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Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख हिंसा के पीछे साजिश? DGP ने सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान स...

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Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख में हाल ही में भड़की हिंसा के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। पुलिस महानिदेशक (DGP) एस.डी. सिंह जम्वाल ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। DGP का दावा है कि वांगचुक का संपर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से था, जो उनकी गतिविधियों की जानकारी सीमा पार भेज रहा था।

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वांगचुक के वीडियो पाकिस्तान भेजे जा रहे थे- Sonam Wangchuk Arrest

लेह में मीडिया से बात करते हुए डीजीपी जम्वाल ने बताया कि पुलिस ने एक पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (PIO) को गिरफ्तार किया है जो वांगचुक के संपर्क में था। यह शख्स लद्दाख में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के वीडियो पाकिस्तान भेज रहा था। DGP ने दावा किया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं और वीडियो भेजने की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।

हिंसा में चार की मौत, वांगचुक बताए गए मुख्य आरोपी

पुलिस के मुताबिक, बुधवार को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए। DGP ने साफ शब्दों में कहा कि इस हिंसा के पीछे मुख्य भूमिका सोनम वांगचुक की थी। इसी के चलते उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया और राजस्थान के जोधपुर की जेल भेजा गया है।

हालांकि, पुलिस ने अभी तक पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। जम्वाल ने कहा, “जांच जारी है, और कई चीज़ें अभी उजागर नहीं की जा सकतीं। लेकिन वांगचुक के भाषणों और विचारों से यह साफ झलकता है कि उनका अपना एक एजेंडा है।” उन्होंने आगे कहा कि वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे आंदोलनों का जिक्र किया, जो लोगों को भड़काने की दिशा में इस्तेमाल किया गया।

विदेशी फंडिंग और FCRA उल्लंघन की जांच

वांगचुक पर विदेशी फंडिंग और एफसीआरए (FCRA) कानून के उल्लंघन की जांच भी चल रही है। डीजीपी ने बताया कि उनकी कुछ विदेश यात्राएं संदेह के घेरे में हैं। खासतौर पर पाकिस्तान के डॉन मीडिया ग्रुप के एक कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी और बांग्लादेश यात्रा पर सवाल उठाए गए हैं।

आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप

सोनम वांगचुक लद्दाख में चल रहे उस आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं जिसमें राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग की जा रही है। लेकिन पुलिस का आरोप है कि उन्होंने आंदोलन को अपने तरीके से मोड़ने की कोशिश की और केंद्र व लद्दाख के नेताओं के बीच हो रही बातचीत को विफल करने का प्रयास किया।

डीजीपी ने बताया कि 25 सितंबर को सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच एक अनौपचारिक बैठक होनी थी, लेकिन वांगचुक ने उस वक्त भी भूख हड़ताल जारी रखी, जो इस प्रयास को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

नेपालियों की भी संलिप्तता, 50 लोग हिरासत में

उपराज्यपाल की ओर से हिंसा में विदेशी साजिश की आशंका पर DGP जम्वाल ने कहा कि तीन नेपाली नागरिक गोली लगने से घायल हुए हैं और कुछ अन्य बाहरी लोगों की भूमिका भी जांच में सामने आ रही है। अब तक कुल 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से करीब 6 को मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है।

जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी

फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां वांगचुक और उनके संपर्कों की पूरी जांच कर रही हैं। वांगचुक पर लगे आरोप काफी गंभीर हैं और अगर इनकी पुष्टि होती है, तो लद्दाख का आंदोलन एक अलग ही दिशा ले सकता है। अब सबकी नजरें इस जांच के नतीजों पर टिकी हैं, जो आने वाले हफ्तों में तस्वीर साफ कर सकते हैं।

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Navratri 2025: स्कंदमाता से त्रिपुरसुंदरी तक…वो देवियां जो संतान की सुरक्षा से ...

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Navratri 2025: नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व देवी शक्ति की उपासना का समय होता है, जिसमें हम अपनी आस्थाओं और श्रद्धा को देवी के विभिन्न रूपों में समर्पित करते हैं। नवरात्रि के पांचवे और छठे दिन देवी स्कंदमाता और देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो मातृशक्ति के संरक्षण और प्रेरणा के प्रतीक हैं। इन दोनों रूपों में मां के वात्सल्य, सुरक्षा और साहस का अद्वितीय मेल देखने को मिलता है।

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देवी स्कंदमाता: मातृत्व का परम प्रतीक Navratri 2025

नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी स्कंदमाता का रूप मातृत्व की शक्ति को दर्शाता है। उनका चित्रण इस तरह किया जाता है कि वह अपनी गोदी में कार्तिकेय (स्कंद) को बिठाए हुए होती हैं, जो देवताओं के सेनापति के रूप में प्रसिद्ध हैं। स्कंदमाता का ये रूप जीवन में मां की भूमिका को स्पष्ट करता है।

जब एक मां अपने बच्चे को जन्म देती है, उसे पालती है, उसकी रक्षा करती है और उसे जीवन की कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार करती है, तो वही भाव देवी स्कंदमाता में दिखता है। वह अपने पुत्र को जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। इसी तरह, स्कंदमाता का रूप हमें यह समझाता है कि संतान की हर उपलब्धि में मां का योगदान होता है, और उनकी गोदी में संतान हमेशा नन्हा ही रहता है, चाहे वह कितनी भी ऊंचाई तक पहुंच जाए।

देवी कात्यायनी: शक्ति और साहस की प्रतीक

नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी का स्वरूप एक साथ सौम्य और युद्ध की देवी का है। बिहार की लोक संस्कृति में छठ पूजा की देवी कात्यायनी मानी जाती हैं, जो बच्चों के पालन-पोषण का कार्य करती हैं। उनका चित्रण एक युद्ध की देवी के रूप में किया जाता है, जिनके हाथ में त्रिशूल, भाला और तलवार होती हैं, लेकिन उनका रूप बहुत ही सौम्य और शांतिपूर्ण होता है।

यह रूप दर्शाता है कि माता कात्यायनी सुरक्षा और साहस दोनों के प्रतीक हैं। वह बच्चों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती हैं, और उनकी पूजा हमें यह सिखाती है कि माता हर स्थिति में अपने बच्चों की रक्षा के लिए तत्पर रहती हैं। देवी कात्यायनी का यह रूप जीवन में संघर्ष और साहस के महत्व को भी समझाता है।

ललिता देवी: स्कंदमाता और कात्यायनी का आध्यात्मिक रूप

स्कंदमाता और कात्यायनी के इस रूप को ललिता देवी के नाम से भी जाना जाता है। ललिता देवी सौंदर्य, शक्ति और ज्ञान का अनुपम संगम हैं। उन्हें त्रिपुरसुंदरी और षोडशी के नाम से भी जाना जाता है, जो तंत्र साधना में सर्वोच्च स्थान रखती हैं। ललिता देवी के स्वरूप का वर्णन 16 वर्षीय युवती के रूप में किया जाता है, जिनकी चार भुजाओं में फंदा, अंकुश, गन्ना धनुष और फूलों के तीर होते हैं। वह कमल पर विराजमान होती हैं और कभी हंस या तोते की सवारी करती हैं।

ललिता देवी की पूजा से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक मुक्ति का मार्ग भी मिलता है। उनका स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि वे जीवन के हर क्षेत्र में हमारी मार्गदर्शिका बन सकती हैं, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या आध्यात्मिक उन्नति।

आध्यात्मिक महत्व: ऊर्जा और मुक्ति का स्रोत

ललिता देवी का स्वरूप केवल सौम्यता और सौंदर्य का नहीं, बल्कि शक्ति और ऊर्जा का भी प्रतीक है। देवी महात्म्य में उनकी कथा राक्षसी शक्तियों पर विजय की है, जो अच्छाई की जीत का प्रतीक है। त्रिपुरासुर नामक राक्षस के खिलाफ देवी ललिता ने शिव के भीतर रहकर युद्ध किया और उनकी शक्ति से त्रिपुर का संहार हुआ। यह कथा अज्ञान से आत्मज्ञान की ओर यात्रा को दर्शाती है।

ललिता देवी के अनुयायी उनकी साधना से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि प्राप्त करते हैं। साधना के द्वारा उनके भीतर छिपी हुई कुंडलिनी ऊर्जा जागृत होती है, जो जीवन में बुरी बाधाओं को दूर करने में मदद करती है। तंत्र-मंत्र परंपरा में उन्हें “शिवा” कहा जाता है, जो शिव के साथ एकात्मता का प्रतीक हैं।

पूजा विधि और आराधना: समर्पण का मार्ग

देवी ललिता की पूजा विशेष रूप से सरल लेकिन समर्पण की आवश्यकता वाली होती है। उनकी पूजा के लिए ललिता सहस्रनाम का पाठ किया जाता है, जिसमें उनके 1000 नामों का जाप किया जाता है। यह पाठ मानसिक शांति और जीवन में सफलता लाने में सहायक होता है। इसके अलावा, “ॐ श्री महा त्रिपुर सुंदरी महामन्त्राय नमः” जैसे दुर्लभ मंत्रों का जप किया जाता है, जो पूजा के दौरान विशेष प्रभावशाली माने जाते हैं।

देवी ललिता की पूजा में समर्पण और पवित्रता की आवश्यकता होती है। साधक को शांतिपूर्ण वातावरण में लाल वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए। ताजे फूलों से अर्घ्य अर्पित करने और चंदन-कुमकुम से तिलक करने से पूजा में विशेष फल मिलता है।

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Bareilly Violence News Update: “भूल गए सत्ता में कौन है?”… योगी के सख्त त...

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Bareilly Violence News Update: बरेली में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान से जुड़े पोस्टर को लेकर मस्जिद के बाहर विवाद भड़क उठा। देखते ही देखते मामूली कहासुनी ने उग्र रूप ले लिया और शहर के खलील तिराहा से लेकर इस्लामिया मैदान तक का इलाका हिंसा की चपेट में आ गया। पत्थरबाजी, नारेबाजी और तोड़फोड़ ने शहर को दहला दिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई सीधी भिड़ंत ने सड़क को मानो जंग का मैदान बना दिया।

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पुलिस की सख्त कार्रवाई, 39 गिरफ्तारBareilly Violence News Update

हिंसा के बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 39 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें सबसे बड़ा नाम मौलाना तौकीर रजा खान का है। उनके अलावा सरफराज, मनीफुद्दीन, अजीम अहमद, मोहम्मद शरीफ, मोहम्मद आमिर, रेहान और मोहम्मद सरफराज जैसे कई अहम चेहरे भी पुलिस की गिरफ्त में आए हैं। प्रशासन ने कुल 180 नामजद और करीब 2500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिन पर दंगा, धार्मिक भावनाएं भड़काने, तोड़फोड़ और पथराव जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

साजिश के तहत की गई हिंसा: प्रशासन

जिलाधिकारी अविनाश सिंह और एसएसपी अनुराग आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ तौर पर कहा कि यह हिंसा पूरी तरह सुनियोजित थी। उनके मुताबिक, जबरन भीड़ जुटाई गई, जबकि धारा 163 पहले से लागू थी, जो किसी भी अवैध सभा पर रोक लगाती है। हालात को काबू में रखने के लिए बरेली में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इसके अलावा फेसबुक, व्हाट्सऐप और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मैसेज फॉरवर्डिंग पर पहले से ही रोक लगी हुई है।

मौलाना तौकीर रजा खान कौन हैं?

इस पूरी घटना में सबसे ज्यादा चर्चा मौलाना तौकीर रजा की हो रही है। वो बरेलवी संप्रदाय के संस्थापक अहमद रजा खान के वंशज हैं और बरेली की धार्मिक और राजनीतिक दुनिया में उनका काफी दबदबा रहा है। साल 2001 में उन्होंने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल बनाई थी और फिर सियासत में कूदे। 2009 में कांग्रेस से जुड़े और 2012 में समाजवादी पार्टी के समर्थन में आ गए। लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्होंने सपा से किनारा कर लिया। इसके बाद वे बसपा के साथ भी नजर आए।

विवादों से पुराना नाता

मौलाना का नाम पहले भी कई बार हिंसक घटनाओं में आया है। साल 2010 में बरेली दंगों में भी उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था। सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी वे सुर्खियों में रहे। उस दौरान उन्होंने नागरिकता कानून का खुलकर विरोध किया और कई बार प्रशासन के निशाने पर आए।

इसके अलावा उन्होंने तस्लीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी किया था, जिस वजह से वह राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रहे। देवबंदी विचारधारा को लेकर उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से दूरी बना ली थी और ‘जदीद बोर्ड’ की नींव रखी थी।

गिरफ्तारी से पहले दिया भावुक वीडियो संदेश

गिरफ्तारी से कुछ ही घंटे पहले मौलाना ने एक वीडियो संदेश जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा, “अगर मुझे गोली मार दी जाए तो मुझे खुशी होगी।” उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील भी की थी, लेकिन प्रशासन ने देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया और सुबह अदालत में पेश किया।

योगी आदित्यनाथ की सख्त चेतावनी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हिंसा को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने बिना नाम लिए मौलाना तौकीर रजा पर तंज कसते हुए कहा, “कल एक मौलाना भूल गए कि सत्ता में कौन है?” मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि त्योहारों के मौके पर माहौल खराब करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

उन्होंने दंगाइयों की तुलना हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित “चुंड-मुंड” से करते हुए कहा कि देवी भगवती ऐसे लोगों का नाश कर देती हैं। योगी ने चेतावनी दी कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होगी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनेगी।

बरेली की हिंसा की चिंगारी फैल रही

फिलहाल बरेली की हिंसा की आग अब धीरे-धीरे राज्य के बाकी हिस्सों तक भी पहुंचने लगी है। बाराबंकी, मऊ और वाराणसी से भी तनाव की खबरें सामने आई हैं। प्रशासन अलर्ट पर है और हालात को काबू में करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।

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Russia on trump Tariff: अमेरिका की पाबंदी पर रूस का भारत को समर्थन, लावरोव बोले- भारत...

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Russia on trump Tariff: भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका द्वारा 50% का भारी टैरिफ लगाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस मसले पर अब रूस की ओर से बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत के रुख का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने साफ कहा है कि भारत को किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है वो अपने फैसले खुद लेने में पूरी तरह सक्षम है।

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भारत की नीतियों का रूस ने किया समर्थनRussia on trump Tariff

लावरोव ने शनिवार को दिए गए बयान में कहा कि वो जब भी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मिलते हैं, तो तेल व्यापार या किसी तरह की शर्तों की बात नहीं करते। उनका कहना था, “मैं कभी नहीं पूछता कि हमारा तेल व्यापार कहां जा रहा है। भारत इन सब मामलों में आत्मनिर्भर है और उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि क्या करना है।”

उन्होंने जयशंकर की स्पष्ट और संतुलित विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए कहां से तेल खरीदेगा, ये उसका आंतरिक मामला है और इसमें अमेरिका या किसी तीसरे देश का दखल देना उचित नहीं।

अमेरिका शर्तों पर बात करना चाहता है, भारत आत्मसम्मानी है”

लावरोव ने कहा कि जयशंकर पहले ही इस मुद्दे पर अमेरिका को साफ जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका हमें तेल बेचना चाहता है, तो शर्तों पर बात हो सकती है, लेकिन हम कहां से तेल खरीदते हैं, ये हमारा अपना फैसला होगा। रूस के विदेश मंत्री ने इस जवाब को भारत के “आत्मसम्मान” का प्रतीक बताया और तुर्की का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत भी उसी तरह वैश्विक मंच पर अपनी स्वतंत्र सोच रखता है।

भारत को लेकर अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में भारत पर जो 50% का टैरिफ लगाया गया है, उसमें से 25% शुल्क सीधे तौर पर भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत को रूस से तेल आयात कम करना चाहिए, खासतौर पर तब जब पश्चिमी देश रूस पर पहले से ही कई आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं।

इस पाबंदी के बीच भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत भी चल रही है, जिससे इस मुद्दे का महत्व और बढ़ गया है। हालांकि, भारत ने फिलहाल कोई झुकाव नहीं दिखाया है और अपनी ऊर्जा नीति पर मजबूती से खड़ा है।

दिसंबर में भारत आ सकते हैं पुतिन

लावरोव ने यह भी पुष्टि की है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल दिसंबर में भारत दौरे पर आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार, रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में मजबूत साझेदारी है। इसके साथ ही BRICS और SCO जैसे मंचों पर भी दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग जारी है।

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Thalapathy Vijay Net Worth: एक्टर विजय की रैली में बिछीं लाशें, जानिए कितनी दौलत और क...

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Thalapathy Vijay Net Worth: तमिलनाडु के करूर जिले में शनिवार शाम जो कुछ भी हुआ, उसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। टीवीके (तमिलगा वेट्री कझगम) के प्रमुख और चर्चित अभिनेता थलपति विजय की एक रैली के दौरान मची भगदड़ में 36 लोगों की जान चली गई, जबकि 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मरने वालों में 16 महिलाएं, 9 पुरुष और 6 बच्चे शामिल हैं। घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और एक समय तो ऐसा था जब भीड़ में एक बच्चा लापता हो गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

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इस दुखद घटना ने केवल आयोजनों में सुरक्षा की पोल खोली, बल्कि देशभर में यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि आखिर सिनेमा से राजनीति की ओर रुख कर रहे विजय की रैलियों में इतनी भारी भीड़ क्यों उमड़ रही है। कौन हैं ये थलपति विजय जिनकी एक झलक पाने के लिए लोग अपनी जान की परवाह तक नहीं करते?

थलपति विजय: सिनेमा का सितारा

थलपति विजय का असली नाम जोसेफ विजय चंद्रशेखर है। उनका जन्म 22 जून 1974 को चेन्नई में हुआ था। विजय के पिता एस. ए. चंद्रशेखर खुद एक फिल्म डायरेक्टर रहे हैं, इसलिए विजय की परवरिश भी कैमरे के आसपास ही हुई। उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में एक्टिंग करियर की शुरुआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उनकी कुछ सुपरहिट फिल्में हैं – घिल्ली, मर्सल, बिगिल, बीस्ट और हालिया लियो, जिनमें उनके एक्शन, स्टाइल और संवाद डिलीवरी ने उन्हें तमिल सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया।

“थलपति” बना फैन्स का नेता

अब आपको बताते हैं “थलपति” नाम के पीछे की कहानी। थलपति यानी सेनापति ये खिताब विजय को उनके फैंस ने 1994 की फिल्म रसिगन के बाद दिया। पहले वो “इलाया थलपति” (युवा सेनापति) कहे जाते थे, लेकिन 2017 की मर्सल के बाद उनका नाम सीधे “थलपति” विजय हो गया।

उनकी फैन फॉलोइंग इतनी जबरदस्त है कि हर फिल्म के पहले और आखिरी दिन सिनेमाघरों में त्योहार जैसा माहौल बन जाता है। अब यही फैनबेस उनके राजनीतिक करियर को भी मजबूती दे रहा है।

संपत्ति और कमाई में भी किसी हीरो से कम नहीं- Thalapathy Vijay Net Worth

कमाई की बात करें तो, 2024 तक थलपति विजय की अनुमानित संपत्ति ₹600 करोड़ से भी ज्यादा है। एक फिल्म के लिए वे ₹100-120 करोड़ लेते हैं। इसके अलावा ब्रांड एंडोर्समेंट, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट, और प्रोडक्शन जैसे कई जरिए हैं जिससे उनकी कमाई होती है।

इतना ही नहीं, उनका चेन्नई में स्थित नीलंकरई का समुद्र किनारे वाला बंगला काफी चर्चा में रहा है, जिसे देखकर लोग कहते हैं कि यह हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज़ के बीच हाउस से प्रेरित है।

राजनीति में एंट्री, TVK की स्थापना

आपको बता दें, 2024 में विजय ने तमिल राजनीति में उतरते हुए अपनी पार्टी तमिलगा वेट्री कझगम (TVK) की स्थापना की। राजनीति में उनका आगमन बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में हुआ बड़ी रैलियां, मोटी भीड़ और जबरदस्त मीडिया कवरेज।

हालांकि करूर रैली में हुई भगदड़ से उनकी पार्टी की मैनेजमेंट पर सवाल उठने लगे हैं, लेकिन इससे यह भी साफ होता है कि जनता में उनके लिए आकर्षण सिर्फ सिनेमा तक सीमित नहीं रहा।

करूर हादसा: क्या लापरवाही से गई 36 जानें?

हादसे की वजह अत्यधिक भीड़ और कमजोर प्रबंधन को बताया जा रहा है। जैसे ही भीड़ में बच्चा लापता होने की अफवाह फैली, लोगों में घबराहट मच गई और भगदड़ शुरू हो गई। इस दौरान कई लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए और नतीजा इतना भयावह निकला कि स्टालिन जैसे वरिष्ठ नेता भी मौके पर पहुंचकर सिहर उठे।

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TVK Vijay Rally Stampede: विजय की रैली बनी मौत का मेला! 39 की दर्दनाक मौत, स्टालिन तक...

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TVK Vijay Rally Stampede: तमिलनाडु के करूर जिले में रविवार को एक भयानक हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) की एक रैली के दौरान मची भगदड़ में बच्चों समेत 36 लोगों की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद से ही पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है। कई राजनीतिक हस्तियों और नेताओं ने इस घटना पर अपनी गहरी संवेदनाएं जाहिर की हैं।

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विजय ने कहा- “मेरा दिल टूट गया है”

इस हादसे की खबर सामने आते ही TVK प्रमुख थलापति विजय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा,

“मेरा दिल टूट गया है। मैं असहनीय, अवर्णनीय पीड़ा और दुख से कराह रहा हूं जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मैं करूर में अपनी जान गंवाने वाले भाइयों और बहनों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। साथ ही अस्पताल में भर्ती घायलों के जल्द ठीक होने की प्रार्थना करता हूं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुखTVK Vijay Rally Stampede

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस भीषण हादसे पर शोक जताया और लिखा:

“तमिलनाडु के करूर में एक राजनीतिक रैली के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना बेहद दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”

सीएम स्टालिन ने लिया मामले का संज्ञान

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तुरंत हादसे की जानकारी ली और अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि करूर की खबर बहुत चिंताजनक है और उन्होंने तत्काल:

  • पूर्व मंत्री वी. सेंथिलबालाजी,
  • स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम,
  • और जिला कलेक्टर को आदेश दिया कि सभी पीड़ितों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मुहैया कराया जाए।

सीएम स्टालिन ने आसपास के जिलों से अतिरिक्त मेडिकल स्टाफ और एंबुलेंस भेजने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने त्रिची जिले के मंत्री अंबिल महेश को युद्धस्तर पर राहत पहुंचाने का आदेश दिया और ADGP से भी तुरंत हालात पर नियंत्रण पाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री आज (रविवार) सुबह खुद करूर पहुंच रहे हैं ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके।

राष्ट्रपति और राज्यपाल ने भी व्यक्त किया शोक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक” बताया। उन्होंने X पर लिखा:

“करूर में भगदड़ जैसी घटना में लोगों की मौत की खबर से बेहद दुखी हूं। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करती हूं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं।”

तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने भी हादसे को “अत्यंत दुखद” बताया और लिखा:

“बच्चों सहित निर्दोष लोगों की जान जाना बेहद पीड़ादायक है। पीड़ित परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। ईश्वर उन्हें यह दुख सहने की शक्ति दें।”

अमित शाह और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि इस त्रासदी में जान गंवाने वालों के परिवारों को भगवान शक्ति दे और घायल जल्दी ठीक हों।

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी गहरी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद करें और राहत कार्यों में प्रशासन का सहयोग करें।

D.M.K. ने विजय पर लगाए गंभीर आरोप

हादसे के बाद यह मामला राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। DMK के प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने रैली के आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा:

“ये घटना एक सोची-समझी रणनीति का परिणाम है। भीषण गर्मी में लोगों को घंटों इंतजार कराया गया। आयोजकों ने भीड़ नियंत्रित करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की थी। इसकी वजह से यह त्रासदी घटी।”

उन्होंने विजय और उनकी पार्टी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया।

क्या था हादसे का कारण?

प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, रैली स्थल पर भीषण गर्मी के बावजूद हजारों लोग जमा हो गए थे। भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। जैसे ही विजय मंच पर पहुंचे, लोग उन्हें देखने के लिए एक साथ आगे बढ़ने लगे। इसी दौरान भगदड़ मच गई। कुछ लोग पिस गए, कई बेहोश हो गए और अस्पताल में भर्ती कराए गए।

प्रशासन और जनता से अपील

अधिकारियों ने आम लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें, राहत कार्यों में पुलिस और मेडिकल टीमों का सहयोग करें। अस्पतालों में घायलों के इलाज के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

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Badri cow Farming: 4 लीटर दूध, लेकिन घी ₹5500 किलो! पहाड़ों की ये देसी गाय कर रही कमा...

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Badri cow Farming: भारत में देसी गाय पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जहां एक तरफ खेती में लागत कम करने और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गायों का सहारा लिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गाय के दूध, घी और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट्स की मांग भी खूब बढ़ी है। इस बीच उत्तराखंड की एक खास देसी गाय “बद्री गाय” चर्चा में है, जिसे ‘पहाड़ों की कामधेनु’ तक कहा जाने लगा है। वजह है इसका बेहद पौष्टिक दूध और उससे बनने वाला महंगा घी, जिसकी कीमत बाजार में करीब ₹5,500 प्रति किलो तक पहुंच गई है।

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दूध कम, लेकिन गुणों से भरपूर- Badri cow Farming

बद्री गाय कोई हाई यील्डिंग नस्ल नहीं है। ये रोजाना करीब 3 से 4 लीटर तक ही दूध देती है, जो आम डेयरी नस्लों के मुकाबले बहुत कम है। लेकिन जो बात इसे खास बनाती है, वो है इसका दूध और घी की गुणवत्ता। इस गाय के दूध में 8.4% तक फैट पाया गया है, जो इसे बाकी गायों और भैंसों से कहीं आगे खड़ा करता है।

 

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सिर्फ फैट ही नहीं, बद्री गाय के दूध में A2 प्रोटीन, 9.02% टोटल सॉलिड्स और 3.26% क्रूड प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। यही वजह है कि इसके दूध से बनने वाले प्रोडक्ट्स जैसे घी, मक्खन, छाछ आदि बाजार में खासे महंगे बिकते हैं। कई ऑनलाइन कंपनियां भी अब इसे शुद्ध और प्राकृतिक उत्पाद के रूप में ब्रांड करके बेच रही हैं।

कम दूध के चलते खत्म हो रही थी नस्ल

हालांकि, बद्री गाय की दूध देने की क्षमता कम होने के कारण इसे लंबे समय तक अनदेखा किया गया। डेयरी इंडस्ट्री में जहां ज्यादा दूध देने वाली नस्लें प्राथमिकता में होती हैं, वहीं बद्री जैसी गायें धीरे-धीरे हाशिए पर चली गईं। आज आलम यह है कि यह नस्ल धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई थी, और अब इसकी संख्या देशभर में कुछ सौ तक ही सिमट चुकी है।

लेकिन अच्छी बात ये है कि अब इसे बचाने की कोशिशें तेज हो चुकी हैं। उत्तराखंड के चंपावत जिले के नरियाल गांव में स्थित पशुपालन प्रजनन केंद्र में बद्री गाय के संरक्षण और संवर्धन का काम किया जा रहा है। कई छोटे किसान भी अब इसकी अहमियत को समझने लगे हैं और इसे अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं।

पहाड़ी इलाकों की खास गाय

बद्री गाय हिमालयी इलाकों के लिए एकदम परफेक्ट मानी जाती है। ये गाय जंगलों और बुग्यालों (पर्वतीय चारागाहों) में चरकर ही दूध देती है। माना जाता है कि इन बुग्यालों में मिलने वाली जड़ी-बूटियां गाय के दूध को और भी पौष्टिक बना देती हैं। यही वजह है कि यहां के लोकदेवताओं को भी बद्री गाय का दूध अर्पित किया जाता है, और लोग इसे पवित्र मानते हैं।

स्थानीय मान्यता तो यह भी है कि ‘असली गौदान’ बद्री गाय का ही माना जाता है। इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व तीनों बेहद गहरा है।

सरकार और संस्थाएं भी कर रही हैं सहयोग

बद्री गाय की अहमियत को देखते हुए अब उत्तराखंड डेयरी विभाग और यूकेसीडीपी (UKCDP) जैसे संस्थान भी इसके संरक्षण में जुटे हैं। इनका लक्ष्य है कि पहाड़ों की इस खास नस्ल को सिर्फ बचाया ही न जाए, बल्कि इसे स्थानीय किसानों की आय का मजबूत जरिया भी बनाया जाए।

Disclaimer: यह खबर विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी पर आधारित है। किसी भी डेयरी प्रोजेक्ट की शुरुआत करने से पहले विशेषज्ञ सलाह जरूर लें।

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Who is Petal Gahlot: गिटार बजाने वाली ये शांत लड़की जब UN में बोली, तो पाकिस्तान की ब...

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Who is Petal Gahlot: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक में इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। मौका था उस समय का जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर और आतंकवाद को लेकर झूठ का पुलिंदा पेश करने की कोशिश की। उन्हें शायद लगा था कि वो पुरानी स्क्रिप्ट पढ़ेंगे और दुनिया एक बार फिर उनके झूठ को सच मान लेगी। लेकिन इस बार भारत की ओर से आई एक तेजतर्रार और युवा डिप्लोमैट ने वो कर दिखाया जो पाकिस्तान को वर्षों तक याद रहेगा।

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हम बात कर रहे हैं पेटल गहलोत की। 33 साल की ये भारतीय राजनयिक इस समय न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन में फर्स्ट सेक्रेटरी के तौर पर तैनात हैं। उन्होंने अपने दमदार भाषण में पाकिस्तान को उसी के शब्दों में जवाब देकर उसकी बोलती बंद कर दी।

कौन हैं पेटल गहलोत? Who is Petal Gahlot

पेटल गहलोत का जन्म नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा के बाद मुंबई के मशहूर सेंट जेवियर्स कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वो दिल्ली आईं और लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन (LSR) से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स किया। 2015 में उन्होंने UPSC क्लियर कर भारतीय विदेश सेवा (IFS) में जगह बनाई।

डिप्लोमैसी में आने के बाद उन्होंने विदेश मंत्रालय के यूरोप वेस्ट डिवीजन, पेरिस और सैन फ्रांसिस्को जैसे अहम मिशनों में काम किया है। उनकी तेज सोच, स्पष्ट बोलने की क्षमता और आत्मविश्वास उन्हें बाकी डिप्लोमैट्स से अलग बनाता है।

संगीत से भी है खास लगाव

एक राजनयिक होने के साथ-साथ पेटल एक बेहद कलात्मक इंसान भी हैं। उन्हें गिटार बजाना और गाना गाना बेहद पसंद है। खाली समय में वो अक्सर संगीत की दुनिया में खो जाया करती हैं। उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स से ये भी पता चलता है कि उन्हें प्रकृति से बेहद प्यार है। अपनी टीम के साथ उनका रवैया दोस्ताना रहता है, और वे डिप्लोमेसी में भी एक पर्सनल टच लेकर चलती हैं।

पाकिस्तान को सुनाया कड़वा सच

संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमेशा की तरह आतंकवाद और कश्मीर को लेकर भारत पर झूठे आरोप लगाए। लेकिन पेटल गहलोत ने बेहद तीखे और तथ्यों पर आधारित जवाब से पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर दिया।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान बार-बार वही घिसा-पिटा झूठ दोहराता है। पेटल ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद पाकिस्तान की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा रहा है। उन्होंने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करते हुए कहा कि ये वही देश है जिसने 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जिस्टेंस फ्रंट जैसे आतंकवादी संगठन का बचाव किया था वो भी तब, जब इसी संगठन ने पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों की हत्या की थी।

भारत की कूटनीतिक ताकत की नई पहचान

पेटल गहलोत का यह भाषण ना सिर्फ एक जवाब था, बल्कि ये दिखाता है कि अब भारत की डिप्लोमेसी सिर्फ बचाव में नहीं, बल्कि पूरी तैयारी और मजबूती के साथ फ्रंटफुट पर खेलने लगी है। उन्होंने जिस आत्मविश्वास और तथ्यों के साथ पाकिस्तान को बेनकाब किया, वह कई लोगों को प्रेरणा दे रहा है।

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Delhi Vasant Kunj Crime: वसंत कुंज के फर्जी बाबा चैतन्यानंद की करतूतें आईं सामने, यौन...

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Delhi Vasant Kunj Crime: श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SRISIIM), वसंत कुंज से जुड़े फर्जी बाबा चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी के खिलाफ जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे उसकी पोल भी खुलती जा रही है। कभी मैनेजमेंट और नीति शास्त्र के लेक्चर देने वाला ये भगवाधारी अब खुद कानून से भाग रहा है। वजह है कम से कम 17 छात्राओं द्वारा लगाए गए यौन शोषण के गंभीर आरोप, साथ ही करोड़ों रुपये के घोटाले और फर्जीवाड़ा।

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फरार है फर्जी चांसलर, पुलिस के हाथ खाली- Delhi Vasant Kunj Crime

4 अगस्त 2025 को वसंत कुंज नॉर्थ थाने में चैतन्यानंद के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद से ही वो फरार है। पुलिस की टीमें पांच राज्यों में उसकी तलाश कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो चुका है। माना जा रहा है कि वह काफी शातिर तरीके से भूमिगत हो गया है। पुलिस को शक है कि उसके संस्थान के कुछ लोग और बाहरी संपर्क इस भगोड़े बाबा को छिपाने में मदद कर रहे हैं।

पहले भी दर्ज हो चुके हैं केस, लेकिन हर बार बचता रहा

यह कोई पहली बार नहीं है जब चैतन्यानंद के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हों। 2009 और 2016 में भी शिकायतें दर्ज हुई थीं। डिफेंस कॉलोनी थाने में हुई शिकायत की फाइलें आज तक खुली हैं, लेकिन रसूख और पैसों के बल पर बाबा हर बार कानून के शिकंजे से निकलता रहा। अब जब 17 छात्राओं ने खुलकर बयान दिए हैं, तो यह मामला फिर से तूल पकड़ चुका है।

शोषण का शिकार बनीं EWS छात्राएं

जिन लड़कियों ने चैतन्यानंद के खिलाफ आवाज उठाई है, उनमें ज़्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राएं हैं। उन्हें करियर के मौके, विदेश यात्रा और स्कॉलरशिप का लालच देकर फंसाया जाता था। जो छात्राएं विरोध करतीं, उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी मिलती। बताया गया है कि वॉर्डन तक इसमें शामिल थीं, जो लड़कियों को बाबा के कमरे में भेजने का काम करती थीं। WhatsApp पर अश्लील मैसेज भेजे जाते और फिर सबूत मिटाने के लिए चैट्स डिलीट कर दिए जाते। CCTV फुटेज तक टेम्पर किया जाता था।

16 साल पुराना है यह गंदा खेल

पूर्व छात्रों के मुताबिक, संस्थान में यह सिलसिला 2009 से ही चल रहा था। एक पूर्व छात्र ने ‘आज तक’ के कैमरे पर बताया कि ये एक “सिस्टेमैटिक शोषण” था, जिसमें बाबा का पूरा नेटवर्क काम करता था। लड़कियों को डराकर, धमकाकर और दबाव डालकर चुप कराया जाता था।

लग्जरी कारों का शौकीन, फर्जी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट का इस्तेमाल

चैतन्यानंद की लाइफस्टाइल भी किसी रईस से कम नहीं थी। पुलिस ने उसकी BMW और वोल्वो कार जब्त की है। वोल्वो कार पर फर्जी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट (39 UN 1) लगी थी, जिसके लिए अलग से एक केस दर्ज हुआ है। दावा है कि वो इन्हीं कारों से दिल्ली की सड़कों पर रौब झाड़ता घूमता था। BMW कार से ही वो फरार हुआ, लेकिन उसकी मंजिल अब भी रहस्य बनी हुई है।

फाइनेंशियल फ्रॉड: 20 करोड़ का गबन और 18 बैंक खातों पर कार्रवाई

मामला सिर्फ यौन शोषण का नहीं है। दिसंबर 2024 में जब संस्थान का प्रारंभिक ऑडिट हुआ, तब कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। जांच में पता चला कि चैतन्यानंद ने फर्जी ट्रस्ट बनाकर असली ट्रस्ट की सारी कमाई अपनी जेब में डालनी शुरू कर दी थी। ट्रस्ट से जुड़े 18 बैंक खातों और 28 फिक्स्ड डिपॉजिट को फ्रीज कर दिया गया है, जिनमें करीब 8 करोड़ रुपये हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार, बाबा ने धार्मिक संस्थान की साख को अपनी निजी तिजोरी बना लिया था।

श्रृंगेरी पीठ ने तोड़ा रिश्ता, दर्ज कराई शिकायत

श्रृंगेरी मठ के प्रशासक पीए मुरली ने चैतन्यानंद के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। मठ ने बाबा को डायरेक्टर पद से हटा दिया है और उससे सभी आध्यात्मिक संबंध भी समाप्त कर दिए हैं। आरोप है कि बाबा ने मठ की संपत्तियों और फंड्स का निजी हित में दुरुपयोग किया, जो कि एक गंभीर आपराधिक विश्वासघात है।

कोर्ट ने ठुकराई अग्रिम जमानत याचिका

26 सितंबर 2025 को पाटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां स्वामी चैतन्यानंद की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने साफ कहा कि आरोप इतने गंभीर हैं कि ऐसे व्यक्ति को जमानत देना न्याय के खिलाफ होगा। कोर्ट को बताया गया कि बाबा खुद को UN प्रतिनिधि बताता था, जबकि वह एक फर्जीवाड़ा कर रहा था।

पुलिस का दावा: जल्द होगी गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस की DCP ऐश्वर्या सिंह ने कहा है कि पुलिस हर स्तर पर छानबीन कर रही है। कई जगह छापेमारी की गई है। तीन वॉर्डन से पूछताछ हो चुकी है, जो मैसेज डिलीट करने और सबूत मिटाने में शामिल थे। पुलिस को पूरा भरोसा है कि जल्द ही चैतन्यानंद को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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Fighter Jet MiG-21: फाइटर जेट मिग-21 की रिटायरमेंट के बाद क्या होता है? क्या आप इसे ख...

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Fighter Jet MiG-21: भारत की वायुसेना के इतिहास में एक बड़ा और भावनात्मक मोड़ आ गया है। देश का सबसे लंबा सेवा देने वाला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान, मिग-21, अब ऑपरेशनल ड्यूटी से पूरी तरह रिटायर हो गया है। 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ एयरबेस पर हुए एक भव्य समारोह के साथ इसे आखिरी बार सलामी दी गई, जहां खुद एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इसकी अंतिम उड़ान भरी। यह सिर्फ एक विमान का रिटायरमेंट नहीं, बल्कि एक पूरे युग का अंत है।

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मिग-21: भारतीय आसमान का ‘सैनिक’ Fighter Jet MiG-21

मिग-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह सोवियत संघ में बना पहला सुपरसोनिक जेट था जिसे भारत ने अपनाया और फिर इसे अपनी ताकत बना लिया। इसने 1965 और 1971 के युद्धों, 1999 के करगिल संघर्ष और 2019 के बालाकोट स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई। कुल 874 मिग-21 विमानों को भारत ने हासिल किया था, जो दशकों तक हमारी हवाई सुरक्षा की रीढ़ बने रहे।

आखिर क्यों हुआ रिटायर?

भले ही मिग-21 ने भारतीय वायुसेना को गौरव दिलाया हो, लेकिन बीते कुछ सालों में इसके पुराने हो चुके सिस्टम और बढ़ते हादसों की वजह से इसे सेवा से बाहर करने का फैसला लिया गया। अब ये विमान किसी फ्रंटलाइन मिशन में शामिल नहीं होंगे।

रिटायरमेंट के बाद मिग-21 का क्या होगा?

मिग-21 की आखिरी दो स्क्वाड्रन – नंबर 23 (पैंथर्स) और नंबर 3 (कोब्रास) में मौजूद करीब 28 मिग-21 बाइसन विमानों को अब ‘नंबर प्लेटेड’ कर दिया गया है। इसका मतलब है कि ये स्क्वाड्रन नंबर और उनकी विरासत तो संरक्षित रहेगी, लेकिन नए विमान इन्हीं नामों से आगे चलेंगे।

ये विमान अब चंडीगढ़ से राजस्थान के नाल एयरबेस पहुंचाए जाएंगे, जहां इनकी तकनीकी जांच होगी, जरूरी डॉक्युमेंटेशन होगा और फिर तय होगा कि किस हिस्से को स्टोरेज में भेजना है, क्या डिस्प्ले के लिए तैयार करना है और क्या स्क्रैप करना है।

मिग-21 का ‘नया जीवन’

आपको बता ददें, रिटायरमेंट के बाद मिग-21 को ऐसे ही फेंक नहीं दिया जाता। इनमें से कुछ को देश के अलग-अलग म्यूज़ियम्स और हेरिटेज सेंटर्स में बतौर ‘गेट गार्जियन’ या शोपीस के रूप में लगाया जाएगा। दिल्ली के आईएएफ म्यूजियम, चंडीगढ़ के हेरिटेज सेंटर, बेंगलुरु के एचएएल म्यूजियम जैसे कई स्थानों पर पहले से मिग-21 को सजाकर रखा गया है।

इसके अलावा, कुछ एयरफ्रेम को इंजीनियरिंग कॉलेजों या ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में ट्रेनिंग एड के रूप में दिया जा सकता है। कुछ को सुपरसोनिक टारगेट ड्रोन में बदलकर पायलट ट्रेनिंग में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे नए पायलट रियल कॉम्बैट जैसी परिस्थितियों में अभ्यास कर सकें।

क्या आम लोग मिग-21 खरीद सकते हैं?

इस सवाल का जवाब हां में तो है, लेकिन शर्तों के साथ। कोई भी आम नागरिक अगर मिग-21 को शोपीस की तरह रखना चाहता है, तो उसे एयरफोर्स हेडक्वार्टर्स के जरिए औपचारिक आवेदन करना होगा। इसके बाद एक सख्त जांच प्रक्रिया होती है, और केवल पूरी तरह डिमिलिटराइज्ड, उड़ान अयोग्य एयरफ्रेम ही सख्त नियमों के साथ दिए जाते हैं। ये फ्रेम सिर्फ उन्हीं को दिए जाते हैं जो उनके रख-रखाव और सही उपयोग की गारंटी दे सकें।

मिग-21 के पायलट्स का क्या?

अब जब मिग-21 को रिटायर कर दिया गया है, तो इसके पायलटों को भी नए विकल्प चुनने होंगे। कई पायलट अब एलसीए तेजस जैसे नए फाइटर जेट्स पर ट्रेनिंग ले सकते हैं। कुछ लोग टेस्ट पायलट बन सकते हैं, तो कुछ लॉजिस्टिक्स या एडमिन ब्रांच में जा सकते हैं। जरूरी ट्रेनिंग के बाद, वे किसी अन्य फाइटर स्ट्रीम में जा सकते हैं।

वायुसेना की नई तैयारी

बता दें, मिग-21 की रिटायरमेंट के बाद भारतीय वायुसेना के पास अब 29 फाइटर स्क्वाड्रन रह गई हैं, जबकि जरूरत 42 की है। ऐसे में आने वाले समय में एलसीए मार्क 1ए और अन्य नए जेट्स से स्क्वाड्रन को फिर से मजबूत किया जाएगा।

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