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Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड में इस बार मानसून नहीं, मुसीबत बनकर बरसा – चार सालो...

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Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड इस बार ऐसा मानसून झेल रहा है, जो न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ रहा है, बल्कि लोगों की जान और जीवन दोनों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। 1 जून से 5 अगस्त 2025 तक, यानी महज 66 दिनों में से 43 दिन एक्सट्रीम वेदर वाले रहे मतलब या तो तेज बारिश, बाढ़, या भूस्खलन। ये आंकड़ा पिछले चार सालों में सबसे खराब है।

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दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में पूरे मॉनसून सीजन में 44 दिन ऐसे थे, और इस बार सिर्फ आधे मानसून में ही ये आंकड़ा छू लिया गया है। ये हालात डराते हैं, क्योंकि अगर यही सिलसिला अगले दो महीनों तक चला, तो ये साल उत्तराखंड के लिए सबसे खतरनाक मॉनसून साबित हो सकता है।

लगातार बढ़ रहा है खतरा- Uttarakhand Cloudburst

साफ दिख रहा है कि हर साल स्थिति बिगड़ती जा रही है। 2022 में जहां 33% मॉनसून के दिन अति-मौसम वाले थे, 2023 में ये 47% हो गए, 2024 में 59% और अब 2025 में अब तक 65% ऐसे दिन दर्ज हो चुके हैं। अगर यही चलता रहा, तो इस बार कुल 83 से 86 दिन तक एक्सट्रीम वेदर हो सकता है यानी साल का सबसे खराब मानसून।

जान भी गई और घर भी

अब तक कम से कम 48 लोगों की मौत इन आपदाओं में हो चुकी है। ये आंकड़ा 2022 की कुल मौतों (56) का 86% और 2023 की 104 मौतों का लगभग आधा है और अभी तो आधा मानसून बाकी है।

सबसे ताजा घटना 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में सामने आई, जहां बाढ़ में 4 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा लोग लापता हैं। ये बाढ़ अचानक आई, लोगों को भागने का मौका तक नहीं मिला।

क्लाउडबर्स्ट या कुछ और?

उत्तराखंड सरकार ने इसे “क्लाउडबर्स्ट” कहा, लेकिन मौसम विभाग (IMD) ने इससे इनकार किया। क्लाउडबर्स्ट तब माना जाता है जब एक घंटे में 10 सेमी से ज्यादा बारिश हो, लेकिन यहां बारिश कई घंटों तक लगातार हुई। रिसर्चर अक्षय देओरस के मुताबिक, उत्तरकाशी में 5-6 अगस्त के बीच औसत से 421% ज्यादा बारिश हुई, कहीं-कहीं तो 400 मिमी से भी ज्यादा।

जलवायु परिवर्तन और तैयारी की कमी

वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन इस संकट की सबसे बड़ी वजह है। इस साल मानसून सीजन उत्तराखंड में 1901 के बाद का सबसे गर्म रहा। जून में अधिकतम तापमान सामान्य से 3.8°C और न्यूनतम 1.8°C ज्यादा रहा। गर्म हवा ज्यादा नमी सोखती है, जिससे बारिश ज्यादा और खतरनाक होती है।

लेकिन सिर्फ मौसम को दोष देना ठीक नहीं। तैयारी की कमी, कमजोर चेतावनी तंत्र और बेतरतीब निर्माण ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। 2014 के बाद से विकास की दौड़ में पहाड़ों में सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से निर्माण हुआ है, जिससे जल निकासी बिगड़ी और जंगल कटे।

हिमालयी विशेषज्ञ शेखर पाठक कहते हैं कि पिछले दशक में पर्यावरण को नजरअंदाज कर जो विकास किया गया, उसी का नतीजा आज के आपदा बनकर सामने आ रहा है।

धराली की बाढ़ – हिमालय की चेतावनी

धराली की बाढ़ सिर्फ एक गांव की त्रासदी नहीं, ये पूरे हिमालय क्षेत्र के लिए चेतावनी है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन सालों में 13 हिमालयी राज्यों में 70% मॉनसून दिन एक्सट्रीम वेदर वाले रहे हैं। मतलब खतरा अब स्थानीय नहीं, क्षेत्रीय है।

सेना की राहत में कोशिश

भारतीय सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। हेलिकॉप्टर से फंसे लोगों को निकाला जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश और टूटे रास्ते राहत कार्यों में बड़ी चुनौती बन रहे हैं।

अब क्या करना होगा?

अब वक्त आ गया है कि सरकार और समाज दोनों मिलकर इस संकट को गंभीरता से लें।

  • मौसम निगरानी सिस्टम को मजबूत करना
  • समय पर चेतावनी पहुंचाना
  • अवैज्ञानिक निर्माणों पर रोक
  • जंगल बचाना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना

इन सब पर फौरन काम करना जरूरी है। क्योंकि अगर अभी नहीं चेते, तो आने वाले सालों में उत्तराखंड की हर बरसात और भी डरावनी हो सकती है।

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Delhi-NCR Heavy Rain: दिल्ली-एनसीआर में रक्षाबंधन की सुबह बारिश ने रोका त्योहार का जश...

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Delhi-NCR Heavy Rain: आज रक्षाबंधन का पावन पर्व है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सुबह एक खूबसूरत त्योहार की शुरुआत नहीं, बल्कि भारी बारिश और परेशानियों के साथ हुई। सुबह-सुबह हुई मूसलधार बारिश ने राजधानी दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम समेत पूरे एनसीआर की रफ्तार थाम दी। कई इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया है, जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है।

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बारिश इतनी तेज थी कि दिल्ली के कई इलाकों में सड़कें तालाब बन गईं। बीडी मार्ग, जहां सांसदों के फ्लैट हैं, वहां नर्मदा अपार्टमेंट के सामने जलभराव की स्थिति गंभीर हो गई। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि बारिश होते ही इस इलाके में पानी भरना आम बात हो गई है और निकासी के लिए नालियां खोलनी पड़ती हैं।

आईएमडी ने जारी किया रेड अलर्ट– Delhi-NCR Heavy Rain

भारतीय मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है। आज दिनभर मध्यम से भारी बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारों की संभावना जताई गई है। खासतौर पर पूर्वी और सेंट्रल दिल्ली में हालात और बिगड़ सकते हैं।

सुबह 5:30 से 8:30 बजे के बीच सफदरजंग में 49.6 मिमी, पूसा में 47 मिमी, मयूर विहार में 42 मिमी और प्रगति मैदान में 40.6 मिमी बारिश दर्ज की गई।

एयरपोर्ट पर भी असर, ट्रैफिक बना मुसीबत

इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी फ्लाइट की जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन से संपर्क करें क्योंकि मौसम खराब है। हालांकि एयरपोर्ट का संचालन सामान्य बताया जा रहा है, लेकिन उड़ानों में देरी हो रही है।

एक यात्री ने आजतक से बातचीत में बताया कि उसकी फ्लाइट त्रिवेंद्रम से रात 11:45 बजे लैंड हुई, लेकिन मयूर विहार स्थित घर पहुंचने में तीन घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। “सिर्फ 25 किलोमीटर का रास्ता था लेकिन सराय काले खां पर एक घंटे जाम में फंसे रहे, चार जगह तो पानी इतना था कि गाड़ी निकालना मुश्किल हो गया।”

दिल्ली के कई इलाके जलमग्न

आईटीओ, मोती बाग, मुनीरका मेट्रो स्टेशन, एपीएस कॉलोनी, अकबर रोड, मंडी हाउस, मिंटो रोड, संगम विहार, आरके पुरम, कनॉट प्लेस और पंचकुइयां मार्ग जैसे इलाकों में हालात बदतर हैं।

नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी बुरा हाल

नोएडा के सूरजपुर कस्बे में तो हालात ऐसे हैं कि सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया है। गाजियाबाद के एनएच-9, विजय नगर अंडरपास और रेलवे स्टेशन की सड़कें जलभराव से बुरी तरह प्रभावित हैं। गुरुग्राम की ओर से भी ट्रैफिक और जलभराव की खबरें लगातार आ रही हैं।

यमुना का जलस्तर भी बढ़ा

सुबह 8 बजे यमुना का जलस्तर 204.4 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी स्तर 204.5 मीटर से सिर्फ 10 सेमी नीचे है। हालांकि खतरे के स्तर 205.33 मीटर से अभी 93 सेमी नीचे है, लेकिन स्थिति लगातार नजर रखने वाली है।

हिमाचल में भी बारिश का कहर

दिल्ली से सटे राज्य हिमाचल प्रदेश में भी हालात चिंताजनक हैं। 11 और 12 अगस्त के लिए 3 जिलों में ऑरेंज अलर्ट और बाकी में येलो अलर्ट जारी किया गया है। 20 जून से अब तक बारिश संबंधी घटनाओं में 202 लोगों की मौत हो चुकी है। अगस्त में अब तक औसत से 35% ज्यादा बारिश हो चुकी है, शिमला और मंडी में तो ये आंकड़ा 65% तक पहुंच गया है।

त्योहार की खुशियों में खलल

रक्षाबंधन जैसे त्योहारी दिन पर लोग बहनों से मिलने, राखी बांधने, मिठाई लेकर जाने की तैयारी में थे, लेकिन मौसम ने सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया। लोगों की गाड़ियां जाम में फंसी रहीं, कई बहनों की फ्लाइट्स लेट हो गईं और कहीं भाई समय पर घर नहीं पहुंच पाए।

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Chinki Minki News: जन्म के बाद अलग कर दी गईं बहनें… अब ‘चिंकी-मिंकी’...

Chinki Minki News: शोहरत की दुनिया में चमकती हर रौशनी के पीछे एक अंधेरे का दौर भी होता है, और यही कहानी है समृद्धि और सुरभि मेहरा यानी ‘चिंकी-मिंकी’ की। सोशल मीडिया और टीवी पर लाखों दिलों पर राज करने वाली इस जुड़वां जोड़ी की जिंदगी की शुरुआत बेहद दर्दभरी रही। हाल ही में ज़ी टीवी के शो ‘छोरियां चली गांव’ के दौरान समृद्धि मेहरा ने एक ऐसा सच साझा किया जिसने फैंस को भी भावुक कर दिया। इन दोनों जुड़वां बहनों को समाज की छोटी सोच ने जन्म के साथ ही अलग कर दिया। लेकिन आज वही बहनें मिलकर इंडस्ट्री में झंडे गाड़ रही हैं।

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जन्म के बाद बहन से कर दी गईं अलग- Chinki Minki News

नोएडा में जन्मीं ये जुड़वां बहनें एक मिडल क्लास परिवार से हैं। समृद्धि ने बताया कि उनका जन्म एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था। जब उनके घर दो जुड़वां बेटियों ने जन्म लिया तो परिवार वालों ने इसे स्वीकार नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि समृद्धि को तो घर में रखा गया लेकिन उनकी जुड़वां बहन सुरभि को उनसे अलग कर दिया गया। समृद्धि बताती हैं, “मुझे पांच साल तक पता ही नहीं था कि मेरी कोई जुड़वां बहन भी है।” उनकी मां भी तब उस माहौल में मजबूर थीं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने हिम्मत दिखाई और दोनों बेटियों को एक साथ लाने का फैसला किया।

मां ने लिया बड़ा फैसला

समृद्धि बताती हैं कि उनके लिए उनकी मां ही असली हीरो हैं। उन्होंने सामाजिक दबाव और परिवार की नाराज़गी को नजरअंदाज करते हुए अपनी दोनों बेटियों को एक साथ पाला। समृद्धि ने कहा, “जब मेरी बहन पहली बार घर आई, तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि कोई बिल्कुल मेरी तरह दिखती है।” उस दिन के बाद दोनों बहनों के बीच ऐसा रिश्ता बना जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ सका।

365 ऑडिशन के बाद मिला ‘कपिल शर्मा शो’

चिंकी-मिंकी को आज सोशल मीडिया स्टार कहा जाता है, लेकिन उनकी सफलता की राह भी आसान नहीं रही। अपने एक्टिंग करियर के शुरुआती दौर में वे एक प्राइवेट फर्म में भी काम कर चुकी हैं। वहीं, 365 से ज्यादा ऑडिशन देने के बाद उन्हें ‘द कपिल शर्मा शो’ में ब्रेक मिला और फिर लोगों ने इस जुड़वां जोड़ी को खूब पसंद किया। उनकी एक्टिंग, एनर्जी और परफॉर्मेंस ने उन्हें हर घर में पॉपुलर बना दिया।

3 जुलाई 2025 को किया अलग होने का ऐलान

हाल ही में दोनों बहनों ने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट के जरिए अपने फैंस को बताया कि वे अब एक-दूसरे से प्रोफेशनल रूप से अलग हो रही हैं। यानी ‘चिंकी-मिंकी’ की जोड़ी अब साथ में काम नहीं करेगी। इस खबर ने कई फैंस को चौंका दिया। हालांकि, दोनों ने साफ किया कि वे सिर्फ करियर के लिहाज़ से अलग हो रही हैं, दिल से नहीं।

कुल संपत्ति और लोकप्रियता

आज दोनों बहनों की नेटवर्थ लगभग 12-25 करोड़ रुपये के बीच है। इंस्टाग्राम पर उनकी 12 मिलियन से ज्यादा फैन फॉलोइंग है और उन्होंने ‘कॉलेज रोमांस’ और ‘हीरो: गायब मोड ऑन’ जैसे शोज में भी काम किया है। 2024 में उन्होंने ‘सुकून’ नाम से एक नया घर भी खरीदा।

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Padma Shri Jamuna Tudu: पहले बचाए हजारों पेड़, फिर मिला पद्मश्री… अब राष्ट्रपति...

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Padma Shri Jamuna Tudu: पर्यावरण संरक्षण की एक सच्ची मिसाल और ‘लेडी टार्जन’ के नाम से मशहूर पद्मश्री जमुना टुडू एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है 15 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाला रात्रि भोज, जिसके लिए उन्हें खुद महामहिम राष्ट्रपति की ओर से आमंत्रण मिला है। इस निमंत्रण को खास तरीके से भारतीय डाक विभाग ने नई दिल्ली से चाकुलिया (जमशेदपुर) तक पहुंचाया, पूरे सम्मान और सुरक्षा के साथ।

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इस विशेष पत्र में साफ लिखा गया है कि जमुना टुडू को 15 अगस्त की शाम 6 बजे राष्ट्रपति भवन में होने वाले रात्रि भोज में शामिल होना है। ये सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि उस पूरे संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है जो उन्होंने पिछले दो दशकों से झेला है।

कौन हैं जमुना टुडू? (Padma Shri Jamuna Tudu)

जमुना टुडू का जन्म 1980 में ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। उनके पिता किसान थे और बचपन से ही उनका लगाव जंगलों से रहा। शादी के बाद जब वो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया आईं, तो उन्होंने देखा कि कैसे पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है और जंगल धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।

यही वो पल था जब उन्होंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो, जंगल को बचाना है। उन्होंने अकेले शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे गांव की 10,000 से ज़्यादा महिलाओं को साथ जोड़ा और बनाई वन सुरक्षा समिति। आज ये महिलाएं जंगलों की रक्षक हैं और जमुना उनका नेतृत्व कर रही हैं।

‘लेडी टार्जन’ क्यों कहा जाता है?

एक वक्त था जब जमुना टुडू और उनके पति दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे। लेकिन जब बात पेड़ों की आई, तो उन्होंने जीवन का मकसद ही बदल दिया। वो जंगलों में जाकर लकड़ी माफियाओं का सामना करतीं, उन्हें समझातीं, और कई बार सीधा विरोध भी करतीं। इस संघर्ष में उन पर कई जानलेवा हमले हुए, लेकिन वो नहीं रुकीं।

उनकी इस हिम्मत, निडरता और पेड़ों के लिए समर्पण को देखते हुए लोग उन्हें ‘लेडी टार्जन’ कहने लगे। और यही नहीं, साल 2017 में उन्हें उनके काम के लिए पद्मश्री सम्मान से भी नवाज़ा गया।

जमुना की प्रतिक्रिया: भावुक कर देने वाला पल

वहीं अब उन्हें राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण मिला है जिसे पाकर जमुना की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा,

“ये सिर्फ मेरा सम्मान नहीं है। ये उस हर महिला का सम्मान है जो पर्यावरण के लिए लड़ रही है। मैं राष्ट्रपति जी और भारतीय डाक विभाग का दिल से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने इस सम्मान को मेरे घर तक पहुंचाया।”

एक महिला, एक मिशन

जमुना टुडू की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं है, ये उस जज़्बे की कहानी है जो दिखाता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो बदलाव मुमकिन है। जंगल, पेड़, जानवर — सबकी आवाज़ बन चुकी हैं जमुना। आज वो जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने में उन्हें सिर्फ संघर्ष ही नहीं, कई बार जान की बाज़ी भी लगानी पड़ी है।

लेकिन अब जब राष्ट्रपति भवन से उन्हें देश के सबसे बड़े मंच पर आमंत्रण मिला है, तो साफ है कि जमुना टुडू सिर्फ झारखंड की नहीं, पूरे देश की शान बन चुकी हैं।

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Jharkhand News: ना पैसा, ना प्रचार… बस जुनून! 32 सालों से 40,000 लड़कियों को दे...

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Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले के एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिसने बिना शोर मचाए हजारों जिंदगियों को एक नई दिशा दी है। हम बात कर रहे हैं उदय कुमार की, जो पिछले 32 सालों से कराटे की मुफ़्त ट्रेनिंग देकर बेटियों को न सिर्फ़ आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि उन्हें ये यकीन भी दिला रहे हैं कि वे किसी से कम नहीं हैं। उदय कुमार का नाम आज हजारीबाग में ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में सम्मान से लिया जाता है। अब तक वे करीब 40,000 लड़कियों को कराटे में निपुण बना चुके हैं। इनमें से कई लड़कियां आज राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुकी हैं, और अपने साथ-साथ जिले का नाम भी रोशन कर रही हैं।

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बचपन से था कराटे का जुनून- Jharkhand News

लोकल मीडिया से बातचीत में उदय कुमार ने बताया कि उन्हें बचपन से ही कराटे का शौक था। वो सिर्फ़ शौक तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने देश और विदेश के कई अनुभवी गुरुओं से ट्रेनिंग ली। ये उनका जुनून ही था, जिसने उन्हें खुद तक सीमित नहीं रहने दिया बल्कि उन्होंने अपने ज्ञान को समाज के लिए समर्पित कर दिया।

लड़कियों के लिए कुछ करने का ख्याल

जब उदय खुद कराटे की ट्रेनिंग ले रहे थे, तभी उन्होंने महसूस किया कि लड़कियां समाज में कई तरह की चुनौतियों का सामना करती हैं, खासकर छेड़छाड़ और असुरक्षा का डर। उस वक़्त उन्होंने ठान लिया कि वो ऐसी लड़कियों को ट्रेन करेंगे, ताकि वे खुद अपनी रक्षा कर सकें और आत्मविश्वास के साथ अपनी ज़िंदगी जी सकें।

शुरुआत आसान नहीं थी

कहना आसान था, लेकिन करना मुश्किल। शुरुआत में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गांव-गांव जाकर लोगों को समझाना, पैरेंट्स को मनाना कि वो अपनी बेटियों को कराटे सीखने भेजें, ये सब आसान नहीं था। कई बार उन्हें नकारात्मक बातें भी सुननी पड़ीं। लेकिन उदय ने हार नहीं मानी।

धीरे-धीरे लड़कियों की संख्या बढ़ने लगी, और जैसे-जैसे बेटियों ने कराटे में हुनर दिखाया, लोगों का नजरिया भी बदलने लगा। आज स्थिति ये है कि उदय कुमार की कई स्टूडेंट्स अब खुद ट्रेनर बन चुकी हैं और अपने-अपने इलाकों में लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही हैं।

समर्पण ही है असली ताकत

उदय कुमार कहते हैं कि शहरों में तो खेल की तमाम सुविधाएं मिल जाती हैं, लेकिन गांव की लड़कियां अक्सर इनसे वंचित रह जाती हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने गांव-गांव जाकर बेटियों को मजबूत बनाने का फैसला लिया था। और आज भी, बिना किसी सरकारी सपोर्ट या बड़े फंडिंग के, वो उसी समर्पण के साथ ये सेवा कर रहे हैं।

एक सादा इंसान, बड़ी प्रेरणा

उदय कुमार की कहानी बताती है कि अगर इरादा नेक हो और हौसला मजबूत, तो बदलाव लाना नामुमकिन नहीं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अकेला इंसान भी समाज की सोच और दिशा दोनों बदल सकता है, वो भी बिना किसी नाम या शोहरत के पीछे भागे।

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Indian Cricketers T20 Retirement: टी20 की दुनिया में नई पीढ़ी का राज, क्या राहुल-शमी-...

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Indian Cricketers T20 Retirement: भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है, खासकर टी20 फॉर्मेट में। जहां एक ओर सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ पुराने और जाने-माने नाम लंबे समय से टीम से बाहर हैं। इन खिलाड़ियों की फॉर्म, फिटनेस और टीम मैनेजमेंट की रणनीति को देखते हुए ये सवाल अब खुलकर सामने आ गया है कि  क्या अब इन सीनियर खिलाड़ियों को टी20 से रिटायरमेंट ले लेना चाहिए?

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केएल राहुल: शानदार आईपीएल के बावजूद टीम से बाहर- Indian Cricketers T20 Retirement

केएल राहुल एक वक्त टीम इंडिया के ऑल-फॉर्मेट प्लेयर माने जाते थे, लेकिन टी20 वर्ल्ड कप 2022 के बाद से उन्होंने इस फॉर्मेट में भारत के लिए कोई मैच नहीं खेला है। माना जा रहा है कि एशिया कप 2025 के लिए भी उन्हें टी20 स्क्वाड में जगह नहीं मिलेगी।

हालांकि, केएल राहुल ने आईपीएल 2025 में दिल्ली कैपिटल्स की ओर से शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 539 रन बनाए, वो भी 53.9 की औसत और लगभग 150 के स्ट्राइक रेट के साथ। लेकिन इसके बावजूद, टीम मैनेजमेंट उन्हें इस फॉर्मेट के लिए भविष्य में शायद नहीं देख रहा है। ऐसे में राहुल के सामने विकल्प बहुत सीमित हैं या तो घरेलू क्रिकेट और आईपीएल तक सीमित रहें, या फिर टी20 से संन्यास लेकर बाकी फॉर्मेट्स पर फोकस करें।

मोहम्मद शमी: इंजरी और खराब फॉर्म ने किया किनारे

शमी का नाम जब भी आता है, तो उनका अनुभव और तेज़ गेंदबाज़ी की क्लास सामने आती है। लेकिन टी20 फॉर्मेट से उनका नाता अब लगभग टूट चुका है।

आईपीएल 2025 में मोहम्मद शमी ने सनराइजर्स हैदराबाद की टीम के लिए 9 मैच खेले। इन 9 मैचों में उन्होंने सिर्फ 6 विकेट ही लिए, यानी औसतन हर मैच में एक विकेट से भी कम। और उन्होंने बहुत ज़्यादा रन लुटाए — उनका इकॉनमी रेट (Economy Rate) 11 रन प्रति ओवर था।
ऊपर से बार-बार की इंजरी ने उनकी वापसी की राह और मुश्किल बना दी है। शमी ने अब तक टी20 से रिटायरमेंट को लेकर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन जिस तरह से वो टीम इंडिया की योजना में नहीं हैं, उसे देखकर ये कयास तेज हो गए हैं कि उनका टी20 करियर अब खत्म माना जा सकता है।

भुवनेश्वर कुमार: फॉर्म तो लौटी, पर क्या मौके भी मिलेंगे?

भुवनेश्वर कुमार की गेंदबाज़ी कभी भारत की सबसे बड़ी ताकत हुआ करती थी। लेकिन उन्होंने नवंबर 2022 के बाद से भारत के लिए कोई टी20 मैच नहीं खेला है। हालांकि, उन्होंने आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए बढ़िया प्रदर्शन किया और 14 मैचों में 17 विकेट चटकाए।
इस प्रदर्शन से उन्होंने दिखाया कि उनमें अब भी दम है, लेकिन टीम इंडिया की मौजूदा तेज़ गेंदबाज़ी लाइनअप में जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह, मोहसिन खान जैसे नामों के सामने उनकी वापसी आसान नहीं लग रही।

रिटायरमेंट ही आखिरी रास्ता?

क्रिकेट में किसी का करियर एक पल में खत्म नहीं होता, लेकिन वक्त के साथ बदलाव ज़रूरी होता है। टीम इंडिया अब युवा खिलाड़ियों पर फोकस कर रही है, जो टी20 की तेज़ रफ्तार और आक्रामक सोच के साथ बेहतर तालमेल बिठा पा रहे हैं।

ऐसे में केएल राहुल, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी अगर खुद से टी20 को अलविदा कहते हैं, तो ये एक सम्मानजनक विदाई हो सकती है बगैर बेंच पर बैठे वक्त बिताए।

हालांकि, इनमें से किसी भी खिलाड़ी ने अब तक रिटायरमेंट का ऐलान नहीं किया है, लेकिन अब फैसला लेने का वक्त शायद बहुत दूर नहीं है।

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Uttarakhand Disaster: 10 साल में 4654 लैंडस्लाइड, 12758 बार बाढ़, 1100 से ज़्यादा मौत...

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Uttarakhand Disaster: उत्तराखंड, जिसे लोग श्रद्धा से ‘देवभूमि’ कहते हैं, वहां अब हर साल बरसात के मौसम में जैसे डर का मौसम भी उतर आता है। जहां एक ओर पहाड़ों की खूबसूरती लोगों को अपनी ओर खींचती है, वहीं दूसरी ओर बारिश, भूस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरना और बाढ़ जैसी आपदाएं जिंदगी पर आफत बनकर टूटती हैं। बीते 10 सालों में उत्तराखंड में जो हुआ है, वो सिर्फ आंकड़े नहीं हैं वो दर्द, डर और तबाही की कहानियां हैं।

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10 सालों की तबाही की तस्वीर- Uttarakhand Disaster

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि यहां हर साल कुदरत का कहर जारी है। साल 2015 से 2024 तक राज्य में:

  • 4654 बार भूस्खलन,
  • 92 बार एवलांच (हिमस्खलन),
  • 259 बार बिजली गिरी,
  • 67 बार बादल फटे,
  • और लगभग 12,758 बार तेज बारिश-बाढ़ जैसी घटनाएं दर्ज की गईं।

इन घटनाओं में लगभग 1000 से 1100 लोगों की जान गई है, जिसमें सबसे ज्यादा जानें भूस्खलन की वजह से गईं। अकेले लैंडस्लाइड ने ही 319 से ज्यादा जिंदगियां निगल लीं।

पौड़ी और उत्तरकाशी सबसे ज़्यादा प्रभावित

अगर जिलेवार बात करें तो सबसे ज़्यादा घटनाएं पौड़ी ज़िले में दर्ज़ हुई हैं। यहां 2040 भूस्खलन की घटनाएं हुईं। इसके अलावा:

  • पिथौरागढ़ – 1426
  • टिहरी – 279
  • चमोली – 258
  • चंपावत – 173
  • उत्तरकाशी – 80
  • रुद्रप्रयाग – 48
  • अल्मोड़ा – 30

उत्तरकाशी जिले ने भी बीते 10 सालों में काफी आपदाएं झेली हैं। यहां 1525 प्राकृतिक घटनाएं दर्ज़ की गईं जिनमें भूस्खलन, बाढ़, ओलावृष्टि, बादल फटना और जंगल की आग शामिल हैं।

1000 से ज़्यादा लोगों ने गंवाई जान

आपदा प्रबंधन विभाग और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले 10 सालों में उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के चलते करीब 1000 से 1100 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों में सबसे ज़्यादा यानी 35 से 40 प्रतिशत लोगों की जान भूस्खलन की घटनाओं में गई है। वहीं, 25 से 30 प्रतिशत मौतें बाढ़ और भारी बारिश की वजह से हुई हैं। इसके अलावा, 15 से 20 प्रतिशत मौतें बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) जैसी घटनाओं के कारण दर्ज की गई हैं।

अगर सिर्फ भूस्खलन की बात करें, तो अब तक 319 लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। यह आंकड़ा बताता है कि एक सामान्य-सी लगने वाली बारिश भी पहाड़ों में कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। हर बरसात के साथ यहां के लोगों के सिर पर मौत मंडराने लगती है और कभी-कभी तो वो बचने का मौका भी नहीं देती।

05 अगस्त की त्रासदी: धराली और हर्षिल की दहशत

हाल ही में 05 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में जो हुआ, उसने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया। बारिश के साथ आए मलबे ने पूरे इलाके को तहस-नहस कर दिया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देख हर कोई सहम जाता है।

सरकार का दावा: राहत के लिए हो रहा काम

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन का कहना है कि सरकार आपदाओं के असर को कम करने के लिए लगातार काम कर रही है। जहां-जहां बार-बार भूस्खलन हो रहा है, वहां ट्रीटमेंट वर्क कराया जा रहा है। साथ ही हर घटना पर नज़र रखी जा रही है ताकि भविष्य में उसका समाधान निकाला जा सके।

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Haider Ali Rape Case: हीरो से विलेन बना हैदर अली! इंग्लैंड में रेप केस में फंसा पाक ब...

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Haider Ali Rape Case: पाकिस्तान क्रिकेट टीम के युवा बल्लेबाज हैदर अली एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं, लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है। 24 साल के हैदर को इंग्लैंड में रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना 3 अगस्त की है, लेकिन इसकी जानकारी अब सामने आई है, जिसने पाकिस्तान क्रिकेट में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैदर अली उस वक्त पाकिस्तान शाहीन (ए टीम) का हिस्सा थे और इंग्लैंड के कैंटरबरी मैदान में MCSAC (मेलबर्न क्रिकेट क्लब की टीम) के खिलाफ मैच खेल रहे थे। खेल के दौरान ही ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस मैदान में पहुंची और उन्हें सबके सामने गिरफ्तार करके ले गई। इस घटना ने खिलाड़ियों और दर्शकों सभी को हैरान कर दिया।

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मैच से सीधे गिरफ्तारी, पासपोर्ट जब्त- Haider Ali Rape Case

गिरफ्तारी के बाद हैदर को जमानत पर छोड़ दिया गया है, लेकिन उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है ताकि वो देश छोड़कर न जा सकें। इस समय वह ब्रिटेन में ही हैं और जांच प्रक्रिया का हिस्सा हैं।

रेप का आरोप लगाने वाली लड़की भी पाकिस्तानी मूल की बताई जा रही है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ज्यादा जानकारी फिलहाल सामने नहीं लाई गई है।

PCB का बयान: निलंबन के साथ कानूनी मदद का भरोसा

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इस मामले में आधिकारिक बयान जारी किया है। PCB के प्रवक्ता ने कहा, “हमें हैदर की गिरफ्तारी की जानकारी मिली है। जांच पूरी होने तक उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। हम UK में अपनी जांच भी करेंगे और इस मुश्किल वक्त में हैदर को पूरी कानूनी सहायता दी जाएगी।”

UK दौरे पर थी पाकिस्तान ए टीम, ज्यादातर खिलाड़ी लौटे

पाकिस्तान की ए टीम 17 जुलाई से 6 अगस्त तक इंग्लैंड दौरे पर थी। इस दौरान उन्होंने दो तीन-दिवसीय मैच (जो ड्रॉ रहे) और तीन वनडे मैच खेले, जिसमें पाकिस्तान ने सीरीज 2-1 से अपने नाम की। हैदर अली और कप्तान सऊद शकील को छोड़कर बाकी सभी खिलाड़ी 7 अगस्त को पाकिस्तान लौट चुके हैं। सऊद निजी कारणों से दुबई में रुके हुए हैं।

उभरता सितारा, अब विवादों का हिस्सा

हैदर अली को एक समय पाकिस्तान का भविष्य का सुपरस्टार माना जाता था। उन्होंने देश के लिए अब तक 2 वनडे और 35 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। 2020 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत के यशस्वी जायसवाल के साथ उनकी तुलना की जाती थी।

UK दौरे में कोच माइक हेसन उनकी फॉर्म और प्रोफेशनल रवैये से प्रभावित थे और उन्हें इस महीने शारजाह में होने वाली T20 ट्राई सीरीज़ में शामिल करने का सोच रहे थे। लेकिन अब ये घटना उनके इंटरनेशनल कमबैक पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।

पहले भी विवादों में रहे हैं हैदर

यह पहली बार नहीं है जब हैदर विवादों में फंसे हैं। 2021 में PSL के दौरान अबू धाबी में उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल तोड़ा था, जिसके कारण उन्हें इंग्लैंड और वेस्टइंडीज दौरे से बाहर कर दिया गया था।

करियर पर गहरा संकट

रेप केस में नाम सामने आने के बाद हैदर अली का करियर अब संभवतः सबसे बड़े संकट में है। और अगर वह निर्दोष भी साबित होते हैं, तब भी यह दाग उनके करियर पर हमेशा के लिए रह जाएगा।

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Naresh Barsagade sucess story: भारत में कीकर की गोंद तोड़ने वाला दलित बच्चा अमेरिका म...

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Naresh Barsagade sucess story: कभी सोचिए, जब आप अपनी ज़िंदगी के सबसे निचले मोड़ों पर होते हैं, तब क्या होता है अगर आपके पास वो सारी सुविधाएँ नहीं होतीं जिनका हम आजकल मजा लेते हैं? नरेश बरसागड़े की कहानी कुछ ऐसी ही है, जो दिल छूने वाली और उम्मीद जगाने वाली है। यह कहानी एक छोटे से गांव में जन्मे उस लड़के की है, जिसकी हथेलियों पर कीकर के पेड़ की गोंद चिपकी रहती थी, जो दिन-रात कड़ी मेहनत करता था, लेकिन कभी नहीं हारा। और आज वही लड़का, अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर अमेरिका के लॉस एंजेलिस में सीनियर मैनेजर के पद पर काबिज है।

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एक वक्त था जब नरेश के पास कुछ नहीं था, न पढ़ाई के लिए किताबें, न समृद्धि की कोई राह। लेकिन आज वह उस स्थिति में हैं जहां वे अपनी तक़दीर खुद लिख रहे हैं। यह कहानी न केवल संघर्ष की है, बल्कि उस अनदेखी उम्मीद और संघर्ष की भी है, जो हर इंसान के अंदर छिपी होती है। आइए, हम आपको नरेश की उसी यात्रा से रूबरू कराते हैं, जो हर किसी के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।

गरीबी से जूझते हुए बचपन- Naresh Barsagade sucess story

नरेश का जन्म महाराष्ट्र के एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। वह जब छोटे थे, तो बाकी बच्चे खिलौनों से खेलते थे, लेकिन नरेश को 7 साल की उम्र में ही काम पर जाना पड़ता था। उनकी मां और दादी खेतों में काम करती थीं, लेकिन नरेश को सिर्फ आधी मजदूरी मिलती थी, क्योंकि वह बच्चा था। फिर भी उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। 1980 के दशक के शुरुआती सालों में जब उनके घर में सूखा पड़ा, तो नरेश को दिनभर मेहनत करने के बदले ₹1 मिलते थे, जबकि उनकी मां को पूरी मजदूरी मिलती थी।

उनकी कहानी यहीं से शुरू होती है। नरेश ने कभी भी अपनी मुश्किलों के आगे घुटने नहीं टेके। वह जंगलों में जाकर कीकर के पेड़ों से गोंद इकट्ठा करते, ताकि उनका पढ़ाई का खर्च निकल सके। उन्होंने कभी भी गरीबी को अपनी सीमा नहीं समझा।

शिक्षा की तरफ पहला कदम

नरेश का मानना था कि शिक्षा ही वह रास्ता है, जिससे कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। जब वह सातवीं कक्षा में थे, उनके पेरेंट्स काम की वजह से घर से बाहर गए हुए थे। नरेश अकेले ही घर संभालते थे और खेतों में काम करते थे। सुबह-सुबह 5 बजे उठकर खेतों में काम करने के बाद, वह कीकर के पेड़ों से गोंद इकट्ठा करते और उसे ₹5 में बेचते थे। नरेश का कहना था, “मैं जानता था कि शिक्षा ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा हथियार है। यही एक रास्ता था जिससे मैं अपनी जिंदगी बदल सकता था।”

हाई स्कूल और संघर्ष की अगली मंजिल

नरेश की मेहनत और लगन रंग लाई। वह हाई स्कूल के लिए गांव से बाहर गए और इसके लिए उन्होंने खुद अपनी फीस और हॉस्टल का खर्च उठाया। नरेश ने कभी अपने माता-पिता पर कोई बोझ नहीं डाला। उनकी मेहनत और कड़ी लगन ने उन्हें एक नई दिशा दी। वह अपने सपनों के लिए अकेले ही लड़ते रहे, और इसके बाद उन्हें यह महसूस हुआ कि अगर वह मेहनत करें तो हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।

हाई स्कूल और कॉलेज की कठिन यात्रा

नरेश का सफर हाई स्कूल में आगे बढ़ा, जहां पर वह सरकारी हॉस्टल में रहते हुए पढ़ाई करते थे। उनका संघर्ष इस स्तर तक बढ़ चुका था कि वह कभी कभी खाना छोड़ कर अपनी किताबें खरीदने के लिए पैसे बचाते थे। नरेश बताते हैं, “जब मैं कॉलेज गया, तो मैंने कभी मैस का खाना छोड़कर पैसे बचाए, ताकि किताबें खरीद सकूं।”

उसके बाद, नरेश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और जालंधर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की। यहाँ भी गरीबी उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी। लेकिन, नरेश ने इसे भी अवसर में बदलते हुए खुद को बेहतर करने की दिशा में काम किया।

अमेरिका में एक नई शुरुआत

1998 में नरेश को अमेरिका में नौकरी मिल गई। यहां तक पहुंचने के बाद भी नरेश ने कभी अपनी पढ़ाई को पीछे नहीं छोड़ा। उन्होंने अमेरिका में कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया और वहां भी शिक्षा के महत्व को समझा। आज नरेश लॉस एंजेलिस में एक बड़ी अमेरिकी कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं और वहाँ एक शानदार जीवन जी रहे हैं।

नरेश का कहना है, “मेरे पेरेंट्स ने हमेशा मुझे पढ़ाई की अहमियत समझाई, और उनके कारण ही मैं आज अमेरिका में हूं।”

अमेरिका में जीवन की सफलता

नरेश आज लॉस एंजेलिस में एक आलीशान घर में रहते हैं, जहां उन्हें सभी सुख-सुविधाएं हासिल हैं। वह अपने जीवन के संघर्षों को याद करते हुए कहते हैं, “यह सब मेरी शिक्षा और बाबा साहब डॉ. अंबेडकर की प्रेरणा का फल है। अगर वह शिक्षा की क्रांति न लाते, तो शायद मैं आज यहां नहीं होता।”

नरेश की सफलता यह साबित करती है कि अगर किसी इंसान के पास लगन और शिक्षा का सही रास्ता हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। नरेश ने आज तक जितनी भी सफलता पाई, वह केवल और केवल उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है।

नरेश का संदेश

नरेश का संदेश है, “हमारे जैसे बच्चों के लिए शिक्षा सबसे बड़ी ताकत है। अगर हम शिक्षा को समझें और उसकी अहमियत जानें, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।” वह मानते हैं कि सरकारी स्कूलों का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही वह जगह है जहां गरीब बच्चों को शिक्षा मिलती है। अगर सरकारी स्कूल बंद हुए तो नरेश जैसे हजारों सपने मर जाएंगे।

आज नरेश की सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की है जो समाज में बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं। नरेश का जीवन यह साबित करता है कि शिक्षा ही हर समस्या का हल है। तो, अगर हम अपने बच्चों को शिक्षा देंगे, तो हम न केवल उनके जीवन को संवार सकते हैं, बल्कि पूरे समाज को भी एक नई दिशा दे सकते हैं।

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US bounty on Venezuela President: वेनेजुएला के राष्ट्रपति पर 50 मिलियन डॉलर का इनाम, ...

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US bounty on Venezuela President: क्या आप विश्वास करेंगे कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की गिरफ्तारी पर अब ओसामा बिन लादेन से भी ज्यादा इनाम रखा गया है? हां, आपने सही सुना! अमेरिका ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर अपना इनाम दोगुना कर दिया है। अब मादुरो की गिरफ्तारी की सूचना देने पर अमेरिका 50 मिलियन डॉलर (करीब 438 करोड़ रुपये) का इनाम देने की घोषणा कर रहा। आखिर अमेरिका ने क्यों रखा इतना बड़ा इनाम, और मादुरो पर क्या हैं गंभीर आरोप, आइए जानते हैं।

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दरअसल, ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि मादुरो दुनिया के सबसे बड़े ड्रग तस्करों में से एक हैं और उन्होंने कार्टेल्स के साथ मिलकर अमेरिका में फेंटानिल-मिश्रित कोकीन की सप्लाई की साजिश रची। अमेरिकी अधिकारियों के इस कदम ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है।

मादुरो पर क्या हैं आरोप? (US  bounty on Venezuela President)

2020 में, ट्रंप प्रशासन ने मादुरो पर नार्को-टेररिज्म और कोकीन के आयात की साजिश में शामिल होने के आरोप लगाए थे। उस समय उनकी गिरफ्तारी के लिए 15 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया था। बाद में बाइडन प्रशासन ने इस राशि को बढ़ाकर 25 मिलियन डॉलर कर दिया। अब ट्रंप प्रशासन ने इस राशि को दोगुना कर 50 मिलियन डॉलर कर दिया है, जो ओसामा बिन लादेन पर रखे गए इनाम से भी ज्यादा है।

अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने वीडियो संदेश में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में मादुरो को न्याय से बचने का मौका नहीं मिलेगा और उन्हें उनके अपराधों की सजा मिलेगी।” वेनेजुएला के राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े ड्रग तस्कर समूहों, जैसे ट्रेन डी अरागुआ और सिनालोआ कार्टेल्स के साथ मिलकर अमेरिका में कोकीन भेजने की साजिश रची।

मादुरो की सत्ता पर पकड़

हालांकि, भारी इनाम और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद मादुरो सत्ता पर काबिज हैं। 2024 में उनके चुनाव को लेकर अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई लैटिन अमेरिकी देशों ने मादुरो की जीत को धोखाधड़ी बताया था और उनके प्रतिद्वंदी को वेनेजुएला का वैध राष्ट्रपति माना। लेकिन मादुरो ने इन सभी आरोपों को नकार दिया और अपनी सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाई हुई है।

वेनेजुएला का पलटवार

अमेरिका के इस कदम के बाद वेनेजुएला सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वेनेजुएला के विदेश मंत्री इवान गिल ने इस इनाम को ‘दयनीय’ बताते हुए कहा कि अमेरिकी अटॉर्नी जनरल “सस्ती राजनीतिक प्रचारबाजी” कर रही हैं। गिल ने आरोप लगाया कि यह वही शख्स है, जिसने ‘एप्स्टीन की सीक्रेट लिस्ट’ का झूठा वादा किया था। वेनेजुएला ने इसे केवल अमेरिका की नाकामी को छुपाने की एक कोशिश करार दिया।

वेनेजुएला के विदेश मंत्री युवान गिल ने अमेरिका सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘जो ऐसा कर रहे हैं, हमें इस बात से कोई हैरानी नहीं है। वही जिसने एप्सटीन की गुप्त सूची होने का दावा किया था और जो राजनीतिक फायदों के लिए स्कैंडल में शामिल रहा हो।’

अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्तों में खटास

इस घटना ने अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्तों में और खटास बढ़ा दी है। आपको बता दें, पिछले महीने ट्रंप प्रशासन ने वेनेज़ुएला में बंद 10 अमेरिकी नागरिकों की रिहाई के लिए एक डील की थी। इसके बदले, अमेरिका ने वेनेज़ुएला के कई प्रवासियों को, जिन्हें ट्रंप की इमिग्रेशन नीति के तहत अल साल्वाडोर भेजा गया था, वापस लाने की अनुमति दी। इस डील के बाद, व्हाइट हाउस ने अमेरिकी तेल कंपनी शेवरॉन को वेनेज़ुएला में फिर से ड्रिलिंग की अनुमति दे दी, जो पहले विभिन्न प्रतिबंधों के चलते रुकी हुई थी।

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