोटी खिलाये तो आपके सारे कष्ट धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं।

चींटी- चींटियों को अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है। चींटियों को आटा या चीनी खिलाना एक विनम्र कार्य है जो सभी जीवों के प्रति सम्मान दर्शाता है। ऐसा भी माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्माएँ तृप्त होती हैं और परिवार में सद्भाव बना रहता है। कही जगह ये भी मान्यता है कि यदि काली चींटी इस अन्न को ग्रहण करे तो ये ज्यादा फलीभूत होता है।

India US Relation: भारत-अमेरिका ‘नेचुरल पार्टनर’, ट्रंप ने फिर बढ़ाया दोस...

0

India US Relation: भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक बार फिर तनाव और भरोसे की अजीब सी खींचतान देखने को मिल रही है। वजह है रूस से तेल खरीद और टैरिफ का मुद्दा, जिसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को निशाने पर लिया है। इसके बावजूद ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बहुत अच्छा दोस्त” बताया है। पीएम मोदी ने भी संयम के साथ जवाब दिया और रिश्तों को मजबूत बनाए रखने का भरोसा जताया है।

और पढ़ें: India-Nepal Trade: तेल, बिजली, दवाएं… भारत से क्या-क्या खरीदता है नेपाल? हिंसा के बीच बढ़ा ट्रेड रुकने का खतरा बढ़ा

ट्रंप का दोहरा रवैया: दोस्ती की बात, लेकिन 100% टैरिफ की धमकी- India US Relation

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि उन्हें खुशी है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर बातचीत जारी है। उन्होंने लिखा कि वह आने वाले हफ्तों में अपने “बहुत अच्छे दोस्त” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हैं और उम्मीद है कि दोनों देशों के लिए इसका सकारात्मक नतीजा निकलेगा।

लेकिन इसी पोस्ट के कुछ घंटों बाद ट्रंप का दूसरा चेहरा सामने आया। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने यूरोपीय संघ (EU) से अपील की कि जब तक भारत और चीन, रूस से तेल खरीदना बंद न करें, तब तक उन पर 100% टैरिफ लगा दिया जाए। ट्रंप की तरफ से भारत को रूस के करीब होने की सजा देने की मंशा दिखाई गई है।

पीएम मोदी का संतुलित जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की बातों का जवाब बेहद कूटनीतिक अंदाज़ में दिया। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,

“भारत और अमेरिका करीबी मित्र और नेचुरल पार्टनर्स हैं। मुझे पूरा यकीन है कि हमारी ट्रेड बातचीत से इस साझेदारी की असीम संभावनाएं खुलेंगी। हमारी टीमें इस पर तेजी से काम कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बात करने के लिए आशान्वित हूं ताकि हम दोनों देशों के लिए एक समृद्ध भविष्य बना सकें।”

मोदी के इस जवाब को एक तरह से ट्रंप के टैरिफ वाले बयान को नज़रअंदाज़ करने और रिश्तों की सकारात्मक दिशा को बनाए रखने की कोशिश माना जा रहा है।

तनाव की असली वजह: रूस से तेल और बढ़ता टैरिफ

आपको बता दें, भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर हाल के दिनों में तनातनी बनी हुई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% आयात शुल्क लगाया था, जिसे अब 50% तक बढ़ाने की चर्चा है। इसकी बड़ी वजह भारत द्वारा रूस से लगातार तेल खरीदना है। अमेरिका की नज़र में यह रूस के खिलाफ उसके प्रयासों को कमजोर कर रहा है।

हालांकि भारत पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को देखते हुए तेल खरीद के फैसले लेता है।

ट्रंप का पुराना स्टैंड: दोस्ती, लेकिन शर्तों के साथ

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने मोदी की तारीफ करते हुए कड़वी बातें भी कह दी हों। इससे पहले भी उन्होंने कहा था,

“मैं मोदी का दोस्त हूं और हमेशा रहूंगा, लेकिन जो वह कर रहे हैं, वो मुझे पसंद नहीं।”

ट्रंप की बयानबाजी में अक्सर विरोधाभास देखा गया है – एक तरफ वे भारत को रणनीतिक साझेदार कहते हैं, दूसरी तरफ रूस के चलते आर्थिक दबाव बनाते हैं।

और पढ़ें: KP Sharma Oli News: कहां हैं ओली? देश छोड़ने की फिराक या अंडरग्राउंड प्लान? नेपाल में बगावत उफान पर

KP Sharma Oli News: कहां हैं ओली? देश छोड़ने की फिराक या अंडरग्राउंड प्लान? नेपाल में...

0

KP Sharma Oli News: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। नौ सितंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन हालात संभलने के बजाय और बिगड़ते नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया बैन और नेपोटिज्म के खिलाफ शुरू हुआ Gen-Z आंदोलन अब पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुका है। प्रदर्शनकारी सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रहे उन्होंने संसद भवन, पीएम हाउस, और कई मंत्रियों के आवासों को आग के हवाले कर दिया है। भीड़ इतनी उग्र हो चुकी है कि कई मंत्रियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब ओली कहां हैं?

और पढ़ें: Nepal Protest: नेपो किड्स, भ्रष्टाचार और Gen-Z के विद्रोह को लेकर क्या है इंटरनेशनल मीडिया का रिएक्शन?

ओली की दुबई भागने की कोशिश नाकाम- KP Sharma Oli News

ओली का भक्तपुर स्थित बालकोट आवास प्रदर्शनकारियों का निशाना बना। उनके घर में आग लगा दी गई। हालांकि, तब तक वो अपने परिवार सहित वहां से निकल चुके थे। खबर है कि ओली फिलहाल काठमांडू के किसी सेफ हाउस में छिपे हुए हैं।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली दुबई भागने की फिराक में थे। लेकिन त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद होने के कारण उनकी योजना विफल हो गई। अब बताया जा रहा है कि हिमालयन एयरलाइंस का एक प्राइवेट जेट स्टैंडबाय पर है और वे कभी भी देश छोड़ सकते हैं।

सोशल मीडिया बैन बना आग में घी

आपको बता दें, पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब 4 सितंबर को सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। यह फैसला ‘नेपो किड्स’ ट्रेंड और वायरल आलोचनात्मक पोस्ट्स के बाद लिया गया था।

8 सितंबर को प्रदर्शन शुरू हुए, और 9 सितंबर को ओली को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन जनआक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। अब तक 22 लोगों की मौत और 500 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।

संसद से लेकर मंदिर तक — हर जगह बवाल

काठमांडू में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। संसद भवन पर कब्जे की कोशिश, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर में आगजनी और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास पर कब्जा, ये सब कुछ पिछले 48 घंटों में हुआ है।

इतना ही नहीं, देश के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल पशुपतिनाथ मंदिर को भी दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया गया है। सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल सेना को सौंपी गई है। काठमांडू, पोखरा और बुटवल जैसे शहरों में कर्फ्यू लागू है और सेना सड़कों पर तैनात है।

क्या ये सिर्फ आंदोलन है या कुछ और?

Gen-Z का ये गुस्सा अब सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं रह गया है यह नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ एक सीधी चुनौती बन चुका है। लोग सिर्फ ओली के जाने से संतुष्ट नहीं हैं; वे सिस्टम को बदलना चाहते हैं।

और पढ़ें: TV होस्ट से डिप्टी PM तक: कौन हैं Rabi Lamichhane जिन्हें Gen-Z ने जेल से छुड़ाया?

Nepal Protest: नेपो किड्स, भ्रष्टाचार और Gen-Z के विद्रोह को लेकर क्या है इंटरनेशनल म...

0

Nepal Protest: नेपाल के काठमांडू, पोखरा, वीरगंज जैसे शहरों की सड़कों पर हाल ही में जो कुछ हुआ, वो सिर्फ विरोध-प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक गहरी बेचैनी का इज़हार था उस देश के युवाओं की, जो अब चुप नहीं रहना चाहते। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भले ही राजधानी में अब तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन जो आंदोलन हुआ, उसका शोर अब भी देश की राजनीतिक गलियों में गूंज रहा है।

और पढ़ें: TV होस्ट से डिप्टी PM तक: कौन हैं Rabi Lamichhane जिन्हें Gen-Z ने जेल से छुड़ाया?

हवाई अड्डे पर भीड़, सेना की तैनाती- Nepal Protest

मंगलवार को राजधानी काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी इस उथल-पुथल का हिस्सा बन गया। प्रदर्शनकारियों ने जबरन हवाई अड्डे के परिसर में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद नेपाली सेना ने पूरे एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में ले लिया। उड़ान सेवाएं आंशिक रूप से बंद कर दी गईं। उधर, ओली अब प्रधानमंत्री नहीं हैं, लेकिन नेपाल में ही किसी सुरक्षित स्थान पर मौजूद हैं।

दुनियाभर की मीडिया की नज़र नेपाल पर

नेपाल में जो कुछ हो रहा है, उस पर दुनिया भर की मीडिया की पैनी नज़र है। ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ ने इस आंदोलन को सिर्फ सोशल मीडिया बैन से जुड़ा नहीं माना, बल्कि इसे राजनीतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता से उपजे युवाओं के गुस्से का नतीजा बताया है। गार्जियन ने लिखा, “नेपाल की युवा पीढ़ी इस व्यवस्था से थक चुकी है। वे रोज़गार के लिए विदेश जाने को मजबूर हैं और जो सत्ता में हैं, उनके बच्चों की लग्ज़री लाइफ तस्वीरों में देखना उन्हें और हताश करता है।”

‘नेपो किड्स’ और सोशल मीडिया क्रांति

दरअसल, आंदोलन की जड़ में एक ट्रेंड है नेपोकिड्स। बांग्लादेश के अखबार ‘द डेली स्टार’ ने बताया कि ‘नेपो बेबी’ शब्द से प्रेरित होकर नेपाली यूजर्स ने राजनेताओं के बच्चों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। टिकटॉक, रेडिट जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर वायरल पोस्ट में इन तथाकथित ‘नेपो किड्स’ की शानो-शौकत, विदेश यात्राएं, ब्रांडेड खरीदारी और पब्लिक फंड की बर्बादी को उजागर किया गया। सरकार ने इसी अभियान को रोकने के लिए सोशल मीडिया बैन लगाया और यहीं से आग भड़क गई।

‘विरोध’ जो कुछ घंटों में विद्रोह बन गया

अल जज़ीरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि विरोध की शुरुआत कल्चरल परफॉर्मेंस, सड़कों पर आर्ट, डांस और पोस्टर्स के ज़रिए शांतिपूर्ण तरीके से हुई थी। लेकिन जल्द ही कुछ असामाजिक तत्वों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के शामिल होने से माहौल बिगड़ गया। प्रदर्शनकारी संसद की दीवारें फांदने लगे, जवाब में सुरक्षा बलों ने गोली चलाई। इसमें कुछ स्कूली बच्चों को भी गोली लगी वे अब भी अपने यूनिफॉर्म में ही थे।

19 लोगों की मौत, 43% युवा आबादी नाराज़

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि नेपाल में सरकार के खिलाफ गुस्सा अब जानलेवा रूप ले चुका है। अब तक करीब 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। युवाओं का कहना है कि समस्या सिर्फ सोशल मीडिया नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था है जिसमें नेताओं के भ्रष्टाचार, धीमी आर्थिक ग्रोथ और बढ़ती बेरोजगारी से वे आजिज़ आ चुके हैं।

चीन की प्रतिक्रिया और काठमांडू का हाल

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा है, पिछले साल ओली के चौथे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से तीन करोड़ की आबादी वाले इस हिमालयी राष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और धीमी आर्थिक विकास को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है।”

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 से 40 वर्ष की आयु के लोग कुल जनसंख्या का लगभग 43 प्रतिशत हैं – जबकि विश्व बैंक के अनुसार, बेरोज़गारी दर लगभग 10 प्रतिशत है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद केवल 1,447 अमेरिकी डॉलर है।”

कहीं सिर्फ शुरुआत तो नहीं थी ये?

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प बात ये है कि आंदोलन का चेहरा कोई पार्टी नहीं, कोई नेता नहीं, बल्कि एक जनरेशन बनी Nepal’s Gen-Z। उनके लिए ये लड़ाई सिर्फ सोशल मीडिया बैन की नहीं, बल्कि भविष्य बचाने की थी।

अब सवाल है कि क्या सरकार ने वाकई इनकी बात सुनी? क्या ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में कुछ बदलेगा? या फिर ये असंतोष किसी और रूप में दोबारा फूट पड़ेगा?

और पढ़ें: Greece Population Policy: जनसंख्या घटती देख ग्रीस सरकार ने दिया नया ऑफर, ज्यादा बच्चे, जीरो टैक्स!

TV होस्ट से डिप्टी PM तक: कौन हैं Rabi Lamichhane जिन्हें Gen-Z ने जेल से छुड़ाया?

0

Rabi Lamichhane: नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश में सत्ता को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस अस्थिर माहौल के बीच सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर ये रही कि सहकारी घोटाले के आरोप में जेल में बंद राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष और पूर्व उपप्रधानमंत्री रबी लामिछाने को प्रदर्शनकारियों के दबाव में जेल से रिहा कर दिया गया।

और पढ़ें: Turkish Coup Attempt: तुर्की में ‘कानूनी तख्तापलट’ का हंगामा: विपक्ष की जीत रद्द, पूरे देश में इंटरनेट बंद, सड़कों पर गुस्सा

जेल से रिहाई और जन समर्थन- Rabi Lamichhane

लामिछाने को लंबे समय से नक्कू जेल में बंद रखा गया था। लेकिन इसके बावजूद उनका जनाधार कमजोर नहीं पड़ा। खासकर युवाओं और सोशल मीडिया पर उनका जबरदस्त असर बना रहा। उन्हें आज भी भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर आवाज और एक ईमानदार नेता के रूप में देखा जाता है। रिहाई के वक्त उनके समर्थकों की भारी भीड़ जेल के बाहर जुटी, जिसने साफ कर दिया कि रबी लामिछाने अब भी जनता के बीच एक मजबूत चेहरा बने हुए हैं।

टीवी होस्ट से राजनीति तक का सफर

रबी लामिछाने का राजनीतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है। एक समय वे नेपाल के सबसे लोकप्रिय टीवी शो “सीधा कुरा जनता संग” को होस्ट करते थे, जहां वे बिना किसी डर के राजनीतिक भ्रष्टाचार, सामाजिक अन्याय और सरकारी लापरवाहियों को उजागर करते थे। लोगों ने उन्हें एक ऐसा शख्स माना जो सच बोलता है और बदलाव लाना चाहता है।

इसी जन समर्थन के दम पर उन्होंने 2022 में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाई और पहली बार चुनाव लड़ते हुए 275 में से 20 सीटें जीत लीं। ये किसी भी नई पार्टी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद वे सत्ता में शामिल हुए और उपप्रधानमंत्री व गृह मंत्री जैसे अहम पदों पर भी पहुंचे।

नागरिकता विवाद और सुप्रीम कोर्ट का झटका

राजनीतिक करियर की ऊंचाई पर पहुंचते ही रबी लामिछाने को बड़ा झटका तब लगा जब उनकी नागरिकता को लेकर विवाद खड़ा हुआ। आरोप लगे कि उन्होंने 2014 में अमेरिकी नागरिकता ले ली थी, जिससे उनकी नेपाली नागरिकता स्वतः समाप्त हो गई थी। हालांकि उनका दावा था कि उन्होंने 2018 में अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी थी, लेकिन इस दौरान वे दोबारा नेपाली नागरिकता नहीं ले सके थे।

जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सांसद पद से अयोग्य घोषित कर दिया। लेकिन लामिछाने ने हार नहीं मानी। उन्होंने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर फिर से नागरिकता ली और RSP की कमान वापस संभाली।

सहकारी घोटाले में गिरफ्तारी

2024 में रबी लामिछाने एक और विवाद में घिर गए। बतौर गोरखा मीडिया नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर, उनका नाम सूर्यदर्शन कोऑपरेटिव घोटाले से जुड़ा और इसी मामले में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालांकि समर्थकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित थी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता को दबाने की कोशिश की गई।

ओली के इस्तीफे के बाद बढ़ा दबाव

जब हाल ही में केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब नेपाल में एक बार फिर सत्ता को लेकर घमासान छिड़ गया। इस दौरान लामिछाने की रिहाई की मांग ने जोर पकड़ लिया। जनता सड़कों पर उतरी और सरकार पर दबाव बनने लगा। अंततः भारी पुलिस सुरक्षा के बीच रबी लामिछाने को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने जेल के बाहर जबरदस्त स्वागत किया।

क्या अब लामिछाने बदलेंगे नेपाल की सियासत?

अब सवाल ये उठता है कि क्या रबी लामिछाने एक बार फिर नेपाल की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा पाएंगे? मौजूदा माहौल में पुरानी पार्टियों की पकड़ कमजोर पड़ रही है और युवा नेताओं का उभार साफ दिखाई दे रहा है। लामिछाने इस बदलाव के सबसे प्रमुख चेहरे बन चुके हैं।

हालांकि, उनकी राह आसान नहीं है। अभी भी उनपर कई कानूनी मामले लंबित हैं और विपक्ष उन्हें कमजोर करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। लेकिन जनता की उम्मीदें उनसे जुड़ी हैं, खासकर उस वर्ग की जो पारदर्शी और जवाबदेह राजनीति चाहता है।

फिलहाल, रबी लामिछाने की रिहाई ने नेपाल की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस मौके को कैसे भुनाते हैं और क्या वाकई में वे वो बदलाव ला पाएंगे जिसकी उम्मीद उनसे लाखों लोग लगाए बैठे हैं।

और पढ़ें: Nepal Gen-Z Protest Update: छात्रों के बवाल के बीच पीएम ओली की दुबई भागने की तैयारी, प्रदर्शनकारियों ने फूंका राष्ट्रपति आवास

Turkish Coup Attempt: तुर्की में ‘कानूनी तख्तापलट’ का हंगामा: विपक्ष की जीत रद्द, पूर...

0

Turkish Coup Attempt: तुर्की में इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है। राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान की सरकार पर विपक्ष को दबाने के लिए न्यायपालिका के इस्तेमाल का गंभीर आरोप लग रहा है। विवाद की शुरुआत इस्तांबुल की एक अदालत के उस फैसले से हुई, जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) की 2023 की स्थानीय चुनावों में मिली जीत को रद्द कर दिया गया।

यह फैसला आने के बाद देश की सियासी फिज़ा गर्म हो गई है। विरोध की लहर पूरे तुर्की में फैल चुकी है, और हालात इतने तनावपूर्ण हो गए हैं कि सरकार ने पूरे देश में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया है।

और पढ़ें: Greece Population Policy: जनसंख्या घटती देख ग्रीस सरकार ने दिया नया ऑफर, ज्यादा बच्चे, जीरो टैक्स!

क्यों बढ़ा बवाल? Turkish Coup Attempt

इस्तांबुल की अदालत ने CHP की जीत को रद्द करने के पीछे आंतरिक चुनावों में कथित अनियमितताओं का हवाला दिया है। अदालत का कहना है कि पार्टी प्रतिनिधियों के चयन के दौरान पैसे के लेन-देन के आरोप सामने आए थे। लेकिन इस फैसले को विपक्ष ‘साजिश’ करार दे रहा है।

गौरतलब है कि इस्तांबुल सिर्फ तुर्की का सबसे बड़ा शहर ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक राजधानी भी है। इसी शहर से CHP की मजबूत पकड़ ने हालिया चुनावों में एर्दोगान की पार्टी को बड़ा झटका दिया था। ऐसे में अदालत का फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम माना जा रहा है।

विपक्ष का आरोप: ‘हमें खत्म करना चाहते हैं’

CHP के प्रमुख ओजगुर ओज़ेल ने कोर्ट के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे सीधा-सीधा सत्ता की ओर से “विपक्ष को खत्म करने की कोशिश” बताया। फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में ओज़ेल ने कहा,

“वे उस पार्टी पर कब्जा करना चाहते हैं जिसने पिछला चुनाव जीता था और जो तुर्की गणराज्य की संस्थापक पार्टी है। हम एक सत्तावादी सरकार के सामने हैं और अब विरोध ही एकमात्र रास्ता बचा है।”

पूरे देश में विरोध, इंटरनेट बंद

CHP ने फैसले के विरोध में देशव्यापी जनआंदोलन का ऐलान किया। रविवार को पार्टी समर्थकों ने इस्तांबुल मुख्यालय के बाहर भारी संख्या में प्रदर्शन किया। पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी और विरोध को दबाने के लिए चिली स्प्रे का भी इस्तेमाल किया।

स्थिति तनावपूर्ण होती देख देशभर में इंटरनेट सेवा बाधित कर दी गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और न्यूज वेबसाइट्स तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।

क्या तुर्की ‘रूस मॉडल’ की ओर बढ़ रहा है?

सरकार की ओर से सफाई दी गई है कि तुर्की की न्यायपालिका स्वतंत्र है और फैसले में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ है। लेकिन विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषक इसे मानने को तैयार नहीं हैं।

उनका मानना है कि एर्दोगान ‘रूस स्टाइल’ प्रबंधित लोकतंत्र की ओर बढ़ रहे हैं, जहां विपक्ष मौजूद तो होता है, लेकिन असल सत्ता एक ही पार्टी के पास होती है। आलोचकों ने इसे “लीगल कूप” यानी कानूनी तख्तापलट तक कह दिया है।

और पढ़ें: Nepal Gen-Z Protest Update: छात्रों के बवाल के बीच पीएम ओली की दुबई भागने की तैयारी, प्रदर्शनकारियों ने फूंका राष्ट्रपति आवास

Asia Cup 2025: एशिया कप 2025 में पहली बार दिखेंगे ये 5 नए चेहरे, बदल सकते हैं मैच का ...

0

Asia Cup 2025: एशिया कप 2025 शुरू हो चुका है। 9 सितंबर से यूएई में शुरू हो रहे इस बहुप्रतीक्षित टूर्नामेंट का पहला मुकाबला अफगानिस्तान और हांगकांग के बीच खेला जाएगा। इस बार कुल 8 टीमें खिताब की दौड़ में होंगी  भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, यूएई (मेजबान), ओमान और हांगकांग।

लेकिन इस बार सिर्फ टीमें नहीं, बल्कि कई नए चेहरे भी चर्चा में हैं, जो पहली बार एशिया कप का हिस्सा बनने जा रहे हैं। इनमें से कुछ खिलाड़ी पहले ही इंटरनेशनल क्रिकेट में नाम कमा चुके हैं और अब एशिया के इस बड़े मंच पर खुद को साबित करने को तैयार हैं। आइए नज़र डालते हैं उन 5 खिलाड़ियों पर जो पहली बार एशिया कप में उतरेंगे लेकिन विपक्षी टीमों के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं।

और पढ़ें: Ross Taylor: 41 की उम्र में रॉस टेलर की मैदान पर वापसी, इस बार न्यूजीलैंड नहीं, समोआ के लिए खेलेंगे क्रिकेट

रिशाद हुसैन (बांग्लादेश)

बांग्लादेश के लेग स्पिनर रिशाद हुसैन भी पहली बार इस टूर्नामेंट में दिखेंगे। 42 टी20 मैचों में उनके नाम 48 विकेट हैं और साथ ही वो निचले क्रम में तेज़ी से रन भी बना सकते हैं। उनकी गेंदबाज़ी में विविधता है और वो बीच के ओवरों में विपक्षी टीम पर दबाव बना सकते हैं। जरूरत पड़ी तो बल्ले से फिनिशर की भूमिका भी निभा सकते हैं।

अल्लाह गजनफर (अफगानिस्तान) Asia Cup 2025

18 साल का यह युवा स्पिनर पहले ही क्रिकेट प्रेमियों के बीच खासा चर्चा में है। अल्लाह गजनफर अफगानिस्तान की परंपरागत स्पिन विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। भले ही उन्होंने अभी कुछ ही इंटरनेशनल मैच खेले हैं, लेकिन घरेलू और फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। 44 टी20 मैचों में उन्होंने 55 विकेट झटके हैं और उनकी इकॉनमी रेट 7 से भी कम रही है। ऐसे में वो एशिया कप में कई बड़े बल्लेबाजों को चौंका सकते हैं।

वरुण चक्रवर्ती (भारत)

भारत के मिस्ट्री स्पिनर वरुण चक्रवर्ती एशिया कप में पहली बार खेलेंगे। हालांकि वह टी20 वर्ल्ड कप का हिस्सा रह चुके हैं, लेकिन अब उन्हें इस रीजनल टूर्नामेंट में खुद को फिर से साबित करने का मौका मिलेगा। वरुण ने 18 अंतरराष्ट्रीय टी20 में 33 विकेट लिए हैं। उनकी गुगली, स्लोअर फ्लिपर और वैरिएशन किसी भी बल्लेबाज की पारी को ब्रेक लगाने में सक्षम हैं। गौतम गंभीर की कोचिंग में उनका रोल भारत के लिए बेहद अहम रहेगा।

सईम आयूब (पाकिस्तान)

पाकिस्तान के बाएं हाथ के ओपनर सईम आयूब को लेकर फैंस के बीच काफी उत्साह है। 41 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने 136 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। वो शुरू से ही गेंदबाजों पर हावी हो जाते हैं और टीम को तेज शुरुआत देते हैं। साथ ही, वह पार्ट-टाइम गेंदबाजी भी कर सकते हैं। पाकिस्तान के कप्तान और कोचिंग स्टाफ को उम्मीद होगी कि सईम टीम के लिए एक्स-फैक्टर साबित होंगे।

कामिल मिशारा (श्रीलंका)

श्रीलंका के इस युवा बल्लेबाज ने हाल ही में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले एक मुकाबले में 73 रन की तेज़ तर्रार पारी खेलकर सबको चौंका दिया था। कामिल मिशारा की खासियत है उनकी आक्रामक बल्लेबाजी, खासकर तेज़ गेंदबाजों के खिलाफ। पावरप्ले में वह टीम को तेज़ शुरुआत दिला सकते हैं। पहली बार एशिया कप में उतरते हुए उन पर श्रीलंका को मजबूती देने की जिम्मेदारी होगी।

और पढ़ें: Irfan Pathan vs Dhoni: इरफान पठान का ‘हुक्का’ बयान फिर चर्चा में, बोले – मैं और धोनी साथ बैठकर पिएंगे!

Greece Population Policy: जनसंख्या घटती देख ग्रीस सरकार ने दिया नया ऑफर, ज्यादा बच्चे...

0

Greece Population Policy: दक्षिण-पूर्वी यूरोप का देश ग्रीस इन दिनों एक नई और गंभीर चुनौती से जूझ रहा है गिरती हुई जनसंख्या। हालात इतने चिंताजनक हो गए हैं कि देश की सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए एक बड़ा आर्थिक पैकेज पेश किया है। प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने 1.6 अरब यूरो (लगभग 16,563 करोड़ रुपये) के राहत पैकेज का ऐलान किया है, जिसका मकसद है लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना।

और पढ़ें: Nepal Protest: ‘मुट्ठियां भींचो, आवाज़ उठाओ’, जानें कौन हैं सुदन गुरुंग जिसने युवाओं के गुस्से को क्रांति में बदला

इस पैकेज के तहत सरकार टैक्स में छूट जैसी सुविधाएं देगी ताकि परिवार बढ़ाने का बोझ आर्थिक रूप से थोड़ा हल्का हो सके। मित्सोताकिस ने साफ कहा कि यह केवल एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को बचाने की रणनीति है।

क्यों पड़ी इसकी जरूरत? Greece Population Policy

गौरतलब है कि ग्रीस की प्रजनन दर यूरोप में सबसे कम है। यहां प्रति महिला केवल 1.4 बच्चे पैदा हो रहे हैं, जबकि स्थिर जनसंख्या बनाए रखने के लिए कम से कम 2.1 की दर जरूरी मानी जाती है। यूरोस्टेट की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीस की मौजूदा जनसंख्या 1.02 करोड़ है, जो 2050 तक घटकर 80 लाख से भी कम हो सकती है। चिंता की बात ये है कि तब तक देश की 36% आबादी 65 साल से ऊपर की होगी। यानी देश बूढ़ा हो जाएगा और काम करने वाले युवाओं की भारी कमी हो जाएगी।

क्या हैं नए नियम?

सरकार ने अपने राहत पैकेज में कई अहम कदमों का ऐलान किया है:

  • चार या उससे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को टैक्स से पूरी तरह छूट दी जाएगी।
  • यह जीरो टैक्स नीति 2026 से लागू की जाएगी।
  • 1500 से कम आबादी वाली बस्तियों में रहने वालों को अन्य टैक्सों में भी राहत दी जाएगी।
  • गरीब और कम आय वाले परिवारों को अतिरिक्त कर छूट दी जाएगी।
  • सभी वर्गों के लिए टैक्स में दो फीसदी की कटौती का भी वादा किया गया है।

प्रधानमंत्री मित्सोताकिस ने कहा कि अगर किसी दंपत्ति के एक या दो बच्चे हैं, तो उनकी जीवनशैली अलग होती है, लेकिन अगर तीन या चार बच्चे हैं, तो उनकी जिम्मेदारियां और खर्च दोनों बढ़ जाते हैं। ऐसे में सरकार को उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए जो परिवार बढ़ाने का फैसला करते हैं।

सिर्फ टैक्स नहीं, ये है ‘बड़ी सोच’

ग्रीस सरकार का यह पैकेज सिर्फ आर्थिक राहत का मामला नहीं है, यह एक सामाजिक और जनसांख्यिकीय नीति है। वित्त मंत्री किरियाकोस पियराकाकिस ने इसे देश के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा बताया है। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले 15 सालों में आर्थिक संकट के कारण देश की प्रजनन दर आधी हो गई है। हजारों युवा काम की तलाश में देश छोड़कर जा चुके हैं, जिससे देश को ‘ब्रेन ड्रेन’ का भी सामना करना पड़ा है।

क्या मिलेगा असर?

ग्रीस में यह पैकेज पिछले 50 वर्षों का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे युवा दंपत्तियों को परिवार बढ़ाने का भरोसा मिलेगा। हालांकि, इस पैकेज के असर को जमीन पर देखने में वक्त लगेगा, लेकिन सरकार ने ये साफ कर दिया है कि देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता अब जनसंख्या संकट से निपटना है।

और पढ़ें: Nepal Gen-Z Protest Update: छात्रों के बवाल के बीच पीएम ओली की दुबई भागने की तैयारी, प्रदर्शनकारियों ने फूंका राष्ट्रपति आवास