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Drug Factory Exposed: 12 हजार करोड़ की ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़: मीरा-भायंदर पुलिस...

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Drug Factory Exposed: देश में नशे के खिलाफ जारी जंग को मीरा-भायंदर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी के साथ आगे बढ़ाया है। पुलिस ने तेलंगाना में छापा मारकर एक मेगा ड्रग्स फैक्ट्री का खुलासा किया है, जहां से करीब 32,000 लीटर कच्चा एमडी ड्रग बरामद किया गया है। इस ड्रग्स की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 12,000 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। ये अब तक की सबसे बड़ी जब्ती मानी जा रही है।

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पुलिस ने इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है और शुरुआती पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। ड्रग्स का यह सिंडिकेट सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक फैला हुआ है और बेहद पेशेवर तरीके से चलाया जा रहा था।

सिर्फ 200 ग्राम से खुली इतनी बड़ी साजिश- Drug Factory Exposed

इस पूरे ऑपरेशन की शुरुआत एक बेहद छोटी गिरफ्तारी से हुई थी। दरअसल, पुलिस को सबसे पहले 200 ग्राम एमडी ड्रग्स बरामद हुआ था, जिसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये थी। लेकिन जब पुलिस ने उस केस की तह तक जाने की कोशिश की, तो उन्हें एक पूरे ड्रग्स नेटवर्क का सुराग मिला।

धीरे-धीरे जांच ने रफ्तार पकड़ी और तेलंगाना में चल रही एक बड़ी ड्रग्स फैक्ट्री तक पहुंच गई, जहां हजारों लीटर रॉ मटेरियल तैयार किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने वहां से न सिर्फ एमडी ड्रग्स, बल्कि ड्रग्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स, उपकरण और अन्य संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

विदेशों से जुड़े कनेक्शन, नेटवर्क पूरी तरह प्रोफेशनल

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह ड्रग्स फैक्ट्री काफी आधुनिक और सुनियोजित तरीके से चलाई जा रही थी। इसमें ऐसे उपकरण और रसायनों का इस्तेमाल हो रहा था, जो आमतौर पर उद्योगिक प्रयोगशालाओं में इस्तेमाल होते हैं। पुलिस को यह भी शक है कि इस नेटवर्क के तार दुबई, थाईलैंड, और कुछ यूरोपीय देशों तक जुड़े हो सकते हैं।

पूरे सिंडिकेट को इस तरह डिजाइन किया गया था कि एक जगह पर केवल कच्चा माल बनता था, जबकि दूसरी जगहों पर उसे प्रोसेस कर तस्करी के लिए तैयार किया जाता था।

ड्रग्स माफिया के खिलाफ बड़ा झटका

मीरा-भायंदर पुलिस ने इससे पहले भी ड्रग्स तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। कुछ महीने पहले ही पुलिस ने 15 किलो कोकेन के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसकी कीमत करीब 22 करोड़ रुपये बताई गई थी। इसके अलावा मुंबई पुलिस ने भी जुलाई 2025 में 400 करोड़ रुपए की ड्रग्स जब्त की थी और कर्नाटक के मैसूर में छापेमारी की थी।

उस समय कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने बयान दिया था कि राज्य में ड्रग्स के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए गए हैं और हर जिले के पुलिस प्रमुख को सतर्क रहने को कहा गया है।

देशभर में फैला ड्रग्स सिंडिकेट, निशाना युवा पीढ़ी

भारत में ड्रग्स का जाल लगातार फैलता जा रहा है। खासकर युवा वर्ग को टारगेट किया जा रहा है, जो देश की सबसे बड़ी ताकत है। ऐसे में इन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी हो गई है।

फिलहाल पुलिस ने जब्त किए गए केमिकल्स और ड्रग्स की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनसे पूछताछ के आधार पर अन्य ठिकानों और नेटवर्क के सदस्यों की तलाश जारी है।

पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में और भी बड़ी गिरफ्तारियां और छापेमारियां हो सकती हैं।

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Tanya Mittal Trolling: बिग बॉस 19 की कंटेस्टेंट तान्या मित्तल पर हो रही ट्रोलिंग पर म...

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Tanya Mittal Trolling: बिग बॉस 19 जैसे पॉपुलर रियलिटी शो में नजर आ रही तान्या मित्तल इन दिनों जहां एक तरफ शो के घर के अंदर अपनी बोल्ड और बिंदास पर्सनालिटी के लिए सुर्खियों में हैं, वहीं बाहर उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। तान्या की लग्जरी लाइफस्टाइल, उनकी बातें और उनके अंदाज़ को लेकर अक्सर यूजर्स उन पर निशाना साधते हैं। लेकिन अब जब ट्रोलिंग हदें पार करने लगी, तो तान्या के माता-पिता ने एक भावुक बयान जारी कर दिया है।

प्रयागराज कुंभ मेले में अपनी मौजूदगी के बाद वह चर्चा में आई तान्या मित्तल एक मॉडल और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं। अब बिग बॉस जैसे बड़े शो में आने के बाद जहां उनके फैन बेस में इज़ाफा हुआ है, वहीं कुछ लोग उन्हें “फेक” और “ओवर” कहकर ट्रोल कर रहे हैं।

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‘बेटी को कुछ कहा जाता है तो हमें भी चोट पहुंचती है’- Tanya Mittal Trolling

तान्या के माता-पिता ने तान्या के इंस्टाग्राम हैंडल से एक इमोशनल पोस्ट शेयर करते हुए लिखा,

“बेटी को इस शो में देखकर हमें गर्व होता है, लेकिन जब उसे बिना सोचे-समझे ट्रोल किया जाता है, तो वह हमें भी अंदर से तोड़ देता है।” उन्होंने ये भी कहा कि तान्या के व्यवहार या बातों पर टिप्पणी करने वाले लोग उसका दिल नहीं जानते, और ना ही वो सफर जो उसने यहां तक पहुंचने के लिए तय किया है।

 

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 “उसकी जर्नी पूरी होने दो, फिर जज करो”

बयान में उन्होंने लोगों से अपील की कि जब तक तान्या की बिग बॉस की जर्नी पूरी न हो जाए, तब तक कोई जजमेंट पास न करें।

“वो उससे ज्यादा डिज़र्व करती है, और हम हाथ जोड़कर कहते हैं कि प्लीज़ हमारे परिवार को इस सब से बाहर रखें।”

उनका मानना है कि सोशल मीडिया की ये ट्रोलिंग और नेगेटिव बातें तान्या के आत्मविश्वास को तो नुकसान पहुंचाती ही हैं, साथ ही उसके परिवार के लिए भी मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण होती हैं।

“सोचा नहीं था कि हमारी बेटी को इतना नेगेटिव झेलना पड़ेगा”

तान्या के माता-पिता ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी, जिसे उन्होंने हमेशा प्यार और केयर के साथ पाला है, उसे एक दिन पब्लिक मंच पर इतनी नेगेटिविटी का सामना करना पड़ेगा।

“हर वो बुरा शब्द जो तान्या के लिए बोला जाता है, हमें भी अंदर तक चोट पहुंचाता है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे अब भी उम्मीद करते हैं कि लोग थोड़ी इंसानियत और दया दिखाएं और समझें कि हर कंटेस्टेंट भी एक इंसान है।

फैंस और ट्रोलर्स दोनों ने दिया रिएक्शन

तान्या के इस बयान पर सोशल मीडिया पर मिलेजुले रिएक्शन देखने को मिले। जहां उनके कुछ फैंस ने इस स्टैंड की तारीफ की, वहीं कुछ यूजर्स ने तान्या की बातों पर तंज भी कसे।

एक यूजर ने लिखा, “मैंने एक रील देखी जिसमें वो कहती हैं कि मैं खुद अपने बाल भी नहीं धोती। इतना कौन फेंकता है?”

वहीं दूसरे ने मजाक करते हुए कहा, “हमें उनके घर और फैक्ट्री का टूर दे दो, फिर कभी कुछ नहीं बोलेंगे।”

हालांकि, तमाम निगेटिविटी के बीच तान्या के फॉलोअर्स और शुभचिंतक उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वो शो में अपनी पहचान मजबूत करेंगी।

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UNGA Session: मोदी नहीं जाएंगे UNGA बैठक में, एस. जयशंकर करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व

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UNGA Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने न्यूयॉर्क में होने जा रही संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। पहले की सूची में उनका नाम शामिल था और वे 26 सितंबर को जनरल असेंबली को संबोधित करने वाले थे, लेकिन अब नई संशोधित लिस्ट में विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भारत का प्रतिनिधि बताया गया है। वे 28 सितंबर को UNGA सत्र में भाषण देंगे।

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इस बार UNGA का 80वां सत्र 9 सितंबर से शुरू हो रहा है और इसकी उच्चस्तरीय सामान्य बहस 23 से 29 सितंबर तक चलेगी। कार्यक्रम की शुरुआत ब्राजील के भाषण से होगी, इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 23 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे। ये ट्रंप का दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद UN में पहला भाषण होगा। चीन, पाकिस्तान, इज़रायल और बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष 26 सितंबर को बोलेंगे।

क्यों नहीं जा रहे पीएम मोदी? UNGA Session

पहले उम्मीद की जा रही थी कि पीएम मोदी खुद इस सत्र में हिस्सा लेंगे, लेकिन अब उन्होंने अपना कार्यक्रम बदल दिया है। सूत्रों के मुताबिक, उनकी यात्रा को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी, और अंतिम फैसला सत्र के करीब लिया जाना था। फिलहाल यह लगभग तय है कि मोदी इस बार भी UNGA नहीं जाएंगे, जैसे कि 2022 और 2023 में भी हुआ था। उस समय भी एस. जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

हालांकि, पीएम मोदी 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में ‘मोदी एंड यूएस: प्रोग्रेस टुगेदर’ नाम के एक बड़े सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे, जिसमें करीब 24,000 भारतीय मूल के लोग शामिल होंगे। इसके अलावा वे 22-23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ में भी भाग लेंगे।

भारत-अमेरिका रिश्तों में तल्खी?

इस फैसले के समय ने सबका ध्यान खींचा है, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में इस वक्त थोड़ा तनाव देखने को मिल रहा है। इसका कारण है अमेरिका की ओर से लगाया गया अतिरिक्त 25% टैरिफ, जो भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है। अमेरिका का मानना है कि भारत के इस कदम से यूक्रेन युद्ध में रूस को परोक्ष रूप से मदद मिल रही है।

हालांकि भारत का तर्क है कि रूस से सबसे ज़्यादा तेल चीन खरीद रहा है, लेकिन अमेरिका की तरफ से उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यही बात भारत को चुभ रही है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ज़रूरतों और राष्ट्रीय हितों के मुताबिक ही फैसले लेगा।

ट्रंप की बदली हुई भाषा

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर कुछ नरम रुख अपनाते हुए कहा था कि भारत और अमेरिका के संबंध हमेशा से खास रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को “अच्छा दोस्त और बेहतरीन प्रधानमंत्री” बताया, हालांकि ये भी कहा कि “जो वो इस समय कर रहे हैं, वह मुझे पसंद नहीं है।” लेकिन ट्रंप ने भरोसा दिलाया कि भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत बने रहेंगे और कभी-कभी ऐसे उतार-चढ़ाव रिश्तों में आते रहते हैं।

आगे क्या?

UNGA के इस सत्र में जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक तनाव, असमानता जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत की ओर से विदेश मंत्री जयशंकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की बात मजबूती से रखेंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत-अमेरिका के रिश्तों की दिशा को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है।

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India-America Relation: भारत को चीन के हाथ खोने की बात पर ट्रंप का यू-टर्न: मोदी को ब...

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India-America Relation: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-अमेरिका रिश्तों को “बहुत खास” बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “हमेशा दोस्त” बताया, लेकिन साथ ही ये भी साफ किया कि इस वक्त उन्हें मोदी के कुछ फैसले पसंद नहीं आ रहे हैं। इसके बावजूद ट्रंप ने भरोसा दिलाया कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में कोई दरार नहीं है और किसी को भी इसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

ट्रंप ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं हमेशा भारत के साथ रहूंगा। मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं। इस वक्त जो वो कर रहे हैं, वो मुझे पसंद नहीं है, लेकिन हमारे रिश्ते बहुत खास हैं। चिंता की कोई बात नहीं है।”

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भारत से कुछ मुद्दों पर असहमति, फिर भी रिश्ते मज़बूत- India-America Relation

डोनाल्ड ट्रंप ने साफ किया कि भले ही कुछ मसलों पर उनकी असहमति हो, फिर भी अमेरिका और भारत के बीच रिश्ते मजबूत बने रहेंगे। उन्होंने खास तौर पर रूस से भारत के बढ़ते तेल आयात पर नाराजगी जताई और कहा कि यह निराशाजनक है। ट्रंप ने कहा, “भारत रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है। इस मुद्दे पर हमने भारत को अवगत कराया है।”

वहीं, इस पर भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारत-अमेरिका का रिश्ता गहरा और मजबूत है। उन्होंने बताया कि दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों, साझा हितों और लोगों के आपसी रिश्तों के आधार पर जुड़े हुए हैं और व्यापार जैसे तमाम मुद्दों पर साथ काम करते रहेंगे।

ट्रंप का बयान, फिर पलट गए

हाल ही में ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उन्होंने भारत, रूस और चीन के राष्ट्राध्यक्षों की एक फोटो भी साझा की थी और तंज कसते हुए कहा था, “लगता है अब ये तीनों साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएंगे।”

हालांकि, इस बयान पर सवाल पूछे जाने पर ट्रंप ने मीडिया के सामने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमने किसी को जिम्मेदार ठहराया है।” इसके साथ ही उन्होंने फिर दोहराया कि पीएम मोदी उनके अच्छे दोस्त हैं।

पीएम मोदी ने दिया जवाब, रिश्तों को बताया वैश्विक रणनीतिक साझेदारी

ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी। पीएम मोदी ने कहा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की सराहना करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच अत्यंत सकारात्मक, दूरदर्शी और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।”

मोदी ने साफ किया कि भारत और अमेरिका के रिश्ते न केवल राजनयिक स्तर पर, बल्कि जनता के स्तर पर भी गहराई से जुड़े हुए हैं और दोनों देश वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे के अहम साझेदार बने रहेंगे।

व्यापार और टैरिफ पर भी ट्रंप की नाराज़गी

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत समेत कई देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते अच्छी प्रगति कर रहे हैं, लेकिन यूरोपीय संघ (EU) पर उन्होंने नाराज़गी जताई। EU ने हाल ही में अमेरिकी टेक कंपनी गूगल पर $3.5 अरब का जुर्माना लगाया था, जिस पर ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिका के बिजनेस के खिलाफ भेदभावपूर्ण कदम है।

वहीं, भारत के लिए भी ट्रंप ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया और अपने बाजार नहीं खोले, तो उसे अमेरिका की तरफ से 50 फीसदी तक का टैरिफ झेलना पड़ सकता है।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव की शर्तें

इस बीच अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका भारत के साथ बातचीत को लेकर हमेशा तैयार है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। उन्होंने कहा, “भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करना होगा, ब्रिक्स से दूरी बनानी होगी और अपने बाजार को विदेशी निवेश के लिए खोलना होगा।” नहीं तो भारत को ऊंचा टैरिफ देना पड़ेगा।

भारत ने दिया स्पष्ट संदेश

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पूरे मुद्दे पर साफ शब्दों में कहा, “भारत अपनी जरूरत के अनुसार रूस से तेल खरीदता रहेगा। हमें वही करना होगा जो देश के हित में है।”

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Chandra Grahan 2025: क्या करें और क्या न करें, धार्मिक मान्यताएँ और बचाव के उपाय

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Chandra Grahan 2025: इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कल यानी रविवार को लगने जा रहा है। इसे लेकर लोगों की कई मान्यताएँ हैं। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इसका विशेष महत्व है। यह एक ऐसी घटना है जो हमेशा से लोगों की जिज्ञासा का केंद्र रही है। वैज्ञानिक इसे जहाँ एक ओर केवल एक खगोलीय घटना मानते हैं, वहीं ज्योतिष में इसके शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव देखे जाते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे विस्तार के साथ चन्द्र ग्रहण का समय और अशुभ और शुभ प्रभाव के बारे में बताते हैं।

चंद्र ग्रहण 2025: समय और तिथि

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर, 2025 को लगने वाला है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे भारत में देखा जा सकेगा। वही चंद्र ग्रहण रात्रि 9:57 बजे शुरू होगा। आपको बता दें, चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से 9 घंटे पूर्व, अर्थात दोपहर 1:57 बजे लग जायेगा।

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण प्रारंभ – रात्रि 11:01 बजे
  • पूर्ण चंद्र ग्रहण समाप्ति – रात्रि 12:23 बजे
  • ग्रहण समाप्ति – रात्रि 1:26 बजे
  • कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 30 मिनट

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें

क्या करें – ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, स्तोत्र पाठ और ध्यान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। इस दौरान अपने इष्ट देव का स्मरण करें। साथ ही सूतक काल शुरू होने से पहले खाने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते या दूर्वा घास डालें। ऐसा माना जाता है कि इससे भोजन दूषित नहीं होता।

आपको बता दें, ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें और गरीबों, ज़रूरतमंदों या ब्राह्मणों को दान दें। गायों को घास और पक्षियों को भोजन देना भी शुभ माना जाता है। इसके अलवा ग्रहण समाप्ति के बाद घर और मंदिर की सफाई करें।

क्या न करें – ग्रहण काल ​​में भोजन पकाने और खाने से बचें। हालाँकि, बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों को इस नियम का पालन करने से छूट मिल सकती है। सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं, इसलिए भगवान की मूर्तियों को स्पर्श न करें। सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य या नया काम शुरू न करें। ध्यान दे, ग्रहण के दौरान कैंची, चाकू, सुई जैसी नुकीली और नुकीली वस्तुओं का प्रयोग करने से बचें। कहते है कि इस दौरान बाल या नाखून नहीं काटने चाहिए।

गर्भवती महिलाएं ग्रहण न देखे 

कई मान्यतो के अनुसार माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ग्रहण को देखने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इसका गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलवा कई राशियों में चन्द्र ग्रहण के शुभ-अशुभ प्रभाव भी देखने को मिलेंगे।

  • यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसके कारण सभी 12 राशियों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।
  • मेष: आर्थिक लाभ और करियर में उन्नति के योग हैं।
  • वृश्चिक: रुके हुए काम पूरे होंगे और व्यापार में लाभ होगा।
  • कन्या: स्वास्थ्य में सुधार होगा और आर्थिक लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
  • सिंह: साझेदारी और रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।
  • धनु: संवाद के माध्यम से सफलता मिलेगी और भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा।
  • मकर: धन और परिवार से जुड़े मामलों में सावधानी बरतें।
  • अन्य राशियों पर भी शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं, जिसके लिए ज्योतिषियों से परामर्श करना उचित रहेगा।

Ambedkar Park in Punjab: डॉ. आंबेडकर के नाम पर पंजाब में बना ऐसा पार्क, जिसे देखकर हर...

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Ambedkar Park in Punjab: जब भी भारत में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर बने पार्कों की बात होती है, तो ज़हन में सबसे पहले लखनऊ का “राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल” और नोएडा का “अंबेडकर पार्क” आता है। लेकिन पंजाब के एक छोटे से कस्बे फगवाड़ा में ऐसा एक पार्क खड़ा है, जो न सिर्फ भव्य है, बल्कि अपने भीतर समाज की चेतना, संघर्ष और बदलाव की पूरी कहानी समेटे हुए है।

यह कोई सरकारी प्रोजेक्ट नहीं है। ये एक आंदोलन से उपजा सपना है, जिसे जमीनी स्तर पर जी-जान से जुड़े कुछ लोगों ने अपने मेहनत, समय और निजी संसाधनों से हकीकत में बदल दिया। इस पार्क का नाम है – डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, फगवाड़ा।

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जैसे ही आप इस पार्क में प्रवेश करते हैं… Ambedkar Park in Punjab

…तो सबसे पहले आपका ध्यान इन शानदार और जीवंत मूर्तियों की तरफ जाता है। ये सिर्फ पत्थर की आकृतियाँ नहीं हैं, बल्कि इतिहास की सजीव कहानियाँ हैं। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले, माता सावित्रीबाई फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, मान्यवर कांशीराम, माता रमाबाई, फातिमा शेख, तथागत बुद्ध, और सम्राट अशोक जैसी विभूतियों की प्रतिमाएं इस पार्क की रौनक हैं।

इन मूर्तियों को देखने के बाद एक बात साफ हो जाती है यह पार्क सिर्फ किसी की याद में खड़ा स्मारक नहीं है, बल्कि यह बहुजन समाज की पहचान, उसका आत्मगौरव और उसकी सांस्कृतिक विरासत का जिंदा दस्तावेज़ है।

मूर्तियों में जान है, पत्थरों में विचार हैं

इन प्रतिमाओं की एक और खास बात यह है कि ये सिर्फ किसी “एक रंग के पत्थर” से तराशी हुई न होकर, कंक्रीट और रंगों से बनी हुई हैं। यानी इनमें जो रंग भरे गए हैं, वो इन्हें जीवंत बनाते हैं जैसे मानो वे अपने संघर्ष की कहानी खुद कह रही हों।

आप जब छत्रपति शाहू जी महाराज की प्रतिमा के पास जाते हैं तो आपको याद आता है कि 1902 में उन्होंने अपने राज्य में 50% आरक्षण लागू किया था, वो भी उस दौर में जब जातिगत भेदभाव अपनी चरम सीमा पर था।

इसी तरह सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की मूर्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि देश में लड़कियों की पहली स्कूल खोलने वाली महिलाएं सिर्फ शिक्षिका नहीं थीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की प्रतीक थीं।

यह पार्क बना कैसे?

यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि असली प्रेरणा इसके निर्माण की कहानी में छिपी है।

इस पार्क को बनाने वाले रमेश कॉल और उनकी पत्नी सीता कॉल हैं,  एक समर्पित जोड़ी, जो न केवल सामाजिक आंदोलन से जुड़े हैं, बल्कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस पार्क की नींव रखी, पैसा खर्च किया, और अपने हाथों से मिट्टी-कचरा डाल कर इसका आकार गढ़ा।

शुरुआत में यह जगह एक गहरा छप्पड़ (गड्ढा/खाई) थी, जिसमें शहर का गंदा पानी जमा होता था। कॉल साहब ने नगर परिषद से बात की, कुछ फंड मंजूर कराए, लेकिन यह फंड इतना सीमित था कि उससे एक छोटा-सा गार्डन भी नहीं बन सकता था। तब उन्होंने फैसला लिया कि:

“हमें पैसे की नहीं, अपने पुरखों की विरासत को सहेजने की फिक्र है।”

उन्होंने शहर की फैक्ट्रियों का कचरा, राख, मिट्टी आदि 7000 ट्रॉली से उठवा कर इस गड्ढे को भरा। सुबह 5 बजे उठकर वो खुद उस गंदगी को बिछाते थे। हफ्तों की मेहनत से यह जमीन समतल हुई। और फिर शुरू हुआ निर्माण का सफर।

संघर्ष की कीमत नहीं, सम्मान चाहिए था

निर्माण के शुरुआती चरण में कॉल दंपत्ति को नगरपालिका अध्यक्ष से समर्थन की जरूरत पड़ी। उन्होंने पैसे की मांग नहीं की, बस एक शर्त रखी:

“अगर हमारा समर्थन चाहिए, तो इस पार्क का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर होना चाहिए।”

कोई और होता तो शायद पैसे ले लेता, पद के बदले चुप्पी साध लेता, लेकिन उन्होंने बाबा साहब की विरासत को प्राथमिकता दी।

एनआरआई सपोर्ट और जनसहयोग

शुरुआत कॉल दंपत्ति ने अपने खर्चे से की। लेकिन जब लोगों ने इस काम को देखा, तो देश-विदेश के अंबेडकरवादी जुड़ते चले गए।

  • अमेरिका से अंबेडकर कल्चरल रिफॉर्म ऑर्गेनाइजेशन
  • ब्रिटेन से गुरप्रीत बंसी और गुरदयाल भोज
  • कनाडा और यूरोप से कई साथी

इन सभी ने एक-एक मूर्ति का जिम्मा लिया और डोनेशन देकर अपना योगदान दिया। हर मूर्ति के पास एक पत्थर पर उसका डोनर अंकित है ताकि ट्रांसपेरेंसी बनी रहे और लोग देखें कि उनका योगदान कहां लगा।

यह पार्क सिर्फ पत्थरों का संग्रह नहीं

इस पार्क में सिर्फ मूर्तियां नहीं हैं, बल्कि इसके साथ एक कल्चरल सेंटर, लाइब्रेरी, स्टेज, और हॉल भी है। यहां “शाहू मेला”, “अंबेडकर जयंती”, “बुद्ध पूर्णिमा”, “सम्राट अशोक जयंती” जैसे आयोजन भव्य रूप से होते हैं। बच्चों को इतिहास से जोड़ने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को जय भीम कहना सिखाया जाता है, उनको किताबें दी जाती हैं, और बहुजन इतिहास बताया जाता है।

मूर्तियों से आगे – विचारों का आंदोलन

रमेश कॉल साहब खुद कहते हैं:

“मूर्तियों पे माला और विचारों पे ताला नहीं लगना चाहिए।”

यानी सिर्फ दिखावे से समाज नहीं बदलेगा, असली बदलाव विचारों से, समझ से और चेतना से आएगा।

सीता कॉल महिलाओं के बीच जाकर उन्हें अंधविश्वास से दूर रहना, बेटियों को पढ़ाना, और सामाजिक जागरूकता का महत्व समझाती हैं। वो कहती हैं:

“हम मूर्तियां इसलिए लगवाते हैं ताकि जिन महिलाओं को किताबें पढ़ने में रुचि नहीं होती, वे कम से कम इन प्रतिमाओं को देखकर प्रेरणा ले सकें।”

यह पार्क क्यों जरूरी है?

पंजाब जैसे राज्य में, जहां एक खास धार्मिक धारा बहुत प्रभावी है, वहां एक ऐसा सार्वजनिक स्थल बनाना, जिसमें बुद्ध, फुले, शाहू, सावित्रीबाई, कांशीराम, अंबेडकर और अशोक जैसे नायकों की विचारधारा को सम्मान मिले अपने आप में साहस और बदलाव की मिसाल है।

यह पार्क सामाजिक न्याय, समानता और बहुजन चेतना का केंद्र बन चुका है। और यह काम सिर्फ सरकार की मदद से नहीं, जन आंदोलन, सहयोग और खुद्दारी से हुआ है।

फगवाड़ा का डॉक्टर अंबेडकर पार्क सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं है। यह संघर्ष की कहानी है। यह प्रेरणा का स्रोत है। यह बहुजन आंदोलन का जिंदा उदाहरण है कि जब आम लोग ठान लें, तो वे इतिहास रच सकते हैं।

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Samsung की नई Bespoke AI वॉशिंग मशीन लॉन्च, जानिए खासियत और कीमत

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Samsung Bespoke AI: अगर आप एक ऐसी वॉशिंग मशीन की तलाश में हैं जो न सिर्फ आपके कपड़े धोए, बल्कि खुद ये तय कर ले कि कितने पानी और डिटर्जेंट की जरूरत है तो Samsung की नई पेशकश आपके लिए है। सैमसंग ने भारतीय बाजार में अपनी लेटेस्ट Bespoke AI वॉशर-ड्रायर को लॉन्च कर दिया है, जो स्मार्ट फीचर्स, दमदार परफॉर्मेंस और एनर्जी सेविंग के दम पर खासतौर से शहरी परिवारों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है।

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बड़ी वॉश और ड्राई कैपेसिटी के साथ आया नया मॉडल- Samsung Bespoke AI

सैमसंग की यह Bespoke AI वॉशिंग मशीन 12 किलोग्राम वॉश और 7 किलोग्राम ड्राई कैपेसिटी के साथ आती है। यानी बड़े परिवारों के लिए भी यह मशीन पूरी तरह फिट बैठती है। इसके अलावा, इसका नो-लोड ट्रांसफर, ऑल-वेदर ड्राइंग, और इंटेलिजेंट फैब्रिक केयर जैसे फीचर्स इसे बाकी वॉशिंग मशीनों से एक कदम आगे रखते हैं।

AI टेक्नोलॉजी का शानदार इस्तेमाल

इस मशीन में जो सबसे खास बात है, वो है इसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम।

  • AI वॉश फीचर कपड़ों का वजन, उनकी फैब्रिक टाइप और गंदगी के लेवल को पहचान कर, पानी और डिटर्जेंट की सही मात्रा का इस्तेमाल करता है।
  • AI कंट्रोल आपकी यूज़ करने की आदतों को सीखता है और उसी के हिसाब से कस्टम सुझाव देता है।
  • AI एनर्जी मोड की मदद से यह वॉशिंग मशीन लगभग 70% तक एनर्जी की बचत करती है, जो लंबे समय में आपके बिजली के बिल को भी काफी कम कर सकती है।

दमदार मोटर और स्मार्ट फीचर्स

इस वॉशर-ड्रायर में डिजिटल इन्वर्टर टेक्नोलॉजी वाला मोटर दिया गया है, जो 1400 rpm की स्पीड से चलता है। इसमें AI इकोबबल, एयर वॉश, सुपर स्पीड वॉश, स्टीम क्लीनिंग और बबल सोक जैसे फीचर्स भी मिलते हैं, जो कपड़ों की सफाई को और भी ज्यादा असरदार बनाते हैं।

इसके अलावा ये वॉशिंग मशीन Wi-Fi कनेक्टिविटी के साथ आती है, यानी आप इसे अपने स्मार्टफोन से कंट्रोल भी कर सकते हैं।

स्टाइल और मजबूती का परफेक्ट कॉम्बिनेशन

डिजाइन की बात करें तो यह मशीन ब्लैक फिनिश में आती है, जिसके डोर में टेम्पर्ड ग्लास लगाया गया है। इसका प्रीमियम लुक इसे किसी भी मॉडर्न होम के लिए एक बढ़िया चॉइस बनाता है।

कीमत और वारंटी

सैमसंग ने इस Bespoke AI वॉशिंग मशीन की कीमत ₹63,990 रखी है। कंपनी इस मशीन पर 20 साल की मोटर वारंटी भी दे रही है, जो इसे एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट बना देता है। यह मशीन सैमसंग की ऑफिशियल वेबसाइट, ऑथराइज्ड रिटेल स्टोर्स और सभी बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।

आखिर क्यों खास है ये वॉशिंग मशीन?

स्मार्ट AI टेक्नोलॉजी, बड़ी वॉशिंग कैपेसिटी, हाई एनर्जी एफिशिएंसी और मॉडर्न डिजाइन, इन सभी खूबियों के साथ Samsung की नई Bespoke AI वॉशिंग मशीन शहरी परिवारों के लिए एक स्मार्ट और टिकाऊ विकल्प बनकर उभर रही है। अगर आप भी कपड़े धोने के झंझट से छुटकारा चाहते हैं और टेक्नोलॉजी की मदद से काम को आसान बनाना चाहते हैं, तो ये मशीन आपके लिए एक परफेक्ट चॉइस हो सकती है।

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Husband Wife case: “पत्नी की कमाई से खर्च के लिए पैसे मांगना क्राइम नहीं”...

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Husband Wife case: क्या कोई पति अपनी नौकरीपेशा पत्नी से घर के खर्चे के लिए पैसे मांगता है, तो इसे मानसिक उत्पीड़न या क्रूरता माना जा सकता है? कोलकाता हाईकोर्ट ने इस सवाल पर एक बेहद अहम और साफ फैसला सुनाया है, जिससे इस बहस पर अब काफी हद तक विराम लग सकता है।

मामला भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) में काम करने वाले एक पति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज शिकायत से जुड़ा है। उनकी पत्नी, जो खुद भी GSI में कार्यरत हैं, ने पति और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया कि पति ने उस पर खर्चों का दबाव डाला, रूप-रंग को लेकर टिप्पणी की, और जातिगत अपमान किया।

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हालांकि, जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने केस को खारिज करते हुए कहा कि एक शिक्षित और कमाने वाली पत्नी से घरेलू खर्चों में सहयोग की उम्मीद रखना ‘क्रूरता’ की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने साफ कहा कि “अगर कोई पति अपनी पत्नी से घर के खर्चों में भागीदारी की उम्मीद करता है, या फिर घर की जिम्मेदारियों को आपस में बांटने की बात करता है, तो इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।”

कोर्ट ने कही ये अहम बातें: Husband Wife case

  • वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी दोनों की साझेदारी और जिम्मेदारी होती है।
  • यदि दोनों पति-पत्नी फ्लैट के जॉइंट ओनर हैं, तो होम लोन की ईएमआई में दोनों की हिस्सेदारी बनती है।
  • लॉकडाउन के समय ऑनलाइन खरीदारी करने की जरूरत, या बच्चे की देखभाल को लेकर की गई सामान्य पारिवारिक बातें, कानूनी नजरिए से अपराध नहीं मानी जा सकतीं।
  • सिर्फ हर वैवाहिक असहमति को 498ए के तहत नहीं गिना जा सकता।

महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि उसके पति का व्यवहार क्रूर, घमंडी और अन-रोमांटिक है। उसने यह भी दावा किया कि पति और सास-ससुर ने उसकी जाति और रंग-रूप पर आपत्तिजनक बातें कहीं, और बच्चे को ठीक से खाना-पहनावा और दवाइयां भी नहीं दी गईं।

लेकिन कोर्ट ने ये साफ किया कि जब तक किसी जातिगत टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से अपमानजनक तरीके से नहीं कहा गया हो, तब तक उसे SC/ST एक्ट के तहत नहीं गिना जा सकता।

फैसले के मायने

इस फैसले ने साफ कर दिया कि पति-पत्नी दोनों अगर कमाने वाले हैं, तो घर के आर्थिक जिम्मेदारियों को साझा करना न सिर्फ स्वाभाविक है बल्कि यह कोई कानूनन ‘क्रूरता’ नहीं है। यह फैसला उन मामलों के लिए मिसाल बन सकता है जहां दांपत्य जीवन की हर नाराज़गी या असहमति को तुरंत कानूनी विवाद में बदल दिया जाता है।

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Trump Tariffs: ‘भारत-रूस को हमने चीन के हाथों खो दिया’, टैरिफ वॉर के बीच ...

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Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने तीखे और चौंकाने वाले बयान से दुनिया का ध्यान खींच लिया है। उन्होंने शुक्रवार (5 सितंबर 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट करते हुए दावा किया कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ट्रंप ने साथ ही पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक साथ ली गई तस्वीर भी शेयर की, जो हाल ही में चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की है।

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“हमने भारत और रूस को खो दिया…” Trump Tariffs

ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा,

“लगता है हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है। भगवान करे कि इनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।”

Trump Tariffs
source: Google

इस बयान ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत समेत कई देशों में राजनीतिक बहस को हवा दे दी है। उनके इस बयान को SCO सम्मेलन के दौरान तीनों नेताओं की गर्मजोशी और अमेरिका की टैरिफ नीति के बीच सीधा कनेक्शन माना जा रहा है।

बढ़ती भारत-चीन-रूस नजदीकियां, ट्रंप की बेचैनी

ट्रंप का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब भारत और चीन के बीच रिश्तों में कुछ नरमी देखने को मिल रही है। रूस के साथ तो भारत के पुराने रणनीतिक और ऊर्जा संबंध पहले से मजबूत हैं ही। अब जब भारत, रूस और चीन एक साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे SCO और BRICS में सक्रिय हो रहे हैं, तो ट्रंप की चिंता लाज़िमी है। कई जानकारों का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने ही इन तीनों देशों को करीब लाने का काम किया है।

टैरिफ वॉर से पैदा हुआ तनाव

आपको बता दें, ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 फीसदी तक के हाई टैरिफ लगाए हैं, जिसमें रूस से तेल खरीद पर 25 फीसदी जुर्माना भी शामिल है। इससे भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में खटास आई है। इस दबाव के चलते भारत ने चीन के साथ व्यापार और रणनीतिक सहयोग को कुछ हद तक बढ़ाया है। यही वजह है कि अब अमेरिका को लग रहा है कि भारत धीरे-धीरे चीन के करीब चला गया है।

विदेश मंत्रालय का जवाब

डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर जब भारत के विदेश मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगी गई तो प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ तौर पर कहा,

“इस पोस्ट पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं है।”

हालांकि उन्होंने इतना जरूर जोड़ा कि भारत-अमेरिका रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं और ये साझेदारी साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जन-जन कनेक्शन पर आधारित है।

“ट्रेड डील एकतरफा त्रासदी थी”

ट्रंप ने इसी पोस्ट में भारत-अमेरिका ट्रेड डील को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि अमेरिका की कंपनियां भारत में व्यापार नहीं कर पा रहीं, जबकि भारत रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने अब टैरिफ कम करने की पेशकश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। यह कदम उन्हें कई साल पहले उठाना चाहिए था।

क्या अमेरिका की रणनीति उलटी पड़ रही है?

कई पूर्व अमेरिकी राजनयिक और नीति विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की कड़ी टैरिफ नीति और “अमेरिका फर्स्ट” अप्रोच ने ही भारत को चीन और रूस के करीब लाकर खड़ा कर दिया है। SCO शिखर सम्मेलन में तीनों नेताओं की एक साथ मौजूदगी और भविष्य में मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता ट्रंप के लिए एक सख्त संदेश की तरह है।

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Ross Taylor: 41 की उम्र में रॉस टेलर की मैदान पर वापसी, इस बार न्यूजीलैंड नहीं, समोआ ...

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Ross Taylor: क्रिकेट में कब कौन सा मोड़ आ जाए, कोई नहीं जानता। ऐसा ही एक चौंकाने वाला फैसला न्यूजीलैंड के दिग्गज बल्लेबाज रॉस टेलर ने लिया है। 41 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास से वापसी का ऐलान कर दिया है। लेकिन इस बार कहानी में ट्विस्ट ये है कि वे न्यूजीलैंड के लिए नहीं, बल्कि अपनी मां की जन्मभूमि समोआ की ओर से खेलते नजर आएंगे।

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सोशल मीडिया पर किया बड़ा ऐलान- Ross Taylor

रॉस टेलर ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए इस बात की जानकारी दी। उन्होंने लिखा,
“यह आधिकारिक है। मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि मैं नीली जर्सी पहनकर क्रिकेट में समोआ का प्रतिनिधित्व करूंगा। यह सिर्फ खेल में वापसी नहीं है, बल्कि अपनी जड़ों, संस्कृति और परिवार का प्रतिनिधित्व करने का एक अनमोल मौका है।”

 

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उनके इस फैसले के बाद क्रिकेट जगत में हलचल मच गई है। फैंस भी हैरान हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट से चार साल पहले संन्यास ले चुके टेलर एक बार फिर मैदान पर उतरेंगे।

2026 टी20 वर्ल्ड कप क्वालीफायर में खेलेंगे

रॉस टेलर अक्टूबर 2025 में ओमान में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप एशिया-पैसिफिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में समोआ की टीम का हिस्सा होंगे। यह टूर्नामेंट 2026 में भारत और श्रीलंका में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाइंग इवेंट है। इसमें तीन ग्रुप बनाए गए हैं और हर ग्रुप से टॉप दो टीमें सुपर सिक्स में पहुंचेंगी। वहां से तीन टीमें वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई करेंगी।

क्यों समोआ के लिए खेल रहे हैं टेलर?

आपको बता दें, रॉस टेलर की मां समोआ की रहने वाली हैं। इसी वजह से वह इस देश का प्रतिनिधित्व करने के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि क्रिकेट के जरिए वह अब अपने परिवार और संस्कृति को सम्मान देना चाहते हैं। साथ ही उनका मानना है कि अपने अनुभव को साझा कर वो टीम के युवाओं की मदद कर पाएंगे।

शानदार रहा है इंटरनेशनल करियर

रॉस टेलर का करियर आंकड़ों के हिसाब से बेहद शानदार रहा है। उन्होंने न्यूजीलैंड के लिए कुल 450 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जिनमें 112 टेस्ट, 236 वनडे और 102 टी20 मुकाबले शामिल हैं।

  • टेस्ट: 7684 रन, 19 शतक, 35 अर्धशतक
  • वनडे: 8602 रन, 21 शतक, 51 अर्धशतक
  • टी20: 1909 रन, 7 अर्धशतक

उन्होंने साल 2022 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था, जबकि अंतिम टी20 मैच अप्रैल 2022 में खेला।

समोआ की टीम में जान फूंक सकते हैं टेलर

समोआ की टीम ने टी20 वर्ल्ड कप क्वालीफायर में पहुंचने के लिए शानदार प्रदर्शन किया। वानुआतु, कुक आइलैंड्स और फिजी जैसी टीमों को हराकर वे अगली स्टेज में पहुंचे हैं। ऐसे में टेलर की मौजूदगी से टीम को न सिर्फ अनुभव मिलेगा, बल्कि एक नई ऊर्जा भी देखने को मिल सकती है।

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