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India Powerful Missile Force: भारत की मिसाइल ताकत से थर्राया पाकिस्तान! ब्रह्मोस से अ...

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India Powerful Missile Force: भारत ने अपनी सुरक्षा रणनीति को और भी मजबूत करने के लिए आधुनिक और घातक मिसाइल तकनीकों का निर्माण किया है। ये मिसाइलें न केवल रक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि युद्ध के हालात में दुश्मन देश खासकर पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। पाकिस्तान के सीमावर्ती और बड़े शहर जैसे लाहौर, इस्लामाबाद और कराची अब भारतीय मिसाइलों की सीधी जद में हैं। आइए विस्तार से जानते हैं भारत की उन मिसाइल क्षमताओं के बारे में, जो चंद मिनटों में पाकिस्तान की नींव हिला सकती हैं।

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ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: रफ्तार और सटीकता का बेजोड़ मेल- India Powerful Missile Force

भारत-रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइलों में गिना जाता है। इसकी गति मैक 3 (3700 किमी/घंटा) तक है और यह 700 किमी तक मार कर सकती है। जमीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बी—हर प्लेटफॉर्म से दागी जा सकने वाली यह मिसाइल रडार से बचते हुए बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है।

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  • लाहौर को यह मात्र 72 सेकंड में तबाह कर सकती है।
  • इस्लामाबाद तक पहुंचने में इसे 5 मिनट से भी कम समय लगता है।
  • कराची को नष्ट करने में 6 मिनट से कम का समय।

शौर्य मिसाइल: हाइपरसोनिक रफ्तार वाला अदृश्य हथियार

यह परमाणु-सक्षम क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 1900 किमी तक है और गति मैक 7.5 (9266 किमी/घंटा)। मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म के कारण इसे कहीं भी तैनात किया जा सकता है।

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  • लाहौर: 20-30 सेकंड में टारगेट
  • इस्लामाबाद: 3-4 मिनट
  • कराची: 4-5 मिनट

हाइपरसोनिक गति के चलते दुश्मन की एयर डिफेंस को चकमा देना इसके लिए आसान है।

प्रलय मिसाइल: सीमावर्ती इलाकों की रक्षा में तैनात

यह शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी रेंज 500 किमी और गति मैक 5 से अधिक है। इसमें MIRV तकनीक है जो इसे एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम बनाती है।

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  • लाहौर: 30-40 सेकंड
  • इस्लामाबाद: 2-3 मिनट
  • कराची: 3-4 मिनट

LoC और LAC जैसे तनावपूर्ण इलाकों में इसकी तैनाती से भारत की जवाबी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

अग्नि-5: भारत का सबसे घातक अंतरमहाद्वीपीय हथियार

5500 से 8000 किमी की रेंज वाली यह मिसाइल भारत की परमाणु नीति की रीढ़ है। इसकी गति मैक 24 (लगभग 29,652 किमी/घंटा) है और यह MIRV से लैस है, यानी एक मिसाइल से कई शहरों को निशाना बनाया जा सकता है।

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  • लाहौर, इस्लामाबाद, कराची — कोई भी शहर हो, यह महज़ 2-3 मिनट में नष्ट कर सकती है।

यह न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन तक को सीधे निशाने पर रखती है।

हाइपरसोनिक मिसाइल: भविष्य की तकनीक अब भारत के पास

भारत ने हाल ही में स्क्रैमजेट तकनीक से लैस हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है। इसकी गति मैक 5 से अधिक और रेंज 1000+ किमी है। यह मिसाइल रडार से बचते हुए बेहद कम समय में लक्ष्य तक पहुंचती है।

  • लाहौर: 20-30 सेकंड
  • इस्लामाबाद: 2-3 मिनट
  • कराची: 3-4 मिनट

भारत-पाक मिसाइल क्षमता की तुलना

भारत के पास आधुनिक तकनीकों, रेंज, और गति के मामले में बढ़त है। उसकी मिसाइलें सटीक, मल्टी-टारगेटेड और परमाणु हथियारों से लैस हैं। वहीं पाकिस्तान की गौरी, शाहीन और अबाबील मिसाइलें 2700 किमी तक ही सीमित हैं और MIRV तकनीक सीमित रूप में मौजूद है।

रणनीतिक असर और संभावित खतरे

हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है। पाकिस्तान को डर है कि भारत इन मिसाइलों का इस्तेमाल कर सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़ा कदम उठा सकता है। हालांकि दोनों देश परमाणु-संपन्न हैं, ऐसे में किसी भी गलती या गलतफहमी से हालात बेकाबू हो सकते हैं।

फिर भी एक बात स्पष्ट है—भारत की मिसाइल प्रणाली ने उसे ऐसा रणनीतिक और सामरिक बढ़त दी है जो न केवल दुश्मनों के मन में डर पैदा करती है, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति को मजबूत नींव भी देती है।

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Pakistan Broke the Ceasefire: सीजफायर के चंद घंटे बाद फिर गोलियों की आवाज़! सीमा पर प...

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Pakistan Broke the Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा सीजफायर समझौते से उपजी उम्मीदें ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकीं। समझौते के महज कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर एक बार फिर उकसावे की कार्रवाई शुरू हो गई। इससे क्षेत्र में फिर से तनाव का माहौल पैदा हो गया है, हालांकि भारतीय सुरक्षा बलों की तत्परता के चलते किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है।

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जम्मू-कश्मीर में फिर फायरिंग और ड्रोन गतिविधियां-Pakistan Broke the Ceasefire

बीती शाम पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अखनूर, राजौरी और आरएसपुरा सेक्टर में गोलीबारी की। इसके अलावा पलनवाला सेक्टर में भी सीजफायर का उल्लंघन हुआ। सेना की त्वरित प्रतिक्रिया के चलते हालात जल्दी काबू में आ गए, लेकिन पूरी रात सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर रहे।

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इतना ही नहीं, श्रीनगर और उधमपुर में पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए। भारतीय सेना ने तुरंत एंटी-ड्रोन सिस्टम सक्रिय करते हुए इन गतिविधियों को विफल कर दिया। सीमावर्ती इलाकों में बढ़ती हलचल के मद्देनज़र सेना और एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है।

पंजाब में हाई सिक्योरिटी और ब्लैकआउट

गुरदासपुर, फिरोजपुर, पठानकोट, होशियारपुर और जालंधर में शनिवार शाम को ड्रोन उड़ानें देखी गईं। अमृतसर में रेड अलर्ट घोषित किया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया। रविवार सुबह करीब 4:29 बजे अमृतसर में ब्लैकआउट की घोषणा की गई थी, जो एक घंटे बाद वापस ले ली गई। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को घरों के अंदर रहने और खिड़कियों से दूर रहने की सलाह दी थी।

गुरदासपुर के बेहरामपुर गांव के लोगों ने बताया कि वे सीजफायर की घोषणा से राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन अब भी डर का माहौल बना हुआ है।

राजस्थान में स्थिति शांत, पर निगरानी तेज

जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जैसे सीमावर्ती जिलों में फिलहाल किसी संदिग्ध गतिविधि की सूचना नहीं है। हालांकि, सेना और प्रशासन ने एहतियातन निगरानी बढ़ा दी है। एयरस्पेस की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।

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गुजरात में ब्लैकआउट और सुरक्षा समीक्षा

कच्छ और रण क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन निगरानी और सतर्कता में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। द्वारका और कच्छ में शनिवार रात 7 बजे से ब्लैकआउट का आदेश दिया गया था, जिसे बाद में हटा दिया गया। राज्य प्रशासन और गृह मंत्रालय की ओर से समीक्षा बैठक भी की गई, जिसमें तटीय और हवाई सुरक्षा पर चर्चा हुई।

हालात नियंत्रण में, पर सतर्कता बरकरार

हालांकि रविवार सुबह से देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति सामान्य बनी हुई है, फिर भी भारत ने अपनी चौकसी में कोई ढील नहीं दी है। सभी सुरक्षा एजेंसियों और बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हर स्तर पर तैयारियां पूरी हैं।

सीजफायर का उल्लंघन करके पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी मंशा जाहिर कर दी है, लेकिन भारत की ओर से साफ संदेश है—किसी भी उकसावे का जवाब पूरी ताकत से दिया जाएगा। शांति की पहल भारत की मजबूरी नहीं, बल्कि उसकी संजीदगी है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी, तो जवाब भी उसी भाषा में दिया जाएगा।

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Ajit Doval Spy Story: पाकिस्तान में 7 साल तक जासूसी करने वाला ‘भारतीय जेम्स बॉन्ड’, ए...

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Ajit Doval Spy Story: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच एक नाम बार-बार सामने आ रहा है — अजीत डोभाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा बैठक हो या फिर सेना के तीनों प्रमुखों के साथ रणनीतिक चर्चा, हर तस्वीर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल सबसे प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। इसकी वजह भी साफ है — देश की सुरक्षा नीति की योजना से लेकर उसके ज़मीनी क्रियान्वयन तक, हर पहलू की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।

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अजीत डोभाल को यूं ही ‘भारत का जेम्स बॉन्ड’ नहीं कहा जाता। उनके पास जासूसी, रणनीतिक नीति, कूटनीति और खतरे से खेलने का वो अनुभव है जो दुनिया में गिने-चुने लोगों को ही हासिल होता है। भारत के सुरक्षा तंत्र में उनका योगदान इतना अहम है कि आज अगर देश सीमाओं पर आत्मविश्वास से खड़ा है तो उसकी पृष्ठभूमि में डोभाल की सोच और योजना होती है।

पाकिस्तान में 7 साल तक गुप्त मिशन- Ajit Doval Spy Story

बहुत कम लोग जानते हैं कि अजीत डोभाल एक समय भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (Research and Analysis Wing) के लिए पाकिस्तान में सात साल तक गुप्त एजेंट के रूप में कार्य कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बिना अपनी पहचान उजागर किए दुश्मन की ज़मीन पर रहते हुए भारत के लिए बेहद अहम सूचनाएं जुटाईं और कई ऑपरेशनों को अंजाम तक पहुंचाया। लेकिन इस खतरनाक मिशन के दौरान एक बार उनकी असलियत उजागर होने की नौबत आ गई थी।

जब पहचान के कारण फंस गए धर्म संकट में

इस घटना का जिक्र खुद अजीत डोभाल ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान किया था। उन्होंने बताया कि वह उस समय पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मजार के पास रुके हुए थे, जहां एक अजनबी उनके पास आया और संदेह जताते हुए सीधा सवाल दागा: “क्या तुम हिंदू हो?” डोभाल ने तुरंत इंकार किया, लेकिन मामला वहीं नहीं रुका।

वह व्यक्ति उन्हें एक कमरे में ले गया और कान की तरफ इशारा करते हुए कहा, “तुम्हारे कान छिदे हुए हैं, ये केवल हिंदू ही करवाते हैं।” ऐसे में अजीत डोभाल को स्थिति को संभालते हुए यह स्वीकार करना पड़ा कि वह हिंदू हैं। दिलचस्प बात यह रही कि वह व्यक्ति भी एक हिंदू निकला, जो भेष बदलकर पाकिस्तान में रह रहा था। उसने अजीत डोभाल को सलाह दी कि कान की प्लास्टिक सर्जरी करवा लें ताकि आगे पहचान का खतरा न रहे।

निडरता और रणनीति का दूसरा नाम

यह किस्सा न केवल अजीत डोभाल की बहादुरी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह उन्होंने हर मोड़ पर खतरे को चतुराई और धैर्य से संभाला। पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश में सात साल तक बिना पकड़े रहना, और वहां से अहम जानकारियों के साथ सुरक्षित वापस लौटना — ये किसी फिल्मी कहानी जैसा लगता है, लेकिन डोभाल की असल ज़िंदगी इससे भी कहीं ज्यादा रोमांचक और प्रेरणादायक है।

आज भी देश की सुरक्षा का मजबूत स्तंभ

NSA अजीत डोभाल न केवल भारत की रक्षा रणनीति के प्रमुख स्तंभ हैं, बल्कि देश के लिए चल रहे हर बड़े ऑपरेशन की पृष्ठभूमि में उनकी सक्रिय भूमिका होती है। ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों में भी उनकी रणनीति और सूझबूझ का अहम योगदान माना जा रहा है।

आज जब सीमा पर तनाव कम हो रहा है, तब भी डोभाल जैसे रणनीतिकार भारत की सुरक्षा के लिए सतर्क और सजग हैं — पर्दे के पीछे से, लेकिन पूरी ताकत से।

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India vs Pakistan War: आतंक पर एक्शन! 15 दिन में भारत की पूरी रणनीति, ऑपरेशन सिंदूर स...

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India vs Pakistan War: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन अभी भी भारत की शांति व्यवस्था को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। इस हमले में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया था। भारतीय एजेंसियों की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस हमले के तार पाकिस्तान की जमीन से संचालित आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इसके बाद भारत ने साफ कर दिया था कि वह इस हमले का करारा जवाब देगा। और वही हुआ — 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए आतंकियों के खिलाफ कड़ी और सटीक कार्रवाई की।

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7 मई: ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत- India vs Pakistan War

हमले के ठीक 15 दिन बाद भारत ने जवाबी हमला शुरू किया। तड़के सुबह 1:03 बजे से 1:35 बजे तक चले इस ऑपरेशन में भारतीय सेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई में पाकिस्तान और पीओके के कुल 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। खास बात यह रही कि भारत ने इस कार्रवाई में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, पाकिस्तान के किसी सैन्य अड्डे को नहीं छुआ। सियालकोट का महमूना जोया शिविर, पीओके के कोटली स्थित गुलपुर कैंप और अब्बास आतंकी समूह के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इस हमले में कई वांछित आतंकी मारे गए, जिनमें एक इजरायली पत्रकार की हत्या में शामिल आतंकी भी शामिल था।

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8 मई: पाकिस्तान की बौखलाहट

भारत की इस सटीक और प्रभावी कार्रवाई से पाकिस्तान में बौखलाहट फैल गई। 8 मई को पाकिस्तान ने एलओसी पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए भारत के कई शहरों को ड्रोन और मिसाइल से निशाना बनाने की कोशिश की। श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, भुज जैसे शहरों को टारगेट किया गया। लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को नाकाम कर दिया।

हालांकि, इस हमले में पाकिस्तान की गोलीबारी से 16 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें तीन महिलाएं और पांच बच्चे शामिल थे। इसके जवाब में भारत ने लाहौर की एक एयर डिफेंस प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया और पाकिस्तान की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया।

9 मई: ड्रोनों की बौछार

पाकिस्तान ने तीसरे दिन यानी 9 मई को भी संघर्ष विराम का उल्लंघन जारी रखा। इस बार उसने 300 से 400 ड्रोनों के जरिये भारत के 15 शहरों को निशाना बनाया, लेकिन भारत ने फिर से इन सभी हमलों को नाकाम कर दिया। जवाब में भारत ने लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, पेशावर जैसे शहरों में स्थित आतंकी और रणनीतिक ठिकानों पर हमला किया। इस कार्रवाई में पाकिस्तान का चीनी तकनीक से लैस J-17 फाइटर जेट भी मार गिराया गया।

10 मई: भारत की निर्णायक कार्रवाई

10 मई को पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के कई शहरों और एयरबेस को निशाना बनाते हुए हमले किए, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस ने उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया। जवाब में भारत ने पाकिस्तान के चार प्रमुख एयरबेस—रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस, शोरकोट का रफीकी बेस, और मुरीद एयरफोर्स स्टेशन—को ध्वस्त कर दिया।

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इन हमलों के दौरान एक जलता हुआ ड्रोन पंजाब के फिरोजपुर में गिरा, जिससे एक परिवार के तीन सदस्य घायल हो गए।

11 मई: सीजफायर की पहल

लगातार तीन दिन तक चले इस संघर्ष के बाद आखिरकार पाकिस्तान झुक गया। 11 मई को दोपहर 3:35 बजे पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को फोन कर सीजफायर की पेशकश की। दोनों देशों ने शाम 5 बजे से सभी प्रकार की सैन्य गतिविधियां—थल, वायु और जल में—रोकने पर सहमति जताई। हालांकि कुछ इलाकों में सीजफायर उल्लंघन की खबरें बाद में भी आती रहीं।

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Who Is India DGMO: 7 मई को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और POK में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तीन दिन तक भारी तनाव का माहौल बना रहा। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे पर ड्रोन, मिसाइल और तोपखाने के ज़रिए निशाना साधने की कोशिश की। हालांकि अब हालात कुछ हद तक शांत होते दिख रहे हैं, क्योंकि दोनों देशों ने आधिकारिक रूप से सीजफायर पर सहमति जता दी है।

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जल, थल और नभ में सैन्य कार्रवाई पर विराम- Who Is India DGMO

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बाद जल, थल और वायु मार्गों में सभी प्रकार की सैन्य गतिविधियां रोकने पर सहमति बनी है। यह फैसला दोनों देशों के महानिदेशक सैन्य संचालन (DGMO) के बीच हुई सीधी बातचीत के बाद लिया गया। पाकिस्तान की ओर से पहल करते हुए भारत को सीजफायर का प्रस्ताव फोन कॉल के माध्यम से दिया गया, जिस पर भारत ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

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कौन हैं भारत के DGMO?

इस पूरे घटनाक्रम में भारत के DGMO की भूमिका बेहद अहम रही। फिलहाल इस पद पर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई तैनात हैं। उन्होंने अक्टूबर 2024 में यह पदभार संभाला था। उन्हें सैन्य संचालन का गहरा अनुभव है और वे पहले भी कई अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं। DGMO का पद भारतीय सेना में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पद पर बैठे अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि देश की सुरक्षा से जुड़ी हर बड़ी सैन्य रणनीति को दिशा दे, जरूरत पड़ने पर निर्देश जारी करे और तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करे।

लेफ्टिनेंट जनरल घई ने न केवल भारत की रणनीति को धार दी, बल्कि पाकिस्तान से बातचीत के दौरान भी बेहद संतुलित रुख अपनाते हुए हालात को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाया पाकिस्तान

22 अप्रैल को अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस कार्रवाई में 9 आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया गया था। जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों जैसे श्रीनगर, जम्मू, चंडीगढ़ और भुज को निशाना बनाते हुए मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की एयर डिफेंस प्रणाली ने उन्हें नाकाम कर दिया।

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अभी भी बनी हुई है सतर्कता

हालांकि सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह समझौता किन शर्तों पर हुआ है। साथ ही, सीमावर्ती इलाकों में अब भी सतर्कता बरती जा रही है, क्योंकि पाकिस्तान की ओर से पहले भी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा चुका है।

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EWS Quota Fraud Documents: भारत में यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा को सबसे कठिन और सम्मानजनक परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यह परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), पुलिस सेवा (IPS), और भारतीय विदेश सेवा (IFS) जैसे महत्वपूर्ण पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करती है। हालांकि, हाल के वर्षों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं, जहां फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए इन प्रतिष्ठित सेवाओं में प्रवेश किया गया है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि असली जरूरतमंदों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

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EWS कोटे का दुरुपयोग- EWS Quota Fraud Documents

EWS आरक्षण को 2019 में लागू किया गया था, जिसके तहत सामान्य वर्ग के गरीबों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। इसके अंतर्गत, एक परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख से कम होनी चाहिए। हालांकि, कुछ लोग इस कोटे का गलत फायदा उठाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा ले रहे हैं। सोशल मीडिया और समाचार चैनलों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें संपन्न लोग ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आशिमा गोयल का मामला: फर्जी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट से आईएएस बनना

इस घोटाले में एक नाम प्रमुख रूप से सामने आया है—आशिमा गोयल। आशिमा पर आरोप है कि उन्होंने अपने पिता की आय को घटा कर ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) सर्टिफिकेट बनवाया और इस सर्टिफिकेट का उपयोग करके उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। हालांकि, जब 2019 में उनकी आय का हिसाब मांगा गया, तो यह पाया गया कि उन्होंने अपनी आय को जानबूझकर 73% घटा दिया था। इसके बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका सर्टिफिकेट रद्द कर दिया था। फिर भी, आशिमा ने 2021 में ईडब्ल्यूएस कोटे का फायदा उठाते हुए फिर से यूपीएससी परीक्षा पास की और 320वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बनीं।

इस मामले ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, और लोग सवाल उठा रहे हैं कि सिद्ध धोखाधड़ी के बावजूद उन्हें कैसे आईएएस बनने का मौका मिला। आशिमा के मामले में यूपीएससी और डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) की चुप्पी भी सवालों के घेरे में आई है।

अमोल आवटे और अन्य मामले

इस घोटाले से जुड़ी अन्य प्रमुख घटनाओं में अमोल आवटे का नाम भी सामने आया है। अमोल पर आरोप है कि उन्होंने विकलांगता का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया और उसी के आधार पर यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उनका दावा था कि उनके एंकल में चोट लगी थी, लेकिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें वे बास्केटबॉल खेलते हुए दिखे। इसके बाद, उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट कर दिया। इस मामले ने भी यूपीएससी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि इसे लेकर आमतौर पर यह माना जाता है कि विकलांगता कोटे का लाभ सही तरीके से उठाया जाता है।

शिवनारायण शर्मा और अक्षय रंजू उमेश का मामला

इस घोटाले से जुड़ी और भी घटनाएं सामने आईं हैं, जैसे कि शिवनारायण शर्मा का मामला, जिन्होंने आईआरएस और आईपीएस अफसर रहते हुए ईडब्ल्यूएस कोटे का फायदा उठाया और आईएएस बने। इसके अलावा, अक्षय रंजू उमेश पर भी आरोप है कि उन्होंने आईआरएस अफसर होते हुए खुद को ईडब्ल्यूएस बताया और फिर यूपीएससी की परीक्षा दी।

पूजा खेडकर का मामला

इस समय सबसे ज्यादा चर्चित मामला पूजा खेडकर का है, जो एक ट्रेनी आईएएस हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से यूपीएससी की परीक्षा पास की। आरोप है कि उन्होंने अपने माता-पिता की जानकारी बदल कर, ओबीसी और विकलांगता कोटे के तहत परीक्षा दी और आईएएस बनीं। इस मामले में यूपीएससी ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और उनकी ट्रेनिंग भी रोक दी है।

यूपीएससी पर उठते सवाल

यह घटनाएं यूपीएससी के चयन प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा और पुलिस सेवा जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए यह परीक्षा देशभर में सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती है, लेकिन इन फर्जीवाड़े के मामलों ने यूपीएससी की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यूपीएससी पर यह आरोप भी है कि उसने जानबूझकर इन फर्जी मामलों को नजरअंदाज किया या फिर इन पर कार्रवाई करने में देरी की।

सिस्टम में खामियां

इन मामलों से साफ है कि EWS सर्टिफिकेट की जांच प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत और अपर्याप्त सत्यापन प्रक्रिया इसके लिए जिम्मेदार है। कई बार, उम्मीदवार अपनी संपत्ति और आय को छिपाने के लिए जटिल कानूनी रास्ते अपनाते हैं। इसके अलावा, सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है।

सरकार और यूपीएससी की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने हाल ही में फर्जी EWS और अन्य आरक्षण प्रमाणपत्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यूपीएससी ने भी सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए नई तकनीकों को अपनाने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि डिजिटल सत्यापन और आधार-लिंक्ड आय प्रमाणपत्र जैसे उपाय इस समस्या को कम कर सकते हैं।

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Anil Yadav Tweet Controversy: अनिल यादव का विवादास्पद ट्वीट! महिला को अपमानित करने पर...

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Anil Yadav Tweet Controversy: उत्तर प्रदेश के कथित पत्रकार अनिल यादव द्वारा 9 मई 2025 को किए गए एक ट्वीट ने सोशल मीडिया पर विवाद और तीखी बहस को जन्म दिया है। यादव ने इस ट्वीट में एक महिला को निशाना बनाते हुए अत्यंत आपत्तिजनक और व्यक्तिगत टिप्पणी की, जिससे महिला विरोधी भावनाओं और लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने के आरोप लगे। इस ट्वीट ने न केवल सोशल मीडिया पर बवाल मचाया, बल्कि एक गंभीर मुद्दे को जन्म दिया, जिस पर अब कानूनी और सामाजिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।

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क्या था ट्वीट का विवादास्पद कंटेंट? (Anil Yadav Tweet Controversy)

अनिल यादव के ट्वीट में एक महिला, जिसका नाम कवीश अजीज (Kavish Aziz) है, को “बाँझ” कहा गया और उसके स्कूल के दिनों में कथित तौर पर गर्भनिरोधक गोलियाँ (I-Pill) खाने का उल्लेख किया गया। इस ट्वीट में यह भी कहा गया था कि महिला ने “इतनी Pills खा ली,” जो न केवल अत्यधिक व्यक्तिगत थी, बल्कि एक अपमानजनक टिप्पणी भी थी। इस ट्वीट ने तुरंत ही सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और इस पर तीखी आलोचना शुरू हो गई।

यह ट्वीट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक यूजर @Lovi3039 द्वारा साझा किया गया था।

मोहम्मद अनस का रिएक्शन और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया

इस मामले में एक और नाम सामने आया, जो था मोहम्मद अनस। अनिल यादव के ट्वीट के बाद, मोहम्मद अनस ने टिप्पणी की कि अनिल यादव की भाषा न केवल गलत थी, बल्कि असंवेदनशील भी थी। उन्होंने यादव से ट्वीट को हटाने की अपील की और कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से किसी की निजी ज़िंदगी को नुकसान पहुँच सकता है। मोहम्मद अनस ने यह भी कहा कि उन्होंने जिस महिला का नाम नहीं लिया था, उस महिला का जिक्र करना गलत था। इस पर अनिल यादव ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया।

मनीष यादव की प्रतिक्रिया और विवाद को लेकर माफी

वहीं इस पूरे विवाद पर मनीष यादव नामक एक अन्य पत्रकार ने प्रतिक्रिया दी और अनिल यादव के खिलाफ अपना विरोध जताया। मनीष यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, “अब आप लोग ही बताइए, यह नालायक है या फर्जी लीजेंड?” उन्होंने आरोप लगाया कि अनिल यादव के कमेंट से यादव समाज को गलत तरीके से देखा जा रहा है और यह समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहा है। मनीष ने यह भी कहा कि इस प्रकार के व्यक्ति को बेनकाब करना जरूरी है, क्योंकि ऐसे लोग समाज को दूषित करते हैं और उनके विचारों से पूरी समाज को निशाना बनाया जाता है।

मनीष यादव ने इस पूरे विवाद को यादव समाज से जोड़ते हुए कहा कि अनिल यादव के विचारों की वजह से समस्त यादव समाज को शर्मिंदा होना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि अनिल यादव को समाज से बहिष्कृत करने की आवश्यकता है क्योंकि उनकी सोच बहुत गंदी है, और वह हर नि:संतान महिला को गलत नजर से देखते हैं।

कवीश अजीज की प्रतिक्रिया और अनिल यादव की माफी

कवीश अजीज ने इस विवाद पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मनीष यादव से पूछा कि वह माफी क्यों मांग रहे हैं? उन्होंने  लिखा, ‘@ManishMedia9 आप क्यों माफी मांग रहे हैं भाई, किसी को शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही है… जिसने गलत किया है वो भोगेगा हर हाल में।’

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कवीश अजीज की कड़ी प्रतिक्रिया

कवीश अजीज ने अपनी एक अन्य पोस्ट में अनील यादव के बारे में चौकाने वाले खुलासे करते हुए लिखा, ‘इस आदमी ने कई लड़कियों को मोलेस्ट किया है। नौकरी के नाम पर कई लड़कियों से अवै$ध संबंध बनाए हैं…. एक लड़की को यह शर्मा चाय की दुकान पर बुला रहा था… लड़की ने मना किया तो परफॉर्मेंस का हवाला देकर लड़की को नौकरी से निकलवा दिया… इसका पूर्व में इतिहास महिलाओं के मामले में बहुत ही गंदा रहा है… अपनी पत्नी को यह मारता है… घर के बाहर इसके कई अवै$ध संबंध है।’

सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रियाएं

इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएं तीव्र रूप से सामने आईं। कई लोगों ने इसे साइबर बुलीइंग करार दिया और कहा कि यह महिला का अपमान करने के लिए किया गया था। कुछ यूजर्स ने यह भी सवाल उठाया कि अगर एक व्यक्ति सार्वजनिक रूप से इस तरह की गंदगी फैला सकता है, तो क्या ऐसे लोग समाज में प्रतिष्ठित हो सकते हैं?

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Indian Spy Sehmat Khan: एक गुमनाम जासूस की कहानी, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ छुपकर लड़ा...

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Indian Spy Sehmat Khan: यह कहानी एक ऐसे जज्बे की है जो देश की सेवा के लिए सब कुछ दांव पर लगा देने का हो, और यही जज्बा 1969 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने महसूस किया। जम्मू-कश्मीर की रहने वाली इस लड़की को एक दिन अचानक उसके पिता ने घर बुलाया। पिता का सपना था कि उनकी बेटी देश की सेवा में कुछ करे। इस भावना को महसूस करते हुए उस लड़की ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और कुछ सालों बाद वही लड़की सहमतके नाम से भारत की जासूसी दुनिया में एक महत्वपूर्ण नाम बन गई।

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पिता की प्रेरणा: खुफिया एजेंसी के साथ जुड़ा परिवार- Indian Spy Sehmat Khan

हरिंदर सिंह सिक्का के उपन्यास कॉलिंग सहमतके अनुसार, सहमत के पिता हरिंदर सिंह सिक्का भारत की खुफिया एजेंसी रॉ में वरिष्ठ अधिकारी थे। अपने व्यापारिक संबंधों के माध्यम से पाकिस्तान में कई लोगों के साथ उनके घनिष्ठ संपर्क थे, जिससे उन्हें 1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने और उसे भारतीय खुफिया एजेंसी को देने में मदद मिली। हालाँकि, सहमत के पिता की हालत बहुत खराब थी क्योंकि वे कैंसर से जूझ रहे थे। अपने अंतिम समय में, उन्होंने अपनी बेटी को खुफिया एजेंट के रूप में काम करने की सलाह दी। सहमत ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने का दृढ़ निश्चय किया।

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पाकिस्तान में जासूसी मिशन: शादी से लेकर खुफिया जानकारी तक

उस समय सिर्फ़ 20 साल की सहमत ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी और साथ ही शास्त्रीय नृत्य और वायलिन भी सीख रही थी। अपने पिता की इच्छा के अनुसार उसने अपनी ज़िंदगी बदल दी। उसे एक गुप्त मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया। उसके मिशन का उद्देश्य पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों की योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाना था। इस मिशन के लिए सहमत को एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी इकबाल सैयद से शादी करनी पड़ी। इकबाल का परिवार पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से एक था और यह शादी सहमत के लिए पाकिस्तान के रक्षा और खुफिया हलकों तक पहुँच बनाने का एक तरीका था।

सेना के भीतर पैठ और विश्वास का निर्माण

सहमत ने पाकिस्तान में अपनी ससुराल और आर्मी क्वार्टर में रहने वाले अन्य परिवारों का विश्वास भी जीता। उन्होंने आर्मी स्कूल में बच्चों को संगीत और नृत्य की ट्रेनिंग देना शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बच्चे भी पढ़ते थे। धीरे-धीरे सहमत ने सेना और खुफिया क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत की और कई महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की। उनकी वजह से उनके ससुर, ब्रिगेडियर परवेज सैयद को भी एक प्रमोशन मिला।

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PNS गाजी को नष्ट करना: भारत की रणनीतिक सफलता

1971 के युद्ध के दौरान, पाकिस्तान ने बंगाल की खाड़ी में तैनात भारतीय युद्धपोत को निशाना बनाने के लिए अपनी मिसाइलों से लैस पनडुब्बी PNS गाजी भेजी। सहमत को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने भारतीय नौसेना को इसकी पोजिशनिंग की सूचना दी। भारतीय नौसेना ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए इस पनडुब्बी को डुबो दिया, जिससे पाकिस्तान को करारा झटका लगा और युद्ध में भारत को बड़ी सफलता मिली।

वापसी और जीवन के अंतिम दिन

युद्ध के बाद, सहमत की असलियत धीरे-धीरे खुलने लगी। उनके ससुराल के एक सदस्य को शक हो गया और उन्होंने सहमत को मारने की कोशिश की, लेकिन सहमत ने उसे अपनी जान बचाने के लिए मार डाला। उनकी असलियत सामने आने के बाद, सहमत के पति इकबाल ने भी उन्हें जान लिया। सहमत को सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया गया। गर्भवती होने के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन के बाकी पल पंजाब के मलेरकोटला में बिताए। उनके पहले प्यार ने उनका बेटा पाला, जो बाद में भारतीय सेना में अफसर बना।

सहमत का गुप्त जीवन और निधन

सहमत का निधन 2018 में हुआ, लेकिन उनकी असली पहचान अब भी गुप्त रखी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बेटे पर कोई खतरा न हो, उनकी पहचान आज तक गुप्त रखी गई है। सहमत की यह कहानी न केवल देश के लिए बलिदान की मिसाल है, बल्कि एक नायक की पहचान भी बन चुकी है। उनकी कहानी भारतीय खुफिया दुनिया में एक अनमोल धरोहर बनकर हमेशा जीवित रहेगी।

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Arjun-Bhishma India Tank: आसमान से लेकर ज़मीन तक, अर्जुन-भीष्म टैंक से पाकिस्तान को म...

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Arjun-Bhishma India Tank: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। पाकिस्तान को अपनी इस कायराना हरकत का जवाब देते हुए भारत ने उसे सख्त चेतावनी दी। इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने बीती रात भारत के कई प्रमुख शहरों पर हवाई हमले किए, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 (सुदर्शन) ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया और इस संघर्ष को नौसेना तक पहुंचाया। अब जमीनी लड़ाई की बारी है, जिसमें भारत की ताकत और रणनीति पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं।

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भारत की जमीनी ताकत: युद्ध टैंकों का बड़ा योगदान- Arjun-Bhishma India Tank

जमीनी युद्ध में टैंकों की अहम भूमिका होती है। भारत के पास ऐसे युद्धवीर टैंक हैं जो पाकिस्तान की सेना को बुरी तरह से तबाह कर सकते हैं। भारत के पास अर्जुन-भीष्म, अजेय जैसे अत्याधुनिक टैंक हैं जो युद्ध के मैदान में न केवल भारी विध्वंस करेंगे बल्कि अपनी रफ्तार और ताकत से पाकिस्तान के खिलाफ भारी बढ़त प्राप्त करेंगे। यहां पर इन टैंकों की क्षमताओं पर एक नजर डालते हैं:

अर्जुन टैंक

अर्जुन टैंक भारतीय सेना का एक अत्याधुनिक टैंक है, जिसमें 4 जवान एक साथ बैठ सकते हैं। यह टैंक एक मिनट में 6 से 8 राउंड फायर करने में सक्षम है। इसकी स्पीड 70 किमी/घंटा है और ऑपरेशनल रेंज 450 किमी तक है। यह टैंक युद्ध में अपनी गति और ताकत से पाकिस्तान के खेमे में खलबली मचा सकता है।

Arjun Tank india tank
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भीष्म टैंक

रूस में निर्मित, भीष्म टैंक भारतीय सेना की एक और ताकत है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किमी है और इसमें 43 गोले स्टोर करने की क्षमता है। यह टैंक 125 मिमी स्मूथबोर गन से लैस है और 60 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। पाकिस्तान के खिलाफ यह टैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Bhishma Tank india
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अजेय टैंक

अजेय टैंक, जो कि T-72 का भारतीय संस्करण है, एक शक्तिशाली टैंक है। 780 हार्सपावर इंजन से लैस यह टैंक 60 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है और इसकी ऑपरेशनल रेंज 460 किमी है। यह टैंक भी पाकिस्तान के खिलाफ एक अहम हथियार साबित हो सकता है।

के-9 वज्र

के-9 वज्र एक सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर टैंक है, जिसमें 1000 हार्सपावर इंजन है। इसकी स्पीड 67 किमी/घंटा है और ऑपरेशनल रेंज 360 किमी है। भारतीय सेना में इसके 100 से ज्यादा यूनिट तैनात हैं, जो युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना को मजबूत करते हैं।

विजयंत टैंक

विजयंत एक स्वदेशी टैंक है, जिसने 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी। यह टैंक 530 किमी की ऑपरेशनल रेंज और 50 किमी/घंटा की रफ्तार से हमला करता है।

Vijayanta Tank
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सारथ टैंक

सारथ टैंक में 30 मिमी की ऑटोमेटिक कैनन, 7.62 मिमी पीकेटी मशीन गन और कोंकुर जैसी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGM) लगी हुई हैं। यह टैंक किसी भी इलाके में प्रवेश करके दुश्मनों को मात देने में सक्षम है।

Sarath Tank
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धनुष (Bofors तोप का भारतीय संस्करण)

धनुष एक स्वदेशी 155 मिमी/45 कैलिबर टोड हॉवित्जर है, जो 38 किमी की रेंज तक गोले दाग सकता है। बर्स्ट मोड में यह 15 सेकेंड में तीन राउंड दाग सकता है, जो युद्ध में भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाता है।

एम 777

एम 777 एक हल्की और शक्तिशाली हॉवित्जर है, जो एक मिनट में 7 गोले दाग सकता है। इसकी रेंज 24 से 40 किमी तक है और इसे उंचाई वाले इलाकों में चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा आसानी से तैनात किया जा सकता है।

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भारत की संकल्प शक्ति और रणनीति

भारतीय सेना के पास इन अत्याधुनिक टैंकों और तोपों की ताकत है, जो युद्ध के मैदान में पाकिस्तान को मजबूर कर सकते हैं। भारत ने पहले ही यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति में देश की रक्षा के लिए तत्पर है। पाकिस्तान की कायराना हरकतों के खिलाफ भारत ने ठोस और प्रभावी कदम उठाए हैं और आगे भी यही संकल्प जारी रखेगा।

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India-Pakistan Tension Defense Preparations: भारत-पाकिस्तान तनाव,  आपातकालीन स्थिति म...

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India-Pakistan Tension Defense Preparations: 22 अप्रैल, 2025 को हुए पहलगाम-बैसरन आतंकी हमले और भारत की तेज जवाबी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है। इस संघर्ष के कारण सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, और साथ ही यह समय देशवासियों को आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता भी बताता है। जहां भारतीय सशस्त्र बल सीमा पर मुस्तैदी से तैनात हैं, वहीं नागरिकों को भी किसी अप्रत्याशित स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे में, यहां हम 5 महत्वपूर्ण गैजेट्स की चर्चा करेंगे, जो हर भारतीय घर में संचार, सुरक्षा और जीवन रक्षा के लिए जरूरी हो सकते हैं।

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बैटरी चालित रेडियो या आपातकालीन क्रैंक रेडियो- India-Pakistan Tension Defense Preparations

युद्ध जैसे हालात या ब्लैकआउट के दौरान जब मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवा ठप हो जाती है, तो बैटरी से चलने वाला या हाथ से चलने वाला रेडियो आपके लिए एक अहम उपकरण साबित हो सकता है। यह रेडियो आपको सरकारी और सैन्य स्रोतों से सीधे आपातकालीन अपडेट प्रदान करता है। बेहतर उपयोगिता के लिए सोलर चार्जिंग, फ्लैशलाइट और USB सपोर्ट वाला मॉडल चुनें, ताकि आपको अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकें और आप ज्यादा समय तक अपडेट्स प्राप्त कर सकें।

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सौर ऊर्जा बैंक और चार्जर

आपातकालीन स्थिति में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। ऐसे में, एक उच्च क्षमता वाला सोलर पावर बैंक आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने फोन, रेडियो या टॉर्च जैसे ज़रूरी डिवाइस को चार्ज कर सकें। कई USB पोर्ट और तेज़ चार्जिंग क्षमता वाले विकल्प चुनना बेहतर होगा, ताकि आप अधिक उपकरणों को एक साथ चार्ज कर सकें और जरूरत पड़ने पर वे कार्यशील रहें।

पोर्टेबल वॉटर प्यूरीफायर या लाइफस्ट्रॉ

आतंकी हमले, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान स्वच्छ पेयजल का उपलब्ध होना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। ऐसे में, एक पोर्टेबल वॉटर प्यूरीफायर जैसे लाइफस्ट्रॉ या UV-आधारित प्यूरीफ़ायर आपके परिवार को जलजनित बीमारियों से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। यह उपकरण खासतौर पर तब उपयोगी होता है जब जल आपूर्ति बाधित हो जाए और स्वच्छ पानी की आवश्यकता हो।

एलईडी आपातकालीन लाइट और हेडलैम्प

वर्तमान तनावपूर्ण स्थिति में, बमबारी, ब्लैकआउट या कर्फ्यू के दौरान लंबे समय तक बिजली कटौती हो सकती है। इस स्थिति में, रिचार्जेबल एलईडी लाइट्स या सौर ऊर्जा से चलने वाले लालटेन आपके घर में रोशनी बनाए रखने में मदद करेंगे। हेडलैम्प भी उपयोगी साबित हो सकते हैं, क्योंकि यह हाथों से मुक्त संचालन की सुविधा देते हैं, जो अंधेरे में नेविगेट करते समय और आपातकालीन मदद प्रदान करते समय बेहद काम आता है।

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डिजिटल थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर के साथ आपातकालीन चिकित्सा किट

आपातकालीन स्थितियों में स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से जब अस्पतालों तक पहुंच सीमित हो। ऐसे में, एक पूरी तरह से स्टॉक किया हुआ प्राथमिक चिकित्सा किट अत्यंत जरूरी है। इसमें एंटीसेप्टिक्स, पट्टियां, प्रिस्क्रिप्शन दवाइयाँ, और डिजिटल थर्मामीटर व पल्स ऑक्सीमीटर जैसे गैजेट्स शामिल होने चाहिए, ताकि घर पर बुनियादी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जा सके और जरूरी स्थिति में शरीर के तापमान और ऑक्सीजन स्तर की जांच की जा सके।

यह अब क्यों महत्वपूर्ण है?

22 अप्रैल को पहलगाम-बैसरन में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की, जिसमें पाकिस्तान और पीओजेके (पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर) में स्थित नौ बड़े आतंकी शिविरों पर हमला किया गया। सीमा पार तनाव अब भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे यह जरूरी हो गया है कि हर भारतीय परिवार किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहे।

सशस्त्र बल सीमा पर सक्रिय रूप से देश की रक्षा कर रहे हैं, लेकिन नागरिकों को भी संचार ब्लैकआउट, कर्फ्यू, या आपूर्ति में कमी की स्थिति से निपटने के लिए आत्मनिर्भर रहना चाहिए। इन गैजेट्स के माध्यम से भारतीय नागरिक अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और आपातकालीन स्थिति में अपनी ज़रूरी सुविधाओं को बनाए रख सकते हैं।

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