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Colonel Sophia Qureshi: 5 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने की थी कर्नल सोफिया कुरैशी की तारी...

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Colonel Sophia Qureshi: भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की मंजूरी से लेकर भारतीय सेना के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देने तक, कर्नल सोफिया कुरैशी ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल भारतीय सेना बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के ऐतिहासिक फैसले में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को खासतौर पर सम्मानित किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और कर्नल सोफिया कुरैशी का योगदान- Colonel Sophia Qureshi

17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन को मंजूरी देते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी के योगदान को विशेष रूप से स्वीकार किया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस तर्क को खारिज किया था, जिसमें यह कहा गया था कि महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के लिए अनुपयुक्त हैं। कोर्ट ने कई महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों की अनुकरणीय सेवा पर प्रकाश डाला, और कर्नल सोफिया का नाम सबसे पहले लिया। यह भारतीय सेना में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को साबित करने वाला कदम था।

Colonel Sophia Qureshi
Source: Google

कर्नल सोफिया कुरैशी की बहुमूल्य उपलब्धियां

कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की सिग्नल कोर में कार्यरत, ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं। यह अभ्यास भारतीय सेना द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था। सोफिया ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में भी भाग लिया, जहां उनका कार्य संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था। उनका यह कार्य देश और दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत बना।

गुजरात की बेटी का पराक्रम

कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म गुजरात में हुआ और उनके पिता व दादा भी भारतीय सेना में रहे थे। उनका परिवार हमेशा भारतीय सेना के पराक्रम को बहुत सम्मान देता था, और सोफिया भी बचपन से ही सेना के पराक्रम की कहानियां सुनती आई थीं। उनकी माता-पिता ने अपनी बेटी पर गर्व जताते हुए कहा कि सोफिया ने देश के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है, जिसे वे हमेशा याद रखेंगे। उनके पिता ताजुद्दीन कुरैशी का मानना है कि भारत ने पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश के खिलाफ जो कार्रवाई की, वह उसी के लायक थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जल्द ही पीओजेके (पाकिस्तानी कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर) वापस लेगा।

सैन्य सेवा में परिवार की प्रेरणा

कर्नल सोफिया के परिवार में सैन्य सेवा का एक लंबा इतिहास रहा है। उनके पिता ताजुद्दीन ने हमेशा अपनी बेटी को सेना के पराक्रम की कहानियां सुनाई थीं। अब उनकी बेटी ने खुद इस पराक्रम को साबित किया है। सोफिया की बहन सायना, जो एनसीसी में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, ने सेना में जाने का प्रयास किया था, लेकिन वजन के कारण उनका चयन नहीं हो सका। हालांकि, सोफिया ने भारतीय सेना में प्रवेश किया और अपने परिवार का नाम रोशन किया।

कर्नल सोफिया का व्यक्तिगत जीवन और परिवार

कर्नल सोफिया का बेटा समीर वायुसेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है, जबकि उनकी भतीजी सायरा भी सेना में शामिल होना चाहती है। सोफिया का जन्म और शुरुआती शिक्षा मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड स्थित छतरपुर जिले के नौगांव में हुई। बाद में उन्होंने वडोदरा के केंद्रीय विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और एमएस विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में स्नात्तकोत्तर किया। 1999 में, जब उन्हें शार्ट सर्विस कमीशन के जरिए सेना में भर्ती होने का अवसर मिला, उन्होंने अपनी पीएचडी अधूरी छोड़कर सेना में शामिल होने का निर्णय लिया।

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अब छोड़िये आम चाय, रोजाना केसर की चाय पीने के ये फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप!

Saffron Tea: केसर की चाय, एक जादुई पेय जिसके गुणों की जितनी भी चर्चा की जाए कम है। यह न केवल अपनी मनमोहक खुशबू और स्वाद के लिए जानी जाती है, बल्कि यह सेहत के लिए भी किसी खजाने से कम नहीं है। अगर आप भी इस सुनहरी चाय को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सोच रहे हैं, तो जान लें कि इसका रोजाना सेवन करने से आपको कितने कमाल के फायदे मिल सकते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में केसर की चाय के फायदों के बारे बताते है जो आपको आज से ही इसे पीना शुरू करने के लिए प्रेरित करेंगे।

केसर की चाय के अनगिनत फायदों के बारे

केसर में अवसादरोधी गुण होते हैं जो मूड को बेहतर बनाते हैं और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसे “सनशाइन साइनस” भी कहा जाता है क्योंकि यह दिमाग को शांत और खुश रखता है। केसर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सफ्रानल नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। अच्छी नींद समग्र स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वही केसर रक्तचाप को कम करने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। इसे खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी प्रभावी माना जाता है।

याददाश्त और मस्तिष्क कार्य को बढ़ावा – केसर में क्रोसिन और क्रोसेटिन नामक रसायन होते हैं, जो सीखने और याददाश्त की क्षमता को बेहतर बनाने में मददगार हो सकते हैं। कुछ शोध बताते हैं कि यह अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे मस्तिष्क रोगों के इलाज में भी संभावित भूमिका निभा सकता है। इसके अलवा केसर में एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड्स भरपूर मात्रा में होते हैं। ये हानिकारक पदार्थों से शरीर की रक्षा करते हैं और कुछ अध्ययनों में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में भी प्रभावी पाए गए हैं।

आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा

  • PMS के लक्षणों से राहत – महिलाओं के लिए, केसर की चाय पीएमएस (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के लक्षणों जैसे मूड स्विंग और शारीरिक discomfort को कम करने में मदद कर सकती है। बता दें, केसर का नियमित सेवन आंखों को क्षति से बचाने में मदद कर सकता है और उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी समस्याओं से बचाव कर सकता है।
  • वजन घटाने में सहायक – कुछ अध्ययनों से पता चला है कि केसर भूख को कम करने और बार-बार खाने की आदत को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे वजन घटाने में सहायता मिलती है।
  • पाचन में सुधार – केसर पाचन तंत्र को शांत करने और पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि – केसर में राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) होता है, जो स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।

केसर चाय कैसे बनाएं – How to Make Saffron Tea

केसर की चाय बनाना बहुत आसान है। आप इन विधियों का पालन कर आराम से साधारण केसर की चाय बना सकते है।

  • एक कप गर्म पानी लें।
  • उसमें 4-5 केसर के धागे डालें।
  • 5-10 मिनट के लिए इसे ढककर रख दें ताकि केसर का रंग और स्वाद पानी में अच्छी तरह से आ जाए।
  • आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद या चीनी मिला सकते हैं।
  • गरमागरम पिएं।

विधि 2: दूध वाली केसर की चाय

  • एक कप पानी उबालें।
  • उसमें 4-5 केसर के धागे डालकर 2-3 मिनट तक उबालें।
  • अब इसमें आधा कप गर्म दूध और स्वादानुसार चीनी या शहद मिलाएं।
  • एक मिनट तक और उबालें और फिर छानकर पिएं।

JF 17 fighter jet: पाकिस्तान का चाइनीज हथियारों पर भरोसा हुआ पलभर में चूर, भारतीय सेन...

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JF 17 fighter jet: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमले करने की कई कोशिशें की हैं, लेकिन भारतीय सेना ने उसे हर बार विफल किया है। बीती रात पाकिस्तान ने भारत के विभिन्न हिस्सों में ड्रोन के जरिए हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना की तत्परता के कारण ये सभी हमले नाकाम हो गए। पाकिस्तान की ये कोशिशें चाइनीज हथियारों पर आधारित थीं, जिनका भरोसा उसे अब भारी पड़ गया।

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चाइनीज हथियारों के साथ पाकिस्तान का भ्रम- JF 17 fighter jet

पाकिस्तान ने चीन से मिले अत्याधुनिक हथियारों पर काफी भरोसा किया था और इन्हीं हथियारों के दम पर वह युद्ध में उतरने की सोच रहा था। लेकिन चाइनीज हथियारों के दम पर उसकी जंग की योजना चकनाचूर हो गई।

JF 17 fighter jet pakistan
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पहला चाइनीज हथियार – JF-17

पाकिस्तान का पहला चाइनीज हथियार था JF-17 फाइटर जेट, जिसे चीन के सहयोग से पाकिस्तान ने अपने बेड़े में शामिल किया था। JF-17 Thunder Block 3, एक अत्याधुनिक, हल्का वजन वाला, हर मौसम में उड़ान भरने वाला मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इस जेट को चीन ने अपने J-20 फाइटर जेट की स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस किया था।

JF 17 fighter jet pakistan
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लेकिन भारत के पास JF-17 के मुकाबले कहीं अधिक एडवांस्ड और प्रभावी लड़ाकू विमान हैं जैसे राफेल, Su-30MKI, मिराज-2000 और एलसीए तेजस। ये सभी विमान अत्याधुनिक हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस हैं। भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत का पूरा उपयोग करते हुए पाकिस्तान के दो JF-17 और एक F-16 फाइटर जेट को मार गिराया।

पाकिस्तान के पास 400 से अधिक जेट्स हैं, जिसमें JF-17, J-10C और F-16 शामिल हैं, लेकिन भारत के पास 500 से अधिक एडवांस्ड फाइटर जेट्स हैं, जिनकी तकनीकी क्षमता पाकिस्तान के विमानों से कहीं अधिक है।

दूसरा चाइनीज हथियार – HQ-9

पाकिस्तान का दूसरा चाइनीज हथियार था HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे पाकिस्तान ने 2021 में अपनी सेना में शामिल किया था। यह एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे चीन ने विकसित किया है। पाकिस्तान इस सिस्टम का उपयोग लाहौर की सुरक्षा के लिए कर रहा था। इस मिसाइल प्रणाली की रेंज 125 से 200 किलोमीटर तक बताई जाती है, और यह एक साथ 100 टारगेट्स को ट्रैक करने की क्षमता रखता है।

हालांकि, भारतीय सेना ने 7-8 मई की रात को पाकिस्तान के इस एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के लाहौर की सुरक्षा करने वाली एयर डिफेंस यूनिट को तबाह कर दिया, जिससे पाकिस्तान का यह हथियार पूरी तरह से बेअसर हो गया।

चाइनीज हथियारों पर पाकिस्तान का भरोसा गलत साबित हुआ

भारत ने अपनी ताकत का उपयोग करते हुए पाकिस्तान की योजना को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। पाकिस्तान ने चीन से मिले इन हथियारों पर भरोसा किया था, लेकिन भारतीय सेना की तैयारी और रणनीति के सामने उनका कोई भी असर नहीं हुआ।

भारत के पास पहले से ही अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियाँ और आधुनिक जेट विमानों की ताकत है, जो उसे किसी भी खतरे से बचाव करने में सक्षम बनाती हैं। पाकिस्तान को अब यह समझ में आ गया होगा कि चाइनीज हथियारों पर निर्भर रहकर वह भारत से मुकाबला नहीं कर सकता।

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India and Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अमेरिका की चुप्पी, पाक...

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India and Pakistan War: भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान लगातार भारत पर हमले करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ रही है। पाकिस्तान की इन कोशिशों के बीच, उसने अमेरिकी मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अमेरिका ने इस पूरे घटनाक्रम पर एक स्पष्ट और संयमित प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस मुद्दे पर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा स्थिति में अमेरिका का हस्तक्षेप करना उनका काम नहीं है।

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अमेरिका का रुख: कोई हस्तक्षेप नहीं– India and Pakistan War

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने फॉक्स न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा, “हम दोनों पक्षों से तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन हम इस युद्ध में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह हमारा काम नहीं है, और हम इसे कंट्रोल नहीं कर सकते।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका पाकिस्तान और भारत से हथियार डालने की अपील नहीं कर सकता। “हम इसे डिप्लोमैटिक माध्यमों से हल करने की कोशिश करेंगे। हमारी उम्मीद है कि यह स्थिति किसी बड़े क्षेत्रीय युद्ध या परमाणु युद्ध में न बदल जाए,” वेंस ने कहा। उनका मानना था कि फिलहाल ऐसी स्थिति का कोई संकेत नहीं है।

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इस बयान से यह साफ हो गया है कि अमेरिका इस क्षेत्रीय संघर्ष में किसी भी तरह से सीधे तौर पर शामिल होने से बच रहा है। हालांकि, अमेरिका दोनों देशों से शांति की अपील करने की कोशिश कर रहा है।

राष्ट्रपति ट्रंप का बयान

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया था। उन्होंने कहा था, “अगर मैं इस मौजूदा स्थिति में कोई मदद कर सकता हूं, तो मैं जरूर करूंगा। यह एक भयावह स्थिति है। मेरे भारत और पाकिस्तान दोनों से अच्छे संबंध हैं, और मैं चाहता हूं कि दोनों देशों के बीच इस मुद्दे का हल निकले।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि वे दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की दिशा में कार्य करने के इच्छुक हैं, लेकिन इस संघर्ष में अमेरिका का सीधा हस्तक्षेप नहीं होगा।

पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र से भी झटका

पाकिस्तान को इस समय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कई झटके मिल रहे हैं। हाल ही में, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से भी मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान ने UNSC से एक क्लोज-डोर बैठक की मांग की थी। हालांकि, इस बैठक के बाद पाकिस्तान को कोई ठोस परिणाम नहीं मिला।

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सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान ने भारत पर झूठे आरोप लगाए थे। पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने सिंधु नदी समझौते को निलंबित करने का कदम उठाया, जिसे उसने “गैरकानूनी” करार दिया। पाकिस्तान का यह दावा था कि इससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा होगा, लेकिन UNSC ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया और ना ही कोई प्रस्ताव पारित किया।

इससे पाकिस्तान की स्थिति और भी कमजोर हुई, क्योंकि सुरक्षा परिषद ने उसे कोई समर्थन नहीं दिया। यह बैठक पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, क्योंकि उसे उम्मीद थी कि UNSC से उसे समर्थन मिलेगा।

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S-400 Missile Defense System: S-400 से पाकिस्तान को भारतीय सेना का तगड़ा जवाब, ड्रोन ...

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S-400 Missile Defense System: भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जबरदस्त जवाब दिया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर स्थित उसके नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया है, और इसके साथ ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान को एक और मुंहतोड़ जवाब दिया है। पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमले को भारतीय सेना ने प्रभावी तरीके से नाकाम कर दिया, और इस बार भारतीय सेना ने अपनी ताकत का एक नया हथियार, S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, पहली बार इस्तेमाल किया।

 

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07 और 08 मई 2025 की दरमियानी रात पाकिस्तान ने श्रीनगर, जम्मू, अवंतीपुरा, अमृतसर, कपूरथला, पठानकोट, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, चंडीगढ़, नल, भटिंडा, फलौदी, भुज और अन्य सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने सटीक और प्रभावी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के इन हमलों को विफल कर दिया।

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S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ताकत- S-400 Missile Defense System

भारत ने इस हमले को नाकाम करने के लिए अपनी नई और अत्याधुनिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया। यह सिस्टम विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। इसकी रेंज 40 किमी से लेकर 400 किमी तक है, जिससे यह बहुत बड़ी इलाके में प्रभावी रूप से काम कर सकता है। भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीदने का समझौता किया था, और इसके बाद भारत ने रूस से लगभग पांच अरब डॉलर की कीमत पर पांच यूनिट एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदी।

S-400 की ताकत और विशेषताएँ

S-400 को दुनिया के सबसे घातक और एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम में से एक माना जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता। इसमें लगे रडार सिस्टम की क्षमता बहुत उन्नत है, और यह दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को पहले से ही ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा, S-400 की मिसाइलें 400 किलोमीटर की रेंज तक सटीक हमले कर सकती हैं और एक साथ 72 मिसाइलें लॉन्च करने की क्षमता रखती हैं, जिससे दुश्मन के ठिकानों को नष्ट किया जा सकता है।

 

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S-400 का ऑपरेशनल रेंज भी बहुत ज्यादा है। यह मिसाइल 100 फीट से लेकर 40,000 फीट तक किसी भी लक्ष्य को आसानी से भेद सकती है। इसकी मारक क्षमता इतनी ताकतवर है कि यह उन्नत फाइटर जेट्स को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसके साथ ही, यह मिसाइल -50 डिग्री से माइनस 70 डिग्री तक के तापमान में भी कार्य कर सकती है, जिससे यह किसी भी मौसम में प्रभावी तरीके से काम कर सकती है।

भारतीय सेना की प्रतिक्रिया और सुरक्षा

भारतीय सेना ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए एक बार फिर से अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया। भारतीय वायुसेना के बेड़े में S-400 को सबसे ताकतवर और प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसकी तकनीकी क्षमताओं ने भारत को एक नई शक्ति प्रदान की है, जो किसी भी संभावित हवाई हमले से बचाव करने में सक्षम है।

इस जवाबी कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि भारतीय सेना किसी भी प्रकार की सुरक्षा चुनौती का डटकर सामना करने के लिए तैयार है, और वह पाकिस्तान जैसे नापाक मंसूबों को कुचलने के लिए हर कदम उठा रही है।

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India-Pakistan War News: पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को भारतीय सेना ने किया विफल, ऑपरेशन...

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India-Pakistan War News: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच भारतीय सेना ने बुधवार रात को एक बार फिर से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब और राजस्थान तक हवाई ड्रोन हमलों की योजना बनाई थी, लेकिन भारतीय सेना ने अपनी तत्परता और ताकत से इन हमलों को प्रभावी ढंग से विफल कर दिया।

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भारतीय सेना ने इस बारे में एक वीडियो जारी किया है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के हमलों को जोरदार तरीके से नकार दिया है। इस वीडियो के बाद भारतीयों ने भारतीय सेना को सोशल मीडिया पर जमकर सलाम किया है। ‘जय हिंद की सेना, हम सब आपके साथ हैं’ जैसे संदेश वायरल हो गए हैं, और देशभर से भारतीय सेना पर गर्व की भावना व्यक्त की जा रही है। एक यूजर ने लिखा, “गर्व है जवानों पर।”

पाकिस्तान की घबराहट और ऑपरेशन सिंदूर का असर- India-Pakistan War News

पाकिस्तान की घबराहट और उसके नापाक मंसूबों को उजागर करने वाला यह हमला ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ है। पाकिस्तान को यह हमला भारी पड़ गया। 8 और 9 मई 2025 की मध्य रात्रि को पाकिस्तान की सेना ने पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और अन्य हथियारों से कई हमले किए थे। इसके अलावा, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्ष विराम (CFV) का उल्लंघन भी किया था। हालांकि, भारतीय सेना ने इन सभी हमलों को प्रभावी तरीके से विफल किया और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।

भारतीय सेना की ओर से कहा गया, “पाकिस्तान सशस्त्र बलों ने ड्रोन और अन्य हथियारों से हमले किए और संघर्ष विराम उल्लंघन किए, लेकिन भारतीय सेना ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया। हम राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। सभी नापाक मंसूबों का बलपूर्वक जवाब दिया जाएगा।”

चीन और अमेरिका की प्रतिक्रियाएं

इस बीच, पाकिस्तान के हिमायती देश चीन की ओर से एक प्रतिक्रिया सामने आई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “भारत और पाकिस्तान हमेशा एक दूसरे के पड़ोसी रहेंगे, और दोनों ही देशों के लिए शांति और स्थिरता बेहद महत्वपूर्ण है। हम आतंकवाद का विरोध करते हैं और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हैं।”

अमेरिका की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई, जिसमें उपराष्ट्रपति वेंस ने कहा, “अमेरिका इस युद्ध के बीच में शामिल नहीं होगा, लेकिन हम भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की कोशिशों का समर्थन करते हैं।”

भारतीय सेना की संकल्प और समर्पण

भारतीय सेना की यह प्रतिक्रिया एक बार फिर से साबित करती है कि वह अपने राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों की कोशिशें केवल पाकिस्तान की घबराहट को दर्शाती हैं। भारतीय सेना ने अपनी प्रबल शक्ति से इसे नाकाम कर दिया और इस बार भी भारत को गर्व महसूस कराया।

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REM and Dream Connection: REM नींद और सपनों का गहरा संबंध, जानें कैसे यह मस्तिष्क को ...

REM and Dream Connection: नींद हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए अत्यधिक आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल शरीर को आराम प्रदान करती है, बल्कि मस्तिष्क को भी पुनः सक्रिय करती है। नींद के दौरान हम दो प्रमुख अवस्थाओं से गुजरते हैं: REM (Rapid Eye Movement) नींद और गैर-REM (Non-Rapid Eye Movement) नींद। इन दोनों अवस्थाओं का हमारे शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर REM नींद का सपना देखने से सीधा संबंध होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि REM नींद क्या है और यह सपनों के निर्माण में कैसे मदद करती है।

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REM नींद की विशेषताएँREM and Dream Connection

REM नींद वह अवस्था है जब हमारी आँखों में तेज़ गति से हरकत होती है और हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है। इस समय हमारी मांसपेशियाँ अस्थायी रूप से लकवाग्रस्त हो जाती हैं, ताकि हम अपने सपनों के दौरान शारीरिक रूप से प्रतिक्रिया न कर सकें। यह अवस्था 90 मिनट के बाद शुरू होती है और नींद के लगभग 20-25 प्रतिशत समय तक रहती है। इसमें मस्तिष्क की गतिविधि जागृत अवस्था के समान होती है, इसीलिए इसे पैरेडॉक्सिकल स्लीप भी कहा जाता है।

REM and Dream Connection  Dream astrology
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REM नींद के दौरान हमारी मांसपेशियाँ निर्विवाद रूप से शांत रहती हैं, जबकि मस्तिष्क तीव्र रूप से कार्य कर रहा होता है। यह अवस्था मस्तिष्क के विकास, याददाश्त को मजबूत करने, और मानसिक शांति के लिए आवश्यक मानी जाती है। जब हम जागते हैं, तो अक्सर हम इन सपनों को याद नहीं रख पाते, लेकिन REM नींद में सपनों की प्रक्रिया अत्यधिक सक्रिय होती है।

सपनों का निर्माण और REM नींद

सपने REM नींद के दौरान उत्पन्न होते हैं, और यह अवस्था मस्तिष्क की उच्चतम सक्रियता की स्थिति होती है। जब व्यक्ति REM नींद में होता है, तो मस्तिष्क ऐसी मानसिक गतिविधियाँ करता है, जो सपनों का निर्माण करती हैं। ये सपने कभी हल्के होते हैं, कभी जटिल और कभी तो भावनात्मक रूप से भी बेहद तीव्र होते हैं। इन सपनों में रचनात्मकता और भावनाओं का मिश्रण होता है, जो व्यक्तित्व और मानसिक स्थिति का प्रदर्शन करते हैं।

जब व्यक्ति को REM नींद के दौरान जगाया जाता है, तो वह अपनी नींद के बारे में अधिक स्पष्ट और विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह बताता है कि REM नींद में मस्तिष्क की गतिविधि जागृत अवस्था के समान होती है, जिससे सपने तीव्र होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि जब हमें REM नींद से वंचित किया जाता है, तो हम मानसिक थकान और याददाश्त की समस्या का अनुभव कर सकते हैं।

REM नींद और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली

REM नींद का मस्तिष्क के कार्यों से गहरा संबंध है। इस दौरान मस्तिष्क नए विचारों और कनेक्शनों को जोड़ता है, जो रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। इसके साथ ही, यह अवस्था याददाश्त को मजबूत करने में मदद करती है, क्योंकि मस्तिष्क इस समय दूसरी दिन की घटनाओं को प्रोसेस करता है। यह अवस्था भावनात्मक संतुलन और मानसिक शांति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह मस्तिष्क को आराम देने और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है।

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अनेक अध्ययन बताते हैं कि REM नींद के दौरान मस्तिष्क का विश्लेषणात्मक और रचनात्मक कौशल बेहतर होता है। इसके अलावा, यह शारीरिक रूप से भी पुनः सक्रिय होता है, जिससे हम अगले दिन के लिए तैयार रहते हैं। यह स्थिति मस्तिष्क को सही रूप से काम करने और मानसिक उत्तेजना से निपटने के लिए सक्षम बनाती है।

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Artillery Regiment Indian Army: भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा, जानिए कौन हैं भारतीय आर...

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Artillery Regiment Indian Army: भारत की सेना दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक मानी जाती है, और इसकी ताकत उसकी बहादुर रेजीमेंट्स से आती है। ये रेजीमेंट्स न केवल भारतीय सीमाओं की रक्षा करती हैं, बल्कि युद्ध के मैदान में दुश्मनों को हराने में भी अग्रणी भूमिका निभाती हैं। भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट इन ताकतवर रेजीमेंट्स में से एक है, जिसे युद्ध के निर्णायक अंग के रूप में जाना जाता है। आर्टिलरी रेजिमेंट की गोलाबारी भारतीय सेना की इन्फेंट्री को युद्ध के मैदान में सफलता दिलाने में सहायक होती है।

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आर्टिलरी रेजिमेंट का इतिहास और विकास- Artillery Regiment Indian Army

भारतीय आर्टिलरी रेजिमेंट की नींव ब्रिटिश काल में पड़ी थी। इसकी शुरुआत 2.5 इंच की गन से हुई, लेकिन समय के साथ इस रेजिमेंट ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने का सफर तय किया। 28 सितंबर 1827 को बॉम्बे प्रेसीडेंसी के तहत 5 माउंटेन बैटरी के गठन से भारतीय आर्टिलरी रेजिमेंट का आधिकारिक रूप से प्रारंभ हुआ। आज यह दिन ‘गनर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है, जो आर्टिलरी रेजिमेंट के इतिहास और उसकी परंपराओं को सम्मानित करता है।

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आर्टिलरी रेजिमेंट के गठन के शुरुआती दिन

आर्टिलरी रेजिमेंट की शुरुआत अंग्रेजों द्वारा की गई थी। 1668 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी दो तोपखाने की कंपनियां बॉम्बे में स्थापित की। इसके बाद अन्य प्रेसीडेंसी में भी इसी प्रकार की तोपखाने की कंपनियां गठित की गईं। हालांकि, अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को तोपखाने में सीधे तौर पर शामिल करने की अनुमति नहीं दी। इसके बजाय, उन्हें केवल सहायक भूमिका में रखा गया, जिनसे बाद में गोलंदाजों का निर्माण हुआ। यह गोलंदाज भविष्य में भारतीय तोपखाना यूनिट्स की रीढ़ बने और 1857 के विद्रोह में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मुगलकाल में भी तोपों का महत्व

भारत में तोपखाने के प्रयोग की शुरुआत मुगल सम्राट बाबर से मानी जाती है, जिन्होंने 1526 की पानीपत की लड़ाई में तोपों का इस्तेमाल किया था। इस लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया था। इससे पहले भी भारत में तोपों का उपयोग विभिन्न राज्यीय संघर्षों में किया जाता था, जैसे बहमनी और गुजरात सल्तनत में।

आधुनिक आर्टिलरी रेजिमेंट की संरचना

आज भारतीय आर्टिलरी रेजिमेंट दो प्रमुख भागों में बांटी जाती है। पहला, जो भारी हथियारों जैसे तोप, मोर्टार, रॉकेट और मिसाइल्स से लैस है। दूसरा, जो सर्विलांस, रडार, ड्रोन और आधुनिक नियंत्रण प्रणालियों से युक्त है। यह संरचना रेजिमेंट की आधुनिक युद्ध क्षमता को बढ़ाती है और उसे किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाती है।

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आर्टिलरी रेजिमेंट का योगदान

भारतीय आर्टिलरी रेजिमेंट ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी ताकत का परिचय दिया है। इस रेजिमेंट ने श्रीलंका में IPKF मिशन, कांगो, सोमालिया, और सिएरा लियोन में UN पीसकीपिंग ऑपरेशन्स में भाग लिया है। इसके अलावा, 1988 में मालदीव में तख्तापलट की कोशिश को विफल करने में भी इस रेजिमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

आर्टिलरी रेजिमेंट को युद्ध में इसके योगदान के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें एक विक्टोरिया क्रॉस, एक अशोक चक्र, सात महावीर चक्र, 95 वीर चक्र, 12 शौर्य चक्र और 227 सेना पदक शामिल हैं। यह सम्मान इस रेजिमेंट की वीरता और बहादुरी को प्रमाणित करता है।

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Colonel Sophia Qureshi Salary: कितनी सैलरी लेती है कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर...

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Colonel Sophia Qureshi Salary: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर एक अहम कदम उठाया। इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान, यह सवाल उठने लगा कि ये महिला अधिकारी कौन हैं, उनका बैकग्राउंड क्या है, और उनकी सैन्य यात्रा कितनी प्रेरणादायक रही है? साथ ही, यह भी जानने की उत्सुकता थी कि उनकी सैलरी कितनी है और उनके योगदान क्या हैं।

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कर्नल सोफिया कुरैशी- Colonel Sophia Qureshi Salary

कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा में हुआ था। सोफिया ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद, 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से प्रशिक्षण प्राप्त किया और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर सेवा शुरू की। सोफिया ने 2016 में पुणे में आयोजित फोर्स 18 नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया था, जो उनकी लीडरशिप कौशल को साबित करता है।

उत्तर-पूर्व भारत में बाढ़ राहत कार्यों के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ का प्रशंसा पत्र मिला था। वह एक मिलिट्री परिवार से हैं, जहां उनके दादा और पिता भी सेना में थे। उनके पति भी भारतीय सेना के मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में अफसर हैं।

कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी

भारतीय सेना में कर्नल रैंक लेवल-13 के अंतर्गत आती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नल सोफिया की बेसिक सैलरी ₹1,30,600 से ₹2,15,900 के बीच हो सकती है। इसके अतिरिक्त, उन्हें मिलिट्री सर्विस पे ₹15,500 और महंगाई भत्ता प्राप्त होता है, जो उनकी बेसिक सैलरी का लगभग 46% होता है। इसके साथ ही, सरकारी आवास, वाहन, स्वास्थ्य सेवाएं और रिटायरमेंट लाभ भी उपलब्ध होते हैं। कुल मिलाकर, उनकी सैलरी ₹1.8 लाख से ₹2.5 लाख तक हो सकती है।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह: वायुसेना की शेरनी

विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाली पहली महिला हैं। उन्होंने 18 दिसंबर 2004 को शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत वायुसेना में फ्लाइंग पायलट के तौर पर सेवा शुरू की थी। 2019 में उन्हें स्थायी कमीशन मिला। व्योमिका सिंह के पास 2,500 घंटे से अधिक फ्लाइट अनुभव है, जिसमें उन्होंने चेतक और चीता जैसे हल्के हेलीकॉप्टरों को जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे संवेदनशील इलाकों में उड़ाया है।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह की सैलरी

विंग कमांडर रैंक वायुसेना में लेवल-12A के अंतर्गत आती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी बेसिक सैलरी ₹1,21,200 से ₹2,12,400 प्रति माह हो सकती है। इसके अलावा, उन्हें मिलिट्री सर्विस पे (MSP) ₹15,500 और फ्लाइंग अलाउंस ₹25,000 प्रति माह मिलता है। महंगाई भत्ता, सरकारी आवास, वाहन, स्वास्थ्य सेवाएं, और रिटायरमेंट लाभ भी उन्हें प्राप्त होते हैं। उनकी कुल मासिक सैलरी ₹1.7 लाख से ₹2.4 लाख तक हो सकती है।

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इन दोनों अधिकारियों ने न केवल अपनी मेहनत और लीडरशिप से अपनी पहचान बनाई है, बल्कि उन्होंने भारतीय सेना और वायुसेना में महिलाओं की भूमिका को और भी सशक्त किया है। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी भूमिका से यह साबित होता है कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाएं भी हर मोर्चे पर शानदार काम कर रही हैं और अपने देश की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

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Padmini Kolhapure News: 80s की टॉप एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे का पछतावा, “कभी ...

Padmini Kolhapure News: फिल्म इंडस्ट्री में कई हसीनाएं ऐसी रही हैं जिन्होंने अपने करियर के पीक पर फिल्म इंडस्ट्री से अलविदा ले लिया। इन हसीनाओं में एक नाम है पद्मिनी कोल्हापुरे का, जिन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत 70 के दशक में की थी और 80s में फिल्मों में मील का पत्थर साबित करने वाली हिट फिल्मों का हिस्सा बनीं। हालांकि, इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से लगभग 12 साल का ब्रेक लिया और अब एक लंबे समय बाद वह टीवी शो में कमबैक करने जा रही हैं। इस दौरान, एक्ट्रेस ने अपने फिल्मी करियर के बारे में खुलकर बात की और बताया कि उन्हें किस चीज का पछतावा है।

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पद्मिनी कोल्हापुरे: श्रद्धा कपूर की मासी और शक्ति कपूर की साली- Padmini Kolhapure News

पद्मिनी कोल्हापुरे की फैमिली के बारे में खास बात यह है कि वह बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शक्ति कपूर की पत्नी की बहन हैं, यानी शक्ति कपूर की साली और श्रद्धा कपूर की मासी लगती हैं। 59 साल की पद्मिनी कोल्हापुरे ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत की और अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें साझा की।

 

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पद्मिनी कोल्हापुरे का पछतावा: कभी अमिताभ बच्चन के साथ काम नहीं किया

पद्मिनी कोल्हापुरे ने अपनी बातों में खुलासा किया कि उनके करियर में एक ऐसा पछतावा है जो उन्हें हमेशा खलता रहा है। एक्ट्रेस ने कहा, “मुझे इस बात का रिग्रेट यानी पछतावा होता है कि मैंने अमिताभ बच्चन के साथ कभी काम नहीं किया। मैंने कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन अमित जी (अमिताभ बच्चन) के साथ काम करने का कभी मौका नहीं मिला।” पद्मिनी के लिए अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ काम करने का अनुभव बहुत खास होता, और यही कारण है कि उन्हें इस बात का पछतावा है कि उन्होंने कभी उनके साथ काम नहीं किया।

“सिलसिला” में रेखा का रोल किया था मना

पद्मिनी कोल्हापुरे ने यह भी बताया कि उन्हें “सिलसिला” फिल्म में रेखा का रोल ऑफर हुआ था, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को मना कर दिया। एक्ट्रेस ने बताया कि “आप सामने वाली हर फिल्म को साइन नहीं कर सकते।” यह कदम उन्होंने इस सोच के साथ उठाया था कि कुछ फिल्में और कुछ रोल्स ऐसे होते हैं जो आपके करियर को खास बनाते हैं और उनका चयन सावधानी से किया जाना चाहिए। अगर हम उस वक्त की बात करें तो “सिलसिला” जैसे फिल्म में काम करने का निर्णय बेहद महत्वपूर्ण था, लेकिन पद्मिनी ने अपने करियर की दिशा को लेकर एक अलग दृष्टिकोण अपनाया।

फिल्मों में वापसी: “पानीपत” और “फटा पोस्टर निकला हीरो”

हालांकि, पिछले कुछ सालों में पद्मिनी कोल्हापुरे ने चुनिंदा फिल्मों में काम किया है। 2019 में उन्होंने ‘पानीपत’ फिल्म में अपनी भूमिका निभाई और इसके अलावा, 2013 में ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ जैसी फिल्म में भी दिखीं। इन फिल्मों के जरिए उन्होंने अपनी एक्टिंग के हुनर को फिर से साबित किया और दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।

टीवी शो में कमबैक: “चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान”

पद्मिनी कोल्हापुरे अपने टीवी शो कमबैक को लेकर काफी उत्साहित हैं। वह ऐतिहासिक सीरियल ‘चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ में राजमाता की भूमिका निभाएंगी। इस शो में उनकी भूमिका एक खास स्थान रखती है, और उनके फैंस इस नए अवतार को देखने के लिए बेताब हैं। यह शो इतिहास पर आधारित होने के कारण उनके करियर में एक नई दिशा का प्रतीक हो सकता है।

पद्मिनी कोल्हापुरे की शख्सियत ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अनमोल जगह बनाई है, और अब उनका छोटे पर्दे पर वापसी करना उनके फैंस के लिए एक खुशी की बात है।

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